Uttar Pradesh

Barabanki

CC/152/2009

Banwari Lal - Complainant(s)

Versus

United India Ins. Co. Ltd. - Opp.Party(s)

S.K. Pandey & Others

13 Apr 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       23.11.2009

अंतिम सुनवाई की तिथि            28.03.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  13.04.2023

परिवाद संख्याः 152/2009

 

बनवारी लाल पुत्र स्व0 शिवमंगल अवस्थी निवासी ग्राम-गनेशपुर पोस्ट बहरामघाट तहसील-रामनगर जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री सतीश कुमार पाण्डेय, अधिवक्ता

                                        श्री आशुतोष कुमार पाण्डेय, अधिवक्ता

बनाम

शाखा प्रबंधक यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 मेन मार्केट जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री श्रीकान्त शुक्ल, अधिवक्ता

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री सतीश कुमार पाण्डेय, अधिवक्ता

              विपक्षीगण की ओर से-श्री श्रीकान्त शुक्ल, अधिवक्ता

द्वारा-डॉ0 शिव कुमार त्रिपाठी

 

निर्णय

 

            परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षी के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर विपक्षी से क्षतिपूर्ति रू0 1,20,610/- नौ प्रतिशत ब्याज सहित तथा दौड़ धूप, आने जाने में किराया भाड़ा, मानसिक, व शारीरिक क्षतिपूर्ति हेतु व वाद व्यय आदि के रूप में रू0 1,00,000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।

             प्रस्तुत परिवाद में दिनांक 10.05.2011 को जिला आयोग द्वारा निर्णय पारित किया गया था जिसके विरूद्व मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपील संख्या-1135/2011 योजित की गई। प्रश्नगत अपील में मा0 राज्य आयोग द्वारा दिनांक 25.08.2017 को जिला आयोग के निर्णय दिनांक 10.05.2011 को अपास्त करते हुये पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की गई कि जिला फोरम अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत सर्वेयर आख्या और प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत क्षतिपूर्ति के विवरण पर तुलनात्मक विचार कर उभय पक्ष को साक्ष्य का अवसर देकर पुनः विधि के अनुसार निर्णय पारित करें। मा0 राज्य आयोग के उपरोक्त निर्णय में उभय पक्षों को जिला आयोग के समक्ष दिनांक 05.10.2017 को उपस्थित होने हेतु भी निर्देशित किया गया। तत्क्रम में उभय पक्ष न्यायालय में उपस्थित हुये तथा वाद की पुनः सुनवाई की गई।

            परिवादी ने परिवाद में कथन किया है कि परिवादी ने अपनी दुकान स्थित गनेशपुर तहसील-रामनगर जनपद-बाराबंकी में सामान व बिल्डिंग का मु0 3,25,000/-का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 11.05.2009 को कराया था जिसकी पालिसी संख्या-080205/11/09/11/00000029 है। बीमा दिनांक 11.05.2009 से 10.05.2010 तक वैध था। परिवादी की दुकान(ढाबा) में भीषण बारिश व बाढ़ के कारण दिनांक 20.08.2009 से 25.08.2009 तक रू0 1,20,610/-का नुकसान हुआ। उपरोकत नुकसान की सूचना परिवादी द्वारा विपक्षी को दी गई, परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी को नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं की गई। विपक्षी द्वारा जांच हेतु सर्वेयर भेजा गया जिसमें परिवादी को यह जानकारी हुई कि सर्वेयर द्वारा गलत रिपोर्ट देकर बिल्कुल मामूली क्षतिपूर्ति का आंकलन किया गया है। परिवादी ने बाध्य होकर विपक्षी को पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित किया परन्तु विपक्षी द्वारा न तो नोटिस का उत्तर दिया गया और न ही बीमा क्लेम का भुगतान किया गया। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी ने स्टेट बैंक ड्राफ्ट नम्बर, एस. आर. नं. 523022 दिनांक 18.11.2009 मु0 200/-के बीमा, बीमा सर्वेयर की रिपोर्ट, नोटिस व प्रथम सूचना रिपोर्ट की छाया प्रतियाँ प्रस्तुत किया है।

