जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति भगवती मेघानी पत्नी स्व. श्री मोतीराम मेघानी, उम्र- 60 वर्ष, जति- सिन्धी, निवासी- कृष्णा सोप फैक्ट्री के पीछे, भाटों का मौहल्ला, मदनगंज-किषनगढ,जिला- अजमेर ।
प्रार्थीया
बनाम
1. मण्डल प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, कचहरी रोड, अजमेर ।
2. टूलिप ग्लोबल इण्डिया प्राईवेट लिमिटेड, रजिस्टर्ड कार्यालय, 305, तृतीय मंजिल,जयपुर टावर, एआईआर के सामने, एमआई रोड, जयपुर, राजस्थान ।
अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 60/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री अनुज टांक,अधिवक्ता, प्रार्थीया
2.श्री ए.एस. ओबराय, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.1
3. श्री जे.पी.षर्मा, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं. 2
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः- 16.04.2015
1. प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थीया की पुत्री जानकी मेघानी ने अप्रार्थी संख्या 2 के माध्यम से अप्रार्थी संख्या 1 से दिनंाक 28.5.2010 को एक ज्ंपसवत उंकम च्मतेवदंस ।बबपकमदज च्वसपबल बीमा पाॅलिसी संख्या 060600/4210/05/00001102 दिनांक 30.5.2014 तक के लिए प्राप्त की । प्रार्थीया का आगे यह कथन है कि उसकी पुत्री ने अप्रार्थी संख्या 2 की दिनांक 12.5.2005 को सदस्यता प्राप्त की थी इसके बाद अप्रार्थी संख्या 2 ने जरिए ैचवदेवत प् क् 1030211 से दिनांक 28.5.2010 को अप्रार्थी संख्या 1 के यहां रू. 3200/- षुल्क के जमा कराए और उसकी पुत्री को आईडी संख्या ज्ळच्स् प्क् छवण् 1176098 दिया गया । इसके बाद ही प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी दी गई । उक्त बीमा पाॅलिसी के तहत बीमाधारक की मृत्यु होने पर रू. 1,00,000/- नामिनी को देय थे । उसकी पुत्री जानकी मेघानी की दिनंाक 31.8.20011 को पुलिस थाना सिन्धी कैम्प,जयपुर सिटी दक्षिण में दुर्घटना(हत्या) में मृत्यु हो गई जिसकी प्रथम सूचना रिर्पोट संख्या 157/2011 अन्तर्गत धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के तहत दजर्ह करवाई गई । प्रार्थीया बीमाधारक की नामिनी होने के नाते बीमा क्लेम राषि प्राप्त करने की अधिकारणी हो गई किन्तु अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा क्लेम राषि का भुगतान नहीं किए जाने पर उसने दिनांक 18.10.2012 को नोटिस भी दिया किन्तु अप्रार्थी संख्या 1 ने कोई कार्यवाही नही ंकी । प्रार्थीया ने परिवाद प्रस्तुत कर परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी की ओर से जवाब प्रस्तुत हुआ जिसमें प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि प्रार्थीया ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष कोई क्लेम प्रस्तुत नहीं किया इसलिए प्रार्थीया का परिवाद प्रीमैच्योर है । आगे मदवार जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि बीमाधारक के पक्ष में जारी की गई प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी में स्पष्ट उल्लेख है कि बीमा पाॅलिसी केवल मात्र दुर्घटना मृत्यु से संबंधित प्रकरणों को ही कवर करती है अन्य किसी प्रकार के प्रकरण के लिए बीमा कम्पनी की कोई जिम्मेदारी नहीं है । बीमाधारक जानकी मंघानी की हत्या उसके पति षिव कुमार के द्वारा जानबुझकर सोच समझकर हत्या की गई थी और बाद पुलिस अनुसन्धान के मृतका बीमाधारक के पति षिवकुमार के विरूद्व अन्तर्गत धारा 302 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया था । अन्त में परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 के द्वारा जवाब प्रस्तुत कर प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया कि प्रार्थीया की पुत्री को उत्तरदाता का डिस्ट्रब्यूटर बनने के बाद अप्रार्थी संख्या 1 से व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पाॅलिसी दिलाई गई थी जिसकी अवधि 4 वर्ष थी । बीमा पाॅलिसी की प्रभावी अवधि में बीमाधारक की दुर्घटनावष मृत्यु होने की स्थिति में क्लेम राषि की अदायगी का उत्तरदासयित्व अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी का है इसमें उत्तरदाता अप्रार्थी की कोई भूमिका नहीं है ।
