राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
निष्पादन वाद संख्या 15 सन् 2012 सुरक्षित
1-मेसर्स सैय्यद हुसैन ताहिर काजमी उम्र लगभग 65 वर्ष पुत्र स्व0 सैय्यद मो0 ताहिर काजमी निवासी-4/1382 लेन नं0-7, सरसैय्यद नगर, अलीगढ़ यू0पी0।
2-डा0 सैय्यद जाफर ताहिर काजमी, उम्र लगभग 35 वर्ष पुत्र डा0 सैय्यद हसन ताहिर काजमी, निवासी-4/1382, लेन नं0-7 सरसैय्यद नगर, अलीगढ़ यू0पी0 पिन-202002 .......निष्पादनकर्ता
बनाम
1- रमेश चन्द्रा ( चेयरमैन) यूनीटेक लिमिटेड यूनिटेक हाऊस,एल- ब्लाक, साऊथ सिटी-1, जिला गुड़गांव, हरियाणा, पिन-122001
2-संजय चन्द्रा ( मैनेजिंग डायरेक्टर) यूनीटेक लिमिटेड यूनिटेक हाऊस,एल- ब्लाक, साऊथ सिटी-1, जिला गुड़गांव, हरियाणा, पिन-122001
3-अजय चन्द्रा ( मैनेजिंग डायरेक्टर) यूनीटेक लिमिटेड यूनिटेक हाऊस,एल- ब्लाक, साऊथ सिटी-1, जिला गुड़गांव, हरियाणा, पिन-122001
4-रानी बनर्जी (जनरल मैनेजर) यूनीटेक लिमिटेड, यूनिटेक हाऊस,एल- ब्लाक, साऊथ सिटी-1, जिला गुड़गांव, हरियाणा, पिन-122001
5-एम0के0 बब्बर (जनरल मैनेजर कार्मिशियल) यूनीटेक लिमिटेड, यूनिटेक पी0-7, सेक्टर-18, नोयडा, जिला गौतमबुद्धनगर, यू0पी0।
प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष।
2-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, सदस्य।
2-मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, सदस्य।
अधिवक्ता निष्पादनकर्ता : श्री अमृत प्रीत सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : श्री मोहित जौहरी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 16-12-2014
मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
मौजूदा प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया गया है कि परिवादी ने एक परिवाद संख्या-10/2011 विपक्षीगण के विरूद्ध अर्न्तगत धारा-17 कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट में दाखिल किया है, जिसमें दिनांक-08-02-2011 को आदेश किया गया है, जो कि संलग्नक-1 है। परिवादी को फ्लैट का कब्जा न मिलने से परेशान है और प्रत्यर्थीगण के यहॉ जो रूपया जमा है, उससे ऐश कर रहें हैं। कम्पनी ने
(2)
कोई सख्त एक्शन माननीय आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांकित-08-02-2011 के लागू करने में नहीं लिया है। अत: माननीय आयोग द्वारा जिला कलेक्टर को आदेश जारी किया जाय कि वह प्रत्यर्थी से रूपया वसूल लें।
इस सम्बन्ध में पक्षकारों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया। संलग्नक-1 दिनांक-08-02-2011 का आदेश है, जिसमें यह कहा गया है कि प्रत्यर्थी को नोटिस जारी किया जाय, जो 6 सप्ताह के अर्न्तगत परिवादी के रूपये को नोटिस की प्राप्ति होने की तिथि से परिवादी को लौटा दें अथवा यह कारण लिखित रूप से शपथ पत्र के साथ यह बतावें कि 30 लाख रूपये जो परिवादी द्वारा मांगा गया है, उसको रिफन्ड क्यों न कर दिया जाय।
इस सम्बन्ध में परिवादी का केस चला और उसमें साक्ष्य पक्षकारों ने दाखिल किया, इस केस का निर्णय गुणदोष के आधार पर दिनांक-09-12-2014 को हो चुका है और इस प्रकार से आदेश दिनांक-08-02-2011 के क्रियान्वयन का अब कोई औचित्य नहीं है और इसमें परिवादी के तरफ से समय-समय पर इस आदेश के निष्पादन के बारे में कोई अलग से प्रार्थना पत्र नहीं दिया गया है और मूल परिवाद केस में निर्णय हो जाने के बाद अंतरिम आदेश जो परिवाद केस में दिनांक-08-02-2011 को पारित किया गया था, उसको लागू करने का कोई औचित्य नहीं है और 30 लाख रूपये दिनांक-08-02-2011 को देने अथवा उसका जवाब देने के लिए प्रतिवादी/प्रत्यर्थी को आदेश किया गया था, वह सारहीन हो चुका है, अब इसका कोई औचित्य नहीं रह गया है और हम यह पाते है कि निष्पादन केस उपरोक्त तर्को के आधार पर खारिज होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत निष्पादन केस खारिज किया जाता है।
( न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह ) (अशोक कुमार चौधरी) ( आर0सी0 चौधरी )
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा आशु0-ग्रेड-2
कोर्ट नं0-1