समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-112/2013 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
उमेश चंद्र पुत्र श्री भैरव लाल निवासी-ग्राम-डिगरिया परगना,तहसील व जिला-महोबा परिवादी
बनाम
यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लि0 द्वारा शाखा प्रबंधक,यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लि0 शाखा कार्यालय 497 सदर बाजार झांसी जिला-झांसी 284001 विपक्षी
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादी उमेश चंद्र ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षी यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लि0 बाबत दिलाये जाने बीमित ध्नराशि व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है ।
संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि परिवादी उमेश चंद्र ग्राम-डिगरिया थाना-श्रीनगर जिला-महोबा का निवासी है तथा वह चार पच्हिया वाहन नई कार टाटा इंडिगो ई0सी0एस0/एल0एस0 इंजन नं0 पी 57493 व चेचिस नं0 जे 39113 का वाहन स्वामी है । परिवादी द्वारा उक्त वाहन को 5,50,000/-रू0 जे0एम0के0 मोटर्स महोबा को अदा कर के माह-अक्टूबर,2012 में व्यक्तिगत उपयोग व उपभोग हेतु क्रय किया गया था तथा उक्त वाहन का बीमा विपक्षी यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लि0 को 17,769/-रू0 प्रीमियम अदा कर के कराया था जो कि दिनांक-27.10.2012 से 26.10.2013 तक के लिये वैध था । यह बीमा पालिसी कंप्रेहेंसिव प्रक़ति का था । बीमा कंपनी द्वारा पालिसी जारी किये जाते समय वाहन को चोरी होने बीमा पालिसी में उल्लिखित धनराशि भुगतान करने का पूर्ण भरोसा दिया गया था । परिवादी अपने उपरोक्त वाहन को लेकर दिनांक-15.05-2013 को अपने मित्र के आवास-मुहल्ला–सिद्धार्थ नगर,बाबरपुर थाना-अजीतमल जिला-औरैया गया था । जहां पर उसने अपने मित्र के आवास के सामने अपने वाहन को लोक करके खड़ा कर दिया था लेकिन दिनांक-15.05.2013 को ही उक्त वाहन करीब 2:00 बजे रात्रि में अज्ञात चोरों द्वारा चोरी कर लिया गया था,जिसकी सूचना उसने थाना-अजीतमल जिला-औरैया में दी गई थी और धारा-379 भा0दं0सं0 के अंतर्गत मुकदमा कायम कराया गया था । पुलिस द्वारा इसकी विवेचना की गई थी । चोरी गये वाहन को न मिलने के कारण दिनांक-09.07.13 को इसमें अंतिम रिपोर्ट प्रेषित कर दी गई थी । चोरी की घटना की जानकारी विपक्षी बीमा कंपनी व जे0एम0के0मोटर्स,महोबा को दूरभाष पर व लिखित रूप से दिनांक-16.05.2013 को परिवादी को दे दी गई थी । तत्पश्चात विपक्षी बीमा कंपनी ने अपने सर्वेयर द्वारा उक्त घटना की जांच कराकर परिवादी से क्लेम आवेदन व वाहन की दोनों मूल चाबी व अन्य समस्त मूल कागजात प्राप्त किये थे तथा एक माह के बाद बीमित धनराशि मु0 5,13,200/-रू0 भुगतान किये जाने का पूर्ण भरोसा दिया था । तभी से परिवादी विपक्षी से लगातार संपर्क में है लेकिन विपक्षी ने पूर्व में किये गये वादे के विपरीत व्यापारिक कदाचरण करके सेवा में त्रुटि की है और माह-नवम्बर,2013 में क्लेम देने से स्पष्ट मना कर दिया है । ऐसी परिस्थति में परिवाद ने मा0 फोरम के समक्ष यह परिवाद प्रस्तुत किया है ।
विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत किया गया है,जिसमें उन्होनें परिवाद में कहे गये अभिकथन से इन्कार किया है तथा अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विधि तथा तथ्यों के विपरीत है तथा परिवादी द्वारा बिना किसी युक्तियुक्त आधारों पर गलत तथ्यों के आधार पर यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है । परिवादी ने अपने परिवाद में अपने वाहन टाटा इंडिगो र्इ0सी0एस0/एल0एस0 का इंजन नंबर व चेचिस नंबर दिया है लेकिन उसमें पंजीयन प्रमाण पत्र वाहन का प्रस्तुत नहीं किया । ऐसी स्थिति में स्पष्ट है कि उक्त वाहन घटना दिनांक को वैध रूप से पंजीक़त नहीं था । विपक्षी द्वारा यह भी कहा गया है कि वाहन की चोरी दिनांक-15.05.2013 को मुहल्ला-सिद्धार्थ नगर,बाबरपुर जिला-औरैया से चोरी किया जाना बताया है । जबकि इसके रिपोर्ट दिनांक-19.05.2013 को सायं 6:30 बजे थाना-अजीतमल में परिवादी के मित्र निवासी-अजीतमल द्वारा अंकित कराया जाना बताया जाता है । जबकि घटना की रिपोर्ट स्वयं एवं शीघ्र कराई जानी चाहिये । परिवादी के वाहन का अस्थाई पंजीयन दिनांक:15.04.2014 तक वैध था । इस घटना के बाद वाहन को बिना वैध पंजीयन के चलाया जाना अंतर्गत धारा-39 मो0वा0अधि0 दण्डनीय है तथा यह स्पष्ट रूप से बीमा शर्तों का उल्लंघन है । ऐसी परिस्थिति में विपक्षी को परिवादी के वाहन चोरी की सूचना विलंब से देना,वाहन का स्थाई पंजीकरण न कराया जाना तथा अन्य बिन्दुओं में परिवादी से स्पष्टीकरण मांगा था परन्तु उसके द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया इसलिये उसके क्लेम का निस्तारण नहीं किया जा सका और वह आज भी विचाराधीन है ।
इसके बाद विपक्षी बीमा कंपनी ने अतिरिक्त जबाबदावा प्रस्तुत किया है,जिसमें उन्होंने यह कहा है कि परिवादी द्वारा अपने वाहन का कथित घटना के समय व पूर्व मैक्सकाम होम कंपनी लि0 में वाणिज्यिक प्रयोग किया जा रहा था,जिसकी पुष्टि उनके अंवेषक श्री सोहन लाल गुप्ता,झांसी द्वारा की गई । इस प्रकार उनकी ओर से यह कहा गया है कि चूंकि परिवादी द्वारा अपने वाहन को बिना पंजीकरण कराये वाणिज्यिक उददेश्य से प्रयोग किया जाता है इसलिये उसका क्लेम आवेदन 17.11.2014 को नौ क्लेम कर दिया गया और ऐसी परिस्थिति में उन्होंने परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की है ।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं के शपथ पत्र कागज सं04ग/1 व 4ग/2, 20ग/1 लगायत 20ग/3 व 28ग/1 व 28ग/2 प्रस्तुत किये हैं तथा अभिलेखीय साक्ष्य में परिवादी के वाहन की बीमा पालिसी की छायाप्रति कागज सं07ग/1,प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति कागज सं07ग/2, अंतिम आख्या की छायाप्रति कागज सं07ग/3,बीमा कंपनी को दी गई सूचना की छायाप्रति कागज सं021ग एवं पालिसी सेडयूल की छायाप्रति कागज सं022ग दाखिल की गई है ।
विपक्षी की ओर से शपथ-पत्र द्वारा मण्डल प्रबंधक,यूनाईटेड इणिडया इंश्योरेंस कंपनी लि0 कागज सं015ग/1 व 15ग/2 एवं 24ग/1 व 24ग/2 दाखिल किया गया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से परिवादी को भेजे गये पत्रों की छायाप्रतियां 17ग/1 व 17ग/2,परिवादी के वाहन का सेल सर्टिफिकेट की छायाप्रति कागज सं019ग/2 तथा अस्थाई पंजीयन प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज सं019ग/3 दाखिल किया गया है । इसके अलावा विपक्षी द्वारा सूची कागज सं025ग/1 व 25ग/2 के द्वारा कुल 21 अभिलेख दाखिल किये है,जो कि कागज सं026ग/1 लगायत 26ग/29 है ।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को विस्त़त रूप से सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
