Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/2074

Smt. Massarrat Jahan - Complainant(s)

Versus

Union Of India - Opp.Party(s)

Isar Husain

24 Jul 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/2074
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Smt. Massarrat Jahan
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Of India
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                   (सुरक्षित)

अपील संख्‍या :2074/2000

(जिला मंच, द्वितीय मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-137/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.7.2000 के विरूद्ध)

1        Smt. Massarrat Jahan, widow of M.I. Usmani Retired. I.T.I.

2        Miss. Rafia Usmani daughter of M.I. Usmani, Retired I.T.I. Both R/o 3-B/458, Biddhi Bihar, Majhola, Moradabad.

                                      ........... Appellant/Complainant

Versus        

Union of India, through the Secretary, Postal Department, New Delhi.

Post Master, Head Post Office, Moradabad.

                                                                   .......... Respondent/Opp. Party

समक्ष :-

मा0 श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य

मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता  :     श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता    :     डॉ0 उदय वीर सिंह

दिनांक : 02/12/2015

          मा0 श्री जे0एन0 सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

            परिवाद सं0 137/1999 श्रीमती मसर्रत जहॉ व अन्‍य बनाम यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सचिव, डाक विभाग, नई दिल्‍ली व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.7.2000 जिसके माध्‍यम से जिला मंच, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया गया, से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदय वीर सिंह उपस्थित आये। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय व उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने किसान विकास पत्र प्राप्‍त करने हेतु विपक्षी के अधिकृत एजेण्‍ट श्री भवानी शंकर द्वारा रू0 34,000.00 का चेक दिनांक 23.12.1998 को दिया एवं दिनांक 22.01.1999 को किसान विकास पत्र जारी किया गया। परिवादी के अनुसार उसकी चेक स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया शाखा मुरादाबाद की थी और विपक्षी ने उस चेक को समायोजन हेतु 09 दिन बाद भेजा, जबकि उसी दिन चेक भेज देना चाहिए

-2-

था और अधिक से अधिक दो दिन के अंदर उसके खाते में चेक का पैसा जमा किया जाना चाहिए, विपक्षी की इस देरी के कारण उसे दिनांक 20.01.1999 को किसान विकास पत्रजारी कर दिनांक 22.01.1999 को दिया गया, जिससे की परिवादी को 06 माह के ब्‍याज का नुकसान हुआ, क्‍योंकि दिनांक 01.01.1999 को सरकार ने किसान विकास पत्र की परिपक्‍वता अवधि साढ़े पॉच साल से 06 वर्ष कर दी, अत: परिवादी को रू0 6120.00 के ब्‍याज का नुकसान हुआ, जिसके फलस्‍वरूप परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध अनुतोष प्राप्‍त किये जाने हेतु परिवाद संस्थित किया गया है।

विपक्षीगण की ओर से जिला मंच के समक्ष अपनी लिखित आपत्ति प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया और यह अभिवचित किया गया है कि उन्‍होंने कोई देरी नहीं की, परिवादी अनुचित लाभ प्राप्‍त करने एवं परेशान करने के लिए उक्‍त शिकायत दर्ज की है। परिवादी द्वारा रू0 34,000.00 का चेक दिनांक 23.12.1998 को दिया गया था एवं 25.12.1998 को बडे दिन का अवकाश था एवं दिनांक 27.12.1998 को रविवार था तथा 28.12.1998 से 30.12.1998 तक ब्रांच बाबू जो इस काम को डील कर रहा है, वह अवकाश पर था, जिसके कारण चेक दिनांक 31.12.1998 को प्राप्‍त हुआ और उसे दिनांक 01.01.1999 को बैंक में भेजा गया और दिनांक 01.01.1999 को विभिन्‍न पोस्‍टल स्‍कीमों में ब्‍याज की दर कम कर दी गई। इन्दिरा विकास पत्र, किसान विकास पत्र की परिपक्‍वता अवधि साढ़े पॉच साल से 06 वर्ष कर दी गई, जिसकी कोई पूर्व सूचना किसी को नहीं थी, अत: परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

