राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-186/2016
(सुरक्षित)
1. Mrs. Sunita Singh W/o Sri. Mahendra Bharti
2. Sri. Mahendra Bharti S/o Sri. G.D. Bharti
All R/o 62, Route No.-B/10, Ashok Vihar Phase-3
Gurgaon, near C2 Colony, Gurgaon
Haryana.
Presently residing at H.No.142, Sec.13,
Indira Nagar, Lucknow, U.P.
....................परिवादीगण
बनाम
1. Unitech Ltd.
Office at-UGCC Pavillion
Sector 96, Express Way (near Amity Management
School)
Noida-201305, District G.B. Nagar.
Through its Managing Director/Chairman
2. Punjab National Bank Housing Finance Ltd.
Office at 36, Ground Floor, Block B-1,
Janakpuri East, Metro Station
New Delhi-110058.
Through its Branch Manager.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार वर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से उपस्थित : श्री अदील अहमद,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 23-10-2018
-2-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादीगण श्रीमती सुनीता सिंह और श्री महेन्द्र भारती ने धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण यूनीटेक लि0 और पंजाब नेशनल बैंक हाउसिंग फाइनेंस लि0 के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
(i) To direct the opposite parties to refund the entire deposited amount Rs. 24,23,016/- with 24% interest on the amount deposited by the complainant with the effect from the respective dates of deposit to till the date of realization.
(ii) To direct the opposite parties to pay rent @ Rs 8,000/- per month from 03.03.2014 to till the date of realization.
(iii) To direct the opposite parties to pay a sum of Rs.10,00,000/- (Rupees Ten lacs only) as physical & mental agony and harassment to Complainant.
(iv) To allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum of Rs.55,000/- towards cost of the case.
(v) Any other order which this Hon’ble State Commission may deem fit and proper in the
-3-
circumstances of the case may also be passed in fevour of complainant.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा नोएडा में ''यूनी होम्स'' नाम से परियोजना शुरू की गयी, जिसका फाइनेंसर विपक्षी संख्या-2 है। विपक्षीगण ने इस परियोजना के सम्बन्ध में वर्ष 2012 में विज्ञापन प्रकाशित करते हुए आवंटन हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किया और यह आश्वासन दिया कि फ्लैट का कब्जा 30 महीने में दे दिया जाएगा। तब विपक्षीगण के आश्वासन पर विश्वास करते हुए परिवादीगण ने विपक्षी संख्या-1 की उपरोक्त परियोजना में फ्लैट के आवंटन हेतु आवेदन पत्र प्रस्तुत किया और उन्हें यूनिट संख्या-604 टावर ए5 यूनी होम्स 3 सेक्टर 113, नोएडा में आवंटित किया गया, जिसका क्षेत्रफल 899 वर्ग फीट/83.52 वर्ग मीटर और मूल्य 30,62,377/-रू0 था। परिवादीगण को यह आवंटन दिनांक 09.01.2012 को किया गया और उसी दिन प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर विपक्षीगण द्वारा जारी किया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि उन्होंने परिवाद प्रस्तुत करने तक 24,23,016/-रू0 जमा किया है और यह धनराशि जमा करने हेतु उन्होंने विपक्षी संख्या-2 से 24,50,000/-रू0 का लोन स्वीकार कराया है, जिसमें 17,37,890/-रू0 की धनराशि का भुगतान विपक्षी संख्या-2, विपक्षी संख्या-1 को कर चुका है, जिसका भुगतान परिवादीगण ने
-4-
15,662/-रू0 प्रति मास की किस्त में 2016 तक किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि जब वे मौके पर गए तो वहॉं कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा था। उन्होंने विपक्षीगण से अपना विरोध दर्ज कराया तो उन्हें आश्वासन दिया गया कि सितम्बर 2014 तक कब्जा दे दिया जाएगा, परन्तु परिवादीगण पुन: जब स्थल पर गए तो भी कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा था। परिवादीगण के अनुसार विपक्षी संख्या-1 का निर्माण 10 साल में भी पूरा होना सम्भव नहीं है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि वे किराए के मकान पर रह रहे