राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1524/2006
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-279/2005 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22-05-2006 के विरूद्ध)
Medical House, E-8, Patel Nagar-II, Ghaziabad, through Proprietor Dr. Bhupendra Mehta.
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
- Union of India and another.
- Sr. Supt of Post office R-1/20, Raj Nager, Ghaziabad,
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष :-
1- मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 02-12-2014
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
वर्तमान प्रकरण में अपीलार्थी को अंगीकरण के बिन्दु पर सुनवाई हेतु तमाम अवसर दिये गये एवं पत्रावली के परिशीलन से यह प्रकट होता है कि परिवाद प्रस्तुत किये जाने के पश्चात वर्तमान प्रकरण में परिवादी/अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। वर्तमान अपील वर्ष 2006 से लम्बित है अत: न्यायसंगत यह पाया गया कि वर्तमान अपील पर गुणदोष के आधार पर विचार कर लिया जाए।
वर्तमान अपील के माध्यम से अपीलार्थी द्वारा परिवाद संख्या-279/2005 मेडिकल हाऊस बनाम यूनियन आफ इण्डिया में पारित आदेश दिनांक 22-05-2006 को चुनौती दी गयी एवं अनुतोष में आदेश दिनांकित 22-05-2006 के साथ दिनांक 14-12-2005 के आदेश को भी अपास्त किये जाने हेतु भी अनुतोष किया गया। दिनांक 22-05-2006 को जिला मंच द्वारा इस आशय का आदेश पारित किया गया कि आदेश दिनांक 14-12-2005 जिसके माध्यम से परिवाद खण्डित किया गया था उसे अपास्त किये जाने का औचित्य नहीं पाया गया और परिवाद कालबाधित पाया गया। यहॉं इस बात का उल्लेख करना भी उचित प्रतीत होता है कि जिला मंच एवं मा0 राज्य
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आयोग को स्वयं द्वारा पारित आदेश को अपास्त किये जाने का अधिकार प्राप्त नहीं है इस संदर्भ में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजीव हितेन्द्र पाठक व अन्य बनाम अच्युत काशीनाथ कारेकर व अन्य IV(2011) CPJ-35 (NC) में प्रतिपादित विधिक सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में स्वीकार की जाने योग्य नहीं है। अत: आदेश दिनांक 22-05-2006 में किसीप्रकार की कोई विधिक त्रुटि होना नहीं पाया जाता है। अत: प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
जहॉं तक आदेश दिनांक 14-12-2005 का प्रश्न है इस संदर्भ में इतना ही कहना है कि उपरोक्त वर्णित आदेश को अपास्त किये जाने हेतु आधार अपील में अनुरोध किया गया है परन्तु विलम्ब क्षमा किये जाने हेतु कोई प्रार्थना पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है एवं यहॉं इस आशय का स्पष्ट उल्लेख करना उचित प्रतीत होता है कि अंगीकरण के स्तर पर ही अपीलार्थी काफी अर्से से अनुपस्थित रहा है और आज भी वह अनुपस्थित है। अत: वर्तमान अपील अंगीकृत किये जाने योग्य नहीं पायी जाती है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अस्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-279/2005 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22-05-2006 की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( जितेन्द्र नाथ सिन्हा) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0
कोर्ट नं0-4