जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
त्रिलोक चंद इन्दौरा , प्रोपराईटर, मैसर्स त्रिलोक ट्रांसपोर्ट काॅरपोरेषन, निवासी- 429/3, नया बाड़ा, पुलिस थाना सिविल लाईन, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, ष्षाखा कार्यालय-गौरी कुन्ज, राजनगर रोड, कांकरोली, जिला-राजसमन्द ।
2. प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस, मुख्य कार्यालय, कचहरी रोड, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 455/2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री चन्द्रभान सिंह राठौड, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री ए.एस.ओबेराय, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 07.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अपनी फर्म के नाम से एक वाहन अषोक लीलैण्ड एचडीवी संख्या आर.ले.30. जी.ए.1196 क्रय किया । जिसका अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 141603/31/10/01/0000477 के दिनंाक 10.5.2012 से 9.5.2011 तक की अवधि के लिए करवाया । उक्त वाहन के दिनंाक 5.3.2011 को राजपुरा दरीबा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचित किया । जिनके सर्वेयर ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे किया । तत्पष्चात् उसने दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत करवाई । जिसमें उसके रू. 2,87,020/- खर्च हुए, जिसका क्लेम उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 31.01.2012 के द्वारा क्लेम खारिज कर दिया । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है। परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत कर प्रारम्भिक आपत्ति में दर्षाया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(डी)(पप) के अन्तर्गत प्रार्थी द्वारा वाहन का उपयोग व्यावसायिक कार्य में लिए जाने के कारण वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । आगे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दर्षाया है कि प्रार्थी के वाहन का बीमा डपेबमससंदमवने ंदक ैचमबपंस ज्लचम व िटमीपबसमे च्ंबांहम च्वसपबल के तहत किया गया था । उक्त पाॅलिसी के तहत डमबींदपबंस ठतमंाकवूदध्थ्ंपसनतम किसी भी प्रकार से ब्वअमत नहीं होता है तथा बीमा पाॅलिसी में म्गबसनकम होने के कारण कथित नुकसानी का कारण किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना से संबंध नहीं होने के कारण बीमा कम्पनी की किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति की अदायगी की जिम्मेदारी नहीं है ।
अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह भी कथन है कि सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट दिनांक 11.8.2011 में भी यह स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि कथित नुकसानी का कारण वाहन के जैक का झुकना/असफल होना रहा है और प्रार्थी ने भी अपने क्लेम फार्म में नुकसानी का ब्यौरा देते हुए ट्रोली जैक खत्म होना अंकित किया है और यह भी अंकित किया है कि ’’ खाली करते वक्त अनियंत्रित होकर होकर वाहन पलट गया ’’ । इस प्रकार वाहन में कथित नुकसान वाहन के दुर्घटनाग्रस्त न होकर खडे़ वाहन के अनबेलन्स होने से हुई है जो बीमा पाॅलिसी में कवर नहीं होती है । सर्वेयर के अनुसार वाहन का स्पाॅट सर्वे किए जाने पर पाया गया कि कथित वाहन सर्वे से पूर्व ही दुर्घटनास्थल से हटा लिया गया था । फाईनल सर्वे श्री बी.बी. राय द्वारा सर्वे किए जाने पर उन्होने रू. 74,600/- का नुकसान आंकलित किया है । रि - इन्सपेक्षन में भी सर्वेयर श्री सुधांषु भट्ट ने फाईनल सर्वे को सही होना पाया । किन्तु बीमा पाॅलिसी में उक्त नुकसानी कवर नहीं होने के कारण प्रार्थी कोई क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । इसलिए प्रार्थी का क्लेम सही आधारों पर खारिज करने में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा में कमी कारित नहीं की है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में चन्द्रकला जीरोतिया, सहायक प्रबन्धक ने अपना षपथपत्र पेष किया है ।
3ण् प्रार्थी का तर्क है कि वाहन बीमित होने व इसके दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसकी रिपेयर इत्यादि करवा कर सम्पूर्ण आवष्यक कार्यवाही निष्पादित करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत कर दिया गया था । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा उनके पत्र द्वारा प्रार्थी का क्लेम देने से इन्कार करते हुए सूचित किया गया है उनका ऐसा कृत्य सेवा में कमी को दर्षाता है । प्रार्थी को अपने वाहन का दुर्घटनाग्रस्त होने से नियमित आय का नुकसान हुआ है । बिना किसी उचित व युक्तियुक्त कारण से खारिज किए गए क्लेम को अवैध घोषित करते हुए परिवाद स्वीकार की जानी चाहिए ।
