Uttar Pradesh

StateCommission

C/2009/97

Deepak Srivastava - Complainant(s)

Versus

Union Of India Railways - Opp.Party(s)

Anand Mohan

11 Apr 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2009/97
 
1. Deepak Srivastava
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Union Of India Railways
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद सं0-९७/२००९

 

श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव (मृतक) पत्‍नी स्‍व0 डॉ0 गोकर्ण नाथ श्रीवास्‍तव निवासी ५/५९६, विकास खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ।

परिवादिनी श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव की मृत्‍यु के उपरान्‍त प्रतिस्‍थापित परिवा‍दीगण :-

१/१. दीपक श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 डॉ0 गोकर्ण नाथ श्रीवास्‍तव, निवासी ५/५९६, विकास खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ, २२६०१०.

१/२. आलोक श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 डॉ0 गोकर्ण नाथ श्रीवास्‍तव, निवासी डी-२/२०२४,...........नई दिल्‍ली, ११००७०.  

१/३. कैप्‍टन ज्‍योति श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 डॉ0 गोकर्ण नाथ श्रीवास्‍तव, निवासी बी-४०/१, अमर एम्बिएन्‍स, क्रम सं0-६१, घोरपदी, पुणे, पिन-४११००१.

१/४. कर्नल प्रदीप श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 डॉ0 गोकर्ण नाथ श्रीवास्‍तव, निवासी ५/५९६, विकास खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ, २२६०१०.

१/५. श्रीमती अल्‍का वर्मा पत्‍नी श्री निशीथ वर्मा पुत्री स्‍व0 डॉ0 गोकर्ण नाथ श्रीवास्‍तव, निवासी खवासपुरा, चौक, फैजाबाद।

                                                        ..............   परिवादीगण।

बनाम्

 

१. यूनियन आफ इण्डिया द्वारा मिनिस्‍ट्री आफ रेलवेज, रेल भवन, नई दिल्‍ली।

२. स्‍टेशन सुपरिण्‍टेण्‍डेण्‍ट, चारबाग रेलवे स्‍टेशन, नार्दर्न रेलवे, लखनऊ।

३. डिवीजनल रेलवे मैनेजर, नार्दर्न रेलवेज, हजरतगंज, लखनऊ।

                                                         ...............   विपक्षीगण।

समक्ष:-

१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२. मा0 महेश चन्‍द, सदस्‍य।

 

परिवादीगण की ओर से उपस्थित  :- श्री दीपक श्रीवास्‍तव विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित   :- श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : ०६-०५-२०१६.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      प्रस्‍तत परिवाद स्‍व0 श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव ने विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति की अदायगी कराए जाने हेतु योजित किया था।

दौरान् लम्‍बन परिवाद मूल परिवादिनी श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव की मृत्‍यु हो गयी, अत:

 

 

 

 

-२-

परिवादीगण १/१ लगायत १/५ को मूल परिवादिनी के उत्‍तराधिकारीगण के रूप में प्रतिस्‍थापित किया गया।

 

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि दिनांक १९-०६-२००९ को मूल परिवादिनी स्‍व0 श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव शताब्‍दी ट्रेन नम्‍बर ०४०२ से दिल्‍ली से लखनऊ यात्रा करके रात्रि लगभग १०.४० बजे चारबाग, लखनऊ रेलवे स्‍टेशन पहुँचीं। जब मूल परिवादिनी स्‍व0 श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव प्‍लेटफार्म नं0-१ व २ के बीच स्थित पुल से जा रहीं थीं तभी पुल के उत्‍तर की तरफ लगी जाली/ग्रिल उनके ऊपर गिर पड़ी, जिससे वह गम्‍भीर रूप से घायल/चोटिल हो गयीं। उनके पैर की फीमर हड्डी कई जगह से टूट गयी। घटना के समय श्री अजय कुमार बाजपेयी (टी.टी.ई) तथा श्री सैयाद इरफान अहमद (रेलवे अधिकारी) घटना स्‍थल पर उपस्थित थे, जिन्‍होंने यह घटना देखी। श्री दीपक श्रीवास्‍तव अपने चपरासी सुशील कुमार के साथ स्‍टेशन पर अपनी मॉं को लेने गये थे तथा उनको लेकर वे भी पुल से आ रहे थे। जाली (ग्रिल) के श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव के ऊपर गिरने पर तत्‍काल श्री दीपक श्रीवास्‍तव तथा उनके चपरासी ने ग्रिल को हटाकर अपनी मॉं को उठाया, किन्‍तु ग्रिल के गिरने से आई चोटों के कारण उन्‍हें असहनीय पीड़ा हो रही थी। श्री अजय कुमार बाजपेयी एवं श्री सैयद इरफान अहमद ने उन्‍हें व्‍हील चेयर उपलब्‍ध करायी। पुल का रख-रखाव ठीक न करने के कारण पुल में लगी जाली (ग्रिल) टूटकर गिर गयी थी। घटना की सूचना विपक्षी सं0-२ स्‍टेशन अधीक्षक, चारबाग रेलवे स्‍टेशन को दी गयी, जिन्‍होंने मूल परिवादिनी/घायल को रेलवे हास्पिटल के डॉ0 अनिल कुमार शुक्‍ला को सन्‍दर्भित कर दिया। डॉं0 अनिल कुमार शुक्‍ला ने मूल परिवादिनी/घायल पर ध्‍यान न देकर उन्‍होंने एम्‍बुलेन्‍श नं0-यू.पी. ३२ ए एन ३२६७ को बुलाकर बिना किसी प्राथमिक चिकित्‍सीय उपचार के सिविल अस्‍पताल, लखनऊ में भर्ती करा दिया। सिविल अस्‍पताल, लखनऊ में मूल परिवादिनी/घायल की चोटों का एक्‍स-रे कराया गया, जिससे ज्ञात हुआ कि मूल परिवादिनी के पैर की फीमर हड्डी पॉच – छ: जगह से टूट गयी है। तब मूल परिवादिनी/घायल को दिनांक   २०-०६-२००९ को मिलिट्री हास्पिटल-कमाण्‍ड हास्पिटल, लखनऊ में सन्‍दर्भित किया गया। दिनांक २६-०६-२००९ को मूल परिवादिनी के पैर का ऑपरेशन होना था, किन्‍तु उसके स्‍वास्‍थ्‍य की स्थिति अच्‍छी न होने के कारण मूल परिवादिनी को बेस हास्पिटल, लखनऊ को सन्‍दर्भित किया

 

 

 

 

-३-

गया, जहॉं उसे आई0सी0यू0 में रखा गया तथा मूल परिवादिनी के पैर का ऑपरेशन दिनांक २९-०६-२००९ को हुआ। घटना की सूचना एस0एच0ओ0, जी0आर0पी0, चारबाग, लखनऊ को दिनांक २१-०६-२००९ को डाक द्वारा दी गयी तथा इस सूचना की एक प्रति एस0एस0पी0, लखनऊ एवं आई0जी0 लखनऊ को भी उसी दिन प्रेषित की गयी। दिनांक २२-०६-२००९ को प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रतिलिपि थाना नाका, लखनऊ को एवं आई0जी0 रेलवे को डाक द्वारा भेजी गयी।

      चिकित्‍सा के मध्‍य चिकित्‍सक द्वारा यह राय व्‍यक्‍त की गयी कि चूँकि मूल परिवादिनी की आयु अधिक है, अत: हड्डी का जुड़ना सम्‍भव नहीं है। अत: मूल परिवादिनी को अपना शेष जीवन बिस्‍तर पर ही ट्रेण्‍ड नर्सिंग स्‍टाफ की देख-रेख में व्‍यतीत करना होगा। मूल परिवादिनी के पुत्र दीपक श्रीवास्‍तव द्वारा अपनी मॉं की देखभाल के लिए आस्‍था इन्‍स्‍टीट्यूट, लखनऊ से दो नर्सों की सेवाऐं १२,०००/- रू० मासिक भुगतान पर ली गयीं। रेलवे की लापरवाही के कारण मूल परिवादिनी को मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट झेलना पड़ा। अत: प्रस्‍तुत परिवाद योजित किया गया।

      विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में मूल परिवादिनी द्वारा की गयी कथित यात्रा से इन्‍कार नहीं किया, किन्‍तु इस तथ्‍य से इन्‍कार किया कि दिनांक १९-०६-२००९ को कोई ऐसी जाली (ग्रिल) पुल के ऊपर मूल परिवादिनी के ऊपर गिरी। विपक्षीगण द्वारा यह भी कहा गया कि कथित घटना के समय श्री अजय कुमार बाजपेयी (टी.टी.ई) तथा श्री सैयद इरफान अहमद अन्‍यत्र कार्यरत थे, उनके द्वारा न तो कथित घटना देखी गयी और न ही व्‍हील चेयर की व्‍यवस्‍था उनके द्वारा मूल परिवादिनी/घायल के लिए की गयी। दिनांक १९-०६-२००९ को कथित घटना की कोई सूचना रेलवे के अधिकारियों को नहीं दी गयी। उक्‍त तिथि पर गाड़ी संख्‍या-५७०७ आम्रपाली एक्‍सप्रेस के एक यात्री को चोट लगी थी, जिसकी सूचना स्‍टेशन मास्‍टर कार्यालय को दी गयी थी। सहायक स्‍टेशन मास्‍टर श्री हरिओम श्रीवास्‍तव द्वारा बताया गया कि आम्रपाली एक्‍सप्रेस के यात्रीको ट्रेन में ही चिकित्‍सा सुविधा उपलब्‍ध कराने हेतु मण्‍डल चिकित्‍सालय से डॉ0 कमल को बुलाया गया था। डॉ0 कमल २३:२० बजे लखनऊ स्‍टेशन पहुँचे एवं वह ५७०७ पर यात्री को अटेण्‍ड करने प्‍लेटफार्म सं0-५ पर जा रहे थे कि रास्‍ते में किसी व्‍यक्ति द्वारा बताया गया कि प्रथम श्रेणी की सीढि़योंपर एक महिला को गिर पड़ने से चोट लग गयी है। डॉ0 कमल द्वारा मानवीय आधार पर परिवादिनी को अटेण्‍ड किया गया, अन्‍दरूनी चोट होने पर डॉ0 कमल द्वारा

 

 

 

 

-४-

महिला को एम्‍बुलेंस में उनके कहने पर सिविल अस्‍पताल में भिजवा दिया गया एवं वापस आगर ५७०७ आम्रपाली एक्‍सप्रेस के यात्री को अटेण्‍ड किया गया। दिनांक १९-०६-२००९ को परिवादिनी की तरफ से किसी भी व्‍यक्ति द्वारा कोई भी लिखित अथवा मौखिक सूचना स्‍टेशन अधीक्षक/स्‍टेशन मास्‍टर कार्यालय में नहीं दी गयी। परिवादिनी के प्रतिनिधि को दिनांक १९-०६-२००९को ही रेलवे स्‍टेशन पर रखी परिवाद पुस्तिका अथवा जी0आर0पी0, रेलवे पुलिस चौकी, चारबाग में शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी, किन्‍तु ऐसी कोई सूचना परिवादिनी की ओर से  दर्ज नहीं करायी अन्‍यथा मौके पर ही जांच हो जाती एवं वास्‍तविकता का पता चल जाता। परिवादिनी के प्रतिनिधि द्वारा दिनांक १९-०६-२००९ को कोई भी शिकायत लिखित अथवा मौखिक रूप से दर्ज नहीं करायी गयी थी। बाद में विभिन्‍न स्‍थानों पर भेजे गये प्रार्थना पत्र जब रेल प्रशासन के पास पहुँचे तब प्रशासन द्वारा जांच करायी गयी एवं  पाया गया कि मूल परिवादिनी का आरोप गलत है। मूल परिवादिनी सम्‍भवत: स्‍वयं की लापरवाही के कारण सीढियों से फिसलकर चोटिल हुई होगी, इसका रेलवे प्रशासन से कोई सम्‍बन्‍ध नहीं है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवादिनी का परिवाद धारा-१३ एवं १५ भारतीय रेल दावा अधिकरण अधिनियम से बाधित है।

