Pradeep nama filed a consumer case on 09 Feb 2016 against Unique Technologiest Service, Prop. Ajay Jain in the Kota Consumer Court. The case no is CC/07/2009 and the judgment uploaded on 09 Feb 2016.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, झालावाड,केम्प कोटा (राज)।
पीठासीन अधिकारी:-श्री नन्दलाल षर्मा,अध्यक्ष व श्री महावीर तंवर सदस्य।
प्रकरण संख्या- 07/2009
प्रदीप नामा पुत्र श्री कृश्ण गोपाल नामा निवासी-बोहरा मौहल्ला, बूँदी (राज0)।
-परिवादी।
बनाम
यूनिक टेक्नोलोजिस्ट सर्विस, प्रो0 श्री अजय मोहन जैन
षोप नंबर 105,मोहसिन मंजिल,252,षोपिंग सेंटर, कोटा (राज0)।
-विपक्षी।
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1 श्री राकेष गुप्ता,अधिवक्ता ओर से परिवादी।
2 श्री नरेष षर्मा़,अधिवक्ता ओर से विपक्षी।
निर्णय दिनांक 09.02.2016
यह पत्रावली जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच, कोटा में पेष की गई तथा निस्तारण हेतु जिला मंच झालावाड केम्प कोटा को प्राप्त हुई है।
प्रस्तुत परिवाद ब्च् ।बज 1986 की धारा 12 के तहत दिनांक 06-01-2009 को परिवादी ने विपक्षी के विरूद्ध प्रस्तुत किया है। संक्षेप में परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी बूँदी जिले का निवासी है। परिवादी ने विपक्षी से एक कम्प्यूटर स्ब्क् कम्पलीट सेट दिनंाक 20-05-2008 को जरिये रसीद संख्या 635 चालान नंबर 483 से कुल 27,000/-रूपये में समस्त कंप्यूटर पार्ट्स सहित क्रय किया था। परिवादी ने विपक्षी से भ्च् कम्पनी का प्रिण्टर माँगा लेकिन विपक्षी ने केनन कम्पनी का दे दिया तथा न्च्ै भी काफी पुराना धूल जमा पैकेट में से निकला। इस प्रकार विपक्षी ने राषि प्राप्त कर परिवादी को पुराना सामान दे दिया और न्च्ै व प्रिण्टर का बिल नहीं दिया गया।
2
विपक्षी ने 27,000/-रूपये की राषि प्राप्त करके केवलमात्र 22,050/-रूपये का बिल दिया तथा 23,000/-रूपये का सामान दिया गया। क्रय करने के तीन दिन बाद ही कंप्यूटर सेट में खराबी आने लगी तथा उसकी स्क्रीन पर बाईब्रेषन आने लगा। इसकी षिकायत करने पर विपक्षी ने कंप्यूटर को षोप पर मंगवाया तथा जैसे तैसे सेट को चालू करके दे दिया गया। पुनः इस्तेमाल करने पर कंप्यूटर सिस्टम में लाईनें आने लगीं तथा मदर बोर्ड खराब हो गया और उसकी रेम खराब हो गई। धीरे धीरे माउस ने काम करना बन्द कर दिया तथा स्पीकर में खराब आवाज आने लगी। प्रिण्टर धंुधले प्रिण्ट देने लगा। इस प्रकार विपक्षी कंप्यूटर को कोटा मंगवा लेता और ठीक करके वापिस संभला देता। परिवादी को दो माह के अन्दर विपक्षी की दूकान पर 6-7 बार आना पड़ा है और उसके पष्चात् भी सिस्टम सही काम नहीं कर रहा है। परिवादी के कोटा 6-7 बार आने जाने में के 500/-रूपये के हिसाब से करीब 4,000/-रूपये खर्च हो गये। परिवादी ने दिनंाक 23-06-2008 को बात की तो वह उग्र हो गया और बदतमीजी के साथ पेष आया जिससे उसके पिता का स्वास्थ्य खराब हो गया और इलाज लेना पड़ा जिसमें राषि व्यय हुई। तत्पष्चात् परिवादी ने विपक्षी को जरिये अधिवक्ता विधिक नोटिस दिलाया लेकिन विपक्षी ने कंप्यूटर सिस्टम को नहीं बदला है। परिवादी ने विपक्षी से कंप्यूटर सिस्टम को मय क्षपितूर्ति के बदलवाये जाने का अनुतोश चाहा है।
विपक्षी ने परिवाद का यह जवाब दिया है कि परिवादी ने उनसे कोई कंप्यूटर नहीं खरीदा बल्कि कंप्यूटर के पार्ट्स क्रय किये हैं तथा न्च्ै व प्रिण्टर उससे क्रय नहीं किये हैं। परिवादी के नोटिस का जवाब दे दिया गया है। विपक्षी केवल कंप्यूटर के पाटर््स बेचने का कार्य करता है। परिवादी ने झूठे तथ्यों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया है जिसे सव्यय खारिज करने की प्रार्थना की है।
परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं के षपथ पत्र तथा प्रलेखीय साक्ष्य में म्ग.1 लगायत म्ग.27 दस्तावेज तथा विपक्षी की ओर से जवाब के समर्थन में किसी का
3
षपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है लेकिन प्रलेखीय साक्ष्य में एक म्गक.1 दस्तावेज प्रस्तुत किया है।
उपरोक्त अभिवचनों के आधार पर बिन्दुवार निर्णय निम्न प्रकार है:-
1 क्या परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है ?
