राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
परिवाद संख्या-52/2012
M/S RAGA R/O 113, JOR BAGH, NEW DELHI 110003 THROUGH ITS PARTER MR. LALIT AGRAWAL.
परिवादी
बनाम्
M/S UNITECH LIMITED 16, COMMUNITY CENTRE SAKET, NEW DELHI 110017
ALSO AT
M/S UNITECH LTD. GRANDE PAVILION SECTOR 96, EXPRESSWAY (NEAR AMITY MANAGEMENT SCHOOL) NOIDA 201405.
विपक्षी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री शरद कुमार शुक्ला, विद्वान अधिवक्ता
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 07.06.2018
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत मै0 यूनीटेक होरिजन लि0 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है।
संक्षेप में परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी एक फर्म है। उसने विपक्षी जो कि एक कोलोनाइजर एवं बिल्डर है, से यूनीटेक होरिजन ग्रेटर नोएडा यू.पी. की योजना में एक फ्लैट क्रय करने के लिए आवेदन दिया। विपक्षी ने परिवादी को फ्लैट संख्या एफएल 3 एफ यू -2012-1202 जिसका क्षेत्रफल (सुपर एरिया) 1705 स्कवायर फिट था तथा मूल्य रू. 4772255/- था, आवंटित किया। परिवादी ने अपने प्रार्थना पत्र दि. 01.05.2006 के साथ रू. 439038/-
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चेक संख्या 415707 दिनांकित 29.04.2006 के माध्यम से जमा किया था। विपक्षी ने दि. 01.05.2006 को परिवादी को आवंटन पत्र प्राप्त करा दिया गया था। परिवादी ने इस फ्लैट को कांस्ट्रक्शन लिंक प्लान के अंतर्गत क्रय किया था। परिवादी ने अगस्त 2008 तक फ्लैट के कुल मूल्य का 96 प्रतिशत धनराशि का भुगतान विपक्षी के मांग पत्र के अनुसार समय-समय पर करता रहा। परिवादी ने समस्त भुगतान चेक के माध्यम से किया था। परिवादी इस आधार पर समस्त भुगतान विपक्षी को करता रहा कि विपक्षी भी अपने वादे समय से पूरा करेगा। विपक्षी ने दि. 17.07.2008 एक मांग पत्र रू. 219518/- का भेजा जिसे परिवादी ने भुगतान कर दिया। दि. 25.07.2008 को विपक्षी ने अतिरिक्त पार्किंग परिवादी को प्रस्तावित की और रू. 150000/- का मांग पत्र भेजा। परिवादी आश्वस्त था कि विपक्षी उसे दि. 15.10.2008 तक उसे फ्लैट का कब्जा दे देगा, परन्तु जब परिवादी ने परियोजना स्थल का निरीक्षण किया तो उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि परियोजना स्थल पर कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। आवंटन पत्र के अनुसार परिवादी को दि. 15.10.2008 को या उससे पूर्व फ्लैट का कब्जा मिल जाना चाहिए था। आवंटन पत्र के अनुसार यदि कब्जा देने में कोई विलम्ब होता है तो विपक्षी 5 रू. पर स्क्वायर फिट का भुगतान करेगा। आवंटन पत्र के प्रस्तर 4 ई में डिफाल्ट की स्थिति में विपक्षी द्वारा वैकल्पिक भवन देना या धनराशि को 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस करने का प्रावधान किया गया है। विपक्षी द्वारा आवंटन की शर्तों का स्वयं उल्लंघन किया गया है। परिवादी ने अपने परिवाद में यह अंकित किया है कि विपक्षी ने शर्तों का पालन न कर व भवन का कब्जा न देकर सेवा में कमी की है और निम्न अनुतोष की याचना की है:-
a. The compound interest @18% on the total amount of
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Rs.45,72,169/- i.e. about almost 96% of the total cost of the flat, paid to the Opposite Party from the date of first payment to till date.
b. Refund of all such amounts with interest @18% against which no work has been carried out at the project named “United Horizon, Greater Noida” till date.
c. As per article 4(c)(i)(ii) of the “Allotment Letter dated 01.05.2006”, the Opposite Party is also liable to pay an amount of Rs. 5/- per sq/ft. per month for the period starting from 15.10.2008 onwards. The amount should be paid monthly till date of handling over the possession and execution of title documents;
d. Handling over the possession of the said flat as well as execution of the necessary documents for the transfer of title deed on the name of the Complainant.
परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में निम्न अभिलेख एवं साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं:-
1. अपने कथन के समर्थन में शपथपत्र।
2. आवंटन पत्र दिनांकित 01.05.2006
3. विपक्षी द्वारा निर्गत मांग पत्रों की प्रतियां।
4. विपक्षी द्वारा निर्गत भुगतान प्राप्त की रसीदें।
5. परिवादी द्वारा विपक्षी को दी गई लीगल नोटिस दि. 12.01.2011 की प्रति।
विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है, जबकि विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री मोहित जौहरी समय-समय पर पीठ के समक्ष उपस्थित
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होते रहे हैं। इस तथ्य का अंकन दि. 02.05.2017 के आदेश पत्रक में स्पष्ट रूप से किया गया है।
पीठ ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
पत्रावली पर दाखिल आवंटन पत्र दि. 01.05.2006 से स्पष्ट है कि परिवादी को विपक्षी की यूनीटेक होरिजन ग्रुप हाउसिंग योजना के अंतर्गत एक फ्लैट संख्या 1202 टावर संख्या 20 बारहवां फ्लोर में आवंटित किया गया था जिसका (सुपर एरिया) 1705 स्क्वायर फिट था। आवंटन पत्र के साथ फ्लैट का क्षेत्रफल, कंसीडरेशन, अनुरक्षण, आवंटी के अधिकार एवं कंपनी के कर्तव्य आदि के संबंध में विस्तृत विवरण भी संलग्न है। विपक्षी की शर्तों के अनुसार फ्लैट का मूल्य रू. 4772255/- था। परिवादी ने जो साक्ष्य प्रस्तुत किया है उससे यह स्पष्ट है कि उसके द्वारा कुल मूल्य के सापेक्ष रू. 4572169/- का भुगतान किया जा चुका है। दोनों पक्षकारों के मध्य जो भुगतान प्लान हस्ताक्षारित किया गया था उसके अनुसार 14 किश्तें तथा उसके बाद अंतिम धनराशि कब्जे की नोटिस पर देना था। विपक्षी ने 14 वीं किश्त का अपने प्रार्थना पत्र दि. 17.07.2008 को रू. 219518/- का भेजा जिसे परिवादी ने चेक संख्या 415742/- दिनांकित 05.08.2008 नोटिस ओवर सीज बैंक नई दिल्ली के माध्यम से जमा किया था, जिसकी भुगतान प्राप्ति की रसीद विपक्षी द्वारा दि. 08.08.2008 को जारी की गई है। इस प्रकार जो किश्तें पक्षकारों के मध्य तय हुई थी वे समस्त किश्तें परिवादी ने विपक्षी को भुगतान कर दी है। उभय पक्षों के मध्य जो शर्तें तय हुई थी उसके अनुसार विपक्षी को दि. 15.10.2008 तक फ्लैट का कब्जा परिवादी को दे दिया जाना था, परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी को
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अभी तक फ्लैट का कब्जा नहीं दिया है और न ही इस संबंध में कोई पत्र निर्गत किया है, जबकि विपक्षी ने निर्धारित 14 किश्तों की कुल धनराशि रू. 45721691/- प्राप्त कर ली है। इस प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादी को समय से कब्जा न देकर अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है एवं निश्चित रूप से सेवा में कमी की है। विपक्षी ने जो शर्तें निर्धारित की है उसके प्रस्तर-2 (सी) में स्वयं लिखा है कि यदि आवंटी पर कोई बकाया धनराशि रहती है तो उस पर 18 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज तिमाही लिया जाएगा। चूंकि विपक्षी ने स्वयं कब्जा अभी तक प्रस्तावित नहीं किया और 96 प्रतिशत के लगभग धनराशि प्राप्त कर ली है, अत: समान नियम विपक्षी पर भी लागू होते हैं। विपक्षी ने अपनी शर्तों में शर्त के प्रस्तर 2 (डी) में Time is issence का सिद्धांत लागू किया है, जबकि स्वयं उसने इस सिद्धांत की अवहेलना की है। उपरोक्त वर्णित परिस्थितियों में परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है:-
1. विपक्षी आवंटन पत्र के अनुसार परिवादी को अपार्टमेन्ट संख्या एफ एल 3 एफ यू-2012-1202 का कब्जा एक माह में देना सुनिश्चित करें। विपक्षी परिवादी को उसके द्वारा जमा की गई धनराशि पर 18 प्रतिशत साधारण ब्याज का भुगतान एक माह के अंदर करेगा। ब्याज की गणना परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक की जाएगी। विपक्षी कब्जा के समय में दी जाने वाली धनराशि रू. 219518/- परिवादी को दिए जाने वाले ब्याज के भुगतान में समायोजित करेगा।
2. यदि परिवादी आवंटित फ्लैट के संबंध में किए जाने वाले विकास कार्यों से संतुष्ट नहीं है या अब इस फ्लैट को नहीं लेना चाहता है तो विपक्षी परिवादी
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को उसको द्वारा जमा की गई धनराशि 18 प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ एक माह के अंदर भुगतान करेगा। ब्याज की गणना परिवादी द्वारा जमा की गई धनराशि की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक की जाएगी। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति के मद में रू. 500000/- भी भुगतान करेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना परिवाद-व्यय स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(राज कमल गुप्ता) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, पी.ए0.-2
कोर्ट-2