जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति मन्जू देवी पत्नी स्व. श्री बिरदीचन्द लोढ़ा, निवासी- 288, बजरंग काॅलोनी, बिजयनगर, जिला-अजमेर (राजस्थान)
- प्रार्थिया
बनाम
यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, षाखा कार्यालय, महावीर बाजार, बिजयनगर, जिला- अजमेर जरिए षाखा प्रबन्धक ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 160/2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2.श्री ए.एस.ओबेराय, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 04.08.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके पति श्री बिरदीचंद लोढ़ा जिनके नाम टाटा इंडिगो कार संख्या आर.जे.36. सी.ए.0991 दिनांक 23.6.2011 से 22.6.2012 तक बीमित थी, का दिनंाक 3.7.2011 को जालौर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण दिनांक 15.5.2011 को उनका देहान्त हो जाने के फलस्वरूप उसने वाहन का टोटल लाॅस के आधार पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां बीमा क्लेम पेष किया । प्रष्नगत् दुर्घटनाग्रस्त वाहन का अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा भी सर्वे किया गया । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उसका क्लेम अपने पत्र दिनांक 2.12.2011 के द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमाधारक की मृत्यु से पूर्व की बीमा पाॅलिसी दिनंाक 22.6.2011 को समाप्त हो चुकी है और उक्त बीमा पाॅलिसी का नवीनीकरण भी मृतक बीमाधारक के नाम से करवाया गया है । इसलिए प्रार्थिया का उक्त बीमा पाॅलिसी में बीमा हित निहित नहीं होने के कारण कोई क्लेम देय नहीं है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा खारिज किए गए क्लेम को सेवा में कमी बताते हुए प्रार्थिया ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि प्रार्थिया के पति श्री बिरदीचंद लोढ़ा के पक्ष में वाहन संख्या आर.जे.36.सी.ए.0991 दिनांक 23.6.2010 से 22.6.2011 तक, तत्पष्चात् दिनांक 23.6.2011 से 22.6.2012 तक बीमित था । प्रष्नगत वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उनके सर्वेयर द्वारा रू. 2,19,500/- टोटल लाॅस के आधार पर क्षति आंकलित की गई । किन्तु बीमा पाॅलिसी दिनांक 23.6.2011 से 22.6.2012 तक वैध होने व बीमाधारक की मृत्यु बीमा पाॅलिसी के प्रभावी होने से पूर्व ही दिनंाक 15.5.2011 को हो जाने के कारण बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या - 9 के तहत कोई क्लेम देय नहीं होने से प्रार्थिया का क्लेम सहीं रूप से निरस्त करते हुए 2.12.2011 के पत्र से सूचित किया गया । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । जवाब के समर्थन में श्रीमति गीता राय,उप प्रबन्धक का षपथपत्र पेष किया गया है ।
3. प्रार्थिया पक्ष का तर्क रहा है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम अवैध एवं निराधार रूप से खारिज किया है । प्रार्थिया ने मृतक श्री बिरदीचंद लोढ़ा की पत्नी होने के नाते वाहन ट्रान्सफर की कार्यवाही कर दी थी । बीमा कम्पनी के एजेण्ट ने भी बीमा पाॅलिसी का नवीनीकरण करते समय आवष्यक जांच पड़ताल नहीं की और प्रार्थिया से किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त किए बिना बीमा पाॅलिसी का नवीनीकरण कर दिया । इसलिए भी उक्त क्लेम खारिज किया जाना गलत है । प्रार्थिया ने वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी थी व वाहन का फाईनल सर्वे भी करवाया था । बीमा कम्पनी ने सर्वेयर द्वारा स्वीकृत राषि अदा करने के बजाय क्लेम को अवैध एवं निराधार रूप से खारिज किया है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी का तर्क रहा है कि बीमित बिरदीचंद लोढा के नाम से वाहन पूर्व में दिनंाक 23.6.2010 से 22.6.2011 तक बीमित था । बीमित की मृत्यु दिनांक 15.5.2011 को हो गई थी । जबकि बीमा पाॅलिसी की अवधि दिनांक 23.6.2011 से 22.6.2012 तक थी । अतः बीमाधारी की मृत्यु पूर्व में ही होने के कारण प्रार्थिया का किसी प्रकार का कोई बीमा हित निहित नहीं होने के कारण खारिज किया गया क्लेम उचित है । इस संदर्भ में उन्होंने विनिष्चय प्;2013द्धब्च्श्र 396;छब्द्ध छमू प्दकपं ।