         विपक्षी द्वारा वादोत्तर में कहा गया है कि परिवादी ने बीमा पॉलिसी में भवन तृतीय श्रेणी का था जिसके लिये रू0 2,00,000/-का तथा दुकान, जनरेटर, कुर्सी, मेज आदि के लिये रू0 1,25,000/-का बीमा कराया था। बीमा पॉलिसी में यह शर्त होती है कि बीमा धारक बीमित वस्तु की सुरक्षा एवं देखभाल उसी प्रकार से करेगा जैसा बीमा होने की स्थिति में करता है तथा बीमा के विषय वस्तु को अरक्षित नहीं छोड़ेगा एवं क्षति होने की दशा में संभावित क्षति होने का सार्थक प्रयास करेगा। बीमा धारक द्वारा विपक्षी को दिनांक 25.08.2009 को सूचित किया गया कि दिनांक 20.08.2009 को क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण उसकी दुकान तथा उसमे रखा हुआ सामान पूर्ण रूप से क्षति हो गई तथा सर्वे कराये जाने की प्रार्थना दिनांक 06.09.2009 को करते हुये क्लेम रू0 1,20,610/-क्षति का विवरण प्रस्तुत किया है। इसमे अनेक ऐसी वस्तुओं का भी क्लेम प्रस्तुत किया गया जो बीमा पॉलिसी में आच्छादित नहीं है। इस सूचना पर बीमा कम्पनी ने सर्वेयर अनुराग बी0 गुप्ता एण्ड एसोसिएट्स को जांच हेतु नियुक्त किया। दिनांक 20.10.2009 को सर्वेयर ने अपनी आख्या प्रस्तुत करते हुए परिवादी को रू0 19,900/-क्षतिपूर्ति दिलाये जाने के लिए आख्या दिया। इसके साथ ही सर्वे में खींचे गये छाया चित्र तथा कागजात भी प्रेषित किया। सर्वेयर की आख्या संलग्नक संख्या-3 व छाया चित्रों की छाया प्रतियां संलग्नक-04 सर्वेयर आख्या के अनुसार बीमा कम्पनी ने परिवादी को रू0 19,900/-की क्षतिपूर्ति स्वीकृत करते हुये बीमा धारक को नियमानुसार सूचित किया। दिनांक 22.11.2010 को बीमा धारक द्वारा बीमा कम्पनी को पत्र भेज कर प्राप्त धनराशि पर आपत्ति की गई। इस प्रकार बीमा पालिसी की शर्तो के अनुसार सर्वेयर आख्या में आंकलित क्षतिपूर्ति नियमानुसार उचित है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गई है। अतः परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गई है।

               विपक्षी ने सूची दिनांक 06.11.2017 से सर्वेयर रिपोर्ट व कुल 24 रंगीन छाया चित्र मूल रूप में दाखिल किये गये है।

               परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र दाखिल किया है।

               परिवादी द्वारा लिखित बहस दाखिल की है।

               विपक्षी द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई है।

               उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्को को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया गया।

          उभय पक्षों द्वारा यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी की दुकान का बीमा, विपक्षी बीमा कम्पनी के यहाँ पॉलिसी संख्या-080205/11/09/11/00000029 पर किया गया था। परिवादी ने बिल्डिंग कटेगरी ।।। तथा स्टाक्स में जेनरेटर, टेबल, चेयर इत्यादि का  मु0 3,25,000/-का बीमा, विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 11.05.2009 को कराया था। बीमा हेतु कुल प्रीमियम धनराशि रू0 914/-अदा की गई थी। बीमा दिनांक 11.05.2009 से 10.05.2010 की मध्य रात्रि तक वैध था। उभय पक्षों को दिनांक 20.08.2009 को बाढ़ आने का भी तथ्य स्वीकार है। दिनांक 20.08.2009 को गंभीर बाढ़ आने के कारण ढाबा  क्षतिग्रस्त होने और उस दिवस पर बीमा प्रभावी होना भी सर्वेयर रिपोर्ट से सिद्व है।

             परिवादी के दुकान में आई बाढ़ के फलस्वरूप जो नुकसान हुआ उसकी सूची परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई है जिसके अनुसार परिवादी को कुल रू0 1,20,610/-की बाढ़ से नुकसान/क्षति हुई। विपक्षी बीमा कम्पनी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा दिनांक 25.08.2009 को विपक्षी बीमा कम्पनी को सूचित किया गया कि दिनांक 20.08.2009 को क्षेत्र में आई बाढ़ के कारण उसके दुकान में रखा हुआ सामान क्षतिग्रस्त हो गया। परिवादी की सूचना पर विपक्षी द्वारा अनुराग वी. गुप्ता एसोसियेट को मामले की जांच हेतु सर्वेयर नियुक्त किया। सर्वेयर द्वारा दिनांक 20.10.2009 को प्रकरण में आख्या प्रस्तुत करते हुये कुल रू0 19,900/-की क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की संस्तुति किया। विपक्षी द्वारा सर्वे रिपोर्ट दिनांकित 01.10.2009 मूल रूप में तथा सर्वेयर द्वारा खींचे गये रंगीन छाया दाखिल किया गया है।

