(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2088/2009
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-300/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.06.2009 के विरूद्ध)
बजाज एलायंस जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0, जी.ई. प्लाजा एयरपोर्ट रोड, पूणे, द्वारा ब्रांच आफिस बजाज एलायंस जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0, 4 शाहनजफ रोड, हजरतगंज, लखनऊ (यू.पी.) द्वारा आफिसर इन चार्ज।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
उमेश चन्द्र गोयल, बी-54, सेक्टर-55, नोयडा, गौतमबुद्ध नगर, नोयडा (यू.पी.)।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 05.01.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-300/2007, उमेश चन्द्र गोयल बनाम बजाज एलायंस जनरल इन्श्योरेन्स कं0लि0 में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 15.06.2009 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया गया है कि वह परिवादी को अंकन 1,91,176/- रूपये दिनांक 07.09.2007 से 12 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करें। अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मद में अंकन 20,000/- रूपये तथा परिवाद व्यय की मद में अंकन 3,000/- रूपये भी अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
2. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने परिवार का चिकित्सीय बीमा विपक्षी से कराया था। उक्त बीमा दिनांक 21.06.2006 से दिनांक 20.06.2007 तक की अवधि के लिए वैध था। प्रथम बार बीमार पड़ने पर परिवादी इलाज हेतु मेट्रो अस्पताल, नोयडा, जो विपक्षी द्वारा अधिकृत अस्पताल है, में जाकर दिखाया, जहां चिकित्सकों ने परिवादी को कोरोनरी आरटेरी बीमारी, एक्यूट एसटी एलीवेशन माडरेट एलवी डाइसफंसन, तनाव से ग्रस्त बताया। परिवादी ने दिनांक 12.05.2007 से दिनांक 21.05.2007 तक भर्ती रहकर इलाज कराया। अस्पताल से मुक्त होने के पश्चात चिकित्सा से संबंधित बिल दावा विपक्षी को प्रेषित किया, परन्तु विपक्षी ने परिवादी का दावा अस्वीकार कर दिया, इस कारण परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा अपना एवं अपने परिवार का चिकित्सीय बीमा करवाया जाना स्वीकार किया। विपक्षी ने कहा कि परिवादी बीमा की शर्त के अधीन ही चिकित्सा पर व्यय की गई धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी था। परिवादी चूंकि कथित रोग से बीमा प्राप्त करने के 30 दिन के अन्तर्गत पीडित हो गया था। ऐसी स्थिति में बीमा की शर्त संख्या-सी-4 के अन्तर्गत चिकित्सा पर व्यय की गई धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं था। तदुनसार परिवादी का दावा अस्वीकार कर दिया गया।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी के दावे को अस्वीकार करके सेवा में कमी की गई है। तदनुसार चिकित्सा व्यय उपरोक्त विवरण के अनुसार अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
5. इस निर्णय/आदेश को अपीलार्थी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश तथ्य एवं विधि के विपरीत है। पालिसी की शर्तों के विपरीत जाकर निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने दिनांक 10.05.2007 के पत्र पर विचार नहीं किया, जो विनायक हॉस्पिटल द्वारा जारी किया गया है, जिसमें उल्लेख है कि परिवादी पूर्व (2006) से ही बीमारी Acute Myocardial Infraction, severe Hypertensive and Diabetes से ग्रसित था और यह बीमारी पालिसी के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति के लिए संरक्षित नहीं हैं।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान की बहस सुनी गई तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विनायक हॉस्पिटल ने स्पष्ट रूप से बीमारियों का उल्लेख किया है, जिसका उल्लेख पत्र में किया गया है, वह बीमा पालिसी के अन्तर्गत संरक्षित नहीं है और विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अवैध रूप से यह निष्कर्ष दिया है कि यह पत्र केवल बीमारी के इतिहास के बारे में लिखा गया है, किसी जांच पर आधारित नहीं है, जबकि यह पत्र पर्वू से ही बीमारी Acute Myocardial Infraction, severe Hypertensive and Diabetes से ग्रसित होने का सबूत है।
8. प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विनायक हॉस्पिटल द्वारा जारी पत्र पूर्व से बीमारी Acute Myocardial Infraction, severe Hypertensive and Diabetes से ग्रसित होने का सबूत नहीं है। यह केवल राय पर आधारित पत्र है, जांच पर आधारित पत्र नहीं है।
9. बीमा पालिसी की प्रति पत्रावली पर अनेग्जर संख्या-2 के रूप में मौजूद है, जिसमें यह उल्लेख है कि बीमा पालिसी प्राप्त करने से पूर्व किसी बीमारी से ग्रसित होने पर 48 माह बीत जाने तक बीमा कम्पनी ऐसी बीमारी के लिए उत्तरदायी नहीं है। अत: इस मंच को इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या पालिसी प्राप्त करने से पूर्व ही बीमाधारक Acute Myocardial Infraction, severe Hypertensive and Diabetes नामक बीमारी से ग्रसित था। इस संबंध में विनायक हॉस्पिटल का एक पत्र विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विचार में लिया गया है, इस पत्र के अलावा अन्य कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। विनायक हॉस्पिटल द्वारा जारी पत्र की प्रति पत्रावली पर दस्तावेज संख्या-29 के रूप में मौजूद है। यह पत्र दिनांक 10.05.2007 को जारी किया गया है। निश्चित रूप से यह पत्र बीमारी के किसी विश्लेषण पर आधारित नहीं है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि बीमा प्रस्ताव भरते समय परिवादी किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित था, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में कोई हस्तक्षेप उचित प्रतीत नहीं होता है, सिवाय इसके कि अतिरिक्त क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 20,000/- रूपये की अदायगी का आदेश उचित प्रतीत नहीं होता। इसी प्रकार ब्याज दर भी उच्च दर से लगाई गई है। अत: दोनों मदों में सुधार की आवश्यकता है। अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मद में अंकन 5,000/- रूपये तथा ब्याज की मद में 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देना उचित होगा। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
10. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 15.06.2009 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की मद में अंकन 20,000/- रूपये के स्थान पर मात्र 5,000/- रूपये तथा ब्याज की मद में 12 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष देय होगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2