Rajasthan

Nagaur

CC/110/2015

Hemraj Saini - Complainant(s)

Versus

United Indai Ins Com Ltd - Opp.Party(s)

Sh Vikram Joshi

24 Feb 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/110/2015
 
1. Hemraj Saini
Maliyo ki Dhani,makrana
Nagaur
Rajasthan
...........Complainant(s)
Versus
1. United Indai Ins Com Ltd
Makrana,nagaur
Nagaur
Rajasthan
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Amarchand Singhal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 
For the Complainant:Sh Vikram Joshi , Advocate
For the Opp. Party: sh.d.m.singvi, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 110/2015

 

हेमराज पुत्र श्री गोपीराम, जाति-सैनी माजी, निवासी- मालियो की ढाणी, तहसील मकराना, जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                               -परिवादी     

बनाम

 

1.            यूनाईटेड इंडिया इंष्योरेन्स कम्पनी लि. जय षिव चैक स्टेषन रोड मकराना द्वारा षाखा प्रबन्धक

                                             -अप्रार्थी 

 

समक्षः

1. श्री अमरचन्द सिंघल, आर.एच.जे.एस., अध्यक्ष।

2. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री विक्रम जोषी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री दषरथमल सिंधवी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                              आ  दे  ष                      दिनांक 24.02.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अपने वाहन मारूति 800 पंजीयन संख्या आर जे 14, 8सी 0715 का बीमा प्रीमियम 1956 रूपये भरकर अप्रार्थी से 61400 रू की बीमा राषि हेतू दिनांक 15.12.2013 से 14.12.2014 तक बीमित करवाया । परिवादी का उक्त वाहन दिनांक 08.10.2014 - 09.10.2014 के मध्य रात्रि को चोरी हो गया।जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट नम्बर 341/2014 दिनांक 09.10.2014 पुलिस थाना मकराना मेे दर्ज करवायाी गयाी व मांगे जाने प्ष्र आवष्यक दस्तावेज भी उपलब्ध करवा दिये। मूल पाॅलिसी  बाॅण्ड एवं मूल पंजीयन पत्र उपलब्ध नही था क्योकि यह दोनों दस्तावेज वाहन के साथ चोरी हो गये थें।जिसका उल्लेख प्रथम सूचना रिपोेर्ट में है। किन्तु अप्रार्थी बीमा कंपनी परिवादी को क्लेम नही दे रही है जो अप्रार्थी का कृत्य अनुचित सेवा व्यवहार एवं सेवा की कमी में आता है। अतः परिवाद में अंकितानुसार अनुतोश दिलाया जावें।

2.            प्रतिपक्षी के जवाब के सार संकलन के अनुसार प्रतिपक्षी द्वारा परिवादी के अभिकथनों को स्वीकार करते हुए परिवाद परिवादी मय खर्चा खारिज किये जाने की प्रार्थना की।

 

3.            दोनो पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ पत्र एवं दस्तावेज प्रस्तुत किए गए है।

 

4.            बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।

 

5.            अभिलेख पर उपलब्ध बीमा पाॅलिसी की प्रति से यह स्पस्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थी को 1956 रू अदाकर अपना वाहन 61400/रू की मूल्य राषि हेतू परिवाद में अंकित अवधि के लिए बीमित करवा कर बीमा सेवा प्राप्त की। अतः परिवादी अप्रार्थी के उपभोक्ता की श्रैणी मेें आता है एवं यह परिवाद इस मंच की श्रवणाधिकार में है। व हस्तगत विवाद उपभोक्ता विवाद है।

 

6.            योग्य अधिवक्ता प्रतिपक्षी की ओर से न्याय निर्णय न्यू इंडिया इंष्योरेन्स कम्पनी बनाम त्रिलोचन जाने(छब्) प्रस्तुत कर तर्क दिया है कि परिवादी ने बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की सूचना देरी से दी है। इसलिए परिवादी का क्लेम निरस्त किया जाना उचित है। अभिलेख के अवलोकन से यह पाया जाता है कि प्रतिपक्षी के एओ मोहनलाल ने अपनी रिपोर्ट जो स्वयं प्रतिपक्षी बीमा कम्पनी ने पेष की है के अनुसार परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना दिनांक 09.10.2014 को दे दी गई एवं समस्त जांच के पष्चात् बीमा कम्पनी के षाखा प्रबन्धक द्वारा परिवादी का क्लेम 41750 रूपये के लिए अनुमोदित कर दिया व परिवादी को इसकी सूचना देते हुए परिवादी से निम्न पांच दस्तावेज मांगे।ः-

