राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
परिवाद संख्या:-486/2017
Smt. Amita Diwan aged about 63 years, W/o S.K. Diwan, R/o 3/301, Dhanshree Apartment, Sector-2, Mama Chauraha, Vikas Nagar, Lucknow.
........... Complainant
Versus
1- Union of India through Secretary Ministry of Railways, Rail Bhawan, Raisina Road, Near Sansad Bhawan, New Delhi-110001.
2- Chairman, Railway Board, Ministry of Railways, Rail Bhawan, Raisina Road, Near Sansad Bhawan, New Delhi-110001.
3- General Manager, Central Railways, Near C.S.T. Railway Station, Opp. B.M.C. Building, Dr. Dada Bhai Narojee Road Mumbai-400001.
……..…. Opp. Parties
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 बैनर्जी
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव
दिनांक :-09-7-2019
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादिनी श्रीमती अमिता दिवान ने यह परिवाद विपक्षीगण यूनियन ऑफ इण्डिया द्वारा सेक्रेटरी मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे, चेयरमैन रेलवे बोर्ड, मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे और जनरल मैनेजर, सेन्ट्रल रेलवे, नियर सी.एस.टी. रेलवे स्टेशन के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
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1- Opposite parties be directed to pay Rs. 41.44 Lacs to the complainant as damages for the loss suffered due to theft.
2- Opposite parties be directed to pay Rs. 1 Lacs to the complainant as damages due to the physical and mental agony suffered.
3- Cost of proceedings may be awarded.
4- Anyother relief or reliefs deems fit and proper may kindly be awarded.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि वह एक वयोवृद्ध महिला है। परिवादिनी और उनके पति पहले मुम्बई में निवास करते थे। उनके पुत्र को Hanoi, Vietnam में काम मिल गया तब परिवादिनी व उनके पति ने स्थायी रूप से लखनऊ में शिफ्ट करने को सोचा और इसी क्रम में उन्होंने ट्रांसपोर्टर के माध्यम से अपना घरेलू सामान रोड़ के द्वारा लखनऊ दिनांक 26.5.2017 को भेजा। तदोपरांत परिवादिनी उनके पति व बहू उद्योग नगरी एक्सप्रेस से दिनांक 30.5.2017 को लोकमान्य तिलक टर्मिनल मुम्बई से अपनी लखनऊ यात्रा के लिए चले। परिवादिनी का टिकट ट्रेन नं0-12173 उद्योग नगरी एक्सप्रेस में IInd AC Sleeper का था और उसका पी.एन.आर.नं0-83567371111 था तथा परिवादिनी व उनके पति व बहू का सीट नं0-8, 10 व 12 था। परिवादिनी व उसके पति वयोवृद्ध नागरिक है, परन्तु उन्हें लोवर बर्थ नहीं दी गई जबकि उन्होंने तीन महीने पहले टिकट बुक कराया था।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि लखनऊ स्थायी रूप से अंतरित होते समय उन्होंने तीन सूटकेस और दो बैग में कपड़े, मूल्यवान वस्तुयें और कैश रखा था और उन बैगों को ऊपर की बर्थ पर रख पाना सम्भव नहीं था। इसलिए तीन सूटकेस व दो बैगों को सीट नं0-7 लोवर बर्थ के नीचे रखा और चेन से बॉध दिया। परिवाद पत्र के अनुसार बर्थ नं0-7 टी.टी.ई. की सीट थी और टी.टी..ई से यह अपेक्षा थी कि वह पूरी यात्रा में जागेंगे और सतर्क रहेंगे। परिवाद पत्र के अनुसार यात्रा के प्रारम्भ से और लखनऊ पहुंचने तक unauthorized व्यक्ति कोच ए-1 में यात्रा करते दिखे, परन्तु टी.टी.