राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-630/2000
1-यूनियन आफ इण्डिया द्वारा जी0 एम0 नार्दन रेलवे, बड़ौदा हाउस, नई दिल्ली।
2-जी0 एम0 नार्दन रेलवे, बड़ौदा हाउस, नई दिल्ली।
3-डी0 आर0 एम0 नार्दन रेलवे, हजरतगंज, लखनऊ।
4-एस0 एस0 भिवानी, रेलवे स्टेशन, भिवानी सिटी भिवानी। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
श्री उमेश चन्द्र तिवारी पुत्र गिरजा शंकर तिवारी, निवासी 1289/14 इन्दिरा नगर, राय बरेली।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्य।
2-मा0 श्री संजय कुमार सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्ता श्री एम0 एच0 खान।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित। कोई नहीं।
दिनांक 30-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्यायिक सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलकर्ता गण ने प्रस्तुत अपील विद्वान जिला मंच रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या-248/94 उमेश चन्द्र तिवारी बनाम जी0 एम0 नार्दन रेलवे एवं अन्य में पारित किये गये आदेश दिनांक 31-01-2000 के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है।
परिवाद को आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विरोधी पक्षकारों को आदेशित किया जाता है कि वह दिल्ली से लखनऊ के आरक्षण मूल्य को सब्याज तीस दिन के अन्दर परिवादी को वापस कर दे। इसके अतिरिक्त क्षतिपूर्ति हेतु मु0 500/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में मु0 1000/-रू0 का भुगतान भी तीस दिन के अन्दर परिवादी को सुनिश्चित करें।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री एम0 एच0 खान के तर्कों को सुना, प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी ने अपना टिकट नम्बर आदि परिवाद पत्र में नहीं दिया और यात्रा के दौरान उसे कष्ट हुआ इस सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया अत: प्रश्नगत निर्णय निरस्त किये जाने योग्य है।
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प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया गया पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया। परिवादी/प्रत्यर्थी ने अपने परिवाद में यह बताया है कि उसने दिनांक 01-12-93 के लिए ट्रेन नं0 3884 –द्वितीय श्रेणी शयनकक्ष में डिब्बा नम्बर 7032 में बर्थ 9 भिवानी से लखनऊ के लिए आरक्षित करायी थी इस प्रकार परिवादी ने अपने परिवाद में ट्रेन नम्बर दिया है। परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में शपथपत्र भी दाखिल किया है अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच द्वारा विवेचना करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है और क्षतिपूर्ति के रूप में 500/-रू0 वाद व्यय 1000/-रू0 के भुगतान किये जाने का जो आदेश दिया है वह विधि अनुसार है उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है तदनुसार अपील निरस्त की जाती है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
वाद व्यय पक्षकार अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(अशोक कुमार चौधरी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
मनीराम आशु0-2
कोर्ट- 3