      परिवाद के अभिकथनों के समर्थन में मूल परिवादिनी श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव का शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा इसके अतिरिक्‍त श्री दीपक श्रीवास्‍तव मूल परिवादिनी के पुत्र ने भी अपना शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया। शपथ पत्र के साथ संलग्‍नक के रूप में मूल परिवादिनी की चिकित्‍सा से सम्‍बन्धित अभिलेख, विपक्षीगण के अधिकारियों को परिवादिनी की ओर से भेजे गये प्रार्थना पत्रों की प्रतियॉं तथा पुलिस उपाधीक्षक रेलवे (प्रथम) द्वारा घटना के सन्‍दर्भ में श्री दीपक श्रीवास्‍तव के अंकित किए गये बयान की प्रति, श्री अश्‍वनी कुमार द्वारा दिए गये बयान की प्रति तथा श्री सुशील कुमार द्वारा दिए गये बयान की प्रति दाखिल की गयी हैं।

      विपक्षीगण की ओर से श्री एम0एल0 मीना मण्‍डल वाणिज्यिक प्रबन्‍धक, उत्‍तर रेलवे हजरतगंज, लखनऊ का शपथ पत्र एवं कोच कण्‍डक्‍टर अजय कुमार बाजपेयी तथा श्री सैयद इरफान अहमद के शपथ पत्र प्रस्‍तुत किए गये हैं।

      परिवादीगण की ओर से श्री दीपक श्रीवास्‍तव द्वारा प्रत्‍युत्‍तर शपथ पत्र भी प्रस्‍तुत किया गया है।

 

 

 

 

-५-

      हमने परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक श्रीवास्‍तव तथा विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

      विपक्षीगण की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि रेल दावा अधिकरण अधिनियम की धारा-१३ एवं १५ के अनुसार प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस आयोग को नहीं है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-३ के अनुसार इस अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद निस्‍तारण की व्‍यवस्‍था अन्‍य अधिनियमों के प्राविधानों के अतिरिक्‍त की गयी है। अत: विपक्षीगण का यह तर्क स्‍वीकार योग्‍य नहीं है कि प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस आयोग को नहीं है।

      प्रस्‍तुत मामले में मुख्‍य विचारणीय बिन्‍दु यह है कि –

१.    क्‍या दिनांक १९-०६-२००९ को चारबाग रेलवे स्‍टेशन परिसर स्थित प्‍लेट फार्म संख्‍या-१ व २ के बीच पुल की जाली (ग्रिल) गिरने से मूल परिवादिनी श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव को चोटें आयीं ?

२.    क्‍या परिवादीगण कोई क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं ? यदि हॉं, तो कितनी ?

      निष्‍कर्ष :-

वाद बिन्‍दु संख्‍या-१ :-

      इस बिन्‍दु पर अपने कथन के समर्थन में मूल परिवादिनी स्‍व0 कृष्‍णा श्रीवास्‍तव ने परिवाद के अभिकथनों की पुष्टि में अपना शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है। मूल परिवादिनी की मृत्‍यु के उपरान्‍त परिवादिनी के पुत्र दीपक श्रीवास्‍तव ने परिवाद के अभिकथनों की पुष्टि में अपना शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है। इसके अतिरिक्‍त कथित घटना के सन्‍दर्भ में परिवादिनी द्वारा बताए गए प्रत्‍यक्षदर्शी साक्षी श्री अश्‍वनी कुमार पुत्र स्‍व0 डॉ0 राम कृष्‍ण लाल श्रीवास्‍तव तथा श्री सुशील कुमार पत्र स्‍व0 बैजनाथ प्रसाद एवं श्री दीपक श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 डॉ0 गोकरन नाथ श्रीवास्‍तव द्वारा कथित घटना के सन्‍दर्भ में पुलिस उपाधीक्षक रेलवे (प्रथम), अनुभाग लखनऊ को दिए गये बयान दिनांक १०-११-२००९ की फोटोप्रतियॉं दाखिल की हैं, जिन्‍हें परिवादिनी के पुत्र श्री दीपक श्रीवास्‍तव द्वारा दिए गये शपथ पत्र के साथ संलग्‍नक ८ एवं ९ के रूप में दाखिल

 

 

 

 

 

-६-

किया गया है, जिसमें उन्‍होंने कथित घटना के सन्‍दर्भ में परिवादिनी के कथन की पुष्टि की है। विपक्षी की ओर से इस बिन्‍दु पर साक्ष्‍य के रूप में श्री एम0एल0 मीना मण्‍डल वाणिज्‍य प्रबन्‍धक उत्‍तर रेलवे हजरतगंज लखनऊ द्वारा प्रस्‍तुत किए गए शपथ पत्र एवं श्री अजय कुमार बाजपेयी तथा श्री सैयद इरफान अहमद के शपथ पत्र दाखिल किए हैं।

      विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत किए गये इन शपथ पत्रों के अवलोकन से यह विदित होता है कि इन सा‍क्षीयों ने कथित घटना के समय अपनी उपस्थिति से इन्‍कार किया है। यद्यपि    मूल परिवादिनी ने श्री अजय कुमार बाजपेयी एवं श्री सैयद इरफान अहमद को कथित घटना के समय उपस्थित होना बताया है, जबकि इन सा‍क्षीयों ने कथित घटना के समय अपनी-अपनी उपस्थिति से इन्‍कार किया है, किन्‍तु मात्र इसी आधार पर कथित घटना के सन्‍दर्भ में मूल परिवादिनी के कथनों को अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता।

      विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत किए गये प्रतिवाद पत्र एवं श्री एम0एल0 मीना मण्‍डल वाणिज्‍य प्रबन्‍धक उत्‍तर रेलवे हजरतगंज लखनऊ द्वारा प्रस्‍तुत किए गये शपथ पत्र के अवलोकन से यह विदित होता है कि कथित घटना के दिन रेलवे के चिकित्‍सक डॉ0 कमल द्वारा मूल परिवादिनी को अटेण्‍ड किया गया तथा उनके द्वारा परिवादिनी को एम्‍बुलेंस से सिविल अस्‍पताल पहुँचाया गया। ऐसी परिस्थिति में कथित घटना के दिन परिवादिनी का घटना स्‍थल पर चोटिल होना स्‍वयं विपक्षी स्‍वीकार करते हैं, किन्‍तु विपक्षी की ओर से ऐसे किसी साक्षी की साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गयी, जिसमें कथित घटना के समय अपने आप को उपस्थित होना बताया हो तथा यह कहा हो कि परिवादिनी को आयी चोटें उसके अभिकथन के अनुसार नहीं पहुँचीं, बल्कि किसी अन्‍य कारण से पहुँची। जबकि परिवादिनी ने कथित घटना के सम्‍बन्‍ध में अपने अभिकथन की पुष्टि में साक्षी श्री अश्‍वनी कुमार पुत्र स्‍व0 डॉ0 राम कृष्‍ण लाल श्रीवास्‍तव तथा श्री सुशील कुमार पत्र स्‍व0 बैजनाथ प्रसाद एवं श्री दीपक श्रीवास्‍तव पुत्र स्‍व0 डॉ0 गोकरन नाथ श्रीवास्‍तव द्वारा कथित घटना के सन्‍दर्भ में पुलिस उपाधीक्षक रेलवे (प्रथम), अनुभाग लखनऊ को दिए गये बयान दिनांक १०-११-२००९ की फोटोप्रतियॉं दाखिल की हैं। परिवादिनी ने इन साक्षीयों को कथित घटना का प्रत्‍यक्ष साक्षी होना बताया है।

      उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में कथित घटना के सन्‍दर्भ में परिवादिनी स्‍व0 कृष्‍णा श्रीवास्‍तव द्वारा प्रस्‍तुत किए गये शपथ पत्र तथा उनके पुत्र श्री दीपक श्रीवास्‍तव द्वारा प्रस्‍तुत

 

 

