(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-59/2011
श्रीमती जोहरा बेगम पत्नी स्व0 बदरे आलम खान तथा चार अन्य
बनाम
यूनियन आफ इण्डिया, द्वारा सेक्रेटरी डिपार्टमेंट आफ रेलवेज मिनिस्ट्री आफ रेलवेज नई दिल्ली तथा छ: अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 17.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. प्रस्तुत परिवाद पर बल देने के लिए उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अत: पीठ द्वारा स्वंय पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादिनी के पति बदरे आलम ने मार्च 2010 में मुम्बई से गोरखपुर वापसी के लिए रेलवे टिकट दिनांक 30.7.2010 के लिए बुक किया था। दिनांक 27.7.2010 को अंधेरी मुम्बई से बस में यात्रा के दौरान वह बेहोश हुए, जहां से उन्हें भाभा हॉस्पिटल ले जाया गया वहां से के.ई.एम. हॉस्पिटल, मुम्बई के लिए रेफर कर दिया गया, जहां पर परिवादीगण द्वारा एसजीपीजीआई लखनऊ को रेफर करने के लिए अनुरोध किया गया। मृतक यात्री एवं सह यात्रियों द्वारा अंकन 7,388/-रू0 खर्च कर ए.सी. II टायर का टिकट क्रय किया गया तथा लोकमान्य तिलक स्टेशन से यात्रा प्रारम्भ की गई। भुसावल स्टेशन पहुँचने पर मरीज की हालत खराब हुई और आक्सीजन सिलेण्डर की आवश्यकता हुई। स्टेशन पर ट्रेन के कोच अंटेंडेंट तथा टी.टी. को सूचना दी गई, परन्तु आक्सीजन सिलेण्डर उपलब्ध नहीं
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हुआ, इसके बाद भोपाल स्टेशन पर भी आक्सीजन सिलेण्डर की मांग की गई। रेलवे द्वारा किसी प्रकार की मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई और न ही आक्सीजन सिलेण्डर उपलब्ध कराया गया, जबकि एसजीपीजीआई, लखनऊ लाते समय मुम्बई स्थित मेडिकल कालेज द्वारा यह हिदायत दी गई थी कि 4/6 लीटर का आक्सीजन सिलेण्डर मरीज के साथ रखना आवश्यक है। अत: इस उल्लेख से ही जाहिर होता है कि मरीज को आक्सीजन के साथ यात्रा करने की हिदायत रेफर करने वाले मेडिकल कालेज द्वारा दी गई थी तब बगैर आक्सीजन सिलेण्डर के यात्रा करना स्वंय मृतक के सह यात्रियों द्वारा अनुचित कृत्य किया गया है। इस प्रकृति के मरीज को आक्सीजन सिलेण्डर के साथ एम्बुलेंस में लाने की आवश्यकता थी न कि ट्रेन के माध्यम से। यात्रा के दौरान ट्रेन प्रबंधन द्वारा आक्सीजन सिलेण्डर का प्रबंध करना सहज एवं सुलभ कार्य नहीं है, इसलिए ट्रेन प्रबंधन लापरवाही के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रेन प्रबंधन के विरूद्ध विचार-विमर्शित योजना के तहत क्षतिपूर्ति हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो खारिज होने योग्य है।
आदेश
3. प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2