परिवादी का परिवाद,षपथ-पत्र तथा प्रस्तुत दस्तावेजात के आधार पर परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता होना प्रमाणित पाया जाता है।
2 क्या विपक्षी ने सेवामें कमी की है ?
उभयपक्षों को सुना गया, पत्रावली का अवलोकन किया गया तो स्पश्ट हुआ कि परिवादी का कहना है कि उसने विपक्षी से एक कंप्यूटर खरीदा, प्रिण्टर ओर न्च्ै खरीदा। विपक्षी का कहना है कि वह कंप्यूटर नहीं बेचता है सिर्फ पार्ट्स बेचता है तथा न्च्ै और प्रिण्टर विपक्षी ने परिवादी को बेचा ही नहीं है। ये दोनों ही चीजें कहीं दूसरी जगह से खरीदी गई हैं।
पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजात के आधार पर परिवादी का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि उसने कंप्यूटर सेट विपक्षी से खरीदा हो क्योंकि कंप्यूटर सेट का बिल पत्रावली में नहीं है। पत्रावली में 9 आईटम का बिल है जो 23,000/-रूपये का है तथा वेट इनवाईस 22,050/-रूपये का है। दूसरा इनवाईस 950/-रूपये का है, उसकी काॅपी परिवादी ने पेष नहीं की है। इस प्रकार स्पश्ट है कि विपक्षी कंपलीट कंप्यूटर सेट न बेचकर सिर्फ कंप्यूटर पार्ट्स बेचता है। इसके अलावा विपक्षी कहता है कि न्च्ै और प्रिण्टर उसने नहीं बेचे। परिवादी इन दोनों चीजों को विपक्षी से खरीदना कहता है लेकिन इन दोनों ही पाटर््स के बिल नहीं है इसलिए परिवादी का यह तर्क भी मानने योग्य नहीं है। अब कंप्यूटर पार्ट्स को असम्बल करवाकर यदि परिवादी ने कंप्यूटर सेट तैयार कराया है तो उसके लिए विपक्षी जिम्मेदार नहीं है। विपक्षी द्वारा बेचे गये पार्ट्स का परिवादी ने
4
कोई रिलीफ नहीं चाहा है। जिन पाटर््स का रिलीफ चाहा है वह विपक्षी ने बेचे नहीं हैं क्योंकि उन दोनों ही पाटर््स का बिल पत्रावली में नहीं है। ऐसी स्थिति में उपरोक्त विवेचन ओर विष्लेशण के आधार पर हमारे विचार से परिवादी विपक्षी का सेवादोश प्रमाणित करने में सफल नहीं रहा है।
3 अनुतोश ?
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी खारिज किया जाता है।
आदेष
परिणामतः परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षी खारिज किया जाता है। प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए पक्षकारान परिवाद का खर्चा अपना अपना वहन करेंगे।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
निर्णय आज दिनंाक 09.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
(महावीर तंवर) (नन्द लाल षर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश मंच
झालावाड केम्प,कोटा (राज0) झालावाड केम्प,कोटा (राज0)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.