जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,पाली(राजस्थान)
परिवाद संख्या सी.सी. 38ध्2012
कुमारी दिव्या लोढा पु़त्री श्री सुरेष कुमार जाति जैन 244, टैगोर नगर, पाली तहसील पाली जिला पाली (राजस्थान)।
परिवादिया
बनाम
1-यूनार्इटेड इणिडया इन्ष्योरेन्स कम्पनी लि0 जरिये मण्डलीय प्रबन्धक, एल.आर्इ.सी. बिलिडंग, मणिडया रोड, पाली तहसील व जिला पाली (राजस्थान)
2-यूनार्इटेड इणिडया इन्ष्योरेन्स कम्पनी लि0, जरिये मुख्य प्रबन्धक (रजिस्टर्ड कार्यालय) 24, व्हार्इटस रोड, चैन्नर्इ 600014 (टी.एन)।
3-र्इ मैडिटेक सोल्यूषन्स लिमिटेड, जरिये प्रबन्धक, 45, नाथुपुरा रोड, डी.एल.एफ.फेस 3 पोस्ट गुडगाव (हरियाणा)122002 ।
अप्रार्थीगण
दिनांंक 07-04-2015
निर्णय
ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्
परिवादिया ने यह परिवाद प्रार्थना पत्र पेषकर बताया है कि परिवादिया के पिता ने अप्रार्थीगण से मेडिक्लेम बीमा पालिसी सं0 140700 48062000000633 ले रखी है जिसकी सर्वप्रथम अवधि दिनांक 6-9-2006 से 5-9-2007 तक थी जिसके पष्चात प्रतिवर्ष प्रीमियम अदाकर पालिसी का
नवीनीकरण करवाया जाता रहा है। उक्त नवीनीकरण के तहत दिनांक 6-9-2011 से 5-9-2012 तक की अवधि के लिये अप्रार्थीगण ने प्रीमियम राषि रूपये 9383-प्राप्त कर व्यकितगत स्वास्थ्य बीमा पालिसी 2010 सं0 140700 48119700000937 प्रार्थिया के पिता के नाम से जारी की । प्रार्थिया के पिछले
छ: वर्षो से लगातार अप्रार्थीगण के पास उक्त पालिसी लेने के पष्चात नवीनीकरण करवाते आ रहे है । उक्त पालिसी भी पूर्व पालिसी सं0 140700 48109700000976 का नवीनीकरण था । अप्रार्थीगण बीमा का व्यवसाय करते है तथा अप्रार्थी सं0 तीन बीमा टी. पी. ए. के रूप में कार्य करता है । प्रार्थिया के पिता ने दिनांक 5-9-2011 को रूपये 9383-की राषि अप्रार्थी सं0 एक को अदाकर व्यकितगत स्वास्थ्य बीमा पालिसी सं0 000009037 दिनांक 6-9-2011 से दिनांक 5-9-2012 की अवधि हेतु बीमा पालिसी ली थी । उक्त पालिसी में प्रार्थिया के पिता के साथ प्रार्थिया की माता रेखा का स्वास्थ्य बीमा किया गया था जो एक लाख रूपये की राषि का था । उक्त पालिसी की अवधि के दौरान प्रार्थिया ैजतमेे भ्मंकंबेीम से पीडित होने के कारण पाली में बागड अस्पताल में दिनांक 18-9-2011 को दिखाया गया । प्रार्थिया की सीे.टी.स्क्रेन दिनांक 29-9-2011 को की गर्इ । पाली में र्इलाज केे दौरान प्रार्थिया के स्वास्थ्य में कोर्इ सुधार नहीं हुआ तब प्रार्थिया को गोयल हास्पीटल, जोधपुर में दिखाया गया । जिनके द्वारा प्रार्थिया को अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गर्इ । प्रार्थिया को दिनांक 1-10-2011 को र्इलाज हेतु भर्ती किया गया तथा स्वास्थ्य में सुधार होने पर दिनांक 5-10-2011 को अस्पताल से छुटटी दी गर्इ । प्रार्थिया के र्इलाज पर कुल रूपये 19259-खर्च हुये । प्रार्थिया ने अपना क्लेम दावा अप्रार्थी सं0 एक के कार्यालय में दिनांक 12-10-2011 को ंप्रस्तुत कर क्षतिपूर्ति राषि 10259-दिलाने की प्रार्थना की । अप्रार्थी सं0 तीन ने पत्र दिनांक 20-10-2011 के द्वारा प्रार्थिया के र्इलाज के दस्तावेजात अस्पताल से प्राप्त कर उपलब्ध करवाने हेतु कहा गया । दिनांक 5-12-2011 एवं 15-12-2011 को अधिवक्ता के मार्फत गोयल हास्पीटल एवं प्रार्थिया के र्इलाज करने वाले डाक्टर श्री राजीव माथुर को नोटिस भेजा गया तब चिकित्सक द्वारा वांछित दस्तावेजात अप्रार्थी सं0 3 को दिनांक 29-12-2011 को प्रेेषित की गर्इ तथा उसकी प्रति प्रार्थिया को भी दी गर्इ। प्रार्थिया के क्लेम का भुगतान लम्बे समय तक नहीं करने पर दिनांक 17-3-2012 को अधिवक्ता के मार्फत नोटिस भेजा गया, उसके बावजूद भी अप्रार्थीगण ने क्लेम की अदायगी नहीं की । प्रार्थिया ने कुल 29835-रूपये का क्लेम पेष कर निवेदन किया है कि उक्त राषि पर 18 प्रतिषत वाषिर्ेाक दर से ब्याज भी दिलाया जावे। अपने परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने अपना षपथपत्र भी पेष किया है ।
