Uttar Pradesh

Barabanki

CC/112/2019

Ramsaran - Complainant(s)

Versus

United India Ins. Co. Ltd. & G.B.A. - Opp.Party(s)

Yashveer Singh & D.P. Singh

02 Feb 2023

ORDER

Before, The District Consumer Disputes Redressal Commission
Collectorate Compound
Barabanki
Uttar Pradesh
 
Complaint Case No. CC/112/2019
( Date of Filing : 18 Jun 2019 )
 
1. Ramsaran
Madeenpur, Post-Tikaitganj, Pargana-Kursi, Tehsil-Fatehpur, Barabanki
Barabanki
Uttar Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. United India Ins. Co. Ltd. & G.B.A.
Shri Ram Market, 33 Cantt Road, Lucknow
Lucknow
Uttar Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjai Khare PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Meena Singh MEMBER
 HON'BLE MR. Dr. Shiv Kumar Tripathi MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Feb 2023
Final Order / Judgement

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       06.06.2019

अंतिम सुनवाई की तिथि            21.01.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  02.02.2023

परिवाद संख्याः 112/2019

 

रामसरन पुत्र मोहनलाल निवासी मदीनपुर पोस्ट टिकैतगंज परगना-कुर्सी तह0-फतेहपुर जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री यशवीर सिंह, अधिवक्ता

श्री देवेन्द्र प्रताप सिंह (तोमर), अधिवक्ता

 

बनाम

 

1.            शाखा प्रबन्धक महोदय, यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 श्रीराम मार्केट 33 कैन्ट रोड,   

               लखनऊ।

2.            शाखा प्रबंधक, ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त शाखा, कुर्सी बाराबंकी।

द्वारा-श्री श्रीकान्त शुक्ला, एडवोकेट (विपक्षी सं0-01)

श्री टी0 यू0 चैधरी, एडवोकेट (विपक्षी सं0-02)

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डा0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -कोई उपस्थित नहीं।

         विपक्षी सं0-01 की ओर से-श्री श्रीकान्त शुक्ला, एडवोकेट

         विपक्षी सं0-02 की ओर से-कोई नही

द्वारा-श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

निर्णय

                प्रस्तुत परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्व उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 धारा-12 के अन्तर्गत प्रस्तुत कर विपक्षीगण से बीमित भैंस की धनराशि रू0 65,000/- परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से 12 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान की तिथि तक तथा क्षतिपूर्ति रू0 20,000/-एवं अधिवक्ता शुल्क के रूप में रू0 11,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।

                परिवादी ने अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि उसने विपक्षी संख्या-02 से भैंस क्रय करने के लिये ऋण लिया था। ऋण पर क्रय की गई भैंस का बीमा विपक्षी संख्या-02 बैंक द्वारा विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी से कराया गया जिसकी पालिसी संख्या-0823004717पी 1100897572 थी जो दिनांक 31.10.2017 से 30.10.2020 तक की अवधि हेतु वैध था। प्रश्नगत भैंस की बीमा अवधि के दौरान दिनांक 04.12.2017 को दौरान इलाज मृत्यु हो गई। बीमित भैंस के कान में टैग संख्या-190007592971 लगाया गया था। बीमित भैंस की कीमत रू0 65,000/-थी। भैंस की मृत्यु की सूचना विपक्षीगण को दिये जाने व बीमा क्लेम संबंधी समस्त औपारिकतायें परिवादी द्वारा पूरी की गई इसके बावजूद विपक्षी संख्या-01 द्वारा कोई क्लेम नहीं दिया गया। विपक्षीगण को परिवादी द्वारा दिनांक 09.04.2019 को कानूनी नोटिस भी दी गई परन्तु विपक्षीगण द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

                परिवादी के तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से (1) रजिस्ट्री रसीद की मूल प्रति (2) नोटिस दिनांकित 09.04.2019 की छाया प्रति तथा बीमा पालिसी की प्रमाणित प्रति दाखिल किया है।

