Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/2139

Udli Devi - Complainant(s)

Versus

Union Bank Of India - Opp.Party(s)

M M Srivastava

18 Jul 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/2139
( Date of Filing : 09 Nov 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Udli Devi
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Bank Of India
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Jul 2023
Final Order / Judgement

                                                      मौखिक

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ०प्र० लखनऊ

अपील संख्‍या- 2139/2004

उदली देवी पत्‍नी छोटे लाल

 बनाम

ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इण्डिया

       

     समक्ष:-

  1. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य
  2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय सदस्‍या

        

        अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:  विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनोज मोहन

                                  श्रीवास्‍तव के सहयोगी श्री संजय कुमार कुन्‍तल

        प्रत्‍यर्थी सं-1 की ओर से :     विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा

      

          दिनांक-  18.07.2023.

      माननीय सदस्‍य श्री विकास सक्‍सेना द्वारा उदघोषित

  •   

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी उदली देवी की ओर से विद्वान जिला आयोग, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या- 05/97 उदली देवी बनाम शाखा प्रबन्‍धक, यूनियन बैंक आफ इण्डिया व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 08-10-2004 के विरूद्ध योजित की गयी है।

    अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनोज मोहन श्रीवास्‍तव के सहयोगी श्री संजय कुमार कुन्‍तल उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  राजेश चड्ढा उपस्थित हुए।

   

 

2

    पीठ द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया गया।

      वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने विपक्षी संख्‍या-1 से आई०आर०डी०ए० योजना के अन्‍तर्गत मु० 5300/-रू० का ऋण लेकर एक भैंस खरीदी थी, उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत 33 प्रतिशत छूट बतायी गयी थी। दिनांक 26-08-91 को अचानक भैंस बीमार हो गयी जिसकी सूचना तत्‍काल पशु चिकित्‍साधिकारी को दी गयी समुचित उपचार करने के उपरान्‍त उसी दिन भैंस की मृत्‍यु हो गयी। दूसरे दिन दिनांक     27-08-91 को  शव परीक्षण किया गया बीमा कम्‍पनी को भी सूचना दी गयी।   उपरोक्‍त के सम्‍बन्‍ध में कार्यवाही करने का आश्‍वासन दिया गया परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इसके बावजूद विपक्षी संख्‍या-1 बैंक द्वारा परिवादिनी को ऋण की वसूली हेतु नोटिस तथा आर०सी० भेज दी गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया गया।

    विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से जवाबदावा प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया गया कि दिनांक 03-11-90 को विपक्षी ने मु0 5300/-रू० ऋण 10 प्रतिशत वार्षिक छमाही दर पर ब्‍याज दिया था। उक्‍त ऋण पर सरकार द्वारा 1760/-रू० का अनुदान ऋण खाते में दिनांक 03-11-90 को समायोजित कर दिया गया। भैंस की मृत्‍यु की सूचना विपक्षी संख्‍या-1 को नहीं दी गयी बल्कि विपक्षी संख्‍या-2 को दी गयी, जबकि परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 को भी सूचना दी जानी चाहिए थी।

     विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से जवाबदावा प्रस्‍तुत करते हुए कथन किया गया कि विपक्षी संख्‍या-1 बैंक ने अपने पत्र दिनांकित 02-01-95 के द्वारा पशु के मृत्‍यु की सूचना विपक्षी को प्रेषित किया जो दिनांक 17-01-95 को

3

 

प्राप्‍त हुयी। विपक्षी ने अपने पत्र दिनांक 18-01-95 के द्वारा बैंक से बीमा पालिसी संख्‍या व अन्‍य कागजातों की मांग किया।  विपक्षी संख्‍या-1 बैंक द्वारा भैंस की मृत्‍यु से संबंधित कागजात अपने पत्र दिनांक 28-01-95 द्वारा विपक्षी को प्रेषित किया जो दिनांक 06-02-95 को विपक्षी को प्राप्‍त हुआ जिसमें भैंस के मृत्‍यु की मूल सूचना नहीं भेजी गयी। जबकि बीमा पालिसी के अनुसार विपक्षी को पशु के मृत्‍यु की सूचना 24 घण्‍टे के अन्‍दर दिया जाना चाहिए था जो कि बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन है। अत: परिवादिनी का बीमा क्‍लेम भुगतान योग्‍य नहीं है। उनके द्वारा सेवा में कमी नहीं गयी है।

     जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्‍त परिवाद निरस्‍त कर दिया है अत: जिला आयोग के निर्णय के विरूद्ध यह अपील योजित की गयी है।

      अपील में मुख्‍य रूप से यह आधार लिये गये हैं साक्ष्‍यों से यह साबित होता है कि प्रश्‍नगत भैंस की मृत्‍यु की सूचना दिनांक 26-08-91 को शाखा प्रबन्‍धक यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा बजरंग नगर को दी गयी थी इसके अतिरिक्‍त प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 शाखा प्रबन्‍धक, यूनाइटेड इण्डिया एस्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 को भी सूचना दी गयी थी। विद्वान जिला आयोग का निष्‍कर्ष साक्ष्‍य के विपरीत है। विद्वान जिला आयोग ने पंजीकरण रसीद दिनांक 29-08-91 को भी नजर अंदाज किया है जिससे सिद्ध होता है कि भैंस के मरने की सूचना दिनांक 26-08-91 को दे दी गयी थी। परिवादिनी ने भैंस की मृत्‍यु की सूचना यूनियन बैंक आफ इण्डिया तथा बी०डी०ओ० के साथ-साथ पशु चिकित्‍साधिकारी और असिस्‍टेंट प्रोजेक्‍ट आफिस को दे दी थी। यह मानना मुश्किल है कि भैंस की मृत्‍यु की सूचना बीमा कम्‍पनी को नहीं दी गयी थी।

