जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री प्रीतम कुमार षर्मा पुत्र श्री राधेष्याम षर्मा, निवासी- 361, पीली खान, देषवाली वार्ड नम्बर 50, लोहाखान, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, लोहागल रोड़, अजमेर जरिए इसके प्रबन्धक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 224/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-24.01.2017
1. संक्षिप्त तथ्यानुसार प्रार्थी की मोटरसाईकिल संख्या आर.जे.01. एस.टी. 8714 जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां 23.7.2012 से 22.7.2013 तक बीमित थी, का दिनांक 30.7.2012 को अन्य वाहन द्वारा टक्कर मार दिए जाने से हुए नुकसान की मरम्मत में खर्च हुई राषि रू. 26,500/- का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते पेष किया । जिसको अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 25.1.2013 के द्वारा ब्रीच आॅफ पाॅलिसी कंडीषन- मटेरियल टू लाॅस का कारण बताते हुए खारिज कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना करते हुए परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रष्नगत वाहन का श्री प्रदीप कुमार षर्मा के नाम से बीमित होना स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत वाहन का बीमा क्लेम प्रस्तुत किए जाने पर उनके द्वारा नियुक्त सर्वेयर श्री सुधांषू भट्ट द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार रू. 19,434/- की क्षति मानी। किन्तु वक्त दुर्घटना वाहन को प्रार्थी द्वारा बिना वैध अनुज्ञा पत्र के चलाए जाने के कारण बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन मानते हुए उत्तरदाता ने सहीं आधारों पर क्लेम खारिज करते हुए सूचित किया गया । इसमें उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई है । परिवाद को सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में चन्द्रकला जिरोतिया, प्रबन्धक का षपथपत्र पेष किया है ।
3. उभय पक्षकारान ने अपने अपने पक्ष कथन को बहस में तर्क के रूप में दोहराया है । हमने सुना, रिकार्ड देखा व प्रस्तुत नजीर का अवलोकन किया ।
4. प्रष्नगत मोटरसाईकिल के चैसिस नम्बर, इंजन नम्बर तथा प्रार्थी का पंजीेकृत स्वामी होने, वाहन का बीमा दिनंाक 23.7.2012 से 22.7.2013 तक अप्रार्थी से करवाए जाने, बीमित वाहन का दिनंाक 20.7.2012 को दुर्घटनाग्रस्त होना स्वीकृत तथ्य है ।
5. विवाद का प्रष्न यह है कि क्या उक्त वाहन को दुर्घटना के समय प्रार्थी ही चला रहा था तथा उसके पास तत्समय कोई अनुज्ञा पत्र नहीं था ? क्या ऐसा करते हुए प्रार्थी ने बीमा कम्पनी की षर्तों का उल्लंघन किया गया है एवं तदनुसार कोई क्लेम देय नहीं है ?
6. प्रार्थी पक्ष का कथन है कि प्रष्नगत वाहन श्री अकबर अली चला रहा था । अप्रार्थी का कथन है कि प्रार्थी स्वयं वाहन चल रहा था तथा तत्समय उसके पास कोई वैध अनुज्ञा पत्र नहीं था । अप्रार्थी ने अपने इस प्रतिवाद का आधार दुर्घटना के तथ्यों की जांच करने वाले उनके द्वारा नियुक्त जांचकर्ता श्री अरूण कुमार अग्रवाल की रिपोर्ट दिनंाक 20.12.2012 को बनाया है । जिसके निष्कर्ष अनुसार भी कथित दुर्घटना के समय बीमित वाहन को श्री अकबर अली नहीं चला रहा था अपितु प्रार्थी स्वयं चला रहा था तथा उसके पास तत्समय कोई अनुज्ञापत्र भी नहीं था । इस रिपोर्ट में जांचकर्ता ने बीमित के अस्पताल में भर्ती होने पर बैडहैड टिकिट को भी विनिष्चय का आधार बताया है जिसमें प्रीतम कुमार ष्षर्मा की चोटों का उल्लेख किया गया है । उसके अनुसार यदि वह मोटरसाईकिल चला रहा था तो इस बाबत् डाक्टर को नहीं बताता । अप्रार्थी ने इस संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट, जो प्रार्थी के भाई ने लिखाई है, का भी उल्लेख किया है । जिसमें उसने श्री अकबर अली के होने का कोई उल्लेख भी नहीं किया है ।
7. परस्पर आए तर्को के के संबंध में अब हम उपलब्ध अभिलेखों पर विचार करते हंै ।
8. अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पत्र दिनांक 25.1.2013 के अनुसार प्रष्नगत वाहन का क्लेम पाॅलिसी की षर्तो के उल्लंघन के कारण खारिज किया गया है तथा उक्त ष्षर्तो के अनुसार प्रार्थी का वक्त दुर्घटना बिना अनुज्ञापत्र के वाहन चलाना बताया गया है । स्वीकृत रूप से प्रार्थी की ओर से स्वयं का कोई वाहन अनुज्ञा पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है ।
9. प्रार्थी द्वारा वाहन का बीमा कराते समय ली गई पाॅलिसी में अनुज्ञा पत्र के संबंध में निम्न प्रावधान/षर्त विहित की गई है -
’’ ।दल चमतेवद पदबसनकपदह पदेनतमक चतवअपकमक जींज ं चमतेवद कतपअपदह ीवसके ंद मििमबजपअम कतपअपदह सपबमदेम ंज जीम जपउम व िजीम ंबबपकमदज ंदक पे दवज कपेुनंसपपिमक तिवउ ीवसकपदह वत वइजंपदपदह ेनबी ं सपबमदेमण् च्तवअपकमक ंसेव जींज जीम चमतेवद ीवसकपदह ंद मििमबजपअम समंउमतष्े सपबमदेम उंल ंसेव कतपअम जीम अमीपबसम ंदक ेनबी ं चमतेवद ेंजपेपिमे जीम तमुनपतमउमदज व ितनसम 3 व िब्मदजतंस डवजवत टमीपबसम ।बजण्1989’’
10. कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसे वाहन के चालक के लिए वाहन चालान बाबत् अनुज्ञापत्र एक आवष्यक षर्त रहेगी । दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनंाक 30.7.2012 को श्री पवन भारद्वाज(प्रार्थी के भाई) द्वारा दर्ज करवाई गई है । यह रिपोर्ट दुर्घटना के तुरन्त बाद सर्वप्रथम अभिलेख के रूप में दर्ज हुई है व इसको पढ़ने से यह कहीं प्रतीत नहीं होता है कि उक्त वाहन किन्ही श्री अकबर अली द्वारा चलाया जा रहा था । यहां तक कि इसमें इनका नाम तक नहीं है । पूरी प्रथम सूचना रिपोर्ट पढ़ने से यह परिलक्षित होता है कि तत्समय वाहन श्री प्रीतम कुमार ष्षर्मा ही चला रहा था । इस प्रथम सूचना रिपोर्ट के दर्ज होने के बाद पुलिस नें अनुसंधान के क्रम में जो बयान दर्ज किए है, वे अविलम्ब दर्ज नहीं किए जाकर दिनांक 23.8.2012 को दर्ज किए गए हैं जिनमें वाहन चालक का नाम श्री अकबर अली बताया गया है जबकि दुर्घटना के क्रम में वाहन चालक तत्काल ही मित्तल अस्पताल में भर्ती हुआ है तथा तत्क्षण चोटों के संबंध में घायल द्वारा बताई गई चोटों के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट में चिकित्सक ने निम्नानुसार अंकित किया है -
’’ भ्पेजवतल व िच्तमेमदज प्ससदमेे दृ चंजपमदज ूंे ंचचंतमदजसल ंेलउचजवउंजपब जपसस ंतवनदक 00ण्30 ंउ व ि30ण्7ण्2012 ूीमद ीम ेनककमदसल उमजण् त्ज्। बवससपेपवद ूपजी ज्तवससं ूीपसम कतपअपदह इपाम ध्इि पदरनतल वअमत तपहीज ूपजी इसममकपदह संबमतंजमक ूवनदक ंसवदह ूपजी उनसजपचसम ंइतंेपवद वअमत ंिबम ंदक नचचमत - सवूमत सपउइेण्’’
11. इस चिकित्सक की रिपोर्ट को देखने से यह स्पष्ट है कि जो घायल अवस्था में व्यक्ति दुर्घटना के बाद उक्त मित्तल अस्पताल में पहुंचा वह वाहन चालक प्रीतम कुमार षर्मा ही था तथा उसने स्वयं को तत्समय वाहन चालक होना संबंधित चिकित्सक को बताया था । इसके अलावा एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि तत्समय वाहन श्री अकबर अली द्वारा चलाया गया होता तो उसके षरीर पर भी चोटें आना स्वाभाविक था , जैसा कि दुर्घटना की स्थिति एवं पुलिस द्वारा मौके पर बनाए गए घटना स्थल के नक्षे मौके से होता हेै। ऐसे प्रकरण में उक्त श्री अकबर अली की चोटांे के संबंध में किसी प्रकार का कोई तथ्य सामने नहीं आया है जो यह दर्षित करता हो कि कतिपय वाहन के बीमा की राषि को प्राप्त करने के आषय से वाहन चालक श्री प्रीतम कुमार षर्मा का नाम प्रतिस्थापित किया गया है । हम इस संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय 2014;3द्धक्छश्र; त्ंरंेजींद द्ध 935 त्ंररप स्ंस टे छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वउचंदल - ।दतण् में प्रतिपादित सिद्वान्तों पर सहमति व्यक्त करते हुए पाते है कि वक्त दुर्घटना वाहन चालक श्री प्रीतम कुमार षर्मा ही था तथा उसके पास वाहन चालन का कोई वैध अनुज्ञा पत्र नहीं था । क्लेम प्रस्तुत किए जाने पर बीमा कम्पनी ने इस आधार को ध्यान में रखते हुए बीमा षर्तो के उल्लंघन के कारण जो क्लेम खारिज किया है, वह उचित है व उनके द्वारा ऐसा करते हुए सेवा में कोई कमी का परिचय नहीं दिया गया है ।
12. सार यह है कि परिवाद अस्वीकार होकर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
13. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 24.01.2017 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष