Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/344/13

ASHOK SINGH - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSORENCE - Opp.Party(s)

SARVESH SINGHCHAUHAN

05 Aug 2014

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/344/13
 
1. ASHOK SINGH
VIJAY NAGAR KAKADEV
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSORENCE
THE MALL ROAD KANPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 05 Aug 2014
Final Order / Judgement

 

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम कानपुर नगर

अध्यासीनः     डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या    

उपभोक्ता परिवाद संख्याः-344/2013

आलोक सिंह पुत्र स्व0 राजेन्द्र सिंह निवासी मकान नं0-126/10 विजय नगर वर्तमान पता जे-2-18 विजय नगर, काकादेव, कानपुर।
                                           ................परिवादी
बनाम
यूनाइटेड इण्डिया इन्ष्योरेन्स कंपनी लि0 दि माल रोड कानपुर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
                               ..............विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 01.07.2013
निर्णय की तिथिः 25.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.    परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी से बीमा पॉलिसी की षर्तों के अनुसार क्षतिपूर्ति रू0 74,000.00 मय 28 प्रतिषत वार्शिक ब्याज अदा करे तथा अन्य कोई उपषम जो मा0 फोरम उचित समझे, दिलाये जाने का आदेष पारित करें।
2.    परिवाद पत्र प्रस्तुत करके संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी मोटर साइकिल पैषन नं0-न्च्.78 ठड.7218 का पंजीकृत स्वामी है, जिसका बीमा परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी से कराया गया है, जिसकी पॉलिसी नं0-080802/31/09/01/00057923 दिनांक 19.03.10 से 18.03.11 तक वैध एवं प्रभावी था। परिवादी की उपरोक्त मोटर साइकिल दिनांक 02.12.10 को अज्ञात चोरों द्वारा चुरा ली गयी, जिसकी रिपोर्ट अपराध सं0-410/10 धारा-379 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत पंजीकृत करायी गयी। मोटर साइकिल चोरी की सूचना बीमा कंपनी को दे दी गयी थी। विवेचक द्वारा विष्लेशणोपरान्त उक्त रिपोर्ट सम्बन्धित न्यायालय में प्रेशित कर दी गयी, जो कि सी.एम.एम. कानपुर नगर द्वारा दिनांक 15.01.13 को स्वीकार कर ली गयी।  परिवादी द्वारा  विपक्षी बीमा 
............2
....2....

कंपनी को उक्त रिपोर्ट की छायाप्रति, प्रार्थनापत्र के साथ दी गयी थी। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा जांच भी करायी गयी थी। मुकद्मे की अंतिम रिपोर्ट स्वीकृत होते ही परिवादी ने दिनांक 13.02.13 को प्रार्थनापत्र के साथ प्रथम सूचना रिपोर्ट, अंतिम आख्या व सी.एम.एम. न्यायालय के आदेष की सत्य प्रतिलिपि की छायाप्रति भी विपक्षी बीमा कंपनी को दे दी गयी थी। परिवादी की चोरी गयी मोटर साइकिल की कीमत रू0 57,000.00 थी। विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा बावजूद पत्र दिनांकित 09.04.13, क्लेम धनराषि अदा नहीं की गयी। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.     विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से ऐतराज के रूप में जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा पुलिस रिपोर्ट दिनांकित 05.12.10 को दर्ज करायी गयी। जबकि बीमित गाड़ी दिनांक 02.12.10 को चोरी होने की सूचना दिनांक 09.10.10 को लिखे परिवादी के पत्र को विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 10.12.10 को प्राप्त कराया गया। विपक्षी ने श्री मनोज कुमार को इन्वेस्टीगेटर नियुक्त किया गया है, जिन्हें परिवादी ने सहयोग नहीं दिया तथा जो क्लेम फार्म भरा गया, वह भी ठीक से नहीं भरा गया। परिवादी द्वारा जानबूझ कर विवरण स्पश्ट नहीं किये गये हैं। विपक्षी ने परिवादी को पत्र दिनांकित  19.01.12 भेजकर परिवादी से 3 बातों की पूर्ति चाही गयी थी, जिसका कोई उत्तर न आने से पुनः दिनांक 19.02.12 को एक पत्र विपक्षी को लिखा, जिसमें 5 चीजों की पूर्ति करनी थी। परिवादी द्वारा कोई उत्तर न देने से दिनांक 23.03.12 को नो-क्लेम करके फाइल बन्द कर दी। परिवादी द्वारा यह स्पश्ट नहीं किया गया है कि परिवादी द्वारा रू0 57,000.00 का क्लेम किस प्रकार से मिलना चाहिए। जबकि इतना रूपया किसी भी स्थिति में देय नहीं होता है। अतः उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
परिवादी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.     परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वंय का षपथपत्र दिनांकित 01.07.13 एवं 05.08.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य  के रूप में बीमा 
....3....