-७-

किए गये शपथ पत्र में कथित घटना के सन्‍दर्भ में किए गये अभिकथन स्‍वीकार किए जाने योग्‍य हैं। तद्नुसार हमारे विचार से दिनांक १९-०६-२००९ को मूल परिवादिनी स्‍व0 श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव शताब्‍दी ट्रेन नम्‍बर ०४०२ से दिल्‍ली से लखनऊ यात्रा करके रात्रि लगभग १०.४० बजे चारबाग, लखनऊ रेलवे स्‍टेशन पहुँचीं। जब मूल परिवादिनी स्‍व0 श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव प्‍लेटफार्म नं0-१ व २ के बीच स्थित पुल से जा रहीं थीं तभी पुल के उत्‍तर की तरफ लगी जाली/ग्रिल उनके ऊपर गिर पड़ी, जिससे वह गम्‍भीर रूप से घायल/चोटिल हो गयीं। उनके पैर की फीमर हड्डी कई जगह से टूट गयी।

वाद बिन्‍दु संख्‍या-२ :-

      यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई के मध्‍य दिनांक १२-०६-२०११ को मूल परिवादिनी श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव का देहान्‍त हो गया। तदोपरान्‍त मूल परिवादिनी स्‍व0 कृष्‍णा श्रीवास्‍तव के उत्‍तराधिकारी के रूप में परिवादी सं0-१/१ लगायत १/५ को प्रतिस्‍थापित किया गया। परिवादीगण का यह कथन नहीं है कि कथित घटना में आयी चोटों के कारण परिवादिनी की मृत्‍यु हुई।

      विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत कियागया कि प्रस्‍तुत परिवाद मूल परिवादिनी श्रीमती कृष्‍णा श्रीवास्‍तव ने विपक्षीगण के विरूद्ध इस आधार पर योजित किया है कि विपक्षीगण ने रेलवे प्‍लेटफार्म सं0-१ व २ के बीच स्थित पुल की जाली (ग्रिल) का उचित रख-रखाव नहीं किया, जिसके कारण यह ग्रिल परिवादिनी के ऊपर गिर गयी और उसको गम्‍भीर चोटें आयीं। मूल परिवादिनी ने विपक्षीगण की कथित लापरवाही के कारण उसको आयी चोटों की क्षतिपूर्ति हेतु २०.०० लाख रू० दिलाए जाने की प्रार्थना परिवाद में की है। मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति हेतु ०५.०० लाख रू० एवं ०५.०० लाख रू० इलाज में हुए व्‍यय तथा परिवादिनी के रख-रखाव में हुए व्‍यय के सन्‍दर्भ में तथा ३०,०००/- रू० परिवाद व्‍यय के रूप में दिलाये जाने हेतु प्रार्थना की है।  

      विपक्षीगण की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि व्‍यक्तिगत चोटों के सन्‍दर्भ में क्षतिपूर्ति का दावा परिवादिनी के मृत्‍यु के साथ ही समाप्‍त होना माना जायेगा। ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण कोई क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के अधिकारी नहीं माने जा सकते।

      इस सन्‍दर्भ में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा पुनरीक्षण सं0-२१४६/२००२ श्रीमती

 

 

 

 