ई. ने कोई ध्यान नहीं दिया और उन्हें नहीं रोका। लखनऊ पहुंचने के पश्चात जब परिवादिनी व उनके परिवार को यह जानकारी हुई कि उनका घरेलू सामान जो ट्रांसपोर्टर को लखनऊ लाने के लिए दिया गया था वह नहीं पहुंचा है और ट्रक मध्य प्रदेश में किसानों के आंनदोलन के कारण रूका है तब परिवादिनी व उसके परिवार को चिन्ता हुई और उन्होंने अपने साथ लाये हुए सामान को खोला नहीं। इस प्रकार कई दिन बीत गये परन्तु उन्हें कोई सूचना नहीं मिली। अन्त में ट्रक दिनांक 07.6.2017 को उनका सामान लेकर लखनऊ पहुंचा उसके बाद दो-तीन दिन तक परिवादिनी अपने सामान को सही करने में अपने पुत्र और बहु के साथ वयस्त रही। उसके बाद दिनांक 10.6.2017 को उनके पुत्र और बहु मुम्बई चले गये, फिर भी परिवादिनी को
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बहुत चिन्ता थी, क्योंकि उसकी होण्डा सिटी कार अभी उसे नहीं मिली थी, तदोपरांत दिनांक 13.6.2017 को परिवादिनी को उसकी होण्डा कार की डिलिवरी मिली और जब परिवादिनी ने देखा कि सब कुछ ठीक है तब वह अपने सामान को खोलने लगी तब उसे मालूम हुआ कि उसके सूटकेस को काटकर कीमती वस्तुओं को निकाला गया है, परन्तु इस बात की जानकारी उसे तब तक नहीं हुई जब तक कि सामान नहीं खोला गया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि अपनी सम्पूर्ण बहुमूल्य ज्वेलरी को गायब देखकर परिवादिनी को शाक लगा। उसका कुछ कैश रूपया भी गायब था। यह सब विपक्षीगण की लापरवाही से हुआ है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी ने संलग्नक-1 के रूप में अपने बहुमूल्य जेवरात की सूची संलग्न की है और उनकी खरीदारी की रसीद प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार उपरोक्त चोरी की जानकारी होने पर परिवादिनी व उनके पति इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ऐसा भुसावल और भोपाल के बीच घटित हुआ है जब वह ऊपरी सीट पर सो रहे थे, क्योंकि एक आदमी ब्रीफकेस लिए आया था और अपने को रेलवे का कर्मचारी कहते हुए सीट के पास अनाधिकृत रूप से बैठ गया था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी व उसके पति को उपरोक्त माल गायब होने के कारण बहुत शाक लगा और उन्होंने अपने
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दोस्तों और सम्बन्धियों की राय से रेल भवन, नई दिल्ली में रिपोर्ट दर्ज कराने का निश्चय किया। तब शिकायत नं0- W/CR/BB/000236802 दिनांक 17.6.2017 परिवादिनी के पति ने दर्ज करायी और सम्पूर्ण विवरण विस्तृत रूप से बताया और यह भी बताया कि चोरी का विलम्ब से पता चला है। तदोपरांत परिवादिनी के पति को जी0आर0पी0 भुसावल से एक टेलीफोन कॉल प्राप्त हुई और उससे पूरा विवरण बताने को कहा गया और एफ0आई0आर0 दर्ज कराने को कहा गया। परन्तु उसके कुछ दिन बाद भारतीय रेलवे सेल से सूचना मिली कि उनका परिवाद बन्द कर दिया गया है और उनकी एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं की गई है। तब परिवादिनी ने रेलवे जी0आर0पी0 लखनऊ में दिनांक 29.9.2017 को रिपोर्ट दर्ज करायी है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षीगण परिवादिनी के सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रहे है। अत: उन्होंने सेवा में कमी की है अत: परिवादिनी ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी सं0-3 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और कहा गया है कि विपक्षी सं0-1 मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे, रेल भवन और विपक्षी सं0-2 चेयरमैन, रेलवे बोर्ड, मिनिस्ट्री ऑफ रेलवे को गलत पक्षकार बनाया गया है,