 

(1.)         त्ण्ब्ण् ैनततमदकतं पदंिअवनत व िबवउचंदल

(2.) न्दजतंबम त्मचवतज (च्तमेमदज ैजंजने त्मचवतज)

(3.) स्मजजमत व िैनइतवहंजपवद

(4.) व्तपहपदंस पदअवपबम

(5.) व्तपहपदंस च्वसपबल ठवदक                                  

 

7.            अप्रार्थी की इस रिपोर्ट से अप्रार्थी के तर्क कि चोरी की सूचना देरी से दी स्वतः खण्डित हो जाता है एवं पुनः अप्रार्थी द्वारा परिवादी का क्लेम 41750 रूपये के लिए अनुमोदित करने से पुनः खण्डित हो जाता है। इसके साथ-साथ अप्रार्थी के अभिकथनों में ऐसी कोई आपति नहीं है।

8.            प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से यह सुस्पश्ट है कि मूल पाॅलिसी बाॅन्ड एवं मूल पंजीयन पत्र वाहन के साथ चोरी हो गया। वाहन के पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति के अवलोकन से यह स्पश्ट है कि परिवादी ने यह वाहन मूल क्रेता से सेकिन्ड हेन्ड खरीदकर अपने नाम अंतरित करवाया है। अतः वाहन की मूल इनवाॅइस परिवादी के पास होना संभव नहीं है। क्यूएसटी रिपोर्ट एवं अनट्रेस रिपोर्ट की प्रतियां अभिलेख पर उपलब्ध है। पुलिस द्वारा अंतिम प्रतिवेदन दे दिया गया है। जिसे सक्षम न्यायालय द्वारा स्वीकार किया जा चुका है। जिसकी सूचना एवं प्रतियां परिवादी ने बीमा कम्पनी को उपलब्ध करवा दी है। सबरोगेषन पत्र परिवादी निश्पादित करने का तैयार है तदपि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को क्लेम नहीं देना एवं उसे मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने हेतु विवष करना एवं मंच के समक्ष चोरी की सूचना देरी से देने का कथन करना एवं मूल्य राषि (बीमा धन 61400/- रूपये) से कम राषि अनुमोदित करना जिसका कोई कारण अपने जवाब परिवाद एवं अंतिम बहस में नहीं बताना आदि समस्त तथ्य अप्रार्थी बीमा कम्पनी के अनुचित व्यवहार एवं सेवा में कमी को प्रमाणित करता है।

अतः परिवाद परिवादी स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।

 

आदेश

 

9.            परिणामतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थी स्वीकार कर आदेष है कि अप्रार्थी एक माह की अवधि मेंः-

-परिवादी को वाहन आर जे 14- 8 सी 0715 के बीमा मूल्य राषि 61400/- रूपये मय ब्याज 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण दर से दिनांक प्रार्थना पत्र 21.05.2015 से अदा करें।

-मानसिक संताप एवं वाद परिव्यय निमित 5000/- रूपये अतिरिक्त अदा करें। एक माह पष्चात् इस राषि पर भी आज से 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज की दर से ब्याज देय होगा।

-परिवादी राषि प्राप्ति से पूर्व अप्रार्थी को आवष्यक दस्तावेज सबरोगेषन पत्र आदि निश्पादित करके देगा।

-परिवादी का  षेश अनुतोश निरस्त समझा जावे।

-वाहन मिलने पर वाहन बीमा कम्पनी की सम्पति रहेगा। इस सम्बन्ध में बीमा कम्पनी परिवहन विभाग में आवष्यक कार्यवाही के लिए स्वतंत्र है एवं इस सम्बन्ध में यदि कोई दस्तावेज परिवादी से निश्पादित करवाना हो तो राषि अदायगी के समय परिवादी से निश्पादित करवा सकेगा जिसके लिए परिवादी पाबंद रहेगा।

 

10.          निर्णय व आदेष आज दिनांक 24.02.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

 

नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।                              ।अमरचन्द सिंघल।              

सदस्य                                      अध्यक्ष                  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Amarchand Singhal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER

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