2- अप्रार्थीगण सं0 एक व दो ने जवाब प्रस्तुत कर बताया है कि प्रार्थिया ने उपरोक्त परिवाद समय पूर्व पेषकर दिया है तथा अप्रार्थी सं0 तीन द्वारा चाही गर्इ सूचनाऐ भी उपलब्ध नहीं करवार्इ है। प्रार्थिया को क्या बीमारी रही है इसकी जानकारी परिवाद से स्पष्ट रूप से नहीं होती है । ऐसा प्रतीत होता है कि परिवादिया ने मात्र कोर्इ बीमारी नहीं होते हुये सिर्फ षारीरिक जाच हेतु अस्पताल में भर्ती हुर्इ । जब तक परिवादिया द्वारा सम्पूर्ण जानकारी अप्रार्थीगण को उपलब्ध नहीं करवार्इ जाती है तब तक अप्रार्थीगण क्लेम का निस्तारण करने में समर्थ नहीं है । परिवादिया द्वारा अप्रार्थी सं0 3 को जानकारी उपलब्ध नहीं करवाये जाने के कारण परिवादिया का क्लेम दिनांक 2-12-2011 को नो क्लेम किया गया है । बीमा कम्पनी ने नो क्लेम करके उपभोक्ता सेवामें कोर्इ त्रुटि नहीें की है । परिवादिया ने अप्रार्थी सं0 3 द्वारा जारी पत्र दिनांक 20-10-2011 का जवाब आज दिन तक प्रस्तुत नहीं किया है । क्लेम लंबित रहने का कारण एक मात्र परिवादिया द्वारा जानकारी उपलब्ध नहीं करवाया जाना ही है । परिवादिया को क्या बीमारी रही है तथा जाच के बाद क्या पाया गया। अप्रार्थीगण को भुगतान से पूर्व इस बात की जानकारी करनी पडती है कि परिवादिया को ,जिसने क्लेम पेष किया है, क्या बीमारी रही है तथा वह बीमा पालिसी के तहत भुगतान योग्य है ,अथवा नहीं ,के जाच के पष्चात ही भुगतान किया जाता है । इसलिये परिवादिया का परिवाद सही रूप से खारिज किया गया है । परिवादिया ने कभी भी अधिवक्ता के जरिये अप्रार्थीगण को नोटिस नहीं दिया और न ही बीमा कम्पनी को कोर्इ नोटिस प्राप्त हुये है । परिवादिया का परिवाद प्रथमदृष्टया अस्वीकार किये जाने योग्य है इसलिये अप्रार्थीगण ने परिवादिया का परिवाद अस्वीकार करके उपभोक्ता सेवामें कोर्इ त्रुटि नहीं की है । अत: परिवादिया का परिवाद अस्वीकार किया जावे। अपने जवाब के समर्थन में अप्रार्थीगण ने अपना षपथपत्र पेष किया है ।
3- परिवादिया के अधिवक्ता ने अप्रार्थी सं0 तीन को तर्क कर दिया है ।
4- पक्षकारान की अंतिम बहस सुनी गर्इ तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया ।
5- यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थिया दिव्या लोढा ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से व्यकितगत स्वास्थ्य बीमा पालिसी 6-9-2011से 5-9-2012तक की अवधि के लिये अपने पिता के मार्फत प्राप्त की हुर्इ है । यह भी स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थिया स्ट्रेस हेाने के कारण गोयल हास्पीटल एवं रिसर्च सेन्टर,जोधपुर में अपनी बीमारी के संबंध में जाच तथा र्इलाज कराया था । इस दौरान प्रार्थिया ने र्इलाज पर 19259-रूपये खर्च किये ।
6- प्रार्थिया ने अप्रार्थी के समक्ष व्यकितगत स्वास्थ्य बीमा के तहत अपने र्इलाज में खर्च हुर्इ धनराषि 19259-की क्षतिपूर्ति हेतु क्लेम प्रस्तुत किया था जिस पर अप्रार्थी ने दिनांक 20-10-2011 को प्रार्थिया एवं उसके पिता से पत्र में उल्लेखित तीन दस्तावेजात प्रस्तुत करने के लिये आग्रह किया था । अप्रार्थी ने उक्त पत्र में प्रार्थिया के पिता से ये जानकारी चाही गर्इ थी कि उपचार करने वाले डाक्टर से ये जानकारी दिलवार्इ जावे कि स्ट्रेस और हेडेक के आधार पर उसने बीमित के क्या बीमारी पार्इ तथा दिव्या लोढा को स्ट्रेस का कारण क्या था ? इसके अतिरिक्त यह भी जानकारी चाही गर्इ थी कि दिव्या कुमारी केा अस्पताल में भर्ती होने का क्या युकितयुक्त कारण था ?
