Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/39

B S Chauhan - Complainant(s)

Versus

Union Of India Post office - Opp.Party(s)

Prateek Saxena

17 Mar 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/39
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. B S Chauhan
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Of India Post office
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-३९/२००७

(जिला फोरम, झॉंसी द्वारा परिवाद सं0-२२०/२००३ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक २३-११-२००६ के विरूद्ध)

बृजेन्‍द्र सिंह चौहान पुत्र श्री लाल सिंह चौहान निवासी द्वारा श्री राजेन्‍द्र सिंह तोमर आवास-विकास तालपुरा कानपुर रोड सुधा नर्सिंग होम के पीछे झॉंसी।

 

                                         .....................       अपीलार्थी/परिवादी।

बनाम्

१. यूनियन आफ इण्डिया जरिये प्रबर अधीक्षक डाक विभाग सिविल लाईन झॉंसी।

२. हैड पोस्‍ट मास्‍टर हैड पोस्‍ट आफिस झॉंसी।

                                         ......................   प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।                                                              

समक्ष:-

१-  मा0 आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    :- श्री प्रतीक सक्‍सेना विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित   :- डॉ0 उदयवीर सिंह विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक : ३१-०३-२०१५

मा0 श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

      यह अपील, जिला फोरम, झॉंसी द्वारा परिवाद सं0-२२०/२००३ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक २३-११-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है:-

      ‘’ .........परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत यह परिवाद अंशत: इस प्रकार स्‍वीकृत किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी को उसके द्वारा दिनांक २८-०६-२००३ को विपक्षी सं0-२ के माध्‍यम से सचिव, लोक सेवा आयोग, इलाहाबाद को प्रेषित लिफाफा पहुंचाने में जानबूझकर की गयी गलती से सम्‍बन्धित विलम्‍ब की क्षतिपूर्ति के लिए इण्डियन पोस्‍ट आफिस रूल्‍स १९३३, द्वारा जोड़े गये नियम-६६ बी, के वैधानिक नियम के अधीन परिवादी द्वारा विपक्षीगण को उपरोक्‍त स्‍पीड पोस्‍ट लिफाफा को भेजने की शुल्‍क की राशि ३०/- रूपये से दोगुना कुल ६०/-रूपये विपक्षीगण, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के अन्‍दर इस परिवाद का परिवादी का व्‍यय १,०००/- रूपये सहित अदा करें।......’’

      उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों के परिप्रेक्ष्‍य में पीठ द्वारा पत्रावली का

 

-२-

परिशीलन किया गया।

परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कहना है कि उसने राजकीय इण्‍टर कालेजों में प्रवक्‍ताओं के पदों के चयन हेतु एक आवेदन पत्र तथा उसके साथ १००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट दिनांकित २६-०६-२००३ बनवाकर दिनांक २८-०६-२००३ को स्‍पीड पोस्‍ट डाक से लोक सेवा आयोग, उ0प्र0, इलाहाबाद को भेजा था परन्‍तु डाक विभाग की लापरवाही के कारण यह उक्‍त स्‍पीड पोस्‍ट से प्रेषित डाक अन्तिम तिथि १४-०७-२००३ तक लोक सेवा आयोग, इलाहाबाद नहीं पहुँची। परिवादी ने उपरोक्‍त आवेदन पत्र में जो १००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट लगाया था, उसे विपक्षीगण ने खोलकर निकाल लिया और पुन: लिफाफा बन्‍द कर आवेदन के लिफाफे पर केवल रिफ्यूज्‍ड लिखकर ३३ दिन बाद दिनांक ३१-०७-२००३ को वापस किया गया। तब तक आवेदन भेजने की अन्तिम तिथि १४-०७-२००३ निकल चुकी थी। इस प्रकार परिवादी उपरोक्‍त प्रवक्‍ता पद पर चयन में सम्मिलित होने से वंचित हो गया। प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण के इसी कृत्‍य से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी बृजेन्‍द्र सिंह चौहान ने अधीनस्‍थ फोरम में प्रश्‍नगत परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया। उभय पक्ष को सुनने के उपरान्‍त अधीनस्‍थ फोरम द्वारा यह अवधारित किया गया कि प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण डाक विभाग द्वारा सेवा में कमी की गयी है जिसके आधार पर उपरोक्‍तानुसार आदेश दिनांकित २३-११-२००६ पारित किया गया। अधीनस्‍थ फोरम के इसी आदेश से क्षुब्‍द्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी ने यह अपील उपशम की धनराशि में वृद्धि हेतु दिनांक ०४-०१-२००७ को दाखिल की है जो निर्णय की तिथि से समय सीमा से बाधित है। इसके अतिरिक्‍त धारा-६ इण्डिया पोस्‍ट आफिस एक्‍ट १८९८ में दिये गये प्राविधान एवं मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा रवीन्‍द्र नाथ उपाध्‍याय बनाम सीनियर सुपरिण्‍टेण्‍डेण्‍ट आफ पोस्‍ट आफिसेज व अन्‍य I(2014) CPJ 97 (NC), पोस्‍ट मास्‍टर, सब पोस्‍ट आफिस व अन्‍य बनाम अजय गोयल IV(2013) CPJ 565 (NC) एवं रंजीत सिंह बनाम सचिव, डिपार्टमेण्‍ट आफ पोस्‍ट्स गवर्नमेण्‍ट आफ इण्डिया 2009 (1)  CPC 360 (NC) में दिये गये विधिक सिद्धान्‍तों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार की कोई विधिक त्रुटि नहीं है। अधीनस्‍थ फोरम द्वारा परिवादी/अपीलार्थी को प्रश्‍नगत स्‍पीड पोस्‍ट लि‍फाफा भेजने के शुल्‍क की धनराशि ३०/- रू० का दो गुना ६०/- रू० एवं वाद व्‍यय स्‍वरूप १,०००/- रू० का अनुतोष दिलाया गया है। यह

-३-

आदेश मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यूनियन आफ इण्डिया व अन्‍य बनाम आर0सी0 पुरी II(2005) CPJ 49 (NC) में दी गयी विधि व्‍यवस्‍था के अनुरूप है। इस सम्‍बन्‍ध में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यूनियन आफ इण्डिया बनाम डॉ0 पूरन चन्‍द्र जोशी III(2006) CPJ 120 (NC) में भी स्‍पष्‍ट विधिक सिद्धान्‍त दिया गया है। पीठ द्वारा पत्रावली का गहनता से परिशीलन किया गया। अधीनस्‍थ फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश प्रत्‍येक दृष्टिकोण से विधि एवं तथ्‍यों पर आधारित है, अत: इसमें हस्‍तक्षेप करने का प्रथम दृष्‍ट्या कोई आधार नहीं बनता है। परिणामस्‍वरूप, अपीलार्थी/परिवादी द्वारा उपशम की धनराशि में वृद्धि हेतु दायर यह अपील सारहीन पाये जाने के कारण निरस्‍त होने योग्‍य है।   

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील सारहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है। उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय-भार स्‍वयं वहन करेंगे। उभय पक्ष को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।  

 

                                               (आलोक कुमार बोस)

                                                 पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (संजय कुमार)

                                                     सदस्‍य

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-४.

 

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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