हैं, जिसके लिए उन्हें 8000/-रू0 प्रति मास किराया देना पड़ता है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि नवम्बर 2014 में उन्हें विपक्षी की ओर से यह आफर दिया गया कि वह अपनी यूनिट या तो बदल लें या अपना पैसा ले लें क्योंकि कुछ व्यक्तिगत कारणों के कारण विपक्षी उन्हें आवंटित यूनिट का कब्जा देने में असमर्थ हैं। परिवादीगण के अनुसार विपक्षी के उपरोक्त ऑफर पर वे अपसेट हो गए हैं और विपक्षी का यह कार्य अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस व सेवा में कमी है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादीगण ने विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी संख्या-1 यूनीटेक लि0 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध नहीं किया गया है।
विपक्षी संख्या-2 ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है, जिसमें
-5-
कहा गया है कि परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-2 ने यह भी कहा है कि उसके विरूद्ध परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद हेतु कोई वाद हेतुक नहीं है। परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
परिवादीगण की ओर से परिवादिनी सुनीता सिंह का शपथ पत्र संलग्नकों सहित परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से लिखित कथन के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई के समय परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार वर्मा और विपक्षी संख्या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अदील अहमद उपस्थित आए हैं। विपक्षी संख्या-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने परिवादीगण और विपक्षी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के साथ प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर दिनांक 09.01.2012 प्रस्तुत किया गया है, जिसके अनुसार परिवादीगण को A5-06-0604 (2 BEDROOM) यूनीटेक यूनीहोम्स-3, सेक्टर-113, नोएडा में 30,62,377/-रू0 के मूल्य पर आवंटित किया गया है। परिवादीगण ने पेमेंट प्लान के अनुसार
-6-
दिनांक 11.06.2014 तक कुल 24,23,016/-रू0 जमा किया है जैसा कि परिवाद पत्र एवं परिवादिनी सुनीता सिंह के शपथ पत्र और परिवाद पत्र के साथ संलग्न स्टेटमेंट आफ एकाउण्ट से स्पष्ट होता है।
परिवाद पत्र एवं परिवादिनी सुनीता सिंह के शपथ पत्र से यह स्पष्ट है कि अभी तक विपक्षी संख्या-1 ने परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण पूर्ण कर कब्जा नहीं दिया है। आवंटन की तिथि के बाद करीब 06 साल से भी अधिक का समय बीत चुका है और परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य बन्द है। निकट भविष्य में पूरा होने की सम्भावना नहीं है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि परिवादीगण द्वारा जमा धनराशि 24,23,016/-रू0 उन्हें विपक्षी संख्या-1 से जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज सहित वापस दिलाया जाना उचित है।
हमारी राय में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रभात वर्मा व एक अन्य बनाम यूनिटेक लिमिटेड व एक अन्य III (2016) CPJ 635 (NC) के वाद में दिए गए निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज दर 18 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना उचित है।
चूँकि परिवादीगण को उनकी जमा धनराशि जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वापस
-7-
दिलायी जा रही है ऐसी स्थिति में परिवादीगण द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान करने हेतु उचित आधार नहीं है, परन्तु परिवादीगण को वाद व्यय के रूप में 10,000/-रू0 दिलाया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी संख्या-1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण की जमा धनराशि 24,23,016/-रू0 जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दो मास के अन्दर उन्हें वापस करे। इसके साथ ही वह परिवादीगण को 10,000/-रू0 वाद व्यय भी प्रदान करे।
यदि उपरोक्त निर्धारित अवधि में विपक्षी संख्या-1 द्वारा उपरोक्त धनराशि ब्याज सहित अदा नहीं की जाती है तो परिवादीगण उसकी वसूली की कार्यवाही विधि के अनुसार कर सकते हैं।
विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1