जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री अमरा काठात पुत्र श्री जूम्बा काठात, निवासी- खड़िया खेड़ा, पुलिस थाना दुर्गावास वाया काबरा, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
षाखा प्रबन्धक, युनाईटेड इण्डिया इंष्यारेंस कम्पनी लिमिटेड, षाखा कार्यालय, मोतीसागर बिल्डिंग, बस स्टेण्ड के पास, अजमेर रोड़, ब्यावर, जिला-अजमेर ।
- अप्रार्थी
परिवाद संख्या 147/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री संदीप षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री ए.एस.ओबेराय, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 01.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि प्रार्थी के पुत्र श्री षमषेर काठात ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक जनता पी.ए. पाॅलिसी संख्या 141201/47/09/51/00000748 दिनंाक 10.8.2009 से 09.08.2011 तक की अवधि के लिए प्राप्त की । दिनंाक 8.6.2010 को उसके पुत्र की रोड़ दुर्घटना में मृत्यु हो गई । जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना जवाजा में दर्ज करवाई गई तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए बीमा क्लेम पेष किया । उक्त क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनांक 28.2.2011 के द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमा पाॅलिसी में नाॅमिनी के तौर पर पिता के नाम के स्थान पर सुरेन्द्र तथा संबंध में भांजा व आयु 14 वर्ष अंकित है इसलिए पिता को क्लेम दावा प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है । इस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम खारिज कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थी ने परिवाद पेष करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि मृतक बीमाधारक द्वारा बीमा पाॅलिसी में नामिनी के तौर पर सुरेन्द्र आयु 14 वर्ष अंकित किया है इसलिए प्रार्थी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई विधिक अधिकार नही ंहै ।
पैरावाईज जवाब में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी के पुत्र के पक्ष में प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी जारी किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए यह कथन किया है कि मृतक के भाई सुरेन्द्र के द्वारा तथाकथित दुर्घटना दिनांक 08.06.2010 की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिनांक 29.7.2010 को अतिविलम्ब से दी है । उनके सर्वेयर द्वारा की गई जांच में यह तथ्य सामने आया कि मृतक के द्वारा नामिनी सुरेन्द्र आयु 14 वर्ष को बनाया गया है जबकि सुरेन्द्र पुत्र अरविन्द की आयु 23 वर्ष थी तथा मृतक बीमाधारी के सुरेन्द्र नाम के और भी भांजे है । अतः सर्वेयर की रिपोर्ट तथा बीमा पाॅलिसी में प्रार्थी का नाम बतौर नामिनी नहीं होने के आधार पर सही तौर से बीमा क्लेम खारिज उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी कारित नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।
3. प्रार्थी पक्ष का तर्क है कि उसके पुत्र द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ली गई बीमा पाॅलिसी व इसके प्रभावषील रहने के दौरान उसकी दिनंाक 8.6.2010 को हुई मृत्यु के बाद चाहा गया क्लेम जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बीमित द्वारा ली गई पाॅलिसी में नामिनी का नाम सुरेन्द्र अंकित है किन्तु उसके पिता का नाम अंकित नहीं है । अतः नामिनी सुनिष्चित नहीं हो रहा हेै। । अतः दावा स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है, कतई न्यायोचित नहीं है । ऐसा करते हुए जो क्लेम खारिज किया गया है वह अप्रार्थी बीमा कम्पनी की सेवाओं में दोष का परिणाम है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने खण्डन में प्रारम्भिक आपत्ति के रूप में तर्क दिया हेै कि बीमित की पाॅलिसी में नामिनी सुरेन्द्र नाम का व्यक्ति है तथा प्रार्थी को हस्तगत परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नही ंहै । अन्य तर्को में पाॅलिसी जारी होने को स्वीकार करते हुए उनका प्रमुख रूप से यही तर्क दिया है कि बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किए जाने के बाद जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि बीमा पालिसी में सुरेन्द्र की उम्र 14 वर्ष नामिनी के रूप में बताई गई है जबकि सरेन्द्र पुत्र अरविन्द की आयु 23 वर्ष पाई गई है । क्लेम मृतक के पिता के द्वारा प्रस्तुत किया गया है जिसे बीमित द्वारा नामिनी नहीं बनाया गया है । अतः क्लेम पोषणीय नहीं होने के कारण सही रूप से खारिज किया गया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
6. जहां तक प्रार्थी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने की अधिकारिता का प्रष्न है , स्वीकृत रूप से वह बीमित का पिता है । उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(ख) 5 के अन्तर्गत उपभोक्ता की मृत्यु की स्थिति में उसके विधिक उत्तराधिकारी अथवा प्रतिनिधि भी यदि परिवाद प्रस्तुत करता है तो वह सक्षम प्रार्थी उपभोक्ता के समकक्ष ही माना जाएगा । अतः हस्तगत मामले में प्रार्थीं द्वारा अपने पुत्र की मृत्यु के फलस्वरूप जो परिवाद प्रस्तुत किया गया है, में वह षिकायतकर्ता के रूप में ऐसा परिवाद प्रस्तुत करने हेतु सक्षम है । इस बाबत अप्रार्थी द्वारा की गई आपत्ति सारहीन होने के कारण निरस्त की जाती है ।
7. यह तथ्य निर्विवाद है कि मृतक षमषेर द्वारा उक्त पाॅलिसी संख्या 141201/47/09/51/00000748 दिनंाक 10.8.2009 से 09.08.2011 तक की अवधि के लिए प्राप्त की गई थी तथा बीमाधारक की दिनांक 8.6.2010 को दुर्घटना में मृत्यु हुई जैसा कि पुलिस थाना जवाजा , जिला-अजमेर में दिनांक 9.6.2010 को दर्ज हुई प्रथम सूचना रिपोर्ट व मृत्यु प्रमाण पत्र दिनंाक 16.6.2010 से स्पष्ट एवं सिद्व है ।
8. अब प्रमुख विवाद का बिन्दु क्लेम प्राप्त करने के संबंध में है । ली गई पाॅलिसी में बीमित मृतक ने नाॅमिनी के रूप में किन्हीं सुरेन्द्र का नाम अंकित किया है । बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अनुसार बीमित की मृत्यु होने की दषा में क्लेम इत्यादि प्राप्त करने के लिए उक्त नामिनी ही अधिकृत माना जाएगा । मंच इस संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत दलीलों से सहमत है । चूंकि हस्तगत क्लेम उक्त मृतक बीमाधारक के पिता द्वारा प्रस्तुत किया गया है जो मृतक द्वारा ली गई पाॅलिसी में नामिनी के रूप में दर्षित नही ंहै । अतः वह क्लेम प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं माना जा सकता । बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनंाक 28.2.2011 के द्वारा जो क्लेम खारिज किया गया है, में किसी प्रकार का कोई सेवा दोष अथवा अनुचित व्यापार व्यवहार नहीं किया है । ऐसी स्थिति में प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
9. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 01.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष