Uttar Pradesh

Faizabad

CC/84/2009

SITAPATI - Complainant(s)

Versus

UNION BANK OF INDIA - Opp.Party(s)

12 May 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/84/2009
 
1. SITAPATI
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. UNION BANK OF INDIA
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद संख्या 84/2009

               
श्रीमती सीतापति (मृतक) 
पत्नी श्री विषम्भर नाथ पाठक निवासीगण कलानी खुर्द पाठक का पुरवा पोस्ट अमारी बाजार जिला बस्ती।
1/1.    विषम्भर नाथ पाठक आयु लगभग 70 वर्श पुत्र स्व0 राम लगन

1/2.    विजय प्रकाष पाठक आयु लगभग 49 वर्श        ) पुत्रगण विषम्भर नाथ पाठक 
                            ) निवासीगण कलानी खुर्द पाठक
1/3.    जय प्रकाष पाठक आयु लगभग 40 वर्श        ) का पुरवा पोस्ट अमारी बाजार
                            ) जिला बस्ती।
1/4.    ओम प्रकाष पाठक आयु लगभग 39 वर्श        )
                            )
1/5.    अजय कुमार पाठक आयु लगभग 30 वर्श        )
                                                          .............. परिवादिनी
बनाम
1.    यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सचिव डाक सेवायें संचार मत्रालय नई दिल्ली 11001
2.    चीफ पोस्ट मास्टर जनरल यू पी सर्किल लखनऊ।
3.    सुपरिन्टेन्डेन्ट आफ पोस्ट आफिस फैजाबाद मण्डल फैजाबाद।
4.    सीनियर पोस्ट मास्टर हेड पोस्ट आफिस फैजाबाद।         ..........  विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 12.05.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादिनी की सगी बहन श्रीमती फूलमती देवी ने दिनांक 24.10.2000 से 01.08.2002 के बीच किसान विकास पत्र खरीदे तथा उनमें परिवादिनी को नामिनी बनाया तथा दिनांक 27.10.1997 से दिनांक 03.02.1998 के बीच खरीदे गये किसान विकास पत्रों में उन्होंने परिवादिनी के साथ साथ अपनी दूसरी बहन श्रीमती तालुका देवी को भी नामिनी बनाया, श्रीमती तालुका देवी निःसन्तान थीं और श्रीमती तालुका देवी की मृत्यु दिनांक 20.11.2001 को श्रीमती फूलमती के जीवनकाल में ही हो गयी थी। परन्तु उन्होंने उनके स्थान पर किसी अन्य को नामिनी नहीं नियुक्त किया था। तत्पष्चात दिनांक 23.12.2002 को श्रीमती फूलमती देवी की भी मृत्यु हो गयी, उनकी मृत्यु के बाद परिवादिनी ने परिपक्व किसान विकास पत्रों का भुगतान प्राप्त करने हेतु विपक्षी संख्या 4 से संपर्क किया तो वे बराबर भुगतान करने में टाल मटोल करते रहे, इस सम्बन्ध में परिवादिनी ने बार बार पोस्ट आफिस के अधिकारियों से संपर्क किया परन्तु उन्होेंने कोई जवाब नहीं दिया और न ही भुगतान किया। परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता के द्वारा विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस दिनांक 08.12.2008 को दिया परन्तु विपक्षीगणों ने उक्त नोटिस का भी कोई उत्तर नहीं दिया। इसलिये परिवादिनी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। किसान विकास पत्रों का विवरण निम्न प्रकार है।
क्र0 किसान विकास पत्र        तिथि          सं0गधनराषि             कुल धनराषि
बी0सी0 141266-68       27.10.1997        3 ग 1000                3000.00
22सी0सी0 974005-12    02.02.1998        8 ग 10,000            80,000.00
27बी0बी0 273772-73    03.02.1998         2 ग 5,000             10,000.00
22सी0सी0 974074-81   03.02.1998        8 ग 10,000             80,000.00
बी0सी0 445653-54     24.10.2000        8 ग 1,000               2,000.00
बी0सी0 445658-59      25.10.2000        2 ग 1,000               2,000.00
54बी0बी0 625718-25    24.10.2000        8 ग 5,000              40,000.00
00जी0जी0 691082        24.10.2000       1 ग 50,000              50,000.00
91सी0सी0  648703-04  27.06.2001        2 ग 10,000             20,000.00
69बी0बी0 695654-56    03.07.2001        3 ग 5,000              15,000.00
00जी0जी0 692478-79   29.07.2002       2 ग 50,000            1,00,000.00
00जी0जी0 692481-83   01.08.2002        3 ग 50,000.00         1,50,000.00
93ए0ए0 039109-10      01.08.2002        2 ग 1,000.00             2,000.00
89बी0बी0 830036        01.08.2002        1 ग 5,000.00             5,000.00
00सी0डी0 326135-37    01.08.2002       3 ग 10,000.00            30,000.00
 कुल योग   किसान विकास पत्रों की संख्या 50                रुपये   5,89,000.00

