जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री मिथलेश कुमार शर्मा - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 1350/2012
अभिषेक चैधरी आत्मज श्री रामनिवास चैधरी, उम्र 22 वर्ष, जाति जाट, निवासी प्लाॅट नंबर 14, गुजर बस्ती, शास्त्री नगर, जयपुर (राजस्थान)
परिवादी
ं बनाम
1. युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, पता शोप नंबर 6, गणेशम काॅम्पलेक्स, रोड नंबर 2, वी.के.आई.ऐरिया, सीकर रोड़, वी.के.आई.ऐरिया, जयपुर (राजस्थान) जरिए प्रबंधक/निदेशक Û
2. युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, पता सहारा चेम्बर, टोंक रोड़, जयपुर 302018 (राजस्थान) जरिए प्रबंधक/निदेशक Û
3. युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, पंजीकृत कार्यालय 24, व्हाईट्स रोड़, चेन्नई 600014 जरिए प्रबंधक/निदेशक Û
विपक्षीगण
अधिवक्तागण :-
श्री विनय कुमार शर्मा - परिवादी
श्री दीपक चैधरी - विपक्षी बीमा कम्पनी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 09.11.12
आदेश दिनांक: 28.01.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने वाहन आर.जे.14 वी एस 5618 का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से 24.03.2011 से 23.03.2012 तक की अवधि के लिए करवाया था । उक्त वाहन दिनांक 09.02.2012 को दोपहर 12.30 मिनट से 1.40 मिनट के बीच चोरी हो गया जिसकी तत्काल सूचना पुलिस थाना विद्याधर नगर, जयपुर में दर्ज करवाई तथा विपक्षी को भी 09.02.2012 को ही सूचना दे दी गई । परिवादी के ताउजी का देहांत हो जाने के कारण वह 10.02.12 को पुष्कर चला गया और 11.02.2012 व 12.02.2012 को शनिवार व रविवार का अवकाश होने के कारण 13.02.2012 को विपक्षी से सम्पर्क कर डुप्लीकेट इंश्योरेंस पाॅलिसी मांगी जो विपक्षी ने परिवादी को दी । परिवादी ने परिवाद में वर्णित अनुतोष चाहा है ।
2. विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद का जवाब पेश करते हुए प्रश्नगत वाहन का बीमा होना स्वीकार किया गया है। विपक्षी ने जवाब में यह तथ्य वर्णित किए हैं कि परिवादी ने कथित चोरी की एफ.आई.आर. 17 दिन विलम्ब से 26.02.2012 को दर्ज करवाई व विपक्षी बीमा कम्पनी को 19 दिन विलम्ब से 28.02.2012 को सूचना दी गई । ऐसी स्थिति में बीमा संविदा की अवहेलना करने के कारण परिवादी को कोई क्लेम देय नहीं बनता है इसलिए परिवाद पत्र खारिज किया जावे ।
3. उपरोक्त तथ्यों पर दोनों पक्षों को सुना गया एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
4. विद्वान अधिवक्ता परिवादी की दलील है कि जो तथ्य परिवाद में वर्णित किए हैं उनके समर्थन में शपथ-पत्र व दस्तावेजात पेश किए गए हैं और सम्बन्धित दस्तावेजात का हवाला देते हुए परिवाद में वर्णित अनुतोष दिलवाए जाने की दलील दी है। परिवाद के समर्थन में निम्न नजीरें पेश की हैं:-
राज्य आयोग कटक का न्याय निर्णय जो सुकेशत्रा रंजन दास बनाम ब्रांच मैनेजर, न्यू इण्डिया एश्योरंेस कम्पनी लि0 एण्ड अनोदर
2007(3) सी पी आर 19 (एन सी) मैसर्स अड्डी इण्डस्ट्रीज बनाम न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0
बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण का सरक्यूलर दिनांक 20.09.2011
5. विद्वान अधिवक्ता विपक्षी की दलील है कि परिवादी ने बीमा शर्तो का उल्लंधन किया है । कथित वाहन की चोरी होने के पश्चात ना तो तुरन्त प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है और ना ही बीमा कम्पनी को शीघ्र सूचना दी गई और बीमा शर्तो का गम्भीर उल्लंधन होने की दलील देते हुए परिवाद खारिज करने की दलील दी है । अपनी दलील के समर्थन में विपक्षी की ओर से निम्न नजीरें पेश की गई हैं:-
ााा (2003) सी पी जे 77 (एन सी) देवेन्द्र सिंह बनाम न्यू इण्डिया इन्श्योरंेस कम्पनी लि0
प्ट ;2011द्ध सी पी जे 30 (एन.सी.) ग्यारसी देवी बनाम युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0
प्ट ;2012द्ध सी पी जे 441 (एन.सी.) न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम त्रिलोचन जैन
ा (2013) सी पी जे 71 (एन सी) विरेन्द्र कुमार बनाम न्यू इण्डिया एश्योरंेस कम्पनी लि0
ाा (2013) सी पी जे 189 (एन सी) कुलदीप सिंह बनाम इफको टोकिओ जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि0
ााा (2013) सी पी जे 497 (एन सी) लखन पाल बनाम यूनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0
