सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या 29 सन 2016 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.09.2016 के विरूद्ध)
अपील संख्या 2814 सन 2016
नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा अधिकृत अधिकारी, रीजनल आफिस, जीवन भवन, फेज'2, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
उमेश अग्रवाल, प्रबन्धक, श्री मनमोहन फूड प्रोडेक्ट प्रा0लि0 अमावा रोड, रायबरेली, जिला रायबरेली ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री राकेश कुमार श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री विष्णु कुमार मिश्रा।
दिनांक:-25-02-2019
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या 29 सन 2016 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.09.2016 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ट्रक संख्या यू0पी0 33 टी 3767 का पंजीकृत स्वामी है जिसका बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 22.10.2013 से 21.10.2014 तक की अवधि के लिए कराया गया था। दिनांक 22.09.2014 को उक्त ट्रक सड़क दुर्घटना से ग्रस्त हो गया। परिवादी ने इसकी सूचना बीमा कम्पनी को दी। बीमा कम्पनी द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन का निरीक्षण सर्वेयर द्वारा कराया गया। उक्त वाहन को वी0के0 मोटर्स, 8 इण्डिस्ट्रियल एरिया नादरगंज, लखनऊ में मरम्मत हेतु ले जाया गया। दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत में 2,49,988.00 रू0 खर्च हुआ। परिवादी ने वाहन में खर्च हुयी धनराशि की मांग अपीलार्थी बीमा कम्पनी से की, लेकिन बीमा कम्पनी द्वारा उसके क्लेम को '' नो-क्लेम '' कर दिया गया, जिसके क्षुब्ध होकर परिवादी ने जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया ।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। परिवादी को विपक्षी बीमा कम्पनी से वाहन की मरम्मत में व्यय बीमा की राशि धनराशि रू0 249988.00 रू0 तथा इस धनराशि पर वाहन दुर्घटना की तिथि 22.01.2014 से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी पाने का अध्किार होगा। विपक्षी यह धनराशि परिवादी को दो माह में अदा करें। परिवादी को विपक्षी से क्षतिपूर्ति के रूप में 1000.00 तथा वाद व्यय के रूप में 500.00 रू0 भी प्राप्त करने का अधिकार है। विपक्षी बीमा कम्पनी यह धनराशि भी परिवादी को दो माह के अन्तर्गत अदा करे। दो माह में क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय न अदा करने पर परिवादी क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय की सम्पूर्ण धनराशि रू0 1500.00 पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 16.02.2016 से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज का भुगतान करेंगें। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्पूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि अपीलार्थी द्वारा यह अपील मुख्यत: इस आधार पर योजित की है कि प्रश्नगत वाहन के चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था जिसके कारण दुर्घटना घटित हुयी। अपीलकर्ता का कथन है कि वाहन के चालक के पास आर0टी0ओ0 रायबरेली द्वारा निर्गत एल0एम0वी0 स्तर के वाहन चलाने का लाइसेंस था लेकिन उसके द्वारा ट्रक का संचालन किया जा रहा था। जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत वाहन की सकल भार वहन क्षमता 6250 कि0ग्रा0 पंजीयन पुस्तिका पर अंकित है जो मोटर वाहन अधिनियत 1988 की धारा 2(21) जो व्यवसायिक वाहन होने पर भी लाइट मोटर व्हीकल की श्रेणी में आता है क्योंकि प्रश्नगत वाहन 7500 कि0ग्रा0 से कम है। मोटर वाहन अधिनियत 1988 की धारा 10(2) के अन्तर्गत मोटरसाइकिल बिना गेयर, मोटरसाइकिल गेयर सहित, इन्वैलिड कैरिज, लाइट मोटर व्हीकल, ट्रासंपोर्ट व्हीकल, रोड रोलर तथा मोटर व्हीकल आफ ए स्पेसीफाइड डिस्क्रप्शन के वाहन आते हैं। विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 में संशोधन द्वारा 1994 में ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स के अंतर्गत ट्रांसपोर्ट व्हीकल की एक ही केटगरी कर दी गयी है जिसके कारण अन्य केटगरी के वाहन के साथ ही हैवी गुड्स व्हीकल तथा हैवी पैसेंजर मोटर व्हीकल भी ट्रांसपोट्र व्हीकल्स के अन्तर्गत आ गए हैं।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इस संदर्भ में सिविल अपील संख्या 5826/2011 मुकुन्द देवगन बनाम ओरियंटल इंश्योरंस कम्पनी के मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय दिनांक 03.07.2017 पर विश्वास व्यक्त किया गया। उक्त निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्क मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के निष्कर्षो के आलोक में प्रस्तुत किए गए हैं।
मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा उपरोक्त निर्णय के मामले में अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नही है कि प्रश्नगत वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।
प्रश्नगत वाहन की मरम्मत में व्यय की गयी धनराशि 02,49,988.00 रू0 पर अपीलकर्ता बीमा कम्पनी द्वारा कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की गयी है, मात्र वाहन चालक के कथित रूप से वैध लाइसेंसधारी चालक न होने के आधार पर बीमा दावा निरस्त किया गया है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से अपीलकर्ता बीमा कम्पनी प्रत्यर्थी/परिवादी को 02,49,988.00 रू0 वाहन मरम्मत के मद में हुए व्यय की क्षतिपूर्ति मय व्याज करने के लिए उत्तरदायी है।
जहां तक व्याज की दर का प्रश्न है, जिला मंच द्वारा वाहन दुर्घटना की तिथि 22.01.2014 से धनराशि की अदायगी तक 08 प्रतिशत साधारण व्याज दिलाए जाने हेतु आदेशित किया है। हमारे विचार से दुर्घटना की तिथि से ब्याज दिलाया जाना न्यायोचित नहीं होगा। बीमा दावे के निस्तारण हेतु बीमा कम्पनी को कुछ समय दिया जाना न्यायोचित होगा। प्रस्तुत प्रकरण में बीमा दावा पत्र दिनांकित 25.05.2015 द्वारा निरस्त किया जाना अथिकथित किया गया है, अत: क्षतिपूर्ति की अदायगी दिनांक 25.05.2015 से 08 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
अत: अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। अपीलकर्ता बीमा कम्पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को वाहन मरम्मत के मद में हुआ व्यय 02,49,988.00 (दो लाख उन्चास हजार नौ सौ अठ्ठासी) रू0 बीमा दावा निरस्त करने की तिथि 25.05.2015 से 08 (आठ) प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से इस आदेश की तिथि से दो माह के अन्दर किया जाना सुनिश्चित करे।
उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-1
(S.K.Srivastav,PA)