जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 120/2012
सुषीला देवी पत्नी श्री रामनिवास, जाति-बिष्नोई, निवासी-96, इन्दिरा काॅलोनी, नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए प्रबन्धक निदेषक, 24, व्हाइट रोड, मद्रास चैन्नई-600014
2. षाखा प्रबन्धक, यूनाइटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, किले की ढाल, नागौर (राज.)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री सांवरराम चैधरी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री दषरथमल सिंघवी, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 02.12.2015
1. परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिया ने अपने वाहन संख्या त्श्रे 21/ न्। 1051 का बीमा बीमित अवधि दिनांक 21.03.2010 से 20.03.2011 तक के लिए बीमित राषि 4,50,000/- रूपये बाबत् करवाया। परिवादिया का उक्त वाहन नीलगाय सामने आने से दिनांक 13.03.2011 को पलट गया, जिसकी सूचना तत्काल अप्रार्थीगण को दी गइर्। तत्पष्चात् स्पाॅट सर्वे एवं फाइनल सर्वे होने के पष्चात् वाहन की मरम्मत करवाई गई। मरम्मत में 3,53,358/- रूपये खर्च हुए। जिसका क्लेम प्रस्तुत किया गया। परन्तु अप्रार्थीगण ने इस आधार पर दावा खारिज कर दिया कि परिवादिया द्वारा प्रस्तुत मैसर्स सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज, दिल्ली द्वारा जारी बिल फर्जी ह,ै क्योंकि उक्त नाम की कोई संस्था या प्रतिश्ठान उक्त दिल्ली में नहीं है। जबकि मैसर्स सूर्या आॅटो एंटरप्राईजेज, दिल्ली में स्थित प्रतिश्ठान है, जिसके टीन नम्बर 07583292729 है एवं बिल संख्या 841 है। इस बिल में वेट पेटे 29,375/- रूपये काटे हैं, जो राषि सीधे राज्य सरकार में जमा होती है। ऐसी राषि बिना फर्म के बेनामी रूप से जमा नहीं हो सकती। टीन नम्बर भी बिना प्रतिश्ठान के जारी नहीं हो सकता। मौके पर फर्म है जो कि व्यापार संचालित करती है।
इसी फर्म द्वारा प्रभु टेम्पो ट्रांसपोर्ट सर्विस नामक ट्रांसपोर्ट कम्पनी के द्वारा मैसर्स सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज द्वारा माल भिजवाया गया था। उक्त फर्म के स्वामी से परिवादिया द्वारा वार्ता की गई तो फर्म के स्वामी द्वारा बताया गया कि प्रदीप कुमार खण्डेलवाल नामक कोई सर्वेयर उसके प्रतिश्ठान पर नहीं आया है। स्वयं अप्रार्थीगण कुछ क्लेम को सही मानते हैं, कुछ को गलत मानते हैं तो सम्पूर्ण दावा कैसे खारिज हो सकता है। यह पूर्णतः अप्रार्थीगण का सेवा दोश है। अतः परिवादिया का परिवाद मय हर्जा-खर्चा स्वीकार करते हुए बीमित राषि दिलाई जावे।
2. अप्रार्थीगण का जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार हैः- अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से यह कहना है दुर्घटना की सूचना मिलने पर तुरन्त सर्वे करवाया। सर्वेयर ने बताया कि उसने बीमित से बाॅडी-सेल रिपेयर कराने का कहा जिसे उसने स्वीकार किया, मगर बीमित ने डिस्पाॅजल बाॅडी-सेल फिट करवा लिया जो कि अन्य वाहन का है। इस कारण डिस्पाॅजल बाॅडी-सेल के आधार पर जो फाइनल सर्वे रिपोर्ट में एस्समेंट षीट तैयार की गई, उसमें 1,07,347/- रूपये नेट अमाउंट क्षति अंकित की गई। जिसमें डिस्पाॅजल बाॅडी-सेल के 1,30,000/- रूपये मानते हुए फाइनल रिपोर्ट दी।
बाॅडी-सेल का बिल पेष करने के लिए कहा तो परिवादिया ने 01.08.2011 के पत्र के साथ सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज 2769/6 हमीलटाॅन रोड, कष्मीरी गेट दिल्ली का बिल सिरियल नम्बर 841, बुक नम्बर 17, तारीख 26.03.2011, रूपये 2,64,375/- का प्रस्तुत किया। जिसकी जांच श्री प्रदीप कुमार खण्डेलवाल सर्वेयर से करवाई गई। उसने यह पाया कि ऐसी कोई फर्म नहीं है। जब ऐसी फर्म ही नहीं है तो बिल भी फर्जी है। इसलिए दावा खारिज किया गया। प्रदीप कुमार ने बिल में अंकित पते पर जाकर पूछताछ की तो मैसर्स जलंधर मोटर एजेंसी नाम की फर्म कार्यरत पाई। सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज का कोई पता नहीं चला। परिवादी ने अपने वाहन में डिस्पाॅजल बाॅडी-सेल लगाकर नये बाॅडी सेल का बिल पेष किया। इस प्रकार से मेटेरियल फैक्ट को छिपाया जो कि बीमा पाॅलिसी की षर्तों का उल्लंघन है। अतः दावा खारिज किया जावे।