ा (2014) सी पी जे 18 (एन सी) कमलजीत कौर बनाम युनाईटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लि0
ा (2014) सी पी जे 29 (एन सी) न्यू इण्डिया एश्योरंेस कम्पनी लिमिटेड बनाम रामअवतार
ाा (2013) सी पी जे 122 (एन सी) नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक
6. हमने उपरोक्त नजीरों का सम्मानपूर्वक अध्ययन किया तथा पत्रावली के तथ्यों के सम्बन्ध में पाया कि विपक्षीगण की ओर से केवल मुख्य आधार बीमा शर्तो के उल्लंधन का लिया गया है लेकिन परिवादी ने अपने परिवाद में जो तथ्य वर्णित किए हैं और उनके समर्थन में जो दस्तावेज पेश किए हैं उनमें मोटर साईकिल नंबर आर.जे.14 वी एस 5618 का रजिस्ट्रेश परिववादी ने पेश किया है जिसमें परिवादी का नाम रजिस्टर्ड स्वामी के रूप में वर्णित है और पाॅलिसी सॅंख्या 140382/31/10/01/00005105 में परिवादी के नाम बीमा किया गया है और वाहन सॅंख्या आर.जे.14 वी एस 5618 के लिए बीमा किया गया है तथा बीमित राशि 53,300/- रूपए वर्णित है तथा बीमा अवधि 24.03.2011 से 23.03.2012 तक दर्शाई गई है । उक्त पाॅलिसी की पुश्त पर 5000/- रूपए की सीमा तक एक्सेज क्लाॅज की शर्त अंकित की गई है ।
7. जहां तक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने का प्रश्न है परिवादी की ओर से नकल रपट रजिस्टर, जयपुर महानगर, उत्तर , जयपुर दिनांक 09.02.2012 प्रस्तुत की है जिसमें उक्त मोटर साईकिल के चोरी जाने का तथ्य वायरलेस आॅपरेटर को दर्ज करवाया जाना वर्णित है । प्रथम सूचना रिपोर्ट सॅंख्या 62/2012 अन्तर्गत धारा 379 पुलिस थाना, विद्याधर नगर में दर्ज की गई हेै। न्यायालय महानगर मजिस्ट्रेट, क्रम 34 द्वारा एफ.आर. 64/2012 स्वीकृत करना व इस सम्बन्ध में न्यायालय द्वारा पारित आदेश की प्रति भी पत्रावली पर परिवादी ने पेश की है और अनुसंधान के दौरान लेखबद्ध किए गए बयानों की प्रतियां भी प्रस्तुत की हैं । अत: प्रदर्श-3 वायरलेस से जो सूचना परिवादी द्वारा दी गई थी उससे पुलिस को मोटर साईकिल की पतारसी करने में कोई विलम्ब नहीं हुआ और कथित विलम्ब से विपक्षीगण को कोई लाभ नहीं मिलता है ।
8. जहां तक बीमा कम्पनी को समय पर सूचित किए जाने का प्रश्न है परिवादी ने अपने परिवाद के चरण सॅंख्या 4 में यह वर्णित किया है कि उसने बीमा प्रमाण-पत्र की डुप्लीकेट पाॅलिसी विपक्षीगण के कार्यालय से प्राप्त की थी और उस समय उसके द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया था कि उसका वाहन चोरी हो गया है । इस तथ्य के समर्थन में परिवादी ने शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है लेकिन उक्त शपथ-पत्र के जवाब में विपक्षीगण की ओर से ऐसा कोई शपथ-पत्र नहीं है जिससे स्पष्ट रूप से सूचना के तथ्य को इंकार किया गया हो । ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा सूचना बीमा कम्पनी को विलम्ब से दिए जाने का तथ्य भी विपक्षीगण प्रमाणित करने में असफल रहे हैं ।
9. परिवादी की ओर से प्रस्तुुत दस्तावेज से स्पष्ट होता है कि चोरी गई मोटर साईकिल बीमित थी और उक्त बीमित मोटर साईकिल के सम्बन्ध में बीमा में यह शर्त लिखी गई थी कि चोरी की स्थिति में बीमा राशि में से 5000/- रूपए कम किए जाएॅंगे जिसका पृष्ठांकन बीमा पाॅलिसी की पुश्त पर है ।
10. अत: परिवादी का यह परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है ।
आदेश
अत: परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकार किया जाकर विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह मोटर साईकिल आर.जे.14 वी एस 5618 की बीमित राशि 53300/- रूपए में से 5000/- रूपए कम करने के पश्चात शेष राशि 48300/- रूपए अक्षरे अडतालिस हजार तीन सौ रूपए परिवादी को अदा करेंगे तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुुत करने की दिनांक 09.11.2012 से अदायगी तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करेंगे। इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 3500/- रूपए अक्षरे तीन हजार पाॅंच सौ रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेंगे। परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (मिथलेश कुमार शर्मा)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 28.01.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (मिथलेश कुमार शर्मा)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष