जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति संतोष रावत पत्नी स्व.श्री ष्षैतान सिंह जी राव, जाति- भाट, निवासी-मालियों की ढ़ाणी, रेल्वे लाईन के पास, वार्ड नं.8, मदनगंज-किषनगढ़, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
युनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड़ जरिए वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, लोहागल रोड, षास्त्रीनगर, अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 374/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री आर.जी. अग्रवाल, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री राजेष जैन, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 22.06.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके पति ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक रूरल एक्सीडेन्ट पैकेज बीमा पाॅलिसी संख्या 140400/47/08/99/00084343 दिनांक 4.2.2009 से 3.2.2013 तक के लिए रू. 1,00,000/- की प्राप्त की । उसके पति पोथियां बांचने का कार्य मध्यप्रदेष के दतिया जिले में करते थे । उन्हें वहां महेन्द्र के नाम से भी जाना जाता था, तथा किषनगढ के सरकारी व अद्र्व सरकार विभागों में षैतानसिंह के नाम से उनका नाम रिकार्ड में दर्ज है । दिनांक 3.7.2011 को उसके पति सेवई से दतिया की ओर जा रहे थे तो मोटरसाईकिल की दुर्घटना में उनका देहान्त हो गया । पुलिस कार्यवाही में उसके पति का नाम महेन्द्र दर्ज कर दिया गया । आवष्यक दस्तावेज पुलिस को सौंपने पर उसके पति का अंतिम संस्कार किषनगढ में किया गया । तत्पष्चात् उसने समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया । जिसे अप्रार्थी ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमित एवं मृतक के नाम में अन्तर है । जबकि उसने क्लेम प्रस्तुत करते समय समस्त वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया था कि षैतान सिंह एवं महेन्द्र दो नाम के एक ही व्यक्ति है । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम अदा नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थिया ने परिवाद प्रस्तुत करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि उत्तरदाता द्वारा बीमा पाॅलिसी श्री षैतानसिंह के नाम से जारी की गई थी । किन्तु प्रार्थिया ने जो दस्तावेज पेष किए उसमें मृतक का नाम महेन्द्र वर्णित है, साथ ही पिता का नाम भी काषीराम के स्थान पर रामसिंह वर्णित है । इससे प्रमाणित होता है कि कथित मृत्यु बीमा पाॅलिसी में वर्णित व्यक्ति से भिन्न व्यक्ति की हुई है । इसलिए प्रार्थिया को क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया गया ।
अप्रार्थी ने चरणवार जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में किए गए कथनों को दोहराते हुए दर्षाया है कि प्रार्थिया के वोटर आई कार्ड , एसबीआई डिपोजिट रसीद, व राषन कार्ड में उसके पति का नाम षैतानसिंह अंकित है और पिता का नाम काषीराम है । इस प्रकार प्रार्थिया मृतक व बीमाधारक एक ही व्यक्ति हो, इस तथ्य को दस्तावेजी साक्ष्य से प्रमाणित करने में असफल रही है । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई है । जवाब के समर्थन में चन्द्रकला जिरोतिया, सहायक प्रबन्धक का षपथपत्र पेष हुआ है ।
3. प्रार्थिया के विद्वान अधिवक्ता ने प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि मृतक षैतान सिंह को दतिया(मध्यप्रदेष) में महेन्द्र पटिया के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि वे वहां पर जजमानी का काम करते थे । उसके पिता को भी वहां रामसिंह के नाम से जाना जाता था । उनका दिनांक 3.7.2011 को मोटरसाईकिल से दतिया की ओर जाने के दौरान टक्कर लगने के फलस्वरूप मृत्यु हो जाने के कारण पुलिस में लिखाई गई रिपोर्ट में महेन्द्र पटिया के रूप में नाम दर्ज हुआ है । उक्त मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम , पुलिस कार्यवाही, अनुसंधान के दौरान गवाहों के बयानों में भी मृतक को दतिया में महेन्द्र पटिया के नाम से जानना बताया है । वास्तव में षैतानसिंह व महेन्द्र पटिया एक ही व्यक्ति है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जो नाम के गफलत में क्लेम खारिज किया है, वह उचित नहीं है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । उक्त मृत्यु के संबंध में दुर्घटना दावा अधिकरण, दतिया में क्लेम याचिका में हुए निर्णय की प्रति प्रस्तुत करते हुए यह भी तर्क दिया है कि षैतानसिह को दतिया में महेन्द्र पटिया के नाम से भी जाना जाता था । इस निर्णय में भी इस बाबत् उल्लेख आया है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि मृतक की बीमा पाॅलिसी में उसका नाम षैतान सिहं अंकित है । अन्य दस्तावेजों में चूंकि उसे महेन्द्र पटिया पुत्र रामसिंह के नाम से संबोधित किया गया है । अतः नाम के अन्तर के कारण प्रार्थिया क्लेम प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भी अवलोकन कर लिया है ।
6. स्वीकृत रूप से प्रार्थिया के पति की बीमा पाॅलिसी षैतानसिंह के नाम से दिनांक 4.2.2009 से 3.2.2013 की अवधि के लिए जारी की गई थी । पत्रावली में उपलब्ध मृत्यु प्रमाण पत्र व पुलिस थाना- सिल्ला की प्रथम सूचना रिपोर्ट, इस रिपोर्ट के आधार पर साक्षीगण के धारा 161 दण्ड प्रकिया संहिता के तहत अनुसंधान के दौरान लिए गए बयानों यथा साक्षी रामसेवक, प्रमोद, हरी साहू के कथनों में मृतक षैतान सिंह को दतिया में महेन्द्र पटिया के नाम से जानना व उसके वहां पर जजमानी करना सामने आया है । इन सभी प्रलेखों में उक्त मृतक को मालियों की ढाणी, मदनगंज-किषनगढ़ का निवासी होना बताया गया है । बीमा पाॅलिसी के अनुसार भी मृतक का मालियों की ढाणी, मदनगंज-किषनगढ़ का निवासी होना प्रकट होता है । मृतक की पत्नी श्रीमति संतोष देवी के षपथपत्र, पिता काषीराम के षपथपत्र दुर्घटना दावा अधिकरण , दतिया(मध्यप्रदेष) में मृतक की मृृत्यु के बाद क्लेम की कार्यवाही में भी उसका नाम षैतानसिंह उर्फ महेन्द्र पटिया बताया गया है । यह क्लेम उक्त न्यायाधिकरण द्वारा बाद सुनवाई के स्वीकृत भी किया गया है । इस प्रकार इन प्रलेखीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए षैतान सिंह का महेन्द्र पटिया के रूप में जाना जाना व उसकी मृत्यु दिनांक 3.7.2011 को दुर्घटना के पफलस्वरूप होना सिद्व है । इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रार्थिया षैतानसिंह के नाम से जारी पाॅलिसी के अन्तर्गत बीमा क्लेम प्राप्त करने की अधिकारिणी है । मंच की राय में प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
(1) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा पाॅलिसी संख्या 140400/47/08/99/00084343 पेटे बीमा क्लेम राषि रू. 1,00,000/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर के परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 25.07.2013 से तादायगी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(2) प्रार्थिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 50,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थिया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 22.06.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष