राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1768 सन 2012 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद के परिवाद संख्या-156/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06-06-2012 के विरूद्ध)
1-ब्रहमपाल सिंह उम्र लगभग 55 वर्ष पुत्र श्री हुकुम सिंह, निवासी- मकान नं0-16/387 डा0 विशनु शर्मा वाली गली कृष्णा नगर, बुलन्दशहर, यू0पी0।
2-संदीप कुमार पुत्र श्री शैवराज सिंह, निवासी ग्राम-खुडालिया पोस्ट- सिम्लोनी जिला गाजियाबाद, उ0प्र0।
3-जितेन्द्र सिंह सिरोही पुत्र श्री किशन वीर सिंह सिरोही, निवासी ग्राम व पोस्ट-बनबांय जिला बुलन्द शहर, यू0पी0। ..... अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम
1-युनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर नार्दन रेलवे, बड़ौदा हाऊस न्यू दिल्ली।
2-सुपरिन्टेंडेन्ट रेलवे चारबाग, लखनऊ।
3-श्री डी0के0 शर्मा, (टी.टी.ई.) द्वारा सुपरिन्टेंडेन्ट नार्दन रेलवे, चारबाग, लखनऊ।
4-सुपरिन्टेंडेन्ट रेलवे, स्टेशन हापुड़, जिला- गाजियाबाद (एन.आर.)
....प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य।
2-मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : कोई नहीं।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : कोई नहीं।
दिनांक:31-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-156/2012 ब्रहमपाल सिंह बनाम युनियन आफ इंडिया जरिए जनरल मैनेजर,
(2)
नार्दन रेलवे आदि में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06-06-2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें कि विद्वान जिला मंच द्वारा परिवादी का परिवाद सफल न होने के कारण निरस्त किया गया है।
अपीलार्थीगण/परिवादीगण की ओर से उक्त अपील को प्रस्तुत किये जाने में हुए बिलम्ब को क्षमा किये जाने हेतु क्षमा प्रार्थना पत्र दिया गया है एवं अपीलार्थी/परिवादी श्री ब्रहमपाल सिंह ने अपना शपथ पत्र भी दाखिल किया है, जिसमें कि समुचित बिलम्ब का कारण दिया गया है। अत: अपील को प्रस्तुत किये जाने में हुए बिलम्ब को क्षमा किये जाने के प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया जाता है और बिलम्ब को क्षमा किया जाता है।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने दो साथियों के साथ हापुड़ स्टेशन से लखनऊ के लिए नवचन्दी एक्सप्रेस से दिनांक 24-03-2001 को रवाना हुआ और उसने टी.टी.ई. श्री डी0के0 शर्मा को अपना रिजर्वेशन टिकट दिखाया, लेकिन उन्होंने यह फर्जी बताया और दिनांक 25-03-2001 को परिवादी को बन्द करा दिया। परिवादी को मजिस्ट्रेट के समक्ष जब प्रस्तुत किया गया तो उससे 700-00 रूपये जमा कराया गया और उसका उत्पीड़न किया गया। अत: उसने 700-00 रूपये दिलाये जाने की मांग की है।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण की ओर से यह बताया गया है कि परिवादी बिना टिकट यात्रा कर रहा था। अत: ऐसी परिस्थिति में उसे रेलवे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया और नियमानुसार पेनाल्टी की रसीद कटवाई गई। विद्वान जिला मंच द्वारा उसका परिवाद सम्पूर्ण तथ्यों पर विचार करते हुए खारिज कर दिया गया है, जिसमें कि हस्तक्षेप किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
अपीलकर्तागण की ओर से श्री आर0 एल0 विश्वकर्मा अनुपस्थित है तथा प्रत्यर्थीगण की ओर से भी कोई उपस्थित नहीं हुए। अत: यह समीचीन पाया गया कि पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों को दृष्टिगत रखते हुए अपील का निस्तारण कर दिया जाय।
(3)
अपीलकर्तागण ने अपने अपील में यह आधार लिया है कि उसे रेलवे मजिस्ट्रे के समक्ष प्रस्तुत किया गया और विद्वान मजिस्ट्रेट द्वारा उस पर जुर्माना लगाया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से यह बताया गया कि वह बिना टिकट यात्रा कर रहा था, इसलिए उसे रेलवे मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया और नियमानुसार उससे पेनाल्टी ली गई।
विद्वान जिला मंच ने सम्पूर्ण तथ्यों पर विचार करते हुए निर्णय पारित किया है, जिसमें कि हस्तक्षेप किये जाने की आवश्यकता नहीं है। अत: अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थीगण की अपील निरस्त की जाती है तथा विद्वान जिला मंच गाजियाबाद के परिवाद संख्या-156/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 06-06-2012 की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाय।
( अशोक कुमार चौधरी ) (संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-3