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उनका नाम निर्सित किया जाये। इसके साथ ही विपक्षी सं0-3 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि परिवाद पत्र के अनुसार कथित घटना भुसावल और भोपाल के बीच हुई है तथा विपक्षी सं0-3 का कार्यालय मुम्बई में स्थित है। अत: परिवाद प्रस्तुत करने के लिए उचित फोरम महाराष्ट्र राज्य उपभोक्ता विविद प्रतितोष आयोग, मुम्बई है। लिखित कथन में विपक्षी सं0-3 ने कहा है कि परिवादिनी ने कोई सामान बुक नहीं किया था और उसने आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत नहीं किये हैं।
विपक्षी सं0-3 ने लिखित कथन में कहा है कि भुसावल या भोपाल में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट परिवादिनी ने नहीं दर्ज करायी है। लिखित कथन में विपक्षी सं0-3 की ओर से कहा गया है कि भारतीय रेलवे एक्ट, 1989 की धारा-100 के अन्तर्गत रेल प्रशासन किसी क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु उत्तरदायी नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी की ओर से यह भी कहा गया है कि पुनरीक्षण याचिका सं0-2182/2010 डिविजनल रेलवे मैनेजर आदि बनाम अशोक कुमार गंगाराम रंगलानी के निर्णय में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिये गये निर्णय दिनांकित 17.9.2014 में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर रेलवे कम्पार्टमेंट में लगेज की चोरी के सम्बन्ध में भारतीय रेलवे उत्तरदायी नहीं है।
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परिवादिनी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादिनी श्रीमती अमिता दिवान का शपथपत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन के समर्थन में कोई शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 बनर्जी अंतिम सुनवाई के समय उपस्थित हुये है। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। बाद में विपक्षी सं0-3 के विद्वान अधिवक्ता ने लिखित तर्क प्रस्तुत किया है।
मैंने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है और विपक्षी सं0-3 की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क एवं पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवादिनी को सामान चोरी होनी की जानकारी परिवाद पत्र के अनुसार लखनऊ में हुई है। अत: वाद कारण लखनऊ में उत्पन्न हुआ है और उ0प्र0 राज्य आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी अपने पति और बहू के साथ उद्योग नगरी एक्सप्रेस ट्रेन से दिनांक 30.5.2017 को बम्बई से चलकर लखनऊ आयी है। परिवादिनी, उसके पति एवं बहू का AC-II का टिकट कम रिजर्वेशन था, जिसका पी0एन0आर0नं0-83567371111 था, यह तथ्य अविवादित है। परिवादिनी उसके
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पति एवं बहू दिनांक 31.5.2017 को लखनऊ पहुंचे। ट्रेन लखनऊ पहुंचने पर परिवादिनी उसके पति व पुत्र बधू को सूटकेसों एवं बैगों में रखे सामान गायब होने की कोई जानकारी नहीं हुई। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी ट्रक से आ रहे अपने घरेलू सामान व होण्डा सिटी मोटर कार के इंतजार में थी जब ट्रक सामान लेकर आ गया और होण्डा सिटी कार आ गयी। तब दिनांक 13.6.2017 को परिवादिनी ने अपने सूटकेस व बैग से सामान निकाला तब उसे मूल्यवान गहनो एवं कैश गायब होने की जानकारी हुई और पता चला कि सूटकेट काटा गया है। तब दिनांक 17.6.2017 को परिवादिनी के पति ने रेलवे भवन लखनऊ को शिकायत भेजी है। दिनांक 31.5.2017 से दिनांक 13.6.2017 तक परिवादिनी के सूटकेस व बैग कहॉ रखे थे और परिवादिनी उसके पति व बहू के सिवाय अन्य किसी की पहुंच के बाहर थे, यह परिवादिनी ने स्पष्ट नहीं किया है। दिनांक 31.5.2017 से दिनांक 13.6.2017 की अवधि में भी सूटकेस काटकर प्रश्नगत ज्वेलरी एवं कैश निकाला जा सकता है। अत: ट्रेन दिनांक 31.5.2017 को लखनऊ पहुंचने एवं दिनांक 31.5.2017 को लखनऊ में ट्रेन छोड़ने के बाद कथित रूप से परिवादिनी के सूटकेस कटे होने व सामान गायब होने की जानकारी दिनांक 13.6.2017 को होने के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि सूटकेस ट्रेन में ही काटे गये हैं और सामान ट्रेन में ही गायब किये गये हैं। अत: यह मानने हेतु
