सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या- 322/2016
जिया उर रहमान पुत्र अब्दुल शहीद खान, निवासी 529 डी/1008, राजीव नगर, कल्याणपुर लखनऊ द्वारा एजेण्ट/अटार्नी श्री अर्तुरहमान खान, पुत्र श्री अब्दुल शहीद खान, निवासी 529 डी/1008, राजीव नगर, कल्याणपुर लखनऊ
परिवादी
बनाम
1- मैनेजिंग डायरेक्टर- यूनीटेक लि0, रजिस्टर्ड आफिस एट-6 कम्युनिटी सेन्टर साकेत न्यू दिल्ली 110017
2- रीजनल हेड मै0 यूनीटेक लि0 हैविंग इट रीजनल आफिस एट यूजीसीसी पाविलियन, सेक्टर 96, एक्सप्रेस वे नोएडा 201305
विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री संतोष कुमार भट्ट
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक- 12-12-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान परिवाद, परिवादी जिया उर रहमान ने विपक्षीगण, मैनेजिंग डायरेक्टर, यूनीटेक लिमिटेड और रीजनल हेड मै0 यूनीटेक लिमिटेड के विरूद्ध धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
- This Hon’ble commission may be pleased to pass an order directing the opposite party to hand over the possession of the said PLOT
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NO. 0017, Main 03 Street 01, Type PLOT (E) in BLOCK – admeasuring an area of 138 sq mtrs/165.15 Sq yds at the UNIHOMES PLOTS in the fully developed & habitable township known as “UNIWORLD CITY” to the complainant without any further delay or return the entire sale consideration of Rs. 30,22,786/- only (Rupees Thirty Lac Twenty Two Thousand Seven Hunderd Eighty Six Only) paid by the complainant to the oppossite along with a interest rate of @18% Per Annum on the total sale consideration being paid by the complainant from December 2012 till the realization of the entire amount.
- This Hon’ble commission may be pleased to pass an order directing the opposite paty to pay compensation @ 18% Per Annum on the total sale consideration being paid by the complainant from December 2012 till the date of actual delivery of physical possession of the Plot in the fully developed township known as “UNIWORLD CITY”.
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- This Hon’ble commission may be pleased to pass an order directing the opposite party to pay the entire amount of Rs. 10 lacs paid by the complainant as rent from 2011 till date and amount spent by the complainant for resettlement of his family members.
- That the Hon’ble commission may kindly be pleased to pass an order directing the opposite party to pay a sum of Rs. 1 lacs as compensation for all the mental tenstion and agony caused by the opposite party by not delivering the possession of the said plot in time.
- That cost of Rs. 25000/- may also be granted to the complainant as legal fee for conducting this case.
- Any other relief this Hon’ble Commission may deem fit and appropriate under the facts and circumstances of the case.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है विपक्षीगण ने एक ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट यूनीवर्ल्ड सिटी नाम से टाउनशिप में यूनीहोम्ज प्लाट के लिए शुरू किया और आवासीय प्लाट्स की बिक्री आमंत्रित किया।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण ने टाउनशिप में टॉप क्लास की फैसलिटीज और बेसिक एनिमेन्टीस का झांसा देकर ग्राहकों को आकर्षित किया। इसी क्रम में परिवादी ने भी विपक्षीगण की उपरोक्त परियोजना में 138 स्वायर मीटर/165.15 स्कवायर फिट का बुक किया जो प्लाट नं० जी०एच० 01, सेक्टर एम यू ग्रेटर नोएडा, यू०पी० में स्थित है। उक्त प्लाट की बुकिंग के समय परिवादी ने 3,00,000/- रू० चेक के माध्यम से दिनांक 28-11-2009 को विपक्षीगण के यहॉ बुकिंग एमाउण्ट के रूप में जमा किया और दिनांक 09-12-2009 को बुकिंग के समय विपक्षीगण ने फ्लैट का कब्जा बुकिंग के 18 महीने के अन्दर देने का वादा किया तथा उसी दिन उन्होंने परिवादी से बायर एग्रीमेंट किया जिसके द्वारा परिवादी को प्लाट नं० 0017 एट मेन 03 स्ट्रीट 01 टाइप फ्लैट ई ब्लॉक, 138 स्वायर मीटर/165.15 स्कवायर फिट आवंटित किया गया जिसका कुल मूल्य 30,29,678/-रू० था और उसका भुगतान "टाइम लिंक्ड प्लान सी" के अनुसार किया जाना था तथा फ्लैट का कब्जा बुकिंग की तिथि से 18 महीने के अन्दर दिया जाना था।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण को कुल 3022786/-रू० का भुगतान परिवादी ने किया है जिसका विवरण परिवाद पत्र की धारा-11 में अंकित है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने फ्लैट का कब्जा पाने हेतु धैर्यपूर्वक इंतजार किया फिर भी विपक्षीगण ने उसे कब्जा नहीं दिया और उससे बचने का प्रयास किया। उसके प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया, न ही उसके द्वारा अदा की गयी धनराशि की रसीद दिया। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने विपक्षीगण से अदा की गयी धनराशि हेतु रसीद की अनेकों बार मांग किया परन्तु विपक्षीगण ने उसे रसीद नहीं दिया और बायर सेलर एग्रीमेंट से सात साल का समय बीतने के बाद भी मौके पर कोई निर्माण या डेवलोपमेंट कार्य नहीं किया। परिवाद पत्र
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के अनुसार परिवादी ने विपक्षीगण से मिलने का प्रयास किया परन्तु उन्होंने मिलने से इन्कार कर दिया। अत: अंत में विवश होकर परिवादी ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया है और उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
परिवाद पत्र के अनुसार आवंटित प्लाट न मिलने के कारण परिवादी के परिवार को किराए के मकान में रहना पड़ रहा है और बार-बार मकान बदलना पड़ रहा है।
विपक्षीगण को रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी है। विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मोहित जौहरी उपस्थित आए और वकालतनामा प्रस्तुत किया परन्तु विपक्षीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया । अत: 45 दिन का लिखित कथन हेतु निर्धारित समय बीतने के बाद विपक्षीगण के लिखित कथन का अवसर समाप्त कर विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अर्तुरहमान खान का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है जिन्होंने अपने को परिवादी का भाई और अटार्नी बताया है। परिवादी द्वारा अपने पक्ष में लिखे गये स्पेशल पावर आफ अटार्नी की अटेस्टेड प्रति भी प्रस्तुत की है।
परिवाद की सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सन्तोष कुमार भट्ट उपस्थित आए हैं। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर परिवाद का निस्तारण किया जा रहा है।
परिवाद का संलग्न 2 एलाटमेंट लेटर प्रस्तुत किया है जिसके संलग्नक- ए के अनुसार फ्लैट का कुल सेल कंसीड्रिएशन 3029678/- रू० और अदर चार्ज
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1,96,892/-रू० है। इस प्रकार कुल 32,26,570/- रू० का भुगतान परिवादी को करना है। एलाटमेंट लेटर के संलग्नक ए पेमेण्ट प्लान के अनुसार दिनांक 09-12-2009 को बुकिंग/ रजिस्ट्रेशन के समय 256312/- रू० का भुगतान करना था और 75 दिन बाद दिनांक 22-02-2010 को 3,30,630/-रू० का भुगतान करना था। पुन: रजिस्ट्रेशन/ एलाटमेंट के 150 दिन बाद दिनांक 08-05-2010 को 4,54,658/- रू० का भुगतान करना था और रजिस्ट्रेशन/एलाटमेंट के नौ महीने बाद दिनांक 09-09-2010 को 6,73,646/- रू० का भुगतान करना था। उसके बाद रजिस्ट्रेशन/एलाटमेंट के 12 महीने बाद दिनांक 09-12-2010 को 6,73,647/- रू० का भुगतान करना था और रजिस्ट्रेशन/एलाटमेंट के 15 महीने बाद दिनांक 09-03-2011 को 5,12,625/-रू० का भुगतान करना था। अंत में कब्जा की फाइनल नोटिस के समय अवशेष धनराशि 305052/-रू० का भुगतान किया जाना था।
परिवादी ने विपक्षीगण को भुगतान की गयी धनराशि का चेक दिनांक 28 नवम्बर 2009 3,00,000/- रू० का चेक, दिनांक 25-05-2010 को 410970/-रू० का चेक, और दिनांक 01 मार्च 2010 को 330630/- रू० का प्रस्तुत किया है। परिवादी ने अपने बैंक एकाउन्ट के स्टेटमेंट की प्रतियां भी प्रस्तुत किया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी द्वारा जमा धनराशि की रसीद विपक्षी ने परिवादी को नहीं दिया है। परिवादी ने बुकिंग वर्ष 2009 में किया है परन्तु परिवाद पत्र एवं अर्तुरहमान खान के शपथ-पत्र एवं शपथ-पत्र के साथ प्रस्तुत फोटो से स्पष्ट है कि विपक्षी ने अब तक प्लाट को विकसित नहीं किया है।
अत: सम्पूर्ण तथ्यों, साक्ष्यों एवं परिस्थितियों पर विचार कर यह आवश्यक प्रतीत होता है कि विपक्षी को आदेशित किया जाय कि वह इस
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निर्णय की तिथि से दो माह के अंदर परिवादी की जमा धनराशि की रसीद व उसके खाते का पूरा विवरण उपलब्ध करायें। उसके बाद दो माह के अंदर परिवादी की जमा धनराशि उसे ब्याज सहित वापस करें। परिवादी को दस हजार रूपया वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित है।
प्रभात वर्मा व एक अन्य बनाम यूनीटेक लि0 व एक अन्य ।।। (2016) सी.पी.जे.635 एन.सी. के वाद में मा0 राष्ट्रीय आयोग के निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए ब्याज दर 18 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना उचित है।
परिवादी को दी जाने वाली अनुतोष को देखते हुए परिवादी द्वारा याचित अन्य अनुतोष प्रदान किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर परिवादी को उसकी जमा धनराशि व उसके खाते का पूरा विवरण उपलब्ध कराएं। उसके बाद उसकी जमा धनराशि जमा की गयी तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत ब्याज के साथ दो माह के अन्दर वापस करें। साथ ही 10,000/- रू० वाद व्यय भी परिवादी को दें।
दो माह के अन्दर भुगतान न होने पर परिवादी विधि के अनुसार निष्पादन की कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र होगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01