राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-390/2001
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-632/1998 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.01.2001 के विरूद्ध)
श्रीमती शीला अग्रवाल, निवासिनी 53, आवास विकास कालोनी, माल एवेन्यू, लखनऊ।
अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम्~
1. जनरल मैनेजर, यूनिट ट्रस्ट आफ इण्डिया, 6 बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली।
2. ब्रांच मैनेजर, यूनिट ट्रस्ट आफ इण्डिया, पार्क रोड, हजरतगंज, लखनऊ।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अब्दुल मोईन के सहयोगी श्री यू0के0
श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 28.07.2016
माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रकरण पुकारा गया। वर्तमान अपील, परिवादिनी/अपीलार्थी की ओर से परिवाद संख्या-632/1998, श्रीमती शीला अग्रवाल बनाम यू0टी0आई0 अग्रवाल व अन्य में जिला फोरम, प्रथम लखनऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 03.01.2001 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
“ परिवाद स्वीकार किया जाता है एवं विपक्षी सं0-1 व 2 को आदेशित किया जाता है कि वे निर्णय की तिथि से 50 दिन के अन्दर परिपक्वता राशि रूपया 64985.99 मात्र क्षतिपूर्ति के रूप में इस धनराशि पर दिनांक 20.9.97 से भुगतान की तिथि तक 14 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से एवं वाद व्यय के रूप में रूपया 2000/- रूपये मात्र का भुगतान परिवादिनी को कर दें। अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है। ”
उक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील, परिवादिनी/अपीलार्थी द्वारा इस अनुतोष से प्रस्तुत की गयी है कि जिला फोरम द्वारा क्षतिपूर्ति नहीं
-2-
दिलायी गयी है एवं ब्याज 14 प्रतिशत वार्षिक की दर से दिलाया गया है, जो कि कम है, अत: प्रश्नगत आदेश को संशोधित करते हुए क्षतिपूर्ति दिलायी जाये एवं ब्याज की दर में बढ़ोत्तरी की जाये।
वर्तमान अपील में अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि प्रत्यर्थीगण की ओर से श्री अब्दुल मोईन के सहयोगी श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव उपस्थित हैं, उन्हें विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया। पत्रावली का परिशीलन गुणदोष के आधार पर भी किया गया, जिससे यह प्रकट होता है कि जिला फोरम ने जो निष्कर्ष दिया है और उसके फलस्वरूप जो आदेश पारित किया है, वह विधि अनुकूल है, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान प्रकरण में अपीलार्थी की ओर से विगत कई तिथियों से कोई उपस्थित भी नहीं हो रहा है, अत: प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी की अनुपस्थिति के कारण एवं गुणदोष दोनों आधार पर निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2