पॉलिसी की प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र दिनांकित 13.02.13, 09.04.13 की प्रति,  एफ.आर. की प्रति, अंतिम रिपोर्ट की प्रति एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति, दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.     विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में सुबोध कुमार का षपथपत्र दिनांकित 12.09.13 एवं 20.11.14 दाखिल किया है।
ःःनिष्कर्शःः

6.     फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया। 
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से दो प्रमुख तर्क प्रस्तुत किये गये हैं, जिनके आधार पर निम्नलिखित विचारणीय बिन्दु बनते हैं।
1.    क्या परिवादी द्वारा अभिकथित वाहन की अभिकथित चोरी की सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को विलम्ब से दी गयी, यदि हां तो प्रभाव?
2.    क्या विपक्षी के इनवेस्टीगेटर को परिवादी द्वारा अन्वेशण में सहयोग नहीं किया गया, यदि हां तो प्रभाव?
विचारणीय बिन्दु सं0-1
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि मोटर साइकिल की चोरी की सूचना बीमा कंपनी को दी गयी थी। परिवादी द्वारा यह कथन परिवाद पत्र के प्रस्तर-4 में किया गया है। किन्तु परिवादी द्वारा यह स्पश्ट नहीं किया गया है कि विपक्षी बीमा कंपनी को उसके द्वारा सूचना किस तारीख को दी गयी थी। जबकि अभिकथित चोरी की तिथि 02.12.10 बतायी गयी है। विपक्षी का यह कहना है कि परिवादी द्वारा अपने पत्र दिनांकित 09.12.10 के द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी को सूचना दी गयी। परिवादी का उपरोक्त पत्र विपक्षी बीमा कंपनी के कार्यालय में दिनांक 10.12.10 को प्राप्त कराया गया। विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में विधि निर्णय न्यू इण्डिया इष्ंयोरेन्स कंपनी 
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...4...

लि0 बनाम त्रिलोचन जाने दिनांकित 09.12.09 पारित अपील सं0-321/05 की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि बीमित वस्तु के स्वामी को बीमा षर्तों के अनुसार प्रष्नगत वाहन की चोरी की सूचना लिखित में तुरन्त देनी चाहिए। पुलिस को भी सूचना तुरन्त देनी चाहिए। मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा अपने निर्णय में न्यायिक षब्दकोश, ठसंबो स्ूं षब्दकोश, मित्रा का कानून एवं व्यवसाय षब्दकोश का उल्लेख करते हुए तुरन्त का तात्पर्य अविलम्ब बताया गया है और आगे यह कहा गया है कि यह अवधि 24 घंटे तक पुलिस को सूचना देने की हो सकती है तथा 1-2 दिन की अवधि बीमा कंपनी को सूचना देने की हो सकती है। ताकि बीमा कंपनी अपने स्तर से भी प्रष्नगत वाहन की चोरी के सम्बन्ध में अन्वेशण करा सके। परिवादी की ओर से विपक्षी की ओरसे प्रस्तुत किये गये उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत से भिन्न कोई तर्क अथवा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले में लागू होता है, जिसका लाभ विपक्षी को प्राप्त होता है। अतः फोरम का यह मत है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कंपनी को प्रष्नगत वाहन के चोरी चले जाने की सूचना विलम्ब से दी गयी है। विपक्षी द्वारा परिवादी का क्लेम नोक्लेम करके, कोई विधिक अनियमितता कारित नहीं की गयी है। यद्यपि विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेशित पत्र दिनांकित 19.01.12 व 19.02.12 की प्रतियां प्रस्तुत नहीं की गयी है। किन्तु उपरोक्त विधिक आवष्यकता की पूर्ति परिवादी द्वारा न किये जाने के कारण विपक्षी के द्वारा खारिज किया गया क्लेम किसी विधिक अनियमितता की परिधि में नहीं आता है।
    अतः प्रस्तुत वाद बिन्दु परिवादी के विरूद्ध तथा विपक्षी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय बिन्दु सं0-2
    उपरोक्त विचारणीय बिन्दु के सम्बन्ध में विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से यह तर्क किया गया है कि परिवादी द्वारा उसके  इनवेस्टीगेटर को 
............5
...5...

सहयोग नहीं किया गया है। जबकि परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि उसके द्वारा विपक्षी के अन्वेशक को अन्वेशण में कोई असहयोग नहीं किया गया है।
    उपरोक्तानुसार उपरोक्त वाद बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कोई सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया हैं अतः उपरोक्त विचारणीय बिन्दु परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है।
    उपरोक्तानुसार उपरोक्त विचारणीय बिन्दु सं0-1 में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
                                :ःःआदेषःःः
7.    परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

       ( सुधा यादव )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।
            
    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


        ( सुधा यादव )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
               फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।
परिवाद संख्या-344/2013

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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