(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1959/2008
फैसलबिन रईस, मायनर, पुत्र स्व0 श्री रईस अहमद द्वारा मदर एण्ड नेचुरल गार्जन, श्रीमती सुलेहा खातून पत्नी स्व0 रईस अहमद, निवासी मोहल्ला अब्दुल्लाह, कस्बा एण्ड तहसील बिलारी, जिला मुरादाबाद।
बनाम
यूनियन आफ इण्डिया, द्वारा सेक्रेटरी पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ डिपार्टमेंट, गवर्नमेंट आफ इण्डिया, नई दिल्ली तथा अन्य
एवं
अपील संख्या-1960/2008
कुमारी निकहत रईस, मायनर, पुत्री स्व0 श्री रईस अहमद द्वारा मदर एण्ड नेचुरल गार्जन, श्रीमती सुलेहा खातून पत्नी स्व0 रईस अहमद, निवासी मोहल्ला अब्दुल्लाह, कस्बा एण्ड तहसील बिलारी, जिला
मुरादाबाद।
बनाम
यूनियन आफ इण्डिया, द्वारा सेक्रेटरी पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ डिपार्टमेंट, गवर्नमेंट आफ इण्डिया, नई दिल्ली तथा अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.के. श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
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प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री श्रीकृष्ण पाठक,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 06.11.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-21/2007, फैसलबिन रईस बनाम यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सचिव डाक एवं तार विभाग तथा तीन अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.9.2008 के विरूद्ध अपील संख्या-1959/2008 एवं परिवाद संख्या-20/2007, निकहत रईस बनाम यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सचिव डाक एवं तार विभाग तथा तीन अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.9.2008 के विरूद्ध अपील संख्या-1960/2008 स्वंय परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत की गई हैं। अत: दोनों अपीलों में तथ्य एवं विधि के एक जैसे प्रश्न विद्यमान हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्या-1959/2008 अग्रणी अपील होगी।
2. उपरोक्त दोनों अपीलों में अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस.के. श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णयों/पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।
3. विद्वान जिला आयोग द्वारा उपरोक्त दोनों परिवाद पोषणीय न होने के कारण खारिज कर दिए गए।
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4. उपरोक्त दोनों परिवादों के तथ्यों का सार यह है कि परिवादीगण के दादा श्री छोटे लाल द्वारा स्वंय को परिवादीगण का संरक्षक बताते हुए विपक्षी के डाक घर में आर.डी. खाते खोले थे तथा उक्त खातो की परिपक्व राशि को प्राप्त करने के लिए अनुरोध किया गया, परन्तु यह राशि परिवादीगण को अदा नहीं की गई। विद्वान जिला आयोग द्वारा भी परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिए गए कि चूंकि सिविल न्यायालय के समक्ष मुकदमा चल चुका है, इसलिए दूसरा वाद संधारणीय नहीं है।
5. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादिनी खाताधारकों की सगी माता हैं और परिवादीगण के दादा द्वारा आर.डी. खाते खोले गए थे। यह सही है कि इस संबंध में सिविल वाद प्रस्तुत किया गया, परन्तु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 के अनुसार उपभोक्ता से संबंधित विवाद भी उपभोक्ता मंच में प्रस्तुत किया जा सकता है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय है। इस तथ्य का कोई विपरीत परिणाम नहीं है कि खाते का संचालन किसके द्वारा प्रारम्भ किया गया। खाता परिपूर्ण होने पर नाबालिग की माता, जो उनकी प्राकृतिक संरक्षक हैं, खातों की राशि प्राप्त करने के लिए नाबालिगों की ओर से उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं।
6. बहस के दौरान इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि परिवाद पत्रों में वर्णित खाते संचालित हैं, इनकी अवधि पूर्ण हो चुकी है, इसलिए अवधि परिपूर्ण होने पर इन खातों में जमा राशि नाबालिगों को उपलब्ध कराने का विधिसम्मत आधार है और
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परिवादीगण की सगी माता, जो प्राकृतिक संरक्षक हैं, के द्वारा परिवाद प्रस्तुत किए जा सकते हैं। तदनुसार उपरोक्त दोनों अपील स्वीकार होने योग्य हैं।
आदेश
7. उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-1959/2008 तथा अपील संख्या-1960/2008 स्वीकार की जाती हैं तथा विद्वान जिला आयोग द्वारा उपरोक्त दोनों परिवादों में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.9.2008 अपास्त किए जाते हैं तथा विद्वान जिला आयोग को निर्देशित किया जाता है कि वह आर.डी. संख्या-1201509 तथा आर.डी. संख्या-1201508 में जमा राशि सम्पूर्ण उपलब्ध धनराशि के साथ दो माह के अंदर परिवादीगण को उपलब्ध करायी जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-1959/2008 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित पत्रावली में भी रखी जाए।
प्रस्तुत अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3