Rajasthan

Ajmer

CC/107/2012

KHEMCHAND CHOROTIYA - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INS - Opp.Party(s)

ADV JITENDRA SHARMA

11 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/107/2012
 
1. KHEMCHAND CHOROTIYA
BEAWAR
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 11 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री खेमचंद चोरोटिया वयस्क सुपुत्र श्री पूनचंद जी चोरोटिया, जाति- रेगर, निवासी- गली नम्बर 3,  पंजाबी जीन, ब्यावर, जिला-अजमेर । 


                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

1. ष्षाखा प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, होटल गोकुलम, अजमेर रोड, ब्यावर । 
2. वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस क.लि., मण्डल कार्यालय, अजमेर । 

                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 107/2012 

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
 2. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री  ओम प्रकाष बारोलिया, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री ए.एस.ओबेराय, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 26.08.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने अपनी मोटर साईकिल संख्या आर.जे.36.एस.बी. 0682 का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 141201/31/09/01/00015067 के  दिनंाक 4.3.2010 से 3.3.2011 तक की अवधि के लिए करवाया ।  उक्त वाहन को दिनंाक 28.2.20011 को अजमेर रेाड , ब्यावर पर अज्ञात ट्रक ने टक्कर मार कर दुर्घटनाग्रस्त कर दिया । जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या  74/2011 दर्ज करवाई गई । तत्पष्चात् उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया  । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  अपने पत्र दिनांक  25.10.2011 के  इस आधार पर खारिज कर दिया कि  दिनंाक 28.2.2011 को कोई दुर्घटना नहीं हुई  और ना ही मोटर साईकिल क्षतिग्रस्त हुई ।  बल्कि प्रथम सूचना रिपोर्ट  संख्या 50/2010 के अनुसार  गांव नागेलाव में कुछ व्यक्तियों द्वारा वाहन में तोड़फोड़ कर क्षति पहुंचाई गई है । प्रार्थी का कथन है कि ग्राम नागेलाव में जो घटना हुई उसमें मात्र वाहन में छोटी मोटी टूटफूट ही हुई थी जिसे प्रार्थी ने स्वयं ने ही दुरूस्त करवा लिया था ।  दिनंाक 28.2.2011 को जो घटना हुई  वह बिल्कुल सही एव सत्य है।  इसीलिए प्रार्थी ने उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई थी । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम स्वीकृत नहीं किए जाने के कारण क्षतिग्रस्त मोटर साईकिल अप्रार्थीगण के सर्विस सेन्टर  पर दिनंाक 2.3.2011 से खडी है  और उसे उसका किराया रू. 10/- प्रतिदिन की दर से सर्विस सेन्टर को अदा करना पड़ रहा है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा  क्लेम स्वीकृत नही ंकरने को सेवा में कमी का दोषी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी की प्रष्नगत मोटरसाईकिल का बीमा  दिनांक 4.3.2010 से 3.3.2011 तक  किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि  प्रार्थी के प्रष्नगत मोटरसाईकिल  के साथ दिनंाक 28.2.2011 को किसी  अज्ञात ट्रक ने टक्कर नहीं मारी  बल्कि  कुछ व्यक्तियों के द्वारा प्रार्थी के साथ मारपीट  की तथा उसकी मोटरसाईकिल  को तोड़ फोड़ करने के उद्देष्य से क्षतियां कारित कीं  और इस तथ्य की पुष्टि प्रार्थी द्वारा पुलिस थाना-पीसांगन में दिनांक 29.6.2010 को  दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट से होती है । जिसमें प्रार्थी ने  यह कथन किए हंै कि  ’’लोेगों ने सभी के साथ पत्थर, लकडी़, लात घूसों से मारपीट की तथा टैम्पू व दो मोटरसाईकिल को पत्थर व लकडी़ से तोड़कर टुकडे ़टुकडे कर दिए ।’’  उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा उक्त मोटर साईकिल संख्या आर.