             विपक्षी संख्या-01 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये कहा गया है कि कर्ण छल्ला संख्या-592971 धारक पशु का दिनांक 31.10.2017 से 30.10.2020 की अवधि हेतु बीमा किया जाना स्वीकार है। परिवाद की धारा-02 लगायत 08 से इंकार किया गया है। विशेष कथन में विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी का यह कथन है कि बीमा अनुबन्ध की शर्त संख्या-5 यह प्राविधान करती है कि बीमा धारक अनुबंध की विषय वस्तु की उचित देखभाल उसी प्रकार से करेगा जैसा वह बीमा न होने की स्थिति में करता। अनुबंध भंग करने पर वह किसी भी लाभ को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा। प्रस्तुत प्रकरण में मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर अन्वेषण कार्य हेतु श्री सतीश कुमार रावत को नियुक्त किया गया  जिन्होंने दिनांक 06.01.2018 को अन्वेषण रिपोर्ट बीमाधारक गाँव के साक्षीगण आशीष कुमार, राकेश कुमार, संतोष, नैपाल सिंह तथा रामकिशोर के हस्ताक्षरित बयान व मृत पशु के छायाचित्र के साथ सौंपा। अन्वेषण निष्कर्ष संख्या-03 में उन्होंनें पाया कि उक्त भैंस बीमित ने हरिपाल सिंह निवासी मदीनपुर को बटाई में दे दिया था अर्थात मृत्यु के पूर्व उक्त भैंस बीमित के अधिकार क्षेत्र के बाहर थी। फोटो व भौंमिक सत्यापन से भैंस लम्बे समय से बीमा होना तथा उसका उपचार मरने की स्थिति में दिखावे के रूप में किया जाना पाया गया तथा यह भी पाया गया कि भैंस को चारा पानी लम्बे समय से नहीं दिया जा रहा था जिस कारण उसकी मृत्यु हुई है ऐसे में अन्वेषण रिपोर्ट के अनुसार उक्त दावा भुगतान योग्य नहीं पाया गया। बीमाधारक द्वारा बीमा की शर्तो को भंग किया गया है। बीमा कम्पनी द्वारा प्रश्नगत प्रकरण में नियमानुसार कार्यवाही करते हुये परिवादी का दावा निरस्त कर सूचना बैंक को प्रेषित कर दिया था। परिवादी का दावा नियमानुसार खारिज किया गया है। कोई सेवा में कमी नहीं है। अतः परिवाद को निरस्त किये जाने व परिवादी द्वारा बिना किसी वाद कारण के बीमा कम्पनी के विरूद्व परिवाद दाखिल करने के कारण अधिवक्ता फीस व वाद व्यय रू0 15,000/-परिवादी से दिलाये जाने की याचना की गई है। वादोत्तर के समर्थन में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा श्री रवि वर्मा शाखा प्रबंधक का शपथपत्र दिनांक 12.02.2020 दाखिल किया गया है। विपक्षी द्वारा अन्वेषक श्री सतीश कुमार रावत का शपथपत्र दिनांक 05.05.2022 भी दाखिल किया गया है।

                 विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सूची दिनांक 20.09.2022 से पत्र दिनांक 27.09.2018, क्लेम नोट, आदेश दिनांक 19.07.2018, सर्वे रिपोर्ट दिनांक 06.01.2018, पंचायत नामा, मृतक भैंस का छायाचित्र, पत्र दिनांक 19.12.2017, पशु दावा सूचना पत्र दिनांक 04.12.2017, क्लेम फार्म, वेटेनरी वैल्यूएशन सर्टिफिकेट, शव परीक्षण रिपोर्ट, ट्रिटमेन्ट चार्ट, रवन्ना, पशु स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की छाया प्रति दाखिल किया है।

              विपक्षी संख्या-02 बैंक द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये कहा गया है कि परिवादी द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार छल्ला सं0-592971 वाली भैंस की मृत्यु दिनांक 04.12.2017 को हो गयी थी। परिवादी द्वारा प्राप्त करायी गयी सूचना के आधार पर क्लेम फार्म प्राप्त होने पर दिनांक 19.12.2017 को मय कान का हिस्सा छल्ला सहित सूचना विपक्षी संख्या-01 को प्रेषित की गई। विपक्षी की सेवा में कोई कमी नहीं है। दावा निस्तारण का अधिकार विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी का है। परिवादी विपक्षी से माँगे गये अनुतोष को पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी ने भैंस क्रय करने हेतु ऋण लिया था। बीमा अवधि दिनांक 31.10.2017 से 30.10.2020 तक तथा बीमा धन रू0 65,000/-के लिये विपक्षी संख्या-01 यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी द्वारा किया गया था। उक्त भैंस की मृत्यु दिनांक 04.12.2017 को हो गयी। दावा के सम्बन्ध में दावा प्रपत्र मय कान का छल्ला सहित विपक्षी उत्तरदाता द्वारा विपक्षी संख्या-01 को पत्र दिनांकित 19.12.2017 के माध्यम से प्रेषित कर दिया गया था। दावा निस्तारण से विपक्षी उत्तरदाता का कोई सम्बन्ध नहीं है। परिवाद विपक्षी बैंक के विरूद्व निरस्त किये जाने की याचना की गयी है।

               दिनांक 17.08.2021 को विपक्षी संख्या-02 कि ओर से आदेश फलक पर अंकित किया गया है कि ‘‘ श्रीमान जी बैंक की ओर से कोई साक्ष्य नहीं देना है।‘‘

                  परिवादी द्वारा लिखित बहस दाखिल नहीं किया गया है।

                  विपक्षी संख्या-01 द्वारा लिखित बहस दाखिल किया गया है।

             सुनवाई के लिये नियत तिथि को परिवादी व विपक्षी संख्या-02 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी संख्या-01 की ओर से विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हुये। विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का परिशीलन किया गया।