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उचित आधार नहीं है कि परिवादिनी का सामान व कैश विपक्षी भारतीय रेलवे की लापरवाही से रेल यात्रा के दौरान गायब हुए हैं।
टिकट में परिवादिनी की आयु 63 वर्ष और उसके पति की आयु 73 वर्ष अंकित है। टिकट दिनांक 28.02.2017 को बुक किया गया है। यात्रा की तिथि 30.5.2017 है। परिवादिनी व उसके पति की आयु 60 वर्ष से ऊपर है, फिर भी उन्हें अपर बर्थ क्रमश: 8 व 10 दी गयी है, जो रेल विभाग के निर्देश के विरूद्ध है। परिवादिनी व उसके पति को लोवर बर्थ दी जानी चाहिये थी और लोवर बर्थ उन्हें न देने का कोई कारण विपक्षीगण द्वारा नहीं बताया गया है। अत: परिवादिनी व उसके पति को लोवर बर्थ न दिया जाना भारतीय रेल की सेवा में कमी है। निश्चित रूप से रेल विभाग की इस कमी से परिवादिनी व उसके पति को कष्ट हुआ है।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र व शपथपत्र में स्पष्ट कथन किया है कि यात्रा के दौरान उसके कम्पार्टमेंट में अनाधिकृत व्यक्ति भी प्रवेश करते और यात्रा करते रहे हैं, परन्तु उन्हें डयूटी पर तैनात टी0टी0ई0 ने नहीं रोका। परिवादिनी के कथन का खण्डन विपक्षीगण की तरफ से टी0टी0ई0 शपथपत्र प्रस्तुत कर नहीं किया गया है। अत: परिवादिनी के कथन पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि परिवादिनी के AC-II कोच में अनाधिकृत व्यक्ति यात्रा के दौरान
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आते जाते रहे हैं। जिससे परिवादिनी को यात्रा में असुविधा हुई है। इस आधार पर भी विपक्षीगण की सेवा में कमी परिलक्षित होती है।
परिवादिनी की ओर से निम्न न्यायिक निर्णयों के दृष्टान्त प्रस्तुत किये गये हैं।
1- Union of India Vs. Udho Ram & Sons. AIR 1963 Supreme Court 422
2- Sumatidevi M. Dhanwatay Vs. Union of India & Ors.
3- G.M., South Central Railway Vs. R.V. Kumar & Anr. IV (2005) CPJ 57 (NC)
उपरोक्त विवेचना एवं निष्कर्ष के आधार पर यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि परिवादिनी का सामान व कैश रेल यात्रा के दौरान ही सूटकेस काटकर निकाला गया है। अत: मा0 सर्वोच्च न्यायालय और मा0 राष्ट्रीय आयोग के उपरोक्त निर्णयों का लाभ परिवादिनी को वर्तमान वाद में उसके गायब माल व कैश के सम्बन्ध में नहीं दिया जा सकता है।
उपरोक्त विवेचना एवं ऊपर निकाले गये निष्कर्ष से स्पष्ट है कि परिवादिनी का सूटकेस काटकर प्रश्नगत माल व कैश रेल यात्रा के दौरान निकाला जाना मानने हेतु उचित आधार नहीं है। इसके साथ ही उल्लेखनीय है कि परिवादिनी ने अपना कथित माल व कैश गायब होने के सम्बन्ध में थाना जी0आर0पी0 लखनऊ में अ0सं0-349/2017 अन्तर्गत धारा-380 भा0द0सं0 की रिपोर्ट दर्ज
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करायी है। परिवाद पत्र के अनुसार विवेचना थाना जी0आर0पी0 भोपाल को अंतरित की गई है। पुलिस विवेचना के परिणाम के सम्बन्ध में परिवादिनी की ओर से कोई कथन नहीं किया गया है। अत: ऐसी स्थिति में परिवादिनी के प्रश्नगत माल व कैश की चोरी के सम्बन्ध में कोई निर्णय इस परिवाद में दिया जाना विधि सम्मत प्रतीत नहीं होता है।
