राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2628/2012
साधना बाजपेयी पत्नी स्व0 आलोक बाजपेयी निवासी राजा बाग
कालोनी शहर व जिला पीलीभीत(उ0प्र0)। .....अपीलार्थी@परिवादिनी
बनाम
यूनियन आफ इंडिया, रेल मंत्रालय द्वारा सामान्य प्रबंधक एन0ई0
रेलवे, गोरखपुर(उ0प्र0)। .......प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मनोज मोहन के सहयोगी श्री
संजय कुन्तल, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 27.09.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 62/06 साधना बाजपेयी बनाम यूनियन आफ इंडिया में पारित निर्णय व आदेश दि. 12.10.12 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवादिनी के पति आलोक बाजपेयी की ट्रेन यात्रा के दौरान रेलवे विभाग की किसी प्रकार की लापरवाही न मानते हुए उपभोक्ता परिवाद खारिज कर दिया है।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। रेलवे में यात्रा के दौरान किसी अजनबी व्यक्ति द्वारा चाय पीने का आग्रह किया गया। चाय पीने के बाद मृतक सीट पर लेट गया और चलती ट्रेन से ट्रेन में फर्श पर गिर पड़ा। चाय में जहरीला पदार्थ दिया गया और मृतक का पर्स अपने पास रख लिया गया था। यह यात्री मृतक की सहायता भी कर रहा था, इसलिए सह यात्री मृतक के साथी समझ रहे थे। पूरनपुर जनपद
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पीलीभीत में जी.आर.पी. ने मृतक को उतारा, परन्तु पोस्टमार्टम में मृत्यु का स्पष्ट कारण न होने के कारण विसरा सुरक्षित रखा गया, परन्तु जी.आर.पी. पीलीभीत ने लापरवाही के कारण विसरा जांच के लिए नहीं भेजी। पंचनामे में जी.आर.पी. ने मृत्यु का कारण जहरीला पदार्थ दिया जाना कहा। प्रतिपक्षी संख्या 2 ने भी ऐसा ही उल्लेख किया है, इसलिए परिवादिनी रेलवे से क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत है।
3. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने बहस के दौरान स्वीकार किया है कि विसरा का कभी भी परीक्षण नहीं हुआ, इसलिए यह तथ्य साबित ही नहीं है कि ट्रेन यात्रा के दौरान यात्री को रेलवे विभाग की लापरवाही के दौरान कोई व्यक्ति जहर देने में सफल रहा और पोस्टमार्टम के अनुसार मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण रेल यात्री यानी परिवादिया के पति की मृत्यु कारित हुई है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा तथ्य एवं साक्ष्य का विश्लेषण करने के बाद अपना निर्णय पारित किया है, जिसमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
5. अपील खारिज की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
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वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3