जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्री माना गुर्जर पुत्र स्व. श्री गोकुल गुर्जर, मु.पो. बान्दनवाडा, वाया- भिनाय, जिला-अजमेर(राजस्थान) 305404
प्रार्थी
बनाम
यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए ष्षाखा प्रबन्धक, माईक्रा आॅफिस, बस स्टेण्ड, केकडी, जिला-अजमेर(राजस्थान) 305404
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 364/2012
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री सूर्य प्रकाष गांधी,अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री जी.एल. अग्रवाल,अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 22.06.2015
1. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थी ने अपने वाहन ट्रेक्टर संख्या आर.जे.01- आर.ए.. 1055 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित बीमा पाॅलिसी के जरिए दिनांक 4.12.2008 से 3.12.2009 तक की अवधि के लिए करवाया । उक्त वाहन दिनांक 30.6.2009 की रात्रि को उसके घर के बाहर से कोई अज्ञात चोर चुरा कर ले गया जिसकी दिनांक 1.7.2009 को पुलिस थाना भिनाय में रिर्पोट संख्या 130/2009 दर्ज करवाई तथा उसी दिन अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की सूचना देते हुए क्लेम पेष किया । पुलिस थाना भिनाय ने दिनांक 26.8.2009 को वाहन चोरी के संबंध में जांच कर एफआर संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत कर दी और रिर्पोट की प्रति अप्रार्थी बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवा दी । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पत्र दिनांक 20.10.2010 के द्वारा जो जानकारी चाही वह भी अप्रार्थी के जांच कर्ता श्री प्रदीप लखोटिया को उपलब्ध करवा दी । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उसके क्लेम को अपने पत्र दिनंाक 24.8.2012 के नो क्लेम इस आधार पर कर दिया कि प्रष्नगत वाहन व्यावसायिक उपयोग में लिया जा रहा था । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उसका क्लेम अवैध आधार पर खारिज कर सेवा में कमी की है और प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवाद का जवाब पेष किया जिसमें अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने वाहन का बीमा किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे कथन किया है कि प्रार्थी ने वाहन चोरी की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को चोरी की घटना के लगभग 14 दिन बाद दी । प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जांचकर्ता श्री लखोटिया को जांच के क्रम में दिए गए बयानों में माना कि वाहन का उपयोग बजरी, भाटे ढोने के काम में लिया जा रहा था और प्रत्येक ट्रोली के उसे रू. 600/- प्राप्त होते थे । इस प्रकार प्रार्थी द्वारा वाहन का उपयोग व्यावसायिक कार्य के लिए किया जा रहा था । अप्रार्थी ने प्रार्थी का बीमा दावा सही आधारों पर खारिज कर अपने स्तर पर कोई सेवा में कमी नही ंहोना दर्षाया और परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की ।
3. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4. प्रार्थी का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि प्रार्थी ने अपने ट्रेक्टर की चोरी जाने की सूचना बीमा कम्पनी को एवं पुलिस को देरी से दी । अतः इसे पाॅलिसी षर्तो का उल्लखन माना है ।
5. हमारे समक्ष निर्णय हेतु यही बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को सही रूप से अस्वीकार किया है ?
6. इस निर्णय बिन्दु को सिद्व करने का भार अप्रार्थी बीमा कम्पनी पर है ।
7. अधिवक्ता अप्रार्थी की बहस रही है कि प्रार्थी का ट्रेक्टर दिनांक
30.6.2009 व 1.7.2009 की दरम्यानी रात में चोरी गया था जिसकी रिर्पोट दिनांक 1.7.2009 को अवष्य दर्ज करवा दी गई किन्तु बीमा कम्पनी को दिनांक 13.7.2009 को सूचित किया गया । बीमा पाॅलिसी की षर्तानुसार चोरी की घटना की सूचना अविलम्ब व 48 घण्टे में बीमा कम्पनी को देना अनिवार्य था एवं इस तरह से प्रथम सूचना रिर्पोट भी बिना देरी के दर्ज करवानी आवष्यक थी । इस संबंध में उन्होने निम्न न्यायिक दृष्टान्त पेष किए:-
1ण् थ्पतेज ।चचमंस छवण् 321ध्2005 छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्तपसवबींद श्रंदम व्तकमत क्ंजमक 09.12.2009
2ण् ।चचमंस छवण् 1085ध्2007 ैउज ज्ञंउसं - ।दतण् टे न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक व्तकमत क्ंजमक 03.02.2011