परन्तु उपरोक्त विवेचना एवं ऊपर निकाले गये निष्कर्ष से यह स्पष्ट है कि परिवादिनी और उसके पति को रेल विभाग के निर्देश के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु होने के आधार पर लोवर बर्थ दी जाना चाहिए थी, परन्तु उन्हें टिकट की बुकिंग दिनांक 30.5.2017 की यात्रा हेतु दिनांक 28.02.2017 को किये जाने के बावजूद उनकी आयु को ध्यान में न रखते हुए उन्हें लोवर बर्थ आवंटित न कर, उन्हें अपर बर्थ आवंटित की गई, जो रेल विभाग की सेवा में कमी है।
इसके साथ ही उपरोक्त विवेचना ऊपर निकाले गये निष्कर्ष से स्पष्ट है कि परिवादिनी के कोच में यात्रा के दौरान अनाधिकृत व्यक्ति प्रवेश करते रहे हैं और उन्हें सम्बन्धित टी0टी0ई0 द्वारा रोका नहीं गया है, जिससे परिवादिनी को यात्रा में असुविधा हुई है।
अत: उपरोक्त दो आधारों पर यह मानने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार है कि परिवादिनी को उसके टिकट कम रिजर्वेशन जिसका पी0एन0आर0नं0-83567371111 था, के द्वारा
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यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने में भारतीय रेलवे के कर्मचारियों ने सेवा में कमी की है। अपने अधीनस्थ कर्मचारियो की सेवा में कमी के लिए तीनों विपक्षीगण वाइकेरियस लायबिलिटी के सिद्धांत पर उत्तरदायी है।
विपक्षीगण की ओर से मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा Union of India & Anr. Vs. Lakshit Joshi. III (2018) CPJ 392 (NC) के वाद में दिया गया निर्ण्ाय संदर्भित किया गया है, परन्तु विपक्षीगण को परिवादिनी के उपरोक्त टिकट कम रिजर्वेशन के आधर पर दी गयी यात्रा सुविधा के सम्बन्ध में जो कमी विपक्षीगण के अधीनस्थ कर्मचारियों ने किया है, उसके आधार पर मा0 राष्ट्रीय आयोग के इस निर्णय का कोई लाभ वर्तमान वाद में विपक्षीगण को नहीं दिया जा सकता है।
सम्पूर्ण विवेचना एवं उपरोक्त निष्कर्ष के आधारपर यह स्पष्ट है कि परिवादिनी को उसके उपरोक्त पी0एन0आर0नं0-83567371111 के टिकट कम रिजर्वेशन पर रेल यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने में विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा चूक की गयी है जिसके लिए विपक्षीगण वाइकेरियस लायबिलिटी के आधार पर उत्तरदायी है। अत: विपक्षीगण की सेवा में कमी के कारण परिवादिनी व उसके पति को जो यात्रा में असुविधा हुई है और मानसिक कष्ट हुआ है, उसकी क्षतिपूर्ति हेतु परिवाद पत्र में परिवादिनी द्वारा याचित अनुतोष ‘बीʼ स्वीकार करते हुए उसे
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1,00,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति प्रदान किया जाना उचित है और इसके साथ ही परिवादिनी को 10,000.00 रू0 वाद व्यय दिया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवादिनी द्वारा याचित अनुतोष ‘एʼ स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी व उसके पति को पी0एन0आर0नं0-83567371111 के टिकट कम रिजर्वेशन पर उपलब्ध करायी गयी रेल यात्रा के सम्बन्ध में की गई चूक और कमी हेतु 1,00,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति परिवादिनी को प्रदान करें। साथ ही 10,000.00 रू0 वाद व्यय भी उसे प्रदान करें। क्षतिपूर्ति की उपरोक्त धनराशि इस निर्णय से दो मास के अन्दर अदा न किये जाने पर क्षतिपूर्ति की उपरोक्त धनराशि पर परिवादिनी विपक्षीगण से 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से निर्णय की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज पाने की अधिकारी होगी।
परिवाद पत्र में याचित अनुतोष ‘एʼ अस्वीकार की जाती है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1