                 प्रस्तुत मामले में परिवादी ने विपक्षी संख्या-02 (शाखा प्रबंधक ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त शाखा, कुर्सी बाराबंकी) से ऋण लेकर भैंस क्रय की थी जिसका बीमा विपक्षी संख्या-02 द्वारा विपक्षी संख्या-01 (शाखा प्रबंधक महोदय यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 श्रीराम मार्केट 33 कैन्ट रोड, लखनऊ) से रू0 65,000/-के लिये दिनांक 31.10.2017 से 30.10.2020 के लिये माइक्रो इंश्योरेन्स प्रोडक्ट कैटल इंश्योरेन्स पालिसी के तहत पालिसी संख्या-0823004717पी 1100897572 द्वारा कराया गया था। पशु कर्ण छल्ला संख्या-592971 आवंटित था। दिनांक 04.12.2017 को परिवादी के भैंस की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। परिवादी का कथन है कि भैंस की मृत्यु की सूचना विपक्षीजन को दिये जाने व बीमा क्लेम की समस्त औपचारिकतायें पूरी कर दिये जाने के बावजूद विपक्षी संख्या-01 द्वारा कोई क्लेम नहीं दिया गया। इस संबंध में विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी द्वारा अपने वादोत्तर में कहा गया है कि प्रस्तुत प्रकरण में पशु की मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी द्वारा तत्परता पूर्वक मामले में अन्वेषण कार्य हेतु श्री सतीश कुमार रावत को नियुक्त किया गया। अन्वेषक ने अपनी रिपोर्ट में अंकित किया कि ‘‘उक्त भैंस बीमित ने हरिपाल सिंह निवासी मदीनपुर को बटाई में दे दिया था। अर्थात मृत्यु के पूर्व उक्त भैंस बीमित के अधिकार क्षेत्र के बाहर थी।‘‘ विपक्षी संख्या-01 द्वारा बहस के दौरान बीमा अनुबन्ध की शर्त संख्या-5 पर बल दिया गया जिसमे यह प्राविधान है कि “The insured shall every ensure animal insured to have sufficient and proper food, water and shelter and shall keep secure all fences, wards sheds and stabling and shall at all times and to the best of his knowledge and ability use and exercise every due and proper precaution and safeguard against loss and danger or loss under this Policy; the intent and meaning of this condition being that each insured animal shall have same care and attention as when not insured” बहस के दौरान विपक्ष के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि परिवादी ने बीमा शर्तो का उल्लंघन किया है। अतः परिवादी को कोई लाभ पालिसी के आधार पर नहीं दिया जा सकता है। बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। अपने कथन की पुष्टि में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अन्वेषक श्री सतीश कुमार रावत का साक्ष्य शपथपत्र भी दाखिल किया गया।

            पत्रावली के परिशीलन से स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी द्वारा वादोत्तर दाखिल करने के उपरान्त अनेकों अवसर दिये जाने के बावजूद परिवादी द्वारा परिवाद पत्र के तथ्यों की पुष्टि में साक्ष्य का पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह सिद्व हो सके कि उसके द्वारा पशु की देखभाल में कोई कमी नहीं की गई व बीमा शर्तो के अनुसार अपने दायित्वों का पूर्ण निर्वहन किया जा रहा था। परिवादी के तरफ से कोई लिखित बहस भी प्रस्तुत नहीं की गई है और न ही सुनवाई के परिवादी का पक्ष रखने के लिये कोई उपस्थित हुआ। अन्वेषक ने अपनी आख्या में मौके पर साक्षियों के बयान अंकित करते हुये अपने निष्कर्ष में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि भैंस लम्बे समय से बीमार थी। उसकी बीमारी का इलाज केवल दिखावे के रूप में किया गया है। भैंस को चारा पानी नहीं दिया जा रहा था। अन्वेषक ने अपने अन्वेषण रिपोर्ट की पुष्टि में साक्ष्य शपथपत्र भी दाखिल किया है, इसके खंडन में परिवादी की ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।

              विपक्षी बीमा कम्पनी का तर्क है कि भैंस लम्बे समय से बीमार थी और उसका शरीर जर्जर हो चुका था। मृतक भैंस के दाखिल फोटोग्राफ से भी विपक्षी बीमा कम्पनी के इस कथन की पुष्टि होती है। इसके खंडन में परिवादी की ओर से कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया है।

             उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा भैंस को बटांई पर देकर भैंस की देखभाल के प्रति अपने उत्तरदायित्वों में लापरवाही बरती गयी है व बीमा शर्तो का उल्लघंन किया गया है। अतः विपक्षी संख्या-01 बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा अस्वीकार करके सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। तद्नुसार परिवाद अस्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश

   परिवाद संख्या-112/2019 अस्वीकार किया जाता है।

(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

              सदस्य                सदस्य           अध्यक्ष

 

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

            सदस्य                सदस्य                अध्यक्ष

 

दिनांक 02.02.2023

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Sanjai Khare]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MRS. Meena Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Dr. Shiv Kumar Tripathi]
MEMBER
 

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