राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1113/2017
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 133/2016 में पारित आदेश दिनांक 20.05.2017 के विरूद्ध)
INDUSIND BANK LTD.
Brach Office:
Vimla Jain Complex, Agra Road, Firozabad
Regional office:
Sanjay Palace, Agra
State Office:
Saran Chamber-II, Park Road, Hazratganj, Lucknow
Through it’s Manager Legal
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
Umesh Kumar Pathak s/o-Sunahari Lal, R/o- Nagla Burj Bhajan, Post- Devkhera, P.S.- Pachokhara Tehsil- Tundala, District- Firozabad.
...............प्रत्यर्थी/परवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्द्र चौधरी।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश कुमार सिंह।
विद्वान अधिवक्ता ।
दिनांक:
-2-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या- 133/16 उमेश पाठक बनाम शाखा प्रबन्धक शाखा कार्यालय इंडसइंड बैंक लि0 में जिला फोरम फिरोजाबाद द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 20.05.2017 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी इंडसइंड बैंक लि0 की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है
"परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि उसके द्वारा जिस दशा में वादी से प्रश्नगत वाहन अधिग्रहित किया था, उसी रूप में 7 दिन के अन्दर परिवादी के पक्ष में बगैर पार्किंग अथवा अन्य किसी चार्ज वसूल किये अवमुक्त किया जाये। इसके अतिरिक्त वादी को प्रश्नगत वाहन के सम्बन्ध में अदेयता प्रमाण पत्र भी बगैर वादी से कोई भी धनराशि प्राप्त किये उक्त अवधि में उपलब्ध कराये। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण मानसिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति के लिए 5,000/-रू0 व परिवाद व्यय के लिए 2,000/-रू0 भी 30 दिन के अंदर परिवादी को अदा करेगा।"
अपीलार्थी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राकेश कुमार सिंह उपस्थित हुए है। मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
-3-
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उपरोक्त परिवाद विपक्षीगण शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय इंडसइंड बैंक लि0 फिरोजाबाद व इंडसइंड बैंक लि0 द्वारा क्षेत्रीय प्रबन्धक क्षेत्रीय कार्यालय इंडसइंड बैंक लि0 संजय पैलेस आगरा के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने दिनांक 28.07.2017 को टाटा मैजिक वाहन खरीदने के लिए 3,00,000/-रू0 का लोन 8.61% वार्षिक ब्याज की दर से विपक्षीगण के बैंक से लिया था और 72,000/-रू0 इंडसइंड बैंक की मुख्या शाखा फिरोजाबाद में जमा कर टाटा मैजिक वाहन क्रय किया था।
परिवादपत्र के अनुसार लोन की उपरोक्त धनराशि 3,00,000/-रू0 का भुगतान 10,785/-रू0 की 36 मासिक किस्तों में अदा किया जाना था। तद्नुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने 23 किस्तों का भुगतान दिनांक 30.08.2015 तक किया था। माह जुलाई,2014 में वह बाहर था इस कारण माह जुलाई, 2014 की किस्त जमा नहीं कर सका तब उसने दिनांक 17.08.2014 को 2 किस्तों की धनराशि एकसाथ 21,570/-रू0 जमा किया है। इस प्रकार जनवरी 2016 तक 1,15,570/-रू0 अवशेष रह गया था परन्तु विपक्षी बैंक ने बिना नोटिस दिए उसका वाहन जब्त कर अभिरक्षा में ले लिया। तब प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी बैंक के उच्च अधिकारियों से बात की तो दिनांक 05.02.2016 को 30,000/-रू0 जमा कराकर उसका वाहन वापिस किया गया। उसके बाद दिनांक 12.07.2016 तक 3,77,740/-रू0 जमाकर उसने पूर्ण भुगतान कर दिया और दिनांक 13.07.2016 को उसने बैंक से नो-ड्यूज प्रमाणपत्र मांगा तो उसे नहीं दिया गया। उससे 40,000/-रू0 अतिरिक्त धन की मांग की गई जो पूर्ण रूप से गलत और अवैधानिक है।
-4-
अत: उसने विपक्षीगण को नोटिस भेजा फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई तब उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर निवेदन किया है कि उसे विपक्षी बैंक से नो-ड्यूज दिलवाया जाए और विपक्षी बैंक को दंडित किया जाए।
विपक्षी बैंक की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और कथन किया है कि परिवादी के जिम्मा 23,011.50/-रू0(तेइस हजार ग्यारह रूपया पचास पैसा) बकाया है।
उभयपक्ष के अभिकथन और उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत जिला फोरम के दो सदस्यों ने बहुमत निर्णय पारित किया है जिसके द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया गया है। उल्लेखनीय है कि जिला फोरम के अध्यक्ष ने अल्पमत निर्णय पारित किया है और निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी का परिवाद इस शर्त के साथ स्वीकार किया जाता है कि यदि परिवादी विपक्षी को 24,000/-रू0 व निर्णय की तिथि तक पार्किंग चार्ज दे दे तो विपक्षी तत्काल पूर्व दशा में प्रश्नगत वाहन परिवादी को परिदत्त कर दे, अन्यथा 1000/-रू0 दैनिक की दर से आगे से विपक्षी परिवादी को प्रतिकर देगा।"
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम के 2 सदस्यों ने जो बहुमत निर्णय पारित किया है वह साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है, अध्यक्ष ने जो अल्पमत निर्णय पारित किया है वह उचित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम के सदस्यों ने जो बहुमत निर्णय पारित किया है वह उचित है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
-5-
मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है। विपक्षी द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन से स्पष्ट है कि विपक्षीगण का प्रत्यर्थी के जिम्मा 23,011.50/-रू0(तेइस हजार ग्यारह रूपया पचास पैसा) अवशेष है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने विपक्षी बैंक से जो तीन लाख रूपये की धनराशि प्राप्त की थी उसकी अधिकांश धनराशि ब्याज सहित उसने अदा कर दी है अत: 23,011.50/-रू0(तेइस हजार ग्यारह रूपया पचास पैसा) की अवशेष धनराशि हेतु परिवाद लम्बन की अवधि में अपीलार्थी बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी को नोटिस दिए बिना जो वाहन कब्जे में लिया है वह अनुचित और अवैधानिक है और इस सन्दर्भ में दोनों सदस्यों ने जो बहुमत निर्णय में निष्कर्ष निकाला है वह उचित है अत: अपीलार्थी बैंक द्वारा अनाधिकृत रूप से वाहन कब्जे में लिए जाने पर और वाहन अवरूद्ध किए जाने पर वाहन का पार्किंग चार्ज प्रत्यर्थी/परिवादी से वसूल किया जाना विधिसम्मत व उचित नहीं कहा जा सकता है। अत: बहुमत निर्णय में जो बगैर पार्किंग चार्ज के वाहन प्रत्यर्थी/परिवादी को अवमुक्त करने हेतु आदेशित किया गया है वह उचित है। अध्यक्ष ने अपने अल्पमत निर्णय में जो पार्किंग चार्ज प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है वह अनुचित व विधि विरूद्ध है।
उभयपक्षों के अभिकथन एवं सम्पूर्ण साक्ष्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत मैं इस मत का हूं कि प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी बैंक की अवशेष धनराशि 23,011.50/-रू0(तेइस हजार ग्यारह रूपया पचास पैसा) जमा करने पर उसका वाहन तुरंत अवमुक्त करने हेतु आदेशित किया जाना उचित है। उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर मेरी राय में जिला फोरम ने
-6-
जो 5,000/-रू0 मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान की है वह अनुचित है और उसे अपास्त किया जाना उचित है।जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी को जो 2,000/-रू0 वादव्यय दिलाया है वह भी उचित प्रतीत होता है।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित बहुमत निर्णय और अल्पमत निर्णय दोनों को संशोधित करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी का वाहन अवशेष धनराशि 23,011.50/-रू0(तेइस हजार ग्यारह रूपया पचास पैसा) जमा करने पर तुरंत उसे अवमुक्त करे। इस धनराशि के अलावा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक प्रत्यर्थी/परिवादी से पार्किंग चार्ज या अन्य किसी भी मद में पाने का अधिकारी नहीं है और न वह उसकी मांग करेगा। अपीलार्थी/विपक्षी बैंक प्रत्यर्थी/परिवादी को 2,000/-रू0 वादव्यय भी प्रदान करेगा जो प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा देय धनराशि 23,011.50/-रू0(तेइस हजार ग्यारह रूपया पचास पैसा) में समायोजित किया जा सकता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी बैंक द्वारा अपील में जमा धनराशि ब्याज सहित उसे वापस की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1