3. बहस उभयपक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का गहनतापूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। परिवादिया द्वारा वाहन संख्या त्श्रे 21/ न्। 1051 का अप्रार्थी द्वारा बीमित अवधि 21.03.2010 से 20.03.2011 की अवधि का बीमा होना एवं बीमित अवधि में दिनांक 13.03.2011 को उक्त वाहन का दुर्घटनाग्रस्त होना विवादास्पद नहीं है। विवाद क्षतिपूर्ति राषि के सम्बन्ध में है। परिवादिया के मुताबिक उक्त वाहन की मरम्मत में 3,53,358/- रूपये व्यय होना बताया गया है। जबकि अप्रार्थीगण के मुताबिक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 1,30,000/- रूपये क्षतिपूर्ति होना माना है।
अंतर राषि का विवाद परिवादिया द्वारा प्रस्तुत बिल सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज 2769/6, हमीलटाॅन रोड, कष्मीरी गेट, दिल्ली द्वारा जारी बिल सीरियल नम्बर 841, बुक नम्बर 17, तारीख 26.03.2011 रूपये 2,64,375/- के सम्बन्ध में है। यहां यह स्पश्ट करना उचित होगा कि 2,64,375/- रूपये में वेट राषि 12.5 प्रतिषत 29,375/- रूपये है जो कि नियमानुसार परिवादिया को देय नहीं हो सकती।
विवादित बिल जो प्रदर्ष ए 10 है उसके सम्बन्ध में परिवादिया का यह कथन है कि उसने सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज से उक्त वाहन की बाॅडी का निर्माण करवाया था जिसमें कुल वेट राषि सहित 2,64,375/- रूपये खर्च हुए थे। बिल सही है। उक्त प्रतिश्ठान बिल में अंकित पते पर स्थित है। उसका टिन नम्बर 07583292729 है। उक्त बिल में वेट पेटे 29,375/- रूपये काटे गये थे। यह राषि सीधे राज्य सरकार में जमा होती है ऐसी राषि बिना फर्म के बेनामी रूप में जमा नहीं हो सकती। टिन नम्बर भी बिना प्रतिश्ठान के जारी नहीं हो सकते।
इसके विपरित अप्रार्थीगण का इसके खण्डन में यह कहना है कि उनके सर्वेयर प्रदीप कुमार खण्डेलवाल ने जांच की थी। जो बिल में पता है उस जगह जाकर पता किया तो सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज नाम की कोई संस्था या प्रतिश्ठान नहीं था।
4. हमारी राय में अप्रार्थीगण को उक्त फर्म की सत्यता के लिए सम्बन्धित विभाग से सम्पर्क करना चाहिए था। उसकी जांच की जानी चाहिए थी कि सम्बन्धित विभाग से टिन नम्बर जारी हुए हैं या नहीं। सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज नाम का कोई प्रतिश्ठान है या नहीं। केवल सर्वेयर के द्वारा किसी अन्य संस्थान से पूछने पर यह निश्कर्श निकालना कि विवादित सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज वर्णित पते पर नही थी, सही नहीं माना जा सकता। इसके अलावा श्री प्रदीप कुमार खण्डेलवाल का कोई षपथ-पत्र भी प्रस्तुत नहीं हुआ है ना ही किसी अन्य संस्थान या व्यक्ति का या जिससे सर्वेयर पूछताछ करना बताता है, उसका षपथ-पत्र प्रस्तुत हुआ है।
इसके विपरित परिवादिया ने अपने इस कथन के समर्थन में कि सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज, कष्मीरी गेट, दिल्ली का बिल नम्बर 841, बुक संख्या 17, दिनांक 26.03.2011 सही है। वहां से कम्पलीट बाॅडी प्रभु टेम्पों ट्रांसपोर्ट सर्विस के जरिए बिल्टी जीआर नम्बर 928, दिनांक 27.03.2011 को मंगवाई। जिसका बिल पेष किया, जो सही है। उसका टिन नम्बर सही है। फर्म मौजूद है। दुर्घटना ग्रस्त वाहन में जो पार्टस लगाये गये हैं, वो बिल सभी सही हैं। महेन्द्रा आॅथोराइज्ड डीलर के बिल हैं, जो सही हैं। षपथ-पत्र प्रस्तुत किया है जिसका खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं हुआ है। अतः ऐसी सूरत में उक्त षपथ-पत्र पर अविष्वास करने का कोई कारण प्रतीत नहीं होता है। परिवादिया की ओर से मरम्मत से सम्बन्धित जो दस्तावेजात प्रस्तुत किये हैं उनका योग 3,53,000/- के करीब होता है। जबकि व्यय राषि 3,53,000/- रूपये से अधिक होना बताया है। उक्त बिलों/दस्तावेजात पर अविष्वास करने का कोई कारण नहीं है। सर्वेयर ने जो 1,30,000/- रूपये मरम्मत व्यय की गणना की है वह सही नहीं है। माने जाने योग्य नहीं है क्योंकि इस रकम में सूर्या आॅटो एंटरप्राइजेज द्वारा तैयार की गई बाॅडी-सेल की राषि का कोई उल्लेख नहीं है। केवल बाॅडी-सेल के 35,000/- रूपये जोडे हैं जो कि सही नहीं है। इस प्रकार से परिवादिया अपना परिवाद-पत्र साबित करने में सफल रही है। परिवादिया का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा आदेष दिया जाता है किः-
आदेश
5. अप्रार्थीगण, परिवादिया को गाडी की मरम्मत व्यय राषि/क्षतिपूर्ति राषि 3,53,000/- रूपये परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख से तारकम वसूली 9 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से एक माह में अदा करें। साथ ही अप्रार्थीगण, परिवादिया को मानसिक संताप पेटे 2,500/- रूपये एवं 2,500/- रूपये परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 02.12.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या