4ण् अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से खण्डन में प्रार्थी को वाहन के उपयोग को व्यावसायिक कार्य हेतु किया जाना बताते हुए परिवाद प्रथम दृष्टया पोषणीय नही ंहोने के कारण खारिज होने योग्य बताया व अन्य प्रमुख तर्क में ली गई बीमा पाॅलिसी में डमबींदपबंस ठतमंाकवूदध्थ्ंपसनतम किसी भी प्रकार से ब्वअमत नहीं होना तथा बीमा पाॅलिसी में म्गबसनकम होने के कारण कथित नुकसानी का कारण किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना से संबंध नहीं होने के कारण बीमा कम्पनी की किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति की अदायगी की जिम्मेदारी नहीं होना बताया । यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि बीमा कम्पनी के अधिकृत सर्वेयर की रिपोर्ट ही च्तमअंपस (प्रभावी) मानी जावेगी । समर्थन में विनिष्चय प्ट;2014द्धब्च्श्र 348;छब्द्ध ठंबींद छंतंलंद ैपदही टे म्पबीमत च्संद ंदक डंतामजपदह भ्मंक फनंतजमतए म्पबीमत डवजवते स्जक - व्तेए प्ट;2014द्धब्च्श्र 525 ;छब्द्ध च्ींतवे ैवसनजपवदे च्अज स्जक टे ज्ंजं डवजवते स्जक - व्तेए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1244ध्2011 च्नतंद डंस टे ैीतप त्ंउ ळमदमतंस प्देनतंदबम च्अजण् स्जक ;छब्द्ध व्तकमत क्ंजमक 01ण्12ण्2015ए ब्पअपस ।चचमंस छवण् 4487ध्2004 ;ैब्द्धैतप टमदाांजमेूंतं टे व्तपमदजपंस प्देनतंदबम ब्वउदचंदल स्जक ंदक ।दतण् व्तकमत क्ंजमक 24ण्09ण्2009ए थ्पतेज ।चचमंस छवण् 332ध्2008 ;छब्द्ध ैवदपं व्अमतेमंे च्अजण् स्जे टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक पर अवलम्ब लिया है।
5ण् हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तु विनिष्चयों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी आदरपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6ण् इस बिन्दु पर कोई विवाद नही ंहै कि प्रष्नगत वाहन अषोक ली लैण्ड एचडीवी अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां बीमित होकर यह दिनंाक 5.3.2011 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ । क्लेम हेतु प्रपोजल फार्म व सर्वेयर की रिपोर्ट को देखते हुए यह भी सिद्व रूप से प्रकट हुआ है कि वाहन की किसी अन्य वाहन या किसी अन्य वस्तु से टक्कर नहीं हुई थी अपितु उक्त वाहन खाली करते समय असन्तुलित होकर ट्राली सहित पलटी खा गया । अब इस बाबत् विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या ऐसी दुर्घटना अथवा परिस्थिति पाॅलिसी की षर्तों के अधीन कवर होती है अथवा ये परिस्थिति उक्त पाॅलिसी की षर्त के तहत म्गबसनकम है ?
7ण् अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि उक्त दुर्घटना डमबींदपबंस ठतमंाकवूदध्थ्ंपसनतम होने से किसी भी प्रकार से बीमका पाॅलिसी के अन्तर्गत कवर नही होती तथा उक्त बीमा पाॅलिसी में म्गबसनकम होने के कारण तथा उक्त प्रकरण में कथित नुकसान का कारण किसी भी प्रकार से कोई दुर्घटना नहीं होना रहा है । अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को इन्हीं कारणों को दर्षाते हुए उनके पत्र दिनंाक 31.1.2012 के सूचित करते हुए क्लेम दिए जाने से इन्कार किया है । अब यदि हम बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो में ऐसे म्गबसनकम कारणों का अवलोकन करें तो इन कारणों में जिन 6 बिन्दुओं/कारणों का उल्लेख किया गया है , में डमबींदपबंस ठतमंाकवूदध्थ्ंपसनतम का कोई उल्लेख नहीं है । अतः उनका यह तर्क कि उक्त वाहन डमबींदपबंस ठतमंाकवूदध्थ्ंपसनतम से कवर नहीं होता है, उचित नहीं है एवं स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है । ।
8. स्वीकृत रूप से नुकसानी का कारण किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना/टक्कर से संबंधित नहीं है । यदि ऐसा होता तो इसका उल्लेख भी उक्त बीमा पाॅलिसी की षर्तो में किया जा सकता था, जो कि नहीं है । अतः जिस प्रमुख आधार को ध्यान में रखते हुए क्लेम निरस्त किया गया है वह उचित नहीं कहा जा सकता ।
9. जहां तक सर्वेयर की रिपोर्ट का प्रष्न है , प्रार्थी यदि बीमा कम्पनी के अधिकृत सर्वेयर से सन्तुष्ट नहीं है तथा उसके स्थान पर किसी अन्य सर्वेयर की नियुक्ति नहीं हुई है तो मात्र यह कारण भी क्लेम प्राप्त करने के लिए उचित नही ंमाना जा सकता । जो विनिष्चय इस बाबत् प्रस्तुत हुए है , में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि सर्वेयर की रिपोर्ट च्तमअंपस होगी । स्वीकृत रूप से प्रार्थी ने प्रष्नगत वाहन के संबंध में स्वयं का जीवकोपार्जन वाहन से प्राप्त होने वाली आय पर निर्भर है, ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया है । अपितु उसकी यह स्वीकारोक्ति है कि प्रार्थी को अपने वाहन के दुर्घटनाग्र्रस्त होने से नियिमत आय का नुकसान हुआ है । इस प्रकार इस स्थिति में प्रार्थी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(डी)(पप) के तहत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं माना जा सकता क्योंकि स्वयं प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत वाहन का उपयोग व्यावसायिक कार्य हेतु किया जाना स्वीकार किया गया है । जैसा कि उसने स्पष्ट उल्लेख किया है कि उसे अपने वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने से नियमित आय का नुकसान हुआ है । इस संबंध में प्रस्तुत माननीय राष्ट्रीय आयेाग के ठंबींद छंतंलंद ैपदही वाले न्यायिक दृष्टान्त में प्रतिपादित सिद्वान्तों को ध्यान में रखते हुए मंच की राय में प्रार्थी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं माना जा सकता व उसके द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद इन्ही परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
10. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 07.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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