Rajasthan

Ajmer

CC/356/2013

HASTIMAL LODHA - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INS - Opp.Party(s)

ADV S.P GANDHI

12 Feb 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/356/2013
 
1. HASTIMAL LODHA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री हस्तीमल लोढा पुत्र श्री उदयलाल लोढा द्वारा मैसर्स एच.एम. ट्रेवल्स, किषनगढ कोठी, पेट्रोल पम्प के पास,जयपुर रोड, अजमेर । 

                                                             प्रार्थी

                            बनाम

यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस  कम्पनी लिमिटेड जरिए मण्डलीय प्रबन्धक, मण्डल कार्यालय, लोहागल रोड, अजमेर । 


                                                           अप्रार्थी 
                    परिवाद संख्या 356/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 02.03.2015

1.        प्रार्थी का वाहन अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा अवधि दिनंाक 7.5.2012 से 6.5.2013 तक बीमित होना तथा इस वाहन का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना तथा इस वाहन हेतु प्रार्थी की ओर से एक क्लेम प्रस्तुत किया जाना एवं उक्त क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने के तथ्य स्वीकृतषुदा है 
2.    इस परिवाद में निर्णय हेतु हमारे समक्ष यही बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम को अपने पत्र दिनंाक 27.6.2013 से  इस आधार पर अस्वीकार किया कि वक्त दुर्घटना वाहन परमिट की परिधि में संचालित नहीं किया जा रहा था । अतः प्रार्थीया के क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा सही आधारं पर   अस्वीकार किया गया है ? 
3.    उपरोक्त निर्णय बिन्दु के संबंध में पक्षकारान के अधिवक्तागण की बहस सुनी ।  चूंकि इस बिन्दु को तय करने का भार अप्रार्थी बीमा कम्पनी पर था अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता की बहस रही है कि वाहन के परमिट अनुसार अजमेर से किषनगढ वाया घूघरा, लाडपुरा, भूडोल, बुबानी रोड, खोडागणेष जी, बुबानी, ढाणी पुरोहितान, किषनगढ वाहन संचालित होना  था।  जबकि यह दुर्घटना  इस रूट पर नहीं होकर ष्षास्त्ऱीनगर व लोहागल  गांव के मध्य हुई हे । अधिवक्ता की बहस है कि इस संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा श्री अरूण कुमार अग्रवाल, अधिवक्ता से भी अन्वेषण करवाया गया एवं अन्वेषणकर्ता श्री अग्रवाल की रिर्पोट पत्रावली पर है । स्वयं प्रार्थी ने  दुर्घटना की सूचना जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी उसमें भी दुर्घटना ष्षास्त्रीनगर चैकी व लोहागल रोड के मध्य होना दर्षाया है । अधिवक्ता की यह भी बहस है कि बीमा पाॅलिसी अनुसार यदि परमिट का उल्लंघन होता है तो ऐसे क्लेम को अस्वीकार किया जा सकता है ।  उन्होने अपने तर्क के समर्थन में दृष्टान्त 2012क्छश्र;ब्ब्द्ध124 च्ंस ैपदही टे व्तपमदजपंस प्देनतंदबम ब्व स्जक  पेष किया  जिसका हमने गहनता से अवलोकन किया । 
4.    अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि यह दुर्घटना षाम के 8.30 बजे से 9.00 बजे के मध्य हुई हे । यह सही है कि दुर्घटना  स्थल परमिट में दर्षाए रूट पर नहीं हुई है लेकिन वक्त दुर्घटना वाहन अपने गैराज में खडा करने हेतु ले जाया जा रहा था एवं इस आषय का उल्लेख भी दावा  प्रपत्र में है ।  उनकी यह भी बहस है कि वक्त दुर्घटना वाहन में कोई सवारियां नहीं थी बल्कि रात्रि के 8.30 - 9.00 बजे वाहन  जब रूट से आ चुका था और उसे पार्किग के स्थान पर ले जाया जा रहा था तो उसी क्रम में यह दुर्घटना हुई है । अतः परमिट का उल्लघन नहीं माना जा सकता ।  प्रार्थी  अधिवक्ता ने वाहन मोटर वाहन अधिनियम की धारा 66(3)(च्) की ओर भी हमारा  ध्यान आकर्षित  किया ।  अधिवक्ता की यह बहस रही है कि प्रार्थी के क्लेम को गलत रूप से अस्वीकार किया गया है । 