उभय पक्ष के अभिवचन एवं उपलब्‍ध अभिलेखों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्‍ध होकर वर्तमान अपील योजित है।

वर्तमान प्रकरण में परिवादी द्वारा रू0 34,000.00 का एक चेक किसान विकास पत्र प्राप्‍त करने हेतु दिनांक 23.12.1998 को विपक्षी को प्राप्‍त कराया गया था को दिया गया था एवं विपक्षी को उक्‍त चेक दिनांक 25.12.1998 को बडे दिन का अवकाश होने पर दिनांक 27.12.1998 को रविवार होने एवं दिनांक 28.12.1998 से 30.12.1998 तक ब्रांच बाबू जो इस काम को डील कर रहा है, वह अवकाश पर होने के कारण उक्‍त चेक दिनांक 31.12.1998 को प्राप्‍त हुआ, जिसके कारण विपक्षी द्वारा उक्‍त चेक को दिनांक 01.01.1999 को बैंक में भेजा गया। जिसके कारण परिवादी को उक्‍त

-3-

किसान विकास पत्र दिनांक 20.01.1999 तक जारी नहीं हो सका और दिनांक 01.01.1999 को विभिन्‍न पोस्‍टल स्‍कीमों में ब्‍याज की दर कम कर दी गई तथा इन्दिरा विकास पत्र, किसान विकास पत्र की परिपक्‍वता अवधि साढ़े पॉच साल से 06 वर्ष कर दी गई। जिससे की परिवादी को 06 माह के ब्‍याज का नुकसान हुआ। यदि परिवादी को दिनांक 31.12.1998 तक या उसके पूर्व किसान विकास पत्र निर्गत हो जाता तो उसकी परिपक्‍वता अवधि साढ़े पॉच वर्ष ही होती और उन्‍हें साढ़े पॉच वर्ष की परिपक्‍वता पर ही ब्‍याज मिलता, परन्‍तु चूंकि प्रश्‍नगत पत्र माह जनवरी, 1999 में निर्गत किया गया और तब उसकी परिपक्‍वता अवधि साढ़े पॉच वर्ष से बढ़ाकर 06 वर्ष हो गयी, परिणामस्‍वरूप परिवादी को प्रश्‍नगत किसान विकास पत्र पर ब्‍याज 06 वर्ष की परिपक्‍वता पर मिला अर्थात उन्‍हें 06 माह बाद ब्‍याज मिला, जिससे कि परिवादी को आर्थिक हानि भी हुई। जिसमें विपक्षी डाकघर की सेवा में कमी स्‍पष्‍ट प्रतीत होती है, इसलिए विपक्षी डाकघर परिवादी को 06 माह का ब्‍याज भुगतान करने के लिए उत्‍तरदायी है और इस संदर्भ में जिला मंच द्वारा दिया गया निष्‍कर्ष स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं पाया जाता है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

     आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0 137/1999 श्रीमती मसर्रत जहॉ व अन्‍य बनाम 1-यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सचिव, डाक विभाग, नई दिल्‍ली व 2- पोस्‍ट मास्‍टर, हेड पोस्‍ट आफिस, मुरादाबाद में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.7.2000 अपास्‍त करते हुए विपक्षी सं0-2 पोस्‍ट मास्‍टर, हेड पोस्‍ट आफिस, मुरादाबाद को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी को प्रश्‍नगत किसान विकास पत्र की धनराशि रू0 34,000.00 पर 06 माह का ब्‍याज तत्‍कालीन प्रचलित दर से, दो माह के अन्‍दर भुगतान करना सुनिश्चित करें।

वाद व्‍यय पक्षकारान अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

 

 

          (जे0एन0 सिन्‍हा)               (संजय कुमार)         

         पीठासीन सदस्‍य                   सदस्‍य                  

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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