जे.36 एसबी0682 की जो निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की उसके अनुसार मोटर साईकिल  का हैण्डिल मुड़ा हुआ होना, टंकी पिचकी हुई  होना , सामने की हैड लाईट फूटी हुई होना, मड़गार्ड टूटा हुआ होना इत्यादि पाया ।  इससे स्पष्ट है कि प्रार्थी के प्रष्नगत वाहन में नुकसान दिनंाक 28.2.2011 को नहीं होकर दिनंाक 28.6.2010 को उक्त  घटना के कारण हुआ था।  प्रार्थी ने सोच समझाकर दिनांक 28.6.2010 को कारित घटना का क्लेम प्राप्त करने के लिए  गलत आधारों  पर दिनंाक 3.3.2011 को अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष  क्लेम पेष किया है ।  किन्तु उत्तरदाता ने क्लेम गलत तथ्यों के आधारित होने के कारण , समय पर बीमा कम्पनी को सूचना नहीं देने के कारण, व आवष्यक दस्तोवज उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण  साथ ही बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन किए जाने के कारण  प्रार्थी का उक्त क्लेम दिनंाक  25.10.2011 को निरस्त करते हुए प्रार्थी को सूचित किया गया और इसमें उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई  । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए परिवाद के समर्थन में  गीता राय, उप प्रबन्धक का षपथपत्र पेष किया है । 
3.    प्रार्थी पक्ष का प्रमुख रूप से यह तर्क रहा है कि  बीमित वाहन के दुर्घटना के स्वरूप क्षतिग्रस्त होने पर इसकी रिपोर्ट तत्काल अगले ही दिन पुलिस थाने में करवा दी गई थी व बीमा कम्पनी  को भी सूचित कर दिया गया था । इसके बावजूद अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दुर्घटना को गलत मानते हुए जो दावा निरस्त किया है वह गलत व  निराधार है ।  उनके द्वारा खारिज किए जाने बाबत् क्लेम के जो कारण दर्षाए गए गए है वे काल्पनिक है । परिवाद स्वीकार कर वांछित  क्लेम मय क्षतिपूर्ति दिलाई जानी चाहिए ।      
4.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इन तथ्यों का खण्डन किया व प्रमुख रूप से तर्क प्रस्तुत किया कि  वास्तव में  वाहन में तथाकथित क्षतिपूर्ति दिनंाक 28.2.2011 को किसी अज्ञात ट्रक से कारित नहीं हुई है बल्कि प्रार्थी के   वाहन को दिनंाक 28.2.2010को  कतिपय व्यक्तियों के द्वारा प्रार्थी के साथ मारपीट कर मोटरसाईकिल में तोड़फोड़  करने से क्षति कारित हुई  है । इस बाबत् प्रार्थी द्वारा दिनंाक 29.6.2.10 को प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना पीसांगन में दर्ज करवाई गई थी जिसमें स्वयं प्रार्थी द्वारा यह स्वीकार किया गया था कि कई लोगों द्वारा  उसके साथ   पत्थर, लकड़ी, लात घूसों से मारपीट की गई और उसकी मोटरसाईकिल को तोड़ कर टुकड़े टुकड़े कर दिया । पुलिस ने भी उक्त प्रकरण में अनुसंधान कर प्रष्नगत मोटरसाईहिकल में कारित नुकसान का पूर्ण विवरण दिया है तथा हस्तगत मामले में  जिस दुर्घटना को बता कर क्लेम मांगा गया है, में प्रष्नगत वाहन के सर्वे के दौरान कलपुर्जो में जंग इत्यादि लगे होने से भी उनके प्रतिवाद की पुष्टि होती है ।  पुलिस थाने व बीमा कम्पनी को देरी से सूचना देना कहा है व आवष्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण व वाहन की  क्षति दिनांक 28.2.2011 को कारित नहीं होकर दिनांक 28.6.2010 को कारित होने के कारण बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तों  का उल्लंघन होने के कारण बीमा कम्पनी द्वारा  निरस्त किया गया क्लेम  उचित है । परिवाद खारिज किया जाना चाहिए । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं  पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.     उपलब्ध अभिलेख के अनुसार  प्रार्थी का वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां दिनांक 4.3.2011 से 3.3.2011 तक  बीमित था, यह तथ्य विवादित नहीं है । प्रार्थी द्वारा परिवाद में अंकित तथ्यों के समर्थन में दिनांक 28.2.2011 की  दुर्घटना बाबत्  2मार्च, 2011 को पुलिस थाना ब्यावर सदर में प्रथम सूचना रिपोर्ट  दर्ज करवाई गई  थी । हालांकि पत्रावली में उसके द्वारा लिखित में सूचना दिए जाने बाबत् रिपोर्ट संलग्न की गई है जिसमें 1.3.2011 की तिथि अंकित की गई है किन्तु पुलिस द्वारा यह प्रथम सूचना रिपोर्ट  दिनांक 
