सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या-141/2019
Anurag Gupta son of late Prof. Dr. Mahesh Chandra Gupta, resident of 4/16-A, Bagh Farzana, Agra-282002.
परिवादी
बनाम्
Unitech Ltd., Grande Pavillion, Sector 96, Express way, Near Amity Management School, Noida-201305 (UP) (Service to be affected upon the Manager or upon any other person who at the time of service of notices is in control or management).
विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
परिवादी की ओर से : श्री नवीन कुमार तिवारी, विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से : श्री मो0 रफी खां, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 12.02.2020
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद, जमा धनराशि की मय ब्याज वापसी हेतु योजित किया गया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने विपक्षी की परियोजना यूनिहोम्स फेस II सेक्टर 117 नोएडा के विज्ञापनों से आकृषित होकर भूतल पर स्थित एक फ्लैट संख्या-07 की बुकिंग हेतु आवेदन किया तथा 02,21,068/- रूपये जमा किये। परिवादी एवं विपक्षी के मध्य फ्लैट बायर एग्रीमेंट दिनांक 13.07.2009 को निष्पादित किया गया। विपक्षी ने अपने ब्रोशर तथा अपने विज्ञापन एवं बुकिंग के समय परिवादी को यह प्रदर्शित किया कि फ्लैट का कब्जा 02 वर्ष में प्रदान कर दिया जाएगा। इस प्रकार फ्लैट का कब्जा जुलाई 2011 तक दिया जाना था। परिवादी को प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर दिनांकित 13.07.2009 भी प्राप्त कराया गया। परिवादी ने विपक्षी द्वारा मांगी गयी किस्तों का भुगतान किया, किंतु जुलाई 2011 कब्जा देने की प्रस्तावित समय के पश्चात् 08 वर्ष बीत जाने के बावजूद परिवादी को उपरोक्त फ्लैट का कब्जा प्रदान नहीं किया गया। परिवादी परियोजाना स्थल पर कई बार गया विशेष रूप से कब्जा दिये जाने की प्रस्तावित तिथि के बाद उसने जानकारी प्राप्त की कि कब्जा कब तक प्राप्त कराया जाएगा। परिवादी को बताया गया कि 06 माह पश्चात् अर्थात् जनवरी 2012 तक प्रदान किया जाएगा। 06 माह बीत जाने के उपरांत परिवादी फरवरी 2012 में पुन: परिवादी परियोजना स्थल पर गया तब परिवादी को सूचित किया गया कि जुलाई 2012 तक कब्जा प्रदान किया जाएगा। परिवादी ने जुलाई 2012 में सम्पर्क किया, परिवादी को दिसम्बर 2013 तक कब्जा प्रदान किये जाने की सूचना दी गयी। परिवादी द्वारा कब्जा प्रदान करने हेतु सूचित की जा रही तिथियों की वैधता के विषय में पूछे जाने पर परिवादी को विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा सूचित किया गया कि विपक्षी कम्पनी के निदेशक के ऊपर गंभीर वित्तीय सकंट है, अत: कब्जा प्रदान करने की कोई विशिष्ट तिथि नहीं बताई जा सकती। परिवादी के कथनानुसार वर्तमान समय में मात्र डी-2 बिल्डिंग का ढांचा ही खड़ा है, जैसी स्थिति जुलाई 2009 में थी। इस प्रकार विपक्षी ने पिछले 10 वर्ष के मध्य कोई निर्माण कार्य नहीं किया तथा अपने उपभोक्ताओं को झूठा आश्वासन दिया गया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा अनुचित व्यापार प्रथा कारित करते हुए सेवा में त्रुटि की गयी। परिवादी द्वार बड़ी धनराशि की अदायगी के बावजूद विपक्षी द्वारा प्रश्नगत फ्लैट के संबंध में वर्ष 2011 से कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी के कर्मचारियों को दिनांक 20.06.2016, 25.07.2016, 21.10.2016, 18.01.2017 एवं दिनांक 07.09.2017 को पत्र प्रेषित किये गये, किंतु विपक्षी द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। परिवादी के