राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-814/2022
कोर्टेवा एग्रीसांइस सीड्स प्रा0लि0 (पूर्व में पी0एच0आई0 सीड्स प्रा0 लि0 के नाम से जाने जाते थे) द्वारा ऑथराइज्ड रिप्रेजेन्टेटिव वी-एस्केंडस, अटरिया, 12वीं मंजिल, प्लॉट नं0-17, सॉफ्टवेयर यूनिट लेआउट, माधापुर, हैदराबाद, टी0एस0 इण्डिया, पिन-500081
........... अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2
बनाम
1- उमेश सिंह चौहान पुत्र राजवीर सिंह चौहान, निवासी ग्राम जेली, तहसील कुमरावली, जिला मैनपुरी उ0प्र0 मो0-9729779531
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
2- प्रो0 वीरेन्द्र सिंह, वी0एस0 खाद भण्डार, जसवन्तपुर मैनपुरी।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री हरिशंकर
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 08.02.2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ कोर्टेवा एग्रीसांइस सीड्स प्रा0लि0 द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0-70/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.5.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा कृषि कार्य हेतु अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा निर्मित एवं प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा बिक्रीत पायोनियर कम्पनी का बीज क्रय किया एवं विपक्षी के द्वारा दिये गये आश्वासन के उपरांत
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प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 से 15 किलोग्राम बीज रू0 6,600.00 में क्रय किया एवं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 से 4 बोरी जैविक खाद रू0 1600.00 तथा 02 बोरी डी0ए0पी0 रू0 2400.00 पैदावार हेतु क्रय कर खेतों में डाली तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा किराये पर लिए गये खेत को तैयार करने के लिए हेरो दुब्बर, कल्टीवेटर दुब्बर तथा रोटावेटर से बुबाई की, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी का रू0 5200.00 व्यय हुआ। प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा 90 प्रतिशत की जर्मीनेशन की गारण्टी बतायी जो कि 65 प्रतिशत की हुई एवं जब फसल तैयार हुई तो देखा कि आधे-आधे भुट्टों में ही दाने पडे हैं, जिसकी शिकायत विपक्षीगण से करने पर एक अर्जुन सिंह नामक व्यक्ति द्वारा अपने सीनियर अधिकारी श्री योगेन्द्र यादव को वीडियोकाल कर प्रत्यर्थी/परिवादी की फसल के बारे में अवगत कराया गया तो उक्त अधिकारी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी की फसल की गुणवत्ता के अनुसार पैदावार न होने पर क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का आश्वासन दिया। परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई, न ही विपक्षीगण द्वारा क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया, अत्एव विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत किया गया।
प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद पत्र के कथनों का विरोध किया गया तथा यह कथन किया गया कि विपक्षी के विरूद्ध परिवाद प्रस्तुत करने का कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है एवं परिवाद वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए गलत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा मानक के अनुरूप खाद बीज व
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जुताई-बुबाई को समयानुसार व उचित तरीके से नहीं किया गया। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 निर्माता कम्पनी द्वारा बीज की आपूर्ति की गई है अत्एव बीज की गुणवत्ता में यदि कोई कमी है तो उसके लिए विपक्षी सं0-2 जिम्मेदार है, इसलिए विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 की ओर से भी जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद पत्र के कथनों का विरोध किया गया तथा यह कथन किया गया कि परिवाद झूठा एवं फर्जी है तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की फसल खराब व्यवस्था के कारण खराब हुई है एवं परिवाद वास्तविक तथ्यों को छिपाते हुए गलत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है, इसलिए परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"13- परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-2 को निर्देश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की दिनांक से एक माह के अन्दर परिवादी को 80,000.00 (अस्सी हजार रू0 मात्र) अदा करेगा। विपक्षी सं0-2 उक्त धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की दिनांक से वास्तविक भुगतान की दिनांक तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी परिवादी को अदा करने का उत्तरदायी होगा।
14- विपक्षी सं0-01 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर होवे।"
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जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 कोर्टेवा एग्रीसांइस सीड्स प्रा0लि0 द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में प्रत्यर्थी/परिवादी को उसकी फसल के नुकसान के एवज में जो धनराशि क्षतिपूर्ति स्वरूप प्रदान की गई है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपीलीय स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है।
परन्तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश में ब्याज की देयता 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण हेतु आदेश पारित किया गया है वह केस के तथ्यों एवं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अधिक प्रतीत हो रही है, अत्एव उसे वाद के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए 07 के स्थान पर 05 प्रतिशत संशोधित किया जाना उचित पाया जाता है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा। तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
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अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वइ इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1