2.3.2011 को दर्ज हुई है ।  हालांकि इस  सूचना बाबत्  भी देरी सामने आई है किन्तु इसे नजरअन्दाज करते हुए प्रार्थी द्वारा यह सूचना अगले ही दिन पुलिस के  समक्ष प्रस्तुत की गई है, यह तथ्य प्रसंज्ञान में लिया जाता है ।  प्रार्थी द्वारा इस दुर्घटना की सूचना  अविलम्ब ही बीमा कम्पनी को नहीं दी गई है अपितु  इसके क्लेम  फार्म को देखते हुए उसने बीमा कम्पनी में यह दावा उसे द्वारा  भरे गए प्रपत्र के अनुसार दिनांक 3.3.2011 को प्रस्तुत किया गया था ।  इससे पूर्व उसके द्वारा  बीमा कम्पनी को  किसी अन्य माध्यम से सूचित किया गया होे, न तो उसके अभिवचन है और ना ही इस बाबत् उसकी कोई सम्पुष्टकारी साक्ष्य पत्रावली  पर उपलब्ध है । स्पष्ट है कि उसने दिनांक 28.2.2011 की दुर्घटना की सूचना बीमा कम्पनी में दिनांक 3.3.2011  को दी है । 2015छब्श्रण्201;छब्द्ध त्ंउमेी ब्ींदक डमहूंदेमम टे ज्ीम व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जकण्  मंे भी माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने प्रार्थी द्वारा बीमा कम्पनी को 48 घण्टों के अन्दर सूचित नहीं करने की दषा में इसे बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन होना पाया है । 2015छब्श्रण्9ण् 01ण्छब्ण् प्देनतंदबमे ैीमतम त्ंउ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्वण्स्जकण् में भी माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने ऐसी देरी को अनुचित पाया है । 
8.    इस प्रकार उपरोक्त विनिष्चयों में प्रतिपादित सिद्वान्तों  के प्रकाष में हस्तगत मामले में जिस प्रकार की देरी  बीमा कम्पनी को सूचित किए जाने में  सामने आई है, को ध्यान में रखते हुए  बीमा कम्पनी द्वारा जो  कारण दर्षाते हुए क्लेम खारिज किया गया है, वह उचित है ।  
9.    अब प्रष्न यह रह जाता है कि क्या प्रार्थी द्वारा दिनांक 28.6.2010 को दुर्घटना में हुई क्षतिग्रस्त मोटरसाईकिल की स्थिति को दिनांक 28.2.2011 की दुर्घटना का रूप  देते हुए क्लेम प्राप्त करने का प्रयास किया है ? 
10..    पत्रावली में उपलब्ध अभिलेख के अनुसार  उसके द्वारा दिनांक 
29.6.2010 को एक प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना पीसांगन में दुर्घटना बाबत् दर्ज करवाई गई है जिसमें उसने कई लोगों द्वारा उसकी मोटर साईकित  पत्थर, लकड़ी से तोड़ कर टुकड़े टुकड़े   कर दिया जाना  बताया है । पुलिस ने इस बाबत् अनुसंधान के दौरान  प्रार्थी के बयान लिए हैं व इन बयानों में उसने घटनाक्रम  में मोटर साईकिल में तोड़फोड़ का उल्लेख किया है । सर्वेयर  द्वारा  हस्तगत मामले में  प्रार्थी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट  करवाए जाने के बाद जांच में मोटर साईकिल का विभिन्न स्थानों पर  जंग के निषानात पाए हंै व इस आषय के प्रमाण स्वरूप फोटोग्राफ्स  भी प्रस्तुत किए है । इन फोटोग्राफ्स को देखने से भी यह प्रकट होता है कि  इसके विभिन्न पाट्र्स व बाॅडी   में जंग के निषानात मौजूद है जो घटना के ताजा होने बाबत् सन्देह प्रकट करते हंै ।   
9.    सार यह है कि जिन  प्रतिवाद के आधार पर बीमा कम्पनी ने क्लेम खारिज किया है, को देखते हुए सर्वप्रथम घटना की तिथि बाबत् सन्देह होने के साथ साथ बीमा कम्पनी को सूचित किए जाने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बीमा षर्तों के उल्लंघन में जो क्लेम खारिज किया गया है, वह सही प्रतीत होता है । परिवाद अस्वीकार कर खारिज होने योग्य है । 
                       :ः- आदेष:ः-
10.       प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक  26.8.2016  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )                                (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                                                अध्यक्ष    
           

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.