4

    जिला आयोग ने पंजीयन रसीद दिनांक 25-08-91 के माध्‍यम से सूचना यूनियन बैंक आफ इण्डिया को दिया जाना माना है किन्‍तु दूसरी पंजीयन रसीद पर ध्‍यान नहीं दिया है। मृतक भैंस का पोस्‍टमार्टम दिनांक 27-01-91 को हो गया था जिस संबंध में सभी प्रपत्र अभिलेख पर हैं जिससे भैंस का मरना साबित होता है। भैंस के कर्ण टैग का टूटा हुआ  प्राप्‍त होना बीमा कम्‍पनी ने स्‍वीकार किया है जिससे मृतक भैंस की अस्मिता साबित होती है। अत: बीमा कम्‍पनी का यह कथन अनुचित है कि मृतक भैंस का मरना प्रमाणित नहीं हो सका है। इन आधारों पर अपील स्‍वीकार किये जाने तथा जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।

     पीठ द्वारा उभय-पक्ष के अभिकथनों पर विचार किया गया।

     प्रस्‍तुत मामले में विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा यह कथन किया गया है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा पत्र दिनांक 18-01-95 के माध्‍यम से बैंक से बीमा पालिसी संख्‍या- व अन्‍य कागजातों की मांग की गयी थी। दिनांक 06-02-95 को उक्‍त कागजात बीमा कम्‍पनी को प्राप्‍त हुये किन्‍तु उसमें भैंस की मृत्‍यु की मूल सूचना नहीं भेजी गयी थी। जबकि परिवादिनी के अनुसार दिनांक 26-08-91 को भैंस की मृत्‍यु हो चुकी थी। बीमा कम्‍पनी के अनुसार पत्र  दिनांक 02-01-95 के माध्‍यम से पशु के मृत्‍यु की सूचना प्रेषित की गयी जो दिनांक 17-01-95 को प्राप्‍त हुयी। जबकि परिवादिनी के अनुसार दिनांक 26-08-91 को भैंस की मृत्‍यु हो चुकी थी। इस प्रकार लगभग 06 माह बाद बीमा कम्‍पनी को प्रथम बार सूचना प्राप्‍त हुयी। परिवादिनी द्वारा बीमा कम्‍पनी को तुरन्‍त सूचना दिया जाना किसी भी अभिलेख से साबित नहीं किया गया है। परिवादिनी द्वारा अपने पत्र दिनांक 27-08-91 द्वारा यूनियन बैंक को भैंस की मरने की सूचना दिये जाने का कथन किया गया है। इस पत्र की प्रतिलिपि के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है

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कि प्रतिलिपि जिनको सूचनार्थ प्रेषित की गयी थी उसमें बीमा कम्‍पनी नहीं है इस प्रकार परिवादिनी द्वारा बीमा कम्‍पनी को तुरन्‍त सूचना दिये जाने का कोई अभिलेख प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, जबकि बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार बीमाकर्ता बीमा कम्‍पनी को इसकी सूचना तुरन्‍त प्राप्‍त होना चाहिए था जिससे बीमा कर्ता द्वारा मृतक भैंस की अस्मिता (Identity) सुनिश्चित की जा सके। इस प्रकार बीमा कर्ता के इस अधिकार का हनन परिवादिनी द्वारा अपने कृत्‍यों से किया गया है। परिवादिनी द्वारा इस तथ्‍य पर अत्‍यधिक बल दिया गया है कि उन्‍होंने बैंक को सूचित कर दिया था किन्‍तु परिवादिनी द्वारा यह तथ्‍य साबित नहीं किया गया है कि किस प्रकार बैंक का उत्‍तरदायित्‍व मृतक भैंस की क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में था। इस प्रकार स्‍वयं परिवादिनी द्वारा बीमाकर्ता को सूचना न दिये जाने के कारण बीमा कम्‍पनी अपने इस अधिकार से वंचित रह गयी तथा मृतक पशु की अस्मिता को सुनिश्चित नहीं कर सकी। पशु की मृत्‍यु के लगभग 06 माह बाद सूचना प्राप्‍त हुयी तब तक यह अवसर निकल चुका था। अत: बीमा कम्‍पनी का उत्‍तरदायित्‍व इस सम्‍बन्‍ध में निर्धारित नहीं किया जा सकता है।

    विद्वान जिला आयोग ने उचित प्रकार से बीमाकर्ता का उत्‍तरदायित्‍व न मानते हुए परिवादिनी का परिवाद निरस्‍त किया है अत: इस स्‍तर पर जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं प्रतीत होता है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि सम्‍मत है तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

        

6

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

        आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                                      

   (सुधा उपाध्‍याय)                           (विकास सक्‍सेना)

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

             कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट नं0 3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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