7- प्रार्थिया के पिता ने उक्त पत्र प्राप्त होने पर गोयल हास्पीटल के प्रबन्धक एवं उपचार करने वाले डाक्टर श्रीे राजीव माथुर को विधिक नोटिस देकर उक्त दस्तावेजात उपलब्ध कराने के लिये प्रार्थना की, जिस पर गोयल हास्पीटल एवं रिसर्च सेन्टर, जोधपुर ने कुमारी दिव्या का डिस्चार्ज समरी सर्टिफिकेट एवं अस्पताल द्वारा लिये गये षुल्क का बिल एवं हास्पीटल में भर्ती रहने की इन्डोरषीट प्रस्तुत की है । गोयल हास्पीटल द्वारा जारी डिस्चार्ज सर्टिफिकेट से यह विदित होता है कि कुमारी दिव्या को हेडेक होने एवं मोमेनिटंग होने के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है और उक्त समस्या के संबंध में जाच की गर्इ थी । स्ट्रेस के एवं हेडेक के कारणो का इसमें उल्लेख नहीं है । प्रार्थिया के पिता श्री सुरेषकुंमार लोढा ने हास्पीटल से उक्त दस्तावेजात प्राप्त होने पर दिनांक 3-1-2012 को अप्रार्थी के समक्ष अस्पताल द्वारा भेजे गये दस्तावेजात प्रस्तुत किये है । उसके बाद भी अप्रार्थी ने प्रार्थिया को उसके र्इलाज में हुये खर्च की क्षतिपूर्ति अदा नहीं की और बीमा कम्पनी के जवाब के अनुसार बीमा कम्पनी ने 2-12-2011 को प्रार्थिया का दावा नो क्लेम कर दिया ।
8- अब हमें देखना है कि क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दावा नो क्लेम करके सेवा में कमी की है ?
9- इस संबंध में बीमा कम्पनी ने बीमा पालिसी की किसी षर्त का उल्लेख नहीं किया है जिसके आधार पर प्रार्थिया का दावा नो क्लेम किया गया हो । प्रार्थिया दिव्या को स्ट्रेस एवं सिरदर्द की षिकायत होने पर उसको अस्पताल में भतीै करके उसका र्इलाज किया गया है । स्ट्रेस एवं मोमेनिटंग किस कारण से हुर्इ है अस्पताल द्वारा जारी डिस्चार्ज समरी से स्पष्ट नहीं है, परन्तु स्ट्रेस एवं मोमेनिटंग स्वयं एक बीमारी है जिसका सामान्य तौर पर प्रत्येक व्यकित र्इलाज कराता हैे । अप्रार्थी ने बीमा पालिसी की कोर्इ ऐसी षर्त प्रस्तुत नहीं की है जिसमें स्टे्रस एवं मोमेनिटंग जैसी बीमारी के र्इलाज पर हुये खर्च का भुगतान नहीं किया जावे,का उल्लेख हो। गोयल हास्पीटल, जोधपुर ने भी उनके पास जो उपलब्ध दस्तावेज थे वो प्रस्तुत किये है । प्रार्थिया ने ऐसे किसी दस्तावेज या तथ्य को नहीं छुपाया है जिनको अप्रार्थी के समक्ष डिस्क्लोज करना आवष्यक था । अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थिया के दावे को नो क्लेम करने के लिये कोर्इ ठोस आधार नहीं दर्षाये है । अप्रार्थी द्वारा प्रार्थिया का दावा बिना किसी आधार के नो क्लेम करना सेवा में कमी का मामला है। ऐसी सिथति में मंच इस निष्कर्ष पर पहुचा है कि प्रार्थिया का दावा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्व स्वीकार किये जाने येाग्य है ।
आदेष
ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्
परिणामत: परिवादिया का परिवाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्व स्वीकार किया जाता है ।ं अप्रार्थी बीमा कम्पनी परिवादिया को निर्णय के एक माह में 19259-अक्षरे उन्नीस हजार दो सौ उन्साठ रूपये की राषि अदा करेगी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी परिवादिया को उक्त राषि पर दिनांक 2-12-2011 से अदायगी तक 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज भी अदा करेगी । परिवादिया अप्रार्थी बीमा कम्पनी से 5000-अक्षरे पाच हजार रूपये बतौर परिवाद व्यय के भी प्राप्त करने की भी अधिकारी होगी । उक्त 5000रु-अक्षरे पाच हजार रूपये परिवाद व्यय के एक माह में अदा नहीं किये तो उक्त राषि पर भी 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी होगी ।