सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या- 342/2016
- Rajesh Sinha Adult S/o J.P. Sinha House No. 46/C, Tilak Nagar Colony, Nathmalpur Post-Gorakhnath, Gorakhpur.
- Smt. Deepti Sinha, Adult, W/o Sri Rajesh Sinha House No. 46/C, Tilak Nagar Colony, Nathmalpur Post Gorakhnath, Gorakhpur.
परिवादीगण
बनाम
- Unitech Limited, Basement, 6, Community Centre Saket, New Delhi, Through its Managing Director.
- Unitech Limited, UGCC Pavillion, Sector-96, Express Way (Near Amity Management School) Noida (U.P) Through its Managing Director..
विपक्षीगण
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता, श्री राम गोपाल
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता श्री मोहम्मद रफी खान
दिनांक-. 31-12-2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान परिवाद परिवादीगण, Rajesh Sinha और Smt. Deepti Sinha ने विपक्षीगण Unitech Limited, Basement, 6, Community Centre Saket, New Delhi, Through its Managing Director. एवं Unitech Limited, UGCC Pavillion, Sector-96, Express Way (Near Amity Management School) Noida (U.P) Through its Managing
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Director के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-.
- That this Hon’ble Commission may kindly be pleased to direct the Opp Parties either to refund the deposited amount of Rs. 20,80,994/- along with 18% interest from the date of deposit till the date of actual payment or in the alternative direct the Opp. parties to allot any other alternative flat of same specification & cost in its any other scheme which is complete in all respect.
- That a sum of Rs. 1,20,000/- (Rs. 20,000/- per month from apr 16 to sep 16) as an rent to be paid is an absence of not readiness of flat and this will continue till flat handover with escalation of @ 10% per year.
- That a sum of Rs. 1,00,000/-may also be awarded to each of the complainants against the Opp Parties on account of compensation for mental tension and agony as inflicted due to deficient services of Opp. parties.
- That the cost of suit amounting to Rs. 25,000/- may also be awarded to the complainants against the Opp. parties.
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- That any other relief deemed fit and appropriate under the facts and circumstances of the case may also be awarded to the complainants against the Opp parties.
परिवाद-पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि वे पति-पत्नी हैं और उन्होंने विपक्षीगण की ग्रुप हाउसिंग परियोजना यूनीहोम्स-3 सेक्टर 113 नोयडा में 4,14,000/-रू० दिनांक 15-01-2013 को जमा कर फ्लैट आवंटन हेतु पंजीकरण कराया। दिनांक 15-01-2013 को ही प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर विपक्षीगण ने जारी किया और परिवादीगण को फ्लैट नं० 902, 9th floor, टावर 0C2 Block 00C, यूनीहोम्स-3 सेक्टर 113, नोयडा में 45,72,422/-रू० मूल्य का एलाट किया। एलाटमेंट लेटर जारी होने के बाद विपक्षीगण ने दिनांक 02-02-2013 को औपचारिक एलाटमेंट लेटर परिवादीगण के नाम उपरोक्त फ्लैट के लिए जारी किया और 16,50,224/-रू० के भुगतान हेतु परिवादीगण को डिमाण्ड नोटिस भेजा। तब परिवादी संख्या-1 ने आई०सी०आई०सी०आई० बैंक में ऋण हेतु आवेदन किया और बैंक ने उसे लोन स्वीकृत किया जिसके अनुसार दिनांक 28-02-2013 को 13,75,638/-रू० का भुगतान विपक्षीगण को परिवादीगण ने किया। उसके बाद परिवादीगण ने 2,92,800/-रू० दिनांक 26-02-2013 को विपक्षीगण के यहॉं जमा किया। परिवाद-पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि एलाटमेंट लेटर में विपक्षीगण ने एलाटमेंट की तिथि से 36 महीने के अन्दर फ्लैट का कब्जा देने का वादा किया था। परिवाद-पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि फ्लैट का निर्माण कार्य रूका हुआ है और विपक्षीगण फ्लैट के निर्माण का प्रयास
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नहीं कर रहे हैं। नियत 36 महीने की अवधि बीत चुकी है फिर भी फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। अत: विपक्षीगण की सेवा में कमी है। फिर भी विपक्षीगण ने दिनांक 26-07-2016 को परिवादीगण को डिमाण्ड लेटर 6,35,839/-रू० की मांग करते हुए भेजा है, जबकि 36 महीने बीतने के बाद उन्होंने मात्र ग्राउण्ड फ्लोर का निर्माण किया है और यह निश्चित नहीं है कि विपक्षीगण निर्माण कार्य पूरा करेंगे। यदि वे निर्माण कार्य पूरा करेंगे भी तो 10 वर्ष से कम समय नहीं लगेगा। अत: क्षुब्ध होकर परिवादीगण ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षीगण की ओर से प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत कर धारा-8 आर्बीट्रेशन एण्ड कंसीलिएशन एक्ट 1986 के आधार पर परिवाद की ग्राह्यता पर विवाद किया गया है, परन्तु विपक्षीगण की ओर से उठायी गयी यह आपत्ति आयोग के आदेश दिनांक 04-12-2017 के द्वारा माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा आफताब सिंह अनीता चौधरी व अन्य बनाम इमार एम०जी०एफ० लैण्ड लि० व अन्य ।।। 2017 सी०पी०जे० 217 (एन०सी०) में दिये गये निर्णय के आधार पर अस्वीकार कर दी गयी है।
परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादीगण ने अपना शपथ-पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया है।
परिवाद में अंतिम सुनवाई के समय परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल और विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मो0 रफी खान उपस्थित आए हैं।
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मैंने उभय-पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र का संलग्नक-1 रसीद दिनांक 15-01-2013, और संलग्नक-2 रसीद दिनांक 15-01-2013 हैं। इन दोनों रसीदों के द्वारा परिवादीगण ने विपक्षीगण के यहॉं 1,50,000/-रू० और 2,62,556/-रू० अर्थात 4,12,556/-रू० जमा किया है।
परिवाद-पत्र का संलग्न-3 प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर है जिसके द्वारा विपक्षीगण ने परिवादीगण को फ्लैट नं० 902, 9th floor, टावर 0C2 Block 00C, यूनीहोम्स-3 सेक्टर 113, नोयडा उत्तर प्रदेश में 45,72,422/-रू० मूल्य पर आवंटित किया है। परिवाद-पत्र का संलग्न 4 डिमाण्ड लेटर दिनांक 02-02-2013 है जिसके द्वारा 16,50,224/-रू० की मांग परिवादीगण से विपक्षीगण ने की है।
परिवाद-पत्र का संलग्न-5 रसीद दिनांक 04-03-2013 है जिसके द्वारा 13,75,638/-रू० का भुगतान परिवादीगण से प्राप्त करना विपक्षीगण ने स्वीकार किया है। परिवादीगण ने परिवादी राजेश सिन्हा के आई०सी०आई०सी०आई० बैंक के एकाउंट का स्टेटमेंट परिवाद-पत्र के संलग्नक-6 के रूप में प्रस्तुत किया है जिसके अनुसार दिनांक 26-02-2013 को 2,92,800/-रू० परिवादीगण के एकाउंट से अन्तरित किया गया है। इस प्रकार परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के यहॉं 20,80,994/-रू० जमा किया जाना साबित है।
विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर अथवा शपथ-पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथन एवं परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों का खण्डन नहीं किया गया है। अत: परिवाद- पत्र के कथन एवं
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परिवादी के शपथ-पत्र और प्रस्तुत अभिलेखों पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि परिवादीगण ने विपक्षीगण के यहॉं प्रश्नगत फ्लैट हेतु 20,80,994/-रू० वर्ष 2013 में जमा किया है। छ: साल से अधिक का समय बीत चुका है परन्तु अब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है और न ही निकट भविष्य में फ्लैट का निर्माण पूरा कर परिवादीगण को कब्जा देने का कोई आश्वासन विपक्षीगण की ओर से दिया गया है।
सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त यह मानने हेतु उचित आधार है कि विपक्षीगण की सेवा में कमी है। अत: यह उचित प्रतीत होता है कि परिवादीगण की जमा धनराशि विपक्षीगण से ब्याज सहित उन्हें वापस दिलायी जाए।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने Civil Appeal No.(S) 3948 of 2019 SLP(C) 9575 of 2019 M/s Krishan Estate Developers Pvt. Ltd. Vs. Naveen Srivastava व अन्य में पारित आदेश दिनांक 15-04-2019 के द्वारा बिल्डर द्वारा तय समय सीमा के अंदर निर्माण पूरा कर कब्जा न दिये जाने पर आवंटी द्वारा जमा धनराशि एक माह के अंदर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करने हेतु आदेशित किया है और इस अवधि में बिल्डर द्वारा ब्याज सहित धनराशि आवन्टी को वापस न किये जाने पर उसकी जमा धनराशि राज्य आयोग द्वारा आदेशित 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज के साथ वापस करने को कहा है।
सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों एवं मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए मैं इस मत का हूँ कि परिवादीगण की
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जमा धनराशि 20,80,994/-रू० रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित तीन मास के अंदर परिवादीगण को वापस करने का अवसर विपक्षीगण को दिया जाये और यदि इस अवधि में वे परिवादीगण की जमा धनराशि 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज के साथ वापस करने में असफल रहते हैं तो परिवादीगण को सम्पूर्ण जमा धनराशि पर जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिलाया जाये।
परिवादीगण को रू0 10,000/- वाद व्यय भी दिलाया जाना उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादीगण द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करना उचित नहीं प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादीगण की जमा धनराशि रू0 20,80,994/-रू० जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ तीन मास के अंदर उन्हें वापस करें। यदि इस तीन मास की अवधि में विपक्षीगण, परिवादीगण को उनकी जमा धनराशि इस दर से ब्याज के साथ वापस नहीं करते हैं तो विपक्षीगण, परिवादीगण को उनकी जमा धनराशि 20,80,994/-रू० रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस करेगें।
विपक्षीगण, परिवादीगण को रू0 10,000/- वाद व्यय भी अदा करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0 कोर्ट नं01