उभय पक्ष को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादी उमेश चंद्र वाहन नई कार टाटा इंडिगो ई0सी0एस0/एल0एस0 इंजन नं0 पी 57493 व चेचिस नं0 जे 39113 का स्वामी है तथा उक्त वाहन का बीमा विपक्षी बीमा कंपनी से दिनांक-27.10.2012 से 26.10.2013 तक के लिये किया गया था,जिसकी पालिसी सं0 0822003112 पी 300786891 है । उभय पक्ष को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादी का उपरोक्त वाहन दिनांक-15.05.2013 को चोरी चला गया था ।
इस केस में तीन विचारणीय बिन्दु है कि प्रथम विचारणीय बिन्दु है कि क्या परिवादी/ वाहन स्वामी ने वाहन चोरी होने की सुचना समय से विपक्षी बीमा कंपनी व संबंधित पालिसी में दी थी अथवा नहीं ।
द्वितीय विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी द्वारा अपने वाहन का प्रयोग व्यावसायिक उददेश्य से किया जाता था ।
त़तीय विचारणीण बिन्दु यह है कि क्या दुर्घटना की तिथि को वाहन का स्थाई पंजीकरण न होने के कारण परिवादी को बीमा संबंधी लाभ पाने से वंचित किया जा सकता है ।
प्रथम विचारणीय बिन्दु के संबंध में यह पाया गया कि परिवादी का वाहन चोरी एक अन्य व्यक्ति श्री मुलायम सिंह द्वारा थाना-अजीतमल जनपद-औरैया में दिनांक-19.05.2013 को की गई थी जबकि वाहन की चोरी दिनांक-15.05.2013 को हुई थी । जैसा कि कागज सं0 7ग/2 से स्पष्ट है कि लेकिन विपक्षी बीमा कंपनी को परिवादी उमेश चंद्र ने यह सूचना दिनांक-16.05.2013 को ही दे दी थी,जैसा कि कागज सं021ग तथा सर्वेयर रिपोर्ट कागज सं0 26ग से स्पष्ट है । सर्वेयर श्री सोहन गुप्ता ने अपनी सर्वे रिपोर्ट जो कि कागज सं0 26ग/1 लगायत 26ग/7 है,में इसका पूरी तरह विवरण दिया गया है । ऐसी परिस्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि परिवादी ने चूंकि वाहन की चोरी होने की सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को निर्धारित अवधि को नहीं दी । इस कारण उसको बीमा क्लेम नहीं दिया जा सकता । तदनुसार यह विचारणीय बिन्दु परिवादी के पक्ष में ही निस्तारित किया जाता है ।
द्वितीय विचारणीय बिन्दु इस तथ्य का है कि परिवादी की और से अपना शपथ पत्र में यह कहा गया है कि वह उक्त वाहन को लेकर दिनांक-15.05.2013 को अपने मित्र के आवास मुहल्ला-सिद्धार्थनगर कस्बा-बाबरपुर थाना-अजीतमल जनपद-औरैया गया था,जिस पर उक्त वाहन उक्त मित्र के आवास के वाहर खड़ा कर दिया गया था लेकिन रात्रि 2-00 बजे अज्ञात चोर चुरा ले गये थे । इस प्रकार उसने अपने वाहन का व्यापारिक प्रयोग करना का माना गया है । जबकि विपक्षी बीमा कंपनी के अपने अतिरिक्त जबाबदावा में यह कहा है कि परिवादी अपने उक्त वाहन का व्यापारिक प्रयोग करता था और उसका यह वाहन मैक्सकाम होम्स लि0 कंपनी में लगी हुई थी और वह इसका व्यासायिक प्रयोग करता था । विपक्षी ने इसका आधार सर्वेयर कागज सं0 26ग/1 लगायत 26ग/29 को बनाया है । इसमें सर्वेयर ने गवाहान श्रीमती आदेश कुमारी,आदित्य कुमार,नितिन कुमार व उमेश कुशवाहा,राकेश खरे,आलोक तिवारी के बयानों का आधार बनाया है लेकिन सर्वेयर श्री सोहन गुप्ता,एड0 ने विपक्षी द्वारा कोई शपथ पत्र नहीं दाखिल नहीं कराया गया और न ही संबंधित गवाहान का कोई शपथ पत्र दिया गया । ऐसी परिस्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि परिवादी अपने वाहन का प्रयोग व्यापारिक उददेश्य से करता है । अंत- यह विचारणीय बिन्दु भी परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
