(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-317/2012
बिन्दूराय बनाम ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इंडिया व अन्य
दिनांक : 20.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-11/2011, बिन्दूराय बनाम ब्रांच मैनेजर यूनियन बैंक आफ इंडिया में विद्वान जिला आयोग, मऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.12.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी सं0 1 व 2 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी सं0 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा अंकन 5,00,000/-रू0 का ऋण स्वीकृत कराया गया। आंशिक रूप से अंकन 1,85,000/-रू0 फर्नीचर क्रय करने के लिए जारी किये गये। मौके पर निरीक्षण करने पर पाया गया कि यथार्थ में इस राशि से कोई सामान क्रय नहीं किया गया है, इसलिए अवशेष राशि जारी नहीं की जा सकी और जो धनराशि अदा की गयी थी, उसकी वसूली का प्रमाण पत्र जारी किया गया। अत: इस प्रकार स्वयं परिवादी द्वारा ऋण राशि का सदुपयोग नहीं किया गया, जो राशि प्राप्त की गयी, उसकी समय पर अदायगी नही की गयी, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को परिवर्तित करने का कोई आधार नहीं है सिवाय इसके कि परिवाद खारिज करते समय हर्जाने के रूप में अंकन 5,000/-रू0 के स्थान पर 2,500/-रू0 किया जाए।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी/परिवादिनी हर्जाने की धनराशि अंकन 5,000/-रू0 के स्थान पर 2,500/-रू0 विपक्षी सं0 1 एवं 2 को अदा करे।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2