    परिवादिनी को विपक्षीगण से किसान विकास पत्रों की परिपक्वता धनराषि रुपये 5,89,000/-, क्षतिपूर्ति रुपये 2,00,000/-, परिवाद व्यय तथा अन्य कोई अनुतोश जो न्यायालय उचित प्रतीत करें परिवादिनी को विपक्षगणों से दिलावें।
    विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा श्रीमती फूलमती की मृत्यु होने को स्वीकार किया है। परिवादिनी ने किसान विकास पत्रांे के भुगतान हेतु मृतक दावा प्रस्तुत किया था किन्तु मूल वाद संख्या 133 सन 2003 राधेष्याम बनाम सीतापति आदि न्यायालय सिविल जज (सी.डि.) महोदय फैजाबाद के समक्ष लम्बित रहने के कारण परिवादिनी के मृतक दावा का निस्तारण नहीं हो सका। परिवादिनी ने उत्तरदातागण को कोई नोटिस नहीं भेजा है। परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है। मृतक फूलमती उत्तरदातागण की उपभोक्ता थी। मृतक दावे मंेे दावेदार से कोई षुल्क नहीं लिया जाता है। परिवादिनी ने किसान विकास पत्रों के क्रमांक गलत दर्षाये हैं। सिविल न्यायालय में लम्बित वाद के निर्णय की प्रत्याषा में परिवादिनी को भुगतान किया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। परिवादिनी द्वारा मांगी गयी क्षतिपूर्ति से स्पश्ट नहीं है कि परिवादिनी को किन परिस्थतियों में क्षति हुई है तथा क्षतिपूर्ति का माप दण्ड क्या है। विपक्षी संख्या 2, 3 व 4 के विरुद्ध परिवादिनी का परिवाद संधार्य नहीं है। अतः परिवादिनी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। 
    परिवादिनी को बहस के लिये समय दिया गया किन्तु परिवादिनी की ओर से बहस के लिये कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस की तथा पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस की कार्बन प्रति, किसान विकास पत्रों की छाया प्रतियां तथा सूची पर फूलमती तथा तालुका देवी के मृत्यु प्रमाण पत्रों की प्रमाणित छाया प्रतियां दाखिल की हैं जो षामिल पत्रावली हैं। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, षिव प्रसाद सरोज वरिश्ठ डाकपाल प्रधान डाकघर का षपथ पत्र, न्यायालय श्रीमान सिविल जज (सी.डि.) फैजाबाद मंे लम्बित मूल वाद राधेष्याम बनाम सीतापति आदि, संख्या 133 सन 2003 के वाद पत्र की प्रमाणित छाया प्रति, तथा न्यायालय श्रीमान सिविल जज (सी.डि.) फैजाबाद मंे लम्बित मूल वाद राधेष्याम बनाम सीतापति आदि, संख्या 133 सन 2003 में उत्तरदातागण द्वारा दाखिल जवाब दावे की प्रमाणित छाया प्रति तथा न्यायालय श्रीमान सिविल जज (सी.डि.) फैजाबाद मंे लम्बित मूल वाद राधेष्याम बनाम सीतापति आदि, संख्या 133 सन 2003 में वादी राधेष्याम पुत्र श्री बृज किषोर मिश्र ने अपना षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादिनी एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल प्रपत्रांे से प्रमाणित है कि विपक्षीगणों ने अपनी सेवा मेें कोई कमी नहीं की है। सिविल न्यायालय में पक्षकारों के मध्य इसी मामले का विवाद चल रहा है। परिवादिनी ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाया है और फोरम के समक्ष स्वच्छ हाथों से नहीं आयी है। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार सिविल न्यायालय को ही है। इसलिये फोरम को इस परिवाद में निर्णय करने का अधिकार नहीं है। परिवादिनी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रही है। परिवादिनी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। 
आदेश
    परिवादिनी का परिवाद निरस्त किया जाता है।
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.05.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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