             सर्वेयर द्वारा दाखिल रिपोर्ट का गहन परिशीलन किया गया। सर्वेयर रिपोर्ट दिनांकित 01.10.2009 में मौके का मुआयना करके क्षतिग्रस्त सामानों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है किन्तु उक्त रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि केवल भवन, टिनशेड, डी. जी. सेट एवं फर्नीचर इत्यादि ही बीमित किये गये थे। ढाबा के लिये इस्तेमाल किये जाने वाली वस्तुएं, प्लास्टिक के फर्नीचर तथा विभिन्न खाद्य सामाग्री बीमित नहीं थी। सर्वेयर का यह कथन स्वीकार किये जाने योग्य है।

            सर्वेयर द्वारा बाढ़ की घटना की गंभीरता एवं उससे ढाबे को हुई क्षति की पुष्टि करते हुये क्षतिपूर्ति का तुलनात्मक निर्धारण पेज नं0-4/5 पर किया गया है जिसमे परिवादी द्वारा दावाकृत मूल्य एवं सर्वेयर द्वारा किया गया निर्धारण अंकित किया गया है किन्तु परिवादी द्वारा दावाकृत मूल्य को कम करने का कोई आधार सर्वेयर द्वारा नहीं दिया गया है। साथ ही सर्वेयर द्वारा क्षतिपूर्ति निर्धारण के उपरान्त लगभग दस प्रतिशत ह्रास मूल्य एवं दस प्रतिशत साल्वेज भी कम किया गया है। बिना किसी समुचित आधार के दावाकृत मूल्य में भी कमी किया जाना तथा उसके उपरान्त कुल मूल्य में ह्रास/साल्वेज भी कम किया जाना कत्तई न्यायोचित नहीं है। अतः परिवादी द्वारा जिन वस्तुओं का बीमा कराया गया था उन मदों में परिवादी द्वारा दावाकृत धनराशि का योग करके दस प्रतिशत ह्रास मूल्य एवं तदुपरान्त दस प्रतिशत साल्वेज कम किया जाना न्यायोचित होगा

            उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में सर्वेयर रिपोर्ट का परीक्षण किया गया। सर्वेयर रिपोर्ट में परिवादी द्वारा प्रस्तुत दावा धनराशि रू0 1,20,610/-में जिन सामानों का बीमा होना नहीं बताया गया है उसके मद में दावा की गई धनराशि को घटने पर बीमित सामग्रियों की दावा राशि मात्र रू0 74,364/-रह जाती है अर्थात सर्वेयर रिपोर्ट के अनुसार जिन सामग्रियों का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा किया गया था उसके लिये परिवादी द्वारा रू0 74,364/-की धनराशि क्लेम की गई थी। उक्त धनराशि पर 10 प्रतिशत ह्रास मूल्य की कटौती के उपरान्त धनराशि रू0 66,927.60 होती है जिस पर दस प्रतिशत साल्वेज की भी कटौती किये जाने के उपरान्त कुल धनराशि रू0 60,234.84 अर्थात रू0 60,235/-होती है जिस पर बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का दावा स्वीकृत किया जाना न्यायोचित है। सर्वेयर द्वारा बिना किसी आधार के परिवादी द्वारा क्लेम की गई धनराशि में कमी की गई है तथा बीमा कम्पनी द्वारा अनुचित आधारों पर किये गये सर्वे रिपोर्ट के आधार पर परिवादी के क्लेम का भुगतान न करके सेवा में स्पष्ट कमी की गई है जिसकी क्षतिपूर्ति के लिये विपक्षी बीमा कम्पनी दायित्वाधीन है। अतः परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्व आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है। 

आदेश

            परिवाद संख्या-152/2009 आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को बीमा धनराशि रू0 60,235/-(रूपये साठ हजार दो सौ पैंतिस) नियमानुसार परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 23.11.2009 से अंतिम भुगतान की तिथि तक छह प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से पैंतालिस दिन के अंदर अदा करें। उपरोक्त निर्धारित अवधि में धनराशि न देने पर नौ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज देय होगा। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 10,000/-(रूपये दस हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 5,000/-(रूपये पाँच हजार) भी पैंतालिस दिन में अदा करेगें।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)           (संजय खरे)

        सदस्य                       सदस्य                   अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)           (संजय खरे)

        सदस्य                       सदस्य                   अध्यक्ष

 

दिनांक 13.04.2023

 

 

 

 

 

 

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