5.       हमने बहस पर गौर किया ।  मोटर यान अधिनियम की धारा 66 परमिट की आवष्यकता से संबंधित है । धारा 66(1)  के अनुसार कोई भी वाहन स्वामी अपने वाहन को बिना परमिट के परिवहन वाहन के रूप में काम में नहीं ले सकता । हस्तगत प्रकरण के तथ्योंनुसार  यह वाहन षाम के 8-8.30 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुआ था । अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह कथन रहा है कि इस वाहन हेतु जो परमिट रूट दर्षाया हुआ है उक्त रूट पर दुर्घटना नहीं हुई बल्कि षास्त्रीनगर  से लोहागल रोड पर हुई है  एवं जारी परमिट में यह रूट दर्षित नहीं है  लेकिन वक्त दुर्घटना वाहन परिवहन वाहन के रूप में काम में लिया जा रहा था अर्थात वक्त दुर्घटना वाहन सवारिया लेकर जा रहा था यह तथ्य अप्रार्थी की ओर से सिद्व नहीं हुआ है बल्कि प्रार्थी का कथन रहा है कि वक्त दुर्घटना वाहन गैराज में खडा करने हेतु ले जाया जा रहा था । धारा 66(3)(च्) मोटर वाहन अधिनियम में वर्णित अनुसार यदि कोई वाहन खाली है एवं मरम्मत के उद्देष्य से जा रहा है तो परमिट का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, उल्लेखित है । हस्तगत प्रकरण में वक्त दुर्घटना वाहन में सवारिया  थी, अप्रार्थी यह सिद्व नहीं कर पाया है । प्रार्थी का कथन है कि उस वक्त वाहन खाली था जो गैराज में खडा करने  हेतु ले जाया जा रहा था । हमारे विनम्र मत में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने वक्त दुर्घटना वाहन का परमिट के अलावा अन्य रूट पर संचालित किए जाने का जो आधार क्लेम खारिज करने हेतु बतलाया वह आधार सिद्व नहीं हुआ है क्योंकि वक्त दुर्घटना  वाहन  में सवारियां थी एवं उसे ले जाया जा रहा था, तथ्य सिद्व नहीं हुआ है । अतः वाहन परिवहन  वाहन के रूप में प्रयोग में नहीं लिया जा रहा था बल्कि  प्रार्थी रात के समय गैराज में खडा करने के लिए उस वाहन को ले जा रहा था । इस विवेचन से हमारा निष्कर्ष है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के क्लेम को गलत रूप से  अस्वीकार किया है । दृष्टान्त जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से पेष हुआ  उसके तथ्य हस्तगत प्रकरण के तथ्यों से भिन्न है ।  
6.    उपरोक्त विवेचन से  प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य पाया गया है ।  प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  प्रष्नगत वाहन में हुए नुकसान के संबंध में सर्वेयर द्वारा देय योग्य मानी गई राषि प्राप्त करने का अधिकारी है ।  अतः आदेष है कि 
                       :ः- आदेष:ः-
7.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से सर्वेयर द्वारा देय योग्य मानी गई राषि रू. 22,000/- प्राप्त करने का  अधिकारी होगा । 
    (2)    प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के लिए भी राषि रू.5000/- प्राप्त करनेे का अधिकारी होगा । 
    (3)    क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
      (4)   दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा  ।

                
(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष    
8.        आदेष दिनांक 02.03.2015 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                   अध्यक्ष

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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