आगे मदवार जवाब में प्रार्थीया की पुत्री को अप्रार्थी संख्या 2 के उत्पादों को विक्रय किए जाने हेतु डिस्ट्रब्यूटरषिप दिए जाने, आई डी संख्या दिए जाने व बीमा किए जाने व दुर्घटना में बीमाधारक की मृत्यु होने पर बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम राषि अदा करने के तथ्यों को दर्षाते हुए परिवाद खारिज होने योग्य दर्षाया है ।
4. हमने पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
5. जहां तक प्रार्थीया की पुत्री जानकी मेघानी के नाम से परिवाद की चरण संख्या 2 में वर्णित बीमा पाॅलिसी लिए जाने का तथ्य है एवं यह बीमा पाॅलिसी दुर्घटना मृत्यु होने पर रू. 1,00,000/- तक की थी, तथ्य स्वीकृतषुदा है । अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन रहा है कि प्रार्थीया द्वारा क्लेम को प्रार्थीया द्वारा चाही गई सूचनाएं प्रस्तुत नहीं करने पर गुणावगुण पर निर्णित नहीं किया गया है । इसके अतिरिक्त जवाब में यह भी दर्षाया कि परिवाद में वर्णित अनुसार प्रार्थीया की पुत्री की हत्या हुई थी इसलिए उसकी मृत्यु दुर्घटना से होना नहीं माना जा सकता एवं क्लेम देय योग्य नहीं होना दर्षाया है । हमने प्रार्थीया की ओर से पेष दृष्टान्त ।प्त्;ैब्द्ध1930;2000द्ध त्पजं क्मअप टे छमू प्दकपं ।ेेनतंदबम ब्व स्जक तथा ।दकींतं च्तंकमेी ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद ;2012द्धप् ब्च्त्ण्93 न्दपजमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक टे ब्ण् त्ंींसंोीउप ंदक ।दत का अध्ययन किया । इन दोनों दृष्टान्तों में हत्या को भी दुर्घटना मृत्यु माना है एवं हत्या से मृत्यु होने के संबंध में जो बीमा था उक्त बीमा धन को प्रार्थीया को प्राप्त करने का अधिकारी माना । हस्तगत प्रकरण में भी हम पाते है कि बीमित श्रीमति जानकी मेघानी की हत्या हुई है तब प्रार्थीया जो कि जानकी मेघानी के जीवन पर प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी ली गई थी, में नीमिनी थी एवं उसकी मां है को बीमा धन राषि रू. 1,00,000/- प्राप्त करने की अधिकारणी पाया जाता है । अतः प्रार्थीया का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य है । अतः आदेष है कि
:ः- आदेष:ः-
6. (1) प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी उसकी पुत्री जानकी मेघानी के जीवन पर ली गई प्रष्नगत पाॅलिसी जिसका विवरण परिवाद की चरण संख्या 2 में है,का बीमा धन राषि रू. 1,00,000/- प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(2) प्रार्थीया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में भी राषि रू. 5000/- भी प्राप्त करने की अधिकारणी होगी ।
(3) क्र.सं. 1 व 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी प्रार्थीया को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।
(4) दो माह में आदेषित राषि का भुगतान नहीं करने पर प्रार्थीया अप्रार्थी संख्या 1 बीमा कम्पनी से उक्त राषियों पर निर्णय की दिनांक से ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगा ।
(5) अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्व परिवाद खारिज किया जाता है
(श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
7. आदेष दिनांक 16.04.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्या अध्यक्ष