कथनानुसार परिवादी द्वारा कुल 21,64,608/- रूपये विपक्षी को भुगतान किया जा चुका है। परिवादी इस धनराशि पर कब्जा प्रदान किये जाने की तिथि से 24 प्रतिशत वार्षिक ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। फ्लैट संख्या-07 परिवादी ने अपने संयुक्त परिवार कर्ता के रूप में बुक कराया था। अत: कब्जा प्रदान करने की तिथि जुलाई 2011 से 24 प्रतिशत ब्याज सहित 63,20,655/- रूपये, दो लाख रूपये मानसिक उत्पीड़न के संदर्भ में क्षतिपूर्ति के लिए एवं 50,000/- रूपये वाद व्यय के रूप में दिलाए जाने का अनुतोष परिवादी द्वारा चाहा गया है।
विपक्षी पर नोटिस की तामीला प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने हेतु करायी गयी। विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मो0 रफी खां द्वारा वकालतनामा दाखिल किया गया, किंतु विपक्षी द्वारा कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।
परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया है, जिसके द्वारा परिवाद के अभिकथनों की पुष्टि की गयी है। इसके अतिरिक्त परिवादी ने प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर दिनांकित 13.07.2009 की नोटरी द्वारा प्रमाणित प्रति परिवाद के साथ संलग्नक ए-1 लगायत ए-20 के रूप में, एप्लिकेशन फार्म, प्रोविजनल एलाटमेंट डाक्यूमेंट्स, टर्म एण्ड कण्डिशन्स की प्रति संलग्नक ए-21 लगायत ए-49 के रूप में, संलग्नक ए-50 लगायत ए-53 परिवादी द्वारा विपक्षी को भेजी गयी नोटिस की नोटरी द्वारा प्रमाणित फोटोप्रतियां दाखिल की गयी हैं।
परिवादी ने विपक्षी को किये गये कुल भुगतान का विवरण परिवाद की धारा 5 में अंकित किया है तथा इस तथ्य की पुष्टि अपने शपथपत्र द्वारा की है। विपक्षी की ओर से परिवादी के अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए कोई प्रति शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, अत: परिवादी द्वारा विपक्षी को भुगतान किये जाने के संदर्भ में परिवादी के अभिकथन स्वीकार किये जाने योग्य हैं।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री मो0 रफी खां के तर्क सुने।
परिवादी ने कुल जमा की गयी धनराशि पर कब्जा प्रदान करने की तिथि जुलाई 2011 से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक 24 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान कराये जाने की मांग की है। मांगी गयी ब्याज की यह दर अत्यधिक है। मामलें के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में परिवादी को 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिलाया जाना न्यायोचित होगा। क्योंकि परिवादी को जमा की गयी धनराशि मय ब्याज दिलायी जा रही है, अत: क्षतिपूर्ति के रूप में अतिरिक्त धनराशि दिलाए जाने का कोई औचित्य नहीं होगा। 10,000/- रूपये वाद व्यय के रूप में दिलाया जाना भी उपर्युक्त होगा। परिवाद तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद, आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की प्रति प्राप्ति की तिथि से 45 दिन के अन्दर परिवादी को 21,64,608/- (इक्किस लाख चौसठ हजार छ: सौ आठ रूपये) का मय ब्याज भुगतान करें। विपक्षी को यह भी ओदशित किया जाता है कि इस धनराशि पर दिनांक 01.07.2011 से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक परिवादी विपक्षी से 15 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज प्राप्त करने का भी अधिकारी होगा। विपक्षी को यह भी ओदशित किया जाता है कि परिवादी को 10,000/- रूपये वाद व्यय के रूप में भी उपरोक्त अवधि में भुगतान करें।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1