त़तीय विचारणीय बिन्दु इस बात पर है कि दुर्घटना तिथि को उक्त वाहन का पंजीकरण नहीं था । परिवादी ने अपने वाहन को खरीदने के पश्चात वाहन का अस्थार्इ पंजीकरण कराया था,जो कि दिनांक-16.03.2013 से 15.04.2013 तक के लिये वैध था । इसके बाद परिवादी ने स्थाई पंजीकरण नहीं कराया और न इसके संबंध में कोई किसी प्रकार की प्रक्रिया लंबित थी । इस प्रकार घटना की चोरी दिनांक-15.05.2013 को उक्त वाहन का स्थाई पंजीकरण नहीं था । ऐसी परिस्थिति में बीमा कंपनी बीमित धनराशि देने के लिये बाध्य नहीं है । इस संबंध में विपक्षी बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता ने मा0 उच्चतम न्यायालय के निर्णय नरेन्द्र सिंह बनाम न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कं0 लि0 व अन्य 2014 5 ए0डब्लू0सी0 5122 सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में विश्वास व्यक्त किया है,जिसमें मा0सुप्रीम कोर्ट ने मत व्यक्त किया है कि यदि दुर्घटना तिथि को/चोरी की तिथि को वाहन का स्थाई पंजीकरण नहीं है तो यह क़त्य धारा-192 मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत केवल दंडनीय अपराध नहीं है अपितु बीमा पालिसी की शर्तो का उल्लंघन है और ऐसी परिस्थितियों बीमा कंपनी वाहन के संबंध में बीमित धनराशि देने के लिये बाध्य नहीं है । परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने इसके विपरीत मा0पंजाब एवं हरियाणा राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के निर्णय मुकेश कपूर बनाम भारतीय एक्सा जनरल इंश्योरेंस लि0 1 2014 सी0पी0जे0 4 पंजाब पर विश्वास व्यक्त किया जिसमें मा0 राज्य आयोग में यह निर्णय दिया है कि यदि वाहन पब्लिक प्लेस में नहीं चलाया जा रहा है और किसी व्यक्तिगत स्थान से वाहन चोरी हो जाता है तो वाहन की क्षतिपूर्ति देने के लिये बीमा कंपनी को छूट नहीं प्रदान नहीं की जा सकती है । चूकि मा0 उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट मत है कि यदि वाहन चलाये जाने के समय अथवा दुर्घटना/चोरी के समय वाहन का स्थाई पंजीयन नहीं है तो बीमा कंपनी बीमित धनराशि देने के लिये बाध्य नहीं है । ऐसी परिस्थिति में फोरम इस मत का है कि परिवादी के वाहन का पंजीयन दुर्घटना तिथि को नहीं था । चूंकि यह वाहन महोबा से अजीतमल जनपद-औरैया बिना पंजीकरण ले जाया गया ऐसी परिस्थिति में वह बीमा कंपनी में कोई बीमित धनराशि पाने का हकदार नहीं है तथा विपक्षी बीमा कंपनी ने कोई सेवा में त्रुटि नहीं की और ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है । पक्षकार अपना अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगें ।
डा0सिद्धेश्वर अवस्थी श्रीमती नीला मिश्रा बाबूलाल यादव
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा । जिला फोरम,महोबा ।
16.07.2015 16.07.2015 16.07.2015