Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/2/2019

ATUL KUMAR - Complainant(s)

Versus

UNIT TRUST OF INDIA - Opp.Party(s)

a.k. bhandani

12 Jun 2023

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/2/2019
( Date of Filing : 01 Jan 2019 )
 
1. ATUL KUMAR
49 purana kila kant road
LUCKNOW
...........Complainant(s)
Versus
1. UNIT TRUST OF INDIA
5 park road rejency plaza building near civil hospital hazratganj
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya PRESIDENT
 HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh MEMBER
 HON'BLE MS. sonia Singh MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Jun 2023
Final Order / Judgement

        जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।

            परिवाद संख्‍या:-  02/2019                                             उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

          श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्‍य।

          श्री कुमार राघवेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।             

परिवाद प्रस्‍तुत करने की तारीख:-01.01.2019

परिवाद के निर्णय की तारीख:-12.06.2023

अतुल कुमार भंडारी आयु लगभग 50 वर्ष पुत्र श्री कमल किशोर भंडारी, निवासी-49, पुराना किला, कैंट रोड लखनऊ।                       ...........परिवादी।

                            बनाम

शाखा प्रबन्‍धक यूनिट ट्रस्‍ट ऑफ इण्डिया शाखा कार्यालय 5 पार्क रोड, रीजेन्‍सी प्‍लाजा बिल्डिंग नियर सिविल हॉस्पिटल, हजरतगंज लखनऊ-226001 ।

                                                      ...........विपक्षी।                                                                      

परिवादी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री लालजी गुप्‍ता व हीरेश सिंह।

विपक्षी के अधिवक्‍ता का नाम:-श्री मुजीब इफेन्‍डी।

आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्‍यक्ष।

                               निर्णय

1.        परिवादी ने प्रस्‍तुत परिवाद अन्‍तर्गत धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षी से मुबलिग 1,05,000.00 रूपये परिपक्‍वता की तिथि 28.01.2018 से मय 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ, मानसिक व शारीरिक कष्‍ट हेतु 25,000.00 रूपये, व क्षतिपूर्ति के रूप में 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्‍तुत किया है।

2.        संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनॉंक 28.01.1998 को विपक्षी के यहॉं 7500.00 रूपये जमा किया था जो कि राजलक्ष्‍मी यूनिट प्‍लान महिलाओं के लिये है जो 20 वर्षों में 14 बार किये गये निवेशको को बढ़ाता है। इस प्रकार एक वर्ष की आयु तक को सम्मिलित करते हुए किसी बालिका के नाम का निवेश धनराशि 1500.00 रूपये 20 वर्षों के बाद 21,000.00 रूपये होगी।  बालिका जिसके लिये निवेश किया जायेगा उसकी आयु पर निर्भर करते हुए परिपक्‍वता मूल्‍य न्‍यूनतम 11,000.00 रूपये से 21,000.00 रूपये तक के मध्‍य होगा।

3.        बोनस के संबंध में यह कहा गया कि परिपक्‍वता पर देय बोनस समय-समय पर घोषित होगा, तथा बालिका के माता-पिता को भुगतान किया जायेगा। दिनॉंक 08.12.1997 को 750 यूनिट जो कि 10.00 रूपये प्रति यूनिट की दर से लेकर उक्‍त प्‍लान में 7500.00 रूपये निवेश किया। उक्‍त निवेश की परिपक्‍वता दिनॉंक 28.01.2018 थी जिसकी सदस्‍य संख्‍या 405980070000919 है जो कि मैच्‍योरिटी की तारीख पर परिवादी को 1,05,000.00 रूपये निर्धारित शर्तो के अनुसार मिलने हेतु विपक्षी द्वारा बताया गया था।

4.        उक्‍त योजना परिवादी द्वारा अपनी पुत्री अंशिता भंडारी के नाम से ली गयी थी। परिपक्‍वता तिथि 28.01.2018 व्‍यतीत हो जाने के उपरान्‍त दिनॉंक 10.02.2018 को परिवादी विपक्षी के कार्यालय पर सभी अभिलेखों को लेकर धनराशि प्राप्‍त करने हेतु गया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा यह कहकर टाल दिया गया कि वर्तमान में विपक्षी द्वारा परिवादी को नियम व शर्तों के विपरीत मात्र 16000.00 रूपये ही प्राप्‍त हो पायेगें बाकी किसी भी प्रकार का कोई भी लाभ या अन्‍य धनराशि परिवादी को नहीं दी जायेगी।

5.        लगभग 11 माह परिपक्‍वता अवधि व्‍यतीत हो जाने के बाद भी परिवादी को उक्‍त प्‍लान का लाभ शर्तों के अनुसार विपक्षी द्वारा नहीं दिया जा रहा है। परिवादी विपक्षी का उपभोक्‍ता है और विपक्षी द्वारा परिवादी के साथ सेवा में कमी की गयी है।

6.        विपक्षी ने अपना उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत करते हुए यह तथ्‍य स्‍वीकार किया कि परिवादी ने राज्‍य लक्ष्‍मी यूनिट प्‍लान में 7,500.00 रूपये निवेश किया था जिसका भुगतान 21 वर्ष होने पर किया जाना था, परन्‍तु यह सरकार की पालिसी थी। सरकार की पालिसी होने के कारण 2002 को ही संबंधित पालिसी की व्‍यवस्‍था को निरस्‍त कर दिया गया था, जो उसके पास अधिकार है कि वह जब चाहे उसे निरस्‍त करदे और उसकी घोषणा उसने गजट में करा दिया था और लोगों को सार्वजनिक सूचना भी दी थी।