ेेनतंदबम ब्व स्जक टे ।ण् ज्ञंसंअंजीप पर अवलम्ब लिया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं व पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त का भी आदरपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. उपलब्ध अभिलखों के आधार पर प्रष्नगत वाहन का पंजीकृत स्वामी बिरदीचंद लोढ़ा था। वाहन दुर्घटना से पूर्व दिनंाक 23.6.2010 से 22.6.2011 तक इन्हीं के नाम से बीमित था । इस वाहन का दिनांक 23.6.2011 से 22.6.2012 तक पुनः बिरदीचंद लोढ़ा के नाम से बीमा हुआ है व इस दौरान दिनांक 3.7.11 को उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ । दुर्घटनाग्रस्त वाहन का टोटल लाॅस के आधार पर क्लेम प्रस्तुत किया गया है । बीमित श्री लोढ़ा का दिनांक 15.5.2011 को देहान्त हो चुका था व इससे पूर्व की पाॅलिसी दिनांक 22.6.2011 को समाप्त हो चुकी थी । नई पाॅलिसी दिनंाक 23.6.2011 से 22.6.2012 तक करवाई गई है किन्तु उक्त श्री लोढ़ा की मृत्यु के फलस्वरूप बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार विधिक उत्तराधिकारी के नाम पाॅलिसी हस्तानान्तरित नहीं हुई है । बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या-9 निम्न प्रकार से है:-
’’ प्द जीम मअमदज व िजीम कमंजी व िेवसम पदेनतमकए जीपे चवसपबल ूपसस दवज पउउमकपंजमसल संचेम इल ूपसस तमउंपद अंसपक वित जीतमम उवदजीे तिवउ जीम कंजम व िजीम कमंजी व िपदेनतमक वत नदजपस जीम मगचपतल व िजीपे चवसपबल;ूीपबीमअमत पे मंतसपमतद्धण् क्नतपदह जीपे ेंपक चमतपवकए समहंस ीमपत;ेद्ध व िजीम पदेनतमक जव ूीवउ जीम बनेजवकल ंदक नेम व िजीम डवजवत टमीपबसम चंेेमे उंल ंचचसल जव ींअम जीम च्वसपबल जतंदेमिततमक वत जीम दंउम;ेद्ध व िजीम ीमपत;ेद्ध वत वइजंपद ं दमू पदेनतंदबम चवसपबल वित जीम डवजवत टमीपबसमघ्
ॅीमद ेनबी समहंस ीमपत;ेद्ध कमेपतम;ेद्ध जव ंचचसल वित ं जतंदेमित व िजीपे चवसपबल वत वइजंपद ं दमू चवसपबल वित जीम अमीपबसम ेनबी ीमपत;ेद्ध ेीवनसक उंाम ंद ंचचसपबंजपवद जव जीम बवउचंदल ंबबवतकपदहसल ूीपबी पद जीम ंवितमेंपक चमतपवकण् ।सस ैनबी ंचचसपबंजपवदे ेीवनसक इम ंबबवउचंदपमक इलरू.
ंद्ध क्मंजी बमतजपपिबंजम पद तमेचमबज व िपदेनतमक
इद्ध च्तवव िव िजपजसम व िअमीपबसम
बद्ध व्तपहपदंस च्वसपबल ’’
7. उक्त प्रावधान के अनुसार यदि बीमाधारक की मृत्यु हो जाती है तो यह पाॅलिसी तत्काल रद्द नहीं होगी अपितु मृत्यु की तिथि से 3 माह तक या पाॅलिसी की अवधि समाप्त होने तक जो भी पहले हो, वैध रहेगी । इस अवधि के दौरान बीमित के विधिक उत्तराधिकारी जिनके भौतिक कब्जे में वाहन रहा हो, वे अपने नाम से उक्त पाॅलिसी को या तो अपने नाम हस्तानान्तररित करा सकेगें या नई पाॅलिसी प्राप्त कर सकेगंेे । चूंकि श्री लोढ़ा की दिनंाक 15.5.2011 को हुई मृत्यु के बाद उपरोक्त षर्त के प्रकाष में उसकें विधिक उत्तराधिकारियों द्वारा न तो उक्त बीमा पाॅलिसी अपने नाम करवाई गई है और ना ही नई पाॅलिसी अपने नाम ली गई है । अतः इस स्थिति को देखते हुए उनका कोई बीमा हित नहीं है, जैसाकि अप्रार्थी ने क्लेम खारिज करते हुए इसका आधार बताया है । मात्र यह कह देने से कि, की बीमा कम्पनी के एजेण्ट ने बीमा पाॅलिसी का नवीनीकरण करते समय आवष्यक जांच पड़ताल नहीं की व प्रार्थिया से किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त किए बिना ही बीमा पाॅलिसी का नवीनीकरण कर दिया, मानने योग्य नहीं है । अतः बीमित की मृत्यु उक्त पाॅलिसी को नवीनीकरण किए जाने से पूर्व ही हो चुकी थी तो सर्वप्रथम बीमित व्यक्ति की ओर से इस प्रकार की आपत्ति लाई जानी चािरहए थी, जो कि नहीं की गई है । फलस्वरूप अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत तर्क एवं प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त पर सहमति व्यक्त करते हुए प्रार्थिया का बामी हित निहित नहीं होने को ध्यान में रखते हुए परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
8. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 04.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष