Rajasthan

Ajmer

CC/433/2012

MUKESH KUMAR BERWA - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INS - Opp.Party(s)

ADV SAWARLAL SHARMA

06 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/433/2012
 
1. MUKESH KUMAR BERWA
BHINAY
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

मुकेष कुमार बैरवा  पुत्र श्री मेघालाल बैरवा, जाति- बैरवा, निवासी- ग्राम व पोस्ट-सिंगावल, तहसील- भिनाय, जिला-अजमेर । 

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रामभवन के पास,लोहागह रोड,षास्त्रीनगर, अजमेर । 

                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 433/2012

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री सांवर लाल षर्मा,  अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 06.05.2015

1.        प्रार्थी का वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमित होना तथा इस वाहन का दिनंाक 13.11.2011 को दुर्घटनाग्रस्त हो जाने तथा इस संबंध में प्रार्थी की ओर से  जो क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया, को अस्वीकार कर दिए जाने के तथ्य स्वीकृतषुदा है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेेम को दुर्घटना जो दिनांक 13.11.20111 को होने की सूचना दिनांक 2.1.2012 को अर्थात  55 दिन बाद में देने से पाॅलिसी षर्तो का  उल्लंघन होने के आधार पर अस्वीकार किया है । 
2.    निर्णय हेतु हमारे समक्ष यहीं बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  प्रार्थी के क्लेम को सही रूप से अस्वीकार किया है ? इस निर्णय बिन्दु पर हमने पक्षकारान के  अधिवक्तागण की बहस सुनी । 
3.     चूंकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को पाॅलिसी षर्तो का उल्लंघन मानते हुए अस्वीकार किया है । अतः प्रकरण में पाॅलिसी ष्षर्तो का उल्लंघन हुआ है , तथ्य को सिद्व करने का भार अप्रार्थी  बीमा कम्पनी  पर है । 
4.    अधिवक्ता अप्रार्थी की बहस है कि पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार किसी भी तरह की घटना या दुर्घटना  होने की स्थिति में बीमित व्यक्ति बीमा कम्पनी को अविलम्ब सूचित करेगा  जबकि हस्तगत प्रकरण में बीमा  कम्पनी को दुर्घटना की सूचना 55 दिन बाद  दी गई है । अतः प्रार्थी के क्लेम को इसी आधार अस्वीकार  किया है  जो सही रूप से अस्वीकार किया गया हे । 
5.    अधिवक्ता  प्रार्थी की बहस है कि दुर्घटना  दिनंाक 13.11.2011 को हुई थी एवं दुर्घटना की सूचना पुलिस को दिनांक 15.11.2011 को ही दे दी गई थी तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी दुर्घटना की सूचना अविलम्ब दे दी गई थी  फिर भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को तकनीकी आधारों पर अस्वीकार किया है । अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को गलत रूप से अस्वीकार किया है  इसलिए प्रार्थी का यह क्लेम स्वीकार होने योग्य है  
6.    हमने बहस पर गौर किया । दुर्घटना दिनांक 13.11.2011 को होना दर्षाया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जवाब अनुसार बीमा कम्पनी को इस हेतु दिनांक 7.1.2012 को सूचित किया गया है , यह देरी 55 दिन की है । परिवाद में प्रार्थी द्वारा बीमा कम्पनी को दुर्घटना की सूचना  कब दी,  इस संबंध में  कोई उल्लेख नहीं किया गया है और ना ही  बीमा कम्पनी को सूचना अविलम्ब दी  इस संबंध में  भी कोई दस्तावेजात आदि पेष किए है । यह तथ्य निर्विवाद है कि दुर्घटना की  प्रथम सूचना रिर्पोट दुर्घटना के तीसरे दिन दिनांक 15.11.2011 को दर्ज करवाई जा चुकी है । यह मामला चोरी की घटना से संबंधित नहीं है तथा  दुर्घटनास्वरूप वाहन में हुए नुकसान से संबंधित है । बीमा कम्पनी द्वारा वाहन में हुए नुकसान का सर्वे भी करवाया गया जिसकी रिर्पोट भी पत्रावली पर है ।  अतः इन सभी तथ्यों को देखते हुए एवं माननीय राज्य आयोग द्वारा निर्णित अपील संख्या 473/13 नरेन्द्र सिंह बनाम एचडीएफसी जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड निर्णय दिनंाक 27.10.2014 में जहां बीमा कम्पनी को सूचना देरी से दी गई, के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय अमलेन्दू षाहू  में अभिनिर्धारित  अनुसार व आईआरडीए द्वारा हाल ही जारी परिपत्र में दिए निर्देषानुसार  क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड में निर्णित किया जाना उचित माना है। अतः हस्तगत मामले में भी बीमा कम्पनी को सूचना देरी से दी है लेकिन दुर्घटना की रिर्पोट दुर्घटना के तीसरे दिन  दर्ज करवाई गई है तथा वाहन  में हुए नुकसान के संबंध में सर्वे भी हो रखा है, के तथ्यों को देखते हुए एवं माननीय राज्य आयोग के उपर वर्णित निर्णय में प्रतिपादित अनुसार  हम प्रार्थी  के क्लेम को नाॅन स्टेण्डर्ड में निर्णित करना उचित समझते है । अतः प्रार्थी सर्वेयर द्वारा  नुकसान हेतु आंकलित राषि  रू. 39,950/- जिसे राउण्ड फिगर में रू. 40,000/- किया जाता है एवं यह राषि आईडीवी राषि से अधिक नहीं है, की 75 प्रतिषत राषि प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है । अतः आदेष है कि आदेष 
                            :ः- आदेष:ः-
7.    (1)      प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से रू. 40,000/- की 75 प्रतिषत  राषि रू.30,000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)     प्रार्थी के  क्लेम को नाॅन स्टैण्डर्ड के आधार पर  तय किया गया है अतः प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से किसी तरह का वाद व्यय व मानसिक संताप मद में कोई राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा । 
          (3)      क्र.सं. 1 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा उक्त  आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें या मंच में जमा करावें । 


(श्रीमती ज्योति डोसी)                              (गौतम प्रकाष षर्मा)
           सदस्या                                           अध्यक्ष    
8.        आदेष दिनांक 06.05.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्या                                           अध्यक्ष

 

 
 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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