7.        उक्‍त स्‍कीम का टर्मिनेशन दिनॉंक 31.03.2004 में किया गया था। क्‍योंकि उस वक्‍त आर्थिक मन्‍दी चल रही थी और बाजार में बार-बार गिरावट चल रही थी और बहुत ही गंभीर वित्‍तीय स्थिति थी, इसलिए स्‍कीम को आगे तक इन्‍वेस्‍ट करना न्‍यायसंगत प्रतीत नहीं हो रहा था, इस कारण संबंधित स्‍कीम को समाप्‍त कर दिया गया था और परिवादी परिपक्‍वता की धनराशि प्राप्‍त करने का अधिकारी नहीं है, तथा यह भी कहा गया कि उक्‍त निरस्‍तीकरण को माननीय उच्‍च न्‍यायालय एवं माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग में चैलेन्‍ज किया था जिसमें उक्‍त निरस्‍तीकरण की प्रक्रिया को दिनॉंक 31.03.2004 के क्रियान्‍वयन को माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा अवैध माना गया, इसलिए जमा की गयी धनराशि पर ही केवल नियमानुसार भुगतान के साथ धनराशि प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं।

8.        परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में मौखिक साक्ष्‍य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के रूप में सदस्‍यता सूचना, आधार कार्ड,  विपक्षी की ओर से शपथ पत्र व साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किये गये हैं।

8.        मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।

9.        यह तथ्‍य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी ने दिनॉंक 28.01.1998 को विपक्षी के यहॉं 7500.00 रूपये जमा किया था। उसमें यह व्‍यवस्‍था थी कि 21 वर्ष की आयु में पालिसी धारक को उक्‍त धनराशि का परिपक्‍वता धनराशि के रूप में 1,05,000.00 रूपये का भुगतान किया जायेगा।

10.  विपक्षी द्वारा तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि वर्ष 2003-04 के बीच में बाजार में आर्थिक मंदी चल रही थी तथा आर्थिक तंगी के कारण व्‍यावसायिक क्रिया कलाप मंद पड़गये थे तथा इन्‍वेस्‍ट की उक्‍त धनराशि भी नहीं मिल रही थी और बाजार अधिक गिरावट पर था। इस कारण सरकार ने उस पालिसी को बन्‍द कर दिया और बन्‍द करने के बाद समस्‍त लोगों को गजट से सूचना दे दी गयी।

11.  विपक्षी ने यह भी तर्क प्रस्‍तुत किया कि संबंधित निरस्‍तीकरण को माननीय राजस्‍थान हाईकोर्ट, नेशनल उपभोक्‍ता कमीशन और माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय में चैलेन्‍ज किया गया। इस संबंध में निर्णय की प्रतिलिपि दाखिल की गयी है। निरस्‍तीकरण की प्रक्रिया को माननीय न्‍यायालय द्वारा उसे उपरोक्‍त के आधार पर यह कहा गया कि उक्‍त व्‍यवस्‍था के क्‍लाज-17 में यह व्‍यवस्‍था की गयी है कि उसे टर्मिनेट किया जा सकता है। निर्णय की प्रतिलिपि दाखिल की गयी है। उसमें राज्‍य लक्ष्‍मी यूनिट प्‍लान के संबंध में तस्‍करा भी किया गया है।

12.  परिवादी ने तर्क प्रस्‍तुत किया कि उन्‍हें इस संबंध में कोई जानकारी विपक्षी द्वारा नहीं दी गयी है। विजय शक्ति बनाम यूनिट ट्रस्‍ट ऑफ इण्डिया एवं अन्‍य 15 दिसम्‍बर 2011 रिवीजन पिटीशन नम्‍बर 2828/2007 कम्‍पनी का सन्‍दर्भ दाखिल किया गया है जो राज्‍य लक्ष्‍मी से संबंधित है और इसमें यह कहा गया कि दो स्‍कीम टर्मिनेट हुई हैं। मैंने निर्णय का अवलोकन किया। उसमें न्‍यायालय द्वारा भी सही माना है। अत: यह भी कहा गया कि स्‍कीम समाप्‍त होने की सूचना सार्वजनिक रूप से प्रकाशित की गयी थी, जिसे टाइम्‍स ऑफ इण्डिया में प्रकाशित किया गया। इस स्‍तर पर परिवादी का कथन हे कि उसको सूचना नहीं मिली सत्‍य प्रतीत नहीं होता है। टाइम्‍स ऑफ इण्डिया एक नेशनल अखबार है, इसमे जो धारणा की जायेगी वह सभी न्‍यूज के बारे में संज्ञान था और स्‍कीम में यह व्‍यवस्‍था कि निरस्‍त किया जा सकता है। इस प्रकार माननीय उपभोक्‍ता आयोग के टर्मिनेशन आदेश को पब्लिक डाक्‍यूमेंट माना जायेगा। इस प्रकार कोई भी सेवा में विपक्षीगण द्वारा कमी नहीं की गयी है। परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

                             आदेश

          परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

     पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रार्थना पत्र निस्‍तारित किये जाते हैं।

     निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                        (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

आज यह आदेश/निर्णय हस्‍ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।

                                   

(कुमार राघवेन्‍द्र सिंह)    (सोनिया सिंह)                         (नीलकंठ सहाय)

         सदस्‍य              सदस्‍य                         अध्‍यक्ष

                            जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,   प्रथम,

                                               लखनऊ।          

दिनॉंक:-12.06.2023

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Neelkuntha Sahya]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MS. Kumar Raghvendra Singh]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MS. sonia Singh]
MEMBER
 

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