जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 822/2011
उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम लि0,
अशोक मार्ग, लखनऊ।
द्वारा प्राधिकृत अधिकारी।
......... परिवादी
बनाम
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कं0 लि0,
आरिफ, चैम्बर कपूरथला, लखनऊ।
द्वारा मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक।
..........विपक्षी
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी से मरम्मत में आयी धनराशि रू.34,610.00 मय 12 प्रतिशत ब्याज, क्षतिपूर्ति हेतु रू.20,000.00, तथा वाद व्यय हेतु रू.10,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसके विभाग की एक एम्बेस्डर कार नं.यू0पी032 सी0आर0 8902 का बीमा विपक्षी विभाग द्वारा पाॅलिसी सं.80201/31/09/01000003/29 के तहत दिनांक 22.01.2010 से 21.01.2011 तक की अवधि के लिए किया गया था। संदर्भित कार जो कि लखनऊ से अम्बेडकर नगर विभागीय कार्य हेतु गई थी कि अचानक रास्ते में नीलगाय आ जाने के कारण क्षतिग्रस्त हो गयी थी जिसके संबंध में विपक्षी को यथावत सूचना प्रेषित की गई थी। विपक्षी को निर्देशानुसार मैसर्स स्पीड मोटर्स प्रा0 लि0 फैजाबाद रोड निकट चिनहट लखनऊ को वास्ते मरम्मत हेतु दिनांक 18.12.2010 को खड़ी की गयी थी और विपक्षी की समस्त वांछित औपचारिकताएं निभाते हुए क्लेम हेतु निवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन विपक्षी ने न तो कोई सूचना दी और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया। परिवादी विभाग द्वारा विपक्षी
-2-
को एस्टीमेट प्रस्तुत करते हुए प्रार्थना पत्र क्लेम निस्तारण किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया, लेकिन विपक्षी ने लापरवाही एवं सेवा में त्रुटि के चलते क्लेम का निस्तारण नहीं किया। परिवादी विभाग द्वारा विपक्षी को दिये गये प्रार्थना पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी और महाप्रबंधक उ0प्र0 पूर्व अंचल परिवादी विभाग को वाहन के अभाव में अत्यधिक असुविधा होने लगी जिसके लिए विपक्षी पूर्ण रूप से दोषी है। परिवादी विभाग द्वारा स्पीड मोटर्स लि0 को दिसम्बर 2010 में रू.34,610.00 का भुगतान करके वाहन प्राप्त किया गया। परिवादी विभाग द्वारा विपक्षी के कार्यालय में जानकारी प्राप्त की गयी तो पता चला कि विपक्षी ने दिनांक 05.04.2011 को बिना किसी आधार के तथा बिना किसी वैधानिक कारण के फर्जी रूप से नो क्लेम प्रदर्शित कर दिया जिसका कोई पत्र परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ। विपक्षी द्वारा वाहन दुर्घटना क्लेम को जानबूझकर निरस्त किया गया जिससे परिवादी को परेशानी उठानी पड़ी। अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी से मरम्मत में आयी धनराशि रू.34,610.00 मय 12 प्रतिशत ब्याज, क्षतिपूर्ति हेतु रू.20,000.00, तथा वाद व्यय हेतु रू.10,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी को रजिस्टर्ड नोटिस भेजी गयी, परंतु उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अतः उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही आदेश दिनांक 20.09.2013 के अनुसार चली।
परिवादी की ओर से श्री आर0के0 सिंह, प्राधिकृत अधिकारी, उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम लि0 का शपथ पत्र तथा 4 प्रपत्र परिवाद पत्र के साथ दाखिल किये गये।
परिवादी की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
अब देखना यह है कि क्या परिवादी की कार जिसका बीमा विपक्षी से था, बीमा अवधि के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, किंतु विपक्षी द्वारा परिवादी का दावा समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने का उपरांत भी स्वीकार न करके विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गयी अथवा नहीं, यदि हां, तो उसके प्रभाव।
परिवादी के कथनानुसार परिवादी के विभाग की कार नं.यू0पी032
-3-
सी0आर0 8902 विपक्षी कं0 द्वारा पाॅलिसी सं.80201/31/09/01000003/29 के तहत दिनांक 22.01.2010 से 21.01.2011तक के लिए बीमित थी और उक्त कार के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसे मरम्मत हेतु दिनांक 18.12.2010 को विपक्षी के निर्देशानुसार स्पीड मोटर्स प्रा0 लि0 में खड़ा किया गया और परिवादी द्वारा समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने पर भी विपक्षी द्वारा दावे के संबंध में कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया और फर्जी तरीके से नो क्लेम प्रदर्शित कर दिया। इस प्रकरण में यह भी उल्लेखनीय है कि विपक्षी को नोटिस भेजा गया, परंतु उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अतः उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही आदेश दिनांक 20.09.2013 के अनुसार चली। परिवादी की ओर से अपने कथन के समर्थन में श्री आर0के0 सिंह प्राधिकृत अधिकारी, उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम लि0 का शपथ पत्र दाखिल किया गया है जिसमें उन्होंने अपने शपथ पत्र से परिवाद पत्र के कथनों का समर्थन अवश्य किया है, किंतु सर्वप्रथम तो इस प्रकरण में दुर्घटना किस तिथि को हुई यह तथ्य अंकित नहीं है। इसके अतिरिक्त दुर्घटना की सूचना परिवादी द्वारा विपक्षी को कब दी गयी यह भी तथ्य अंकित नहीं है। इसके अतिरिक्त परिवादी ने अपने वाहन नं.यू0पी032 सी0आर0 8902 दर्शाया है, जबकि वाहन की बीमा पाॅलिसी में जिस कार का बीमित होना दर्शाया है उसका रजिस्ट्रेशन नं. यू0पी032 सी0क्यू0 8902 है। परिवादी की ओर से उपरोक्त तथ्यों के संबंध मंे कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सका है। इन परिस्थितियों में यह नहीं कहा जा सकता कि जो वाहन बीमा कं0 द्वारा बीमित था वही वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ। यही नहीं परिवाद में दुर्घटना की तिथि एवं क्लेम प्रस्तुत करने की तिथि के संबंध मंे कोई उल्लेख नहीं है। परिवादी के अनुसार वाहन को मरम्मत कराने में रू.34,610.00 का भुगतान स्पीड मोटर्स को किया गया, किंतु परिवादी की ओर से उक्त भुगतान करने के संबंध में कोई भी रसीद दाखिल नहीं की गयी है जिससे यह कहा जा सकता कि परिवादी द्वारा मरम्मत हेतु उपरोक्त धनराशि का भुगतान किया गया। स्पष्टतया परिवाद में कई कमियां है। यह भी उल्लेखनीय है कि परिवादी अनेक तिथियों से अनुपस्थित चल रहा है और दिनांक 09.04.2015 को यह आदेश पारित किया गया था
-4-
कि परिवादी अथवा उसके अधिवक्ता बहस करने हेतु अवश्य उपस्थित हो अन्यथा आदेश पारित कर दिया जायेगा। इस आदेश के बावजूद भी परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अतः परिवादी की इस परिवाद में कोई रूचि भी दृष्टिगत नहीं होती है। उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट होता है कि परिवाद में कई कमियां है जिनका कोई भी स्पष्टीकरण परिवादी की ओर से नहीं दिया गया है। इन परिस्थितियों में परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है।
आदेश
परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्ययभार स्वयं वहन करेंगे।
(अंजु अवस्थी) (विजय वर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
दिनांकः 22 मई, 2015