-८-

जनक कुमारी बनाम डॉ0 बलविन्‍दर कौर नागपाल व अन्‍य के मामले में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये निर्णय दिनांकित १७-०१-२००३ पर विश्‍वास व्‍यक्‍त किया गया। उपरोक्‍त सन्‍दर्भित इस निर्णय का हमने अवलोकन किया। इस निर्णय में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह अवधारित किया गया है कि सम्‍पत्ति हस्‍तान्‍तरण अधिनियम की धारा-६ के अन्‍तर्गत मात्र दावा दायर करने का अधिकार हस्‍तान्‍तरित नहीं किया जा सकता। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने उपरोक्‍त निर्णय में मूल परिवादिनी द्वारा चिकित्‍सा में की गयी कथित लापरवाही के कारण क्षतिपूर्ति दिलाए जाने के सन्‍दर्भ में दाखिल किए गए परिवाद को मूल परिवादिनी की मृत्‍यु के उपरान्‍त उपरोक्‍त विधिक स्थिति के आलोक में पोषणीय नहीं माना। तद्नुसार मूल परिवादिनी की मृत्‍यु के उपरान्‍त उसके विधिक उत्‍तराधिकारियों को क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने का अधिकारी न मानते हुए पुनरीक्षण याचिका निरस्‍त कर दी। किन्‍तु, उल्‍लेखनी है कि सिविल रिट पिटीशन नम्‍बर ४४६७३ सन् २००८ सरोज शर्मा बनाम स्‍टेट आफ यू.पी. व अन्‍य के मामले में माननीय उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद द्वारा दिए गये निर्णय दिनांकित १४-०७-२०१४ में माननीय मध्‍य प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा श्रीमती भगवती बाई बनाम बबलू व अन्‍य, एआईआर २००७ एमपी ३८ के मामले में दिए गए निर्णय पर विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए तथा भारतीय उत्‍तराधिकार अधिनियम की धारा-३०६ एवं लीगल रिप्रजेण्‍टेटिव्‍स सूट्स अधिनियम १८५५ के प्राविधानों पर विचार व्‍यक्‍त करते हुए यह निर्णीत किया गया कि यद्यपि व्‍यक्तिगत चोटों के सन्‍दर्भ में क्षतिपूर्ति हेतु दाखिल किए गये दावे में मूल परिवादिनी की मृत्‍यु के उपरान्‍त मानसिक एवं शारीरिक क्षति हेतु क्षतिपूर्ति कराए जाने का अधिकार मूल परिवादिनी की मृत्‍यु के उपरान्‍त समाप्‍त माना जाएगा, किन्‍तु मूल परिवादिनी की सम्‍पत्ति को पहुँची हानि की प्रतिपूर्ति हेतु विधिक उत्‍तराधिकारी का अधिकार समाप्‍त नहीं माना जा सकता। अत: मूल परिवादिनी की सम्‍पत्ति को पहुँची क्षति हेतु विधिक उत्‍तराधिकारी का दावा स्‍वत: समाप्‍त नहीं माना जा सकता।

      प्रस्‍तुत परिवाद में उल्‍लेखनीय है कि मूल परिवादिनी की चिकित्‍सा में हुए व्‍यय के सन्‍दर्भ में बतौर क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की प्रार्थना की गयी है। मूल परिवादिनी की चिकित्‍सा में हुए व्‍यय के सन्‍दर्भ में परिवादीगण ने अपनी साक्ष्‍य में आस्‍था अस्‍पताल महानगर लखनऊ    में जमा की गयी धनराशि से सम्‍बन्धित रसीदें कागज सं0-१६, १७, १८ एवं २१ के अवलोकन से

 

 

 

 

-९-

विदित होता है कि मूल परिवादिनी के इलाज के सन्‍दर्भ में कुल ३२,२००/- रू० खर्च करने की साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गयी है। मूल परिवादिनी के इलाज के सन्‍दर्भ में कथित रूप से खर्च की गयी धनराशि के सन्‍दर्भ में अन्‍य कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गयी है। श्री दीपक श्रीवास्‍तव के शपथ पत्र के साथ संलग्‍न कागज सं0-१९ एवं २० अपठनीय हैं। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से परिवादीगण, विपक्षीगण से ३२,२००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं। साथ ही परिवाद व्‍यय के रूप में भी १०,०००/- रू० प्राप्‍त करने के अधिकारी हैं। तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।   

   आदेश

प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे इस निर्णय की प्राप्ति के एक माह के अन्‍दर परिवादीगण को ३२,२००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति अदा करें। साथ ही परिवाद व्‍यय के रूप में १०,०००/- रू० उपरोक्‍त अवधि में ही परिवादीगण को अदा करें। यदि विपक्षीगण द्वारा निर्धारित अवधि में उपरोक्‍त धनराशि की अदायगी परिवादीगण को नहीं की जाती है तो उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि पर परिवाद योजित करने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०९ प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्‍याज भी देय होगा।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                              (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                 (महेश चन्‍द)

                                                    सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-५.

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.