3ण् ।चचमंस छवण् 770ध्2007 न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे त्ंदह स्ंस व्तकमत क्ंजमक 24.01.2011
4ण् 2013 क्छश्र;ब्ब्द्ध10 ;छब्द्ध ब्ींदकमतं च्तंांेी टे प्ब्प्ब्प् स्वउइंतक प्देनतंदबम ब्व स्जक
8. अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि चोरी की प्रथम सूचना रिर्पोट बिना किसी देरी के दिनांक 1.7.2009 को ही दर्ज करवाई जा चुकी थी एवं बीमा कम्पनी को भी सूचना उसी रोज दे दी गई थी पुनः सूचना बाद में ओर दे दी
गई । अधिवक्ता की बहस है कि प्त्क्। के परिपत्र दिनंाक 20.9.2011 में वर्णित अनुसार बीमा कम्पनी को देरी से सूचित किए जाने के आधार पर क्लेम को खारिज किए जाने को सही नहीं माना है । उनकी यह भी बहस है कि प्रार्थी को रू. 2,40,000/- की राषि देने के लिए वे तैयार थे किन्तु बाद में मना कर दिया गया । अधिवक्ता ने अपने तर्को के समर्थन में निम्नलिखित न्यायिक दृष्टान्त पेष किए:-
1ण् प्ट ;2014द्ध ब्च्श्र 62 ;छब्द्ध छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्ञनसूंदज ैपदही
2ण् 2012;4द्ध ब्च्त् 196;छब्द्ध व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ैउज ब्ींदकतंांदज ज्ञपेंद ज्ञींजंसम
3. प्ट ;2008द्ध ब्च्श्र 1;ैबद्ध छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे छपजपद ज्ञींदकमसूंस
4 2013;3द्ध ब्च्त् 641;ैब्द्ध ।उंसमदकन ैंीवव टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक
5ण् प्ट;2012द्धब्च्श्र 107;छब्द्ध ैींदांत ब्ींांतूंतजप टे छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्व
9. हमने बहस पर गौर किया । वाहन की चोरी की घटना दिनांक 30.6.2009/1.7.2009 की दरम्यानी रात की है । प्रथम सूचना रिर्पोट की फोटोप्रति जो पत्रावली पर है जो दिनांक 1.7.2009 को बिना किसी देरी के दर्ज करवा दी गई है । प्रार्थी की ओर से पेष दृष्टान्त छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ज्ञनसूंदज ैपदही जिसके तथ्य अनुसार चोरी की प्रथम सूचना रिर्पेाट बिना किसी देरी के दर्ज हुई है एवं बीमा कम्पनी को सूचना 4-5 दिन देरी से दी गई है, तथ्य होते हुए भी प्त्क्। के परिपत्र दिनंाक 20.9.23011 के अनुसार प्रार्थी के क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा अस्वीकार करना गलत माना । दृष्टान्त ।उंसमदकन ैंीवव टे व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक व छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे छपजपद ज्ञींदकमसूंस में भी माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी ऐसे क्लेम को देय योग्य पाया है । इस तरह से उपरोक्त सारे विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि हस्तगत प्रकरण में बीमा कम्पनी को सूचना 48 घण्टे के भीतर नहीं दी जाकर देरी से अवष्य दी गई है किन्तु चोरी की प्रथम सूचना रिर्पेाट बिना किसी देरी के दर्ज हुई है एवं पुलिस द्वारा मामले में अनुसन्धान किया गया है एवं बाद अनुसन्धान प्रार्थी का वाहन चोरी जाने के तथ्य को सही पाया गया है जिसके संबंध में एफ.आर पुलिस द्वारा पेष हुई जिसकी प्रति भी पत्रावली पर पेष हुई है । दृष्टान्त जो प्रार्थी की ओर से पेष हुए एवं जिनका विवेचन इस निर्णय में उपर किया गया है, में अभिनिर्धारित अनुसार एवं हस्तगत प्रकरण में चोरी की रिर्पोट चोरी हो जाने के रोज ही दर्ज हुई ,तथ्य को देखते हुए एवं प्त्क्। के दिषा निर्देष के दृष्टिगत हम अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को जो खारिज किया है उसे हम सहीं नहीं पाते है ।
10. इसी तरह से प्रष्नगत ट्रेक्टर का उपयोग व्यावसायिक कार्य हेतु हो रहा था इस संबंध में अप्रार्थी की ओर से कोई साक्ष्य पेष नहीं हुई है । मात्र अभिकथन ही रहे है । अतः यह तथ्य भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से सिद्व नहीं हुआ है एवं इस आधार पर भी प्रार्थी का जो क्लेम अस्वीकार किया है उसे भी सहीं नही ंमाना जा सकता । परिणामस्वरूप प्रार्थी का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
11. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने ट्रेेक्टर संख्या आर.जे.01-आर.ए.1055 की बीमित राषि प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू. 2000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थी अप्राथी बीमा कम्पनी से उक्त राषियों पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा ।
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
12. आदेष दिनांक 22.06.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष