Uttar Pradesh

StateCommission

A/1549/2017

HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Umashankar Yadav - Opp.Party(s)

T J S Makkar

18 Nov 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1549/2017
( Date of Filing : 30 Aug 2017 )
(Arisen out of Order Dated 19/07/2017 in Case No. C/280/2016 of District Jhansi)
 
1. HDFC Ergo General Insurance Co. Ltd
Unit No. 502,504,506 Fifth Floor Mahatta Tower B-1 Block Community Centre Janakpuri New Delhi 110058
...........Appellant(s)
Versus
1. Umashankar Yadav
S/O Sri Babulal Yadav R/O 99 Nai Basti Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Nov 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1549/2017

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या 280/2016 में पारित आदेश दिनांक 19.07.2017 के विरूद्ध)

1. HDFC ERGO General Insurance Co. Ltd. Unit no. 502, 504, 506 Fifth Floor, Mahatta Tower B-1 Block, Community Centre Janakpuri, New Delhi-110058

2. HDFC ERGO General Insurance Co. Ltd. Second Floor, Ajanta Plaza, M.G. Road, Agra

     Appellant no. 1 & 2 through its Assistant Manager Ms. Saswata Banerjee posted at its office at 2nd Floor, P255B, CIT Scheme-VIM, Kankurgachi, Kolkata.

                  ..................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं01व2

बनाम

1. Sri Uma Shankar Yadav s/o Sri Babulal Yadav, r/o 99 Nai Basti, Jhansi

                          ...................प्रत्‍यर्थी सं01 /परिवादी

2. J.R. Automobiles, Near Sabzi Mandi, Sikandra,  NH-2, Delhi Agra Road, Agra-282007

                      ...................प्रत्‍यर्थी सं02 /विपक्षी सं03

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़,                               

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री आलोक सिन्‍हा,                               

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 23.12.2019

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-280/2016 उमाशंकर यादव बनाम प्रबंधक एच0डी0एफ0सी0 एरगो जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी लि0 व दो अन्‍य में

 

-2-

जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, झांसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 19.07.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने आक्षेपित  निर्णय  व  आदेश  के द्वारा  परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद स्‍वीकार किया जाता है, और विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह 18,93,389/-रू0 12प्रतिशत ब्‍याज सहित दो माह के अन्‍दर अदा करें। यह ब्‍याज की धनराशि वाद दाखिल करने के दिनांक से भुगतान की तिथि तक देय होगी। मानसिक कष्‍ट के लिये 5000/-रू0 (पांच हजार रूप्‍ये) एवं वाद व्‍यय के लिये             5000/-रू0 (पांच हजार रूप्‍ये) अदा करें।''

जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण संख्‍या-1 व 2 की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से                  विद्वान अधिवक्‍ता  श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़ और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक सिन्‍हा उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है। 

 

 

-3-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से लिखित तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया है। मैंने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थीगण एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के विरूद्ध परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 से पियाजो स्‍पोर्ट्स वाहन क्रय किया था और वाहन का बीमा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 ने अपीलार्थी संख्‍या-2 के माध्‍यम से दिनांक 29.05.2015 से दिनांक 28.05.2016 तक की अवधि के लिए 24,51,000/-रू0 के बीमित मूल्‍य पर कराया था।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी           संख्‍या-2 को चेक संख्‍या-24232 दिनांक 29.05.2015 को पंजाब नेशनल बैंक का जारी किया तब उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पक्ष में बीमा पालिसी सं0 2311201092392000000 जारी की।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि जब काफी समय तक चेक की धनराशि डेबिट नहीं हुई तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी संख्‍या-2 से सम्‍पर्क किया तो अपीलार्थी संख्‍या-2 ने बताया कि चेक कहीं खो गयी है लिहाजा दूसरा चेक प्रदान करें। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी संख्‍या-2 को डी0डी0 नम्‍बर 236482 दिनांकित 08.07.2015 प्रदान किया। तब अपीलार्थी संख्‍या-2 द्वारा उसके उपरोक्‍त वाहन का पुन: दिनांक 08.07.2015 से दिनांक 07.07.2016 तक की अवधि  हेतु

 

-4-

24,41,000/-रू0 आई0डी0वी0 पर बीमा किया गया और उसके पक्ष में दूसरी बीमा पालिसी नं0 2311201128199200000 जारी की गयी।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पहला बीमा दिनांक 20.05.2015 को कराया था, परन्‍तु अपीलार्थी संख्‍या-2 एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 ने उसके द्वारा दी गयी चेक को कैश नहीं कराया। अत: उसे पुन: बीमा कराना पड़ा है। इस कारण उसका वाहन डेढ़ माह तक बिना बीमा के रहा है। 

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 17.04.2016 को वह अपने उपरोक्‍त वाहन से आगरा जा रहा था तभी रात के 1 से 2 बजे के मध्‍य जानवर बचाने के चक्‍कर में उसका वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। किसी को कोई चोट नहीं आई। अत: दुर्घटना की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज नहीं करायी गयी, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 18.04.2016 को अपीलार्थी संख्‍या-2 एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के टोल फ्री नम्‍बर पर दुर्घटना की सूचना दिया, परन्‍तु अपीलार्थी संख्‍या-2 एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के यहॉं से दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन को उठाने के लिए कोई वाहन नहीं आया तब दिनांक 19.04.2016 को पुन: प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उन्‍हें सूचित किया तब उसका वाहन मौके से प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के यहॉं ले जाकर जमा किया गया, परन्‍तु वाहन सुपुर्दगी में लेने का कोई जॉब कार्ड जारी नहीं किया गया।

परिवाद पत्र के अनुसार  अपीलार्थीगण  ने  सर्वेयर  नियुक्‍त

 

-5-

किया और सर्वेयर ने वाहन का सर्वे किया। सर्वेयर को दुर्घटना का विवरण प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बताया। उसके बाद सर्वेयर ने उससे 2-3 कोरे कागजों पर दस्‍तखत करवाया और कहा कि एक महीने बाद क्‍लेम का भुगतान कर दिया जायेगा अथवा वाहन को सुधार कर दे दिया जायेगा।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 ने उसके दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन का स्‍टीमेट दिनांक 05.05.2016 को बनाकर दिया और वाहन ठीक करने में 18,93,389/-रू0 का खर्च बताया। तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थीगण से कहा कि उसके वाहन को ठीक करने के लिए वे प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को निर्देश दें, परन्‍तु अपीलार्थीगण ने कहा कि अभी क्‍लेम देने पर विचार चल रहा है। इस बीच प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिनांक 12.07.2016 को अपीलार्थीगण का पत्र दिनांक 01.07.2016 मिला, जिसमें कहा गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बतायी गयी घटना झूठी है क्‍योंकि वाहन दिनांक 19.04.2016 को वर्कशाप में जमा हो गया था तो दिनांक 25.04.2016 को दुर्घटना कैसे हो गयी।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने या उसके ड्राईवर ने विपक्षीगण को दुर्घटना की तिथि दिनांक 25.04.2016 कभी नहीं बतायी है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थीगण ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा गलत  आधार  पर

 

-6-

निरस्‍त किया है। अत: क्षुब्‍ध होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थीगण की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है। परिवाद पत्र में उसने दुर्घटना दिनांक 17.04.2016 को होना बताया है, जबकि अपीलार्थीगण को दी गयी सूचना में उसने दुर्घटना दिनांक 25.04.2016 को होना बताया है और प्रश्‍नगत वाहन दिनांक 19.04.2016 से ग्‍वालियर के एक वर्कशाप में क्षतिग्रस्‍त होकर खड़ा है।

लिखित कथन में अपीलार्थीगण की ओर से कहा गया है कि अपीलार्थीगण की सेवा में कोई कमी नहीं है।

प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2, जो परिवाद में विपक्षी संख्‍या-3 है, की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों

पर विचार करने के उपरान्‍त यह माना है कि परिवाद पत्र में कथित दुर्घटना दिनांक 17.04.2016 की है। जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत स्‍टीमेट के आधार पर वाहन में हुई क्षति 18,93,389/-रू0 माना है और सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षति 13,27,865/-रू0 को स्‍वीकार नहीं किया है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार  पर  जिला  फोरम  ने  परिवाद

 

 

-7-

स्‍वीकार करते हुए ऊपर अंकित आदेश पारित किया है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बीमा कम्‍पनी को दुर्घटना दिनांक 25.04.2016 की बतायी है और परिवाद पत्र में दुर्घटना की तिथि 17.04.2016 गलत बतायी है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि सर्वेयर ने वाहन को हुई क्षति का आंकलन किया है और कुल क्षति की धनराशि 13,27,865/-रू0 निर्धारित किया है। जिला फोरम ने सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि को स्‍वीकार न कर जो स्‍टीमेट के आधार पर क्षतिपूर्ति की धनराशि 18,93,389/-रू0 निर्धारित किया है, वह गलत है और क्षतिपूर्ति की यह धनराशि बहुत अधिक है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय दोषपूर्ण है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दुर्घटना दिनांक 17.04.2016 की है। अपीलार्थीगण के सर्वेयर ने सादे कागज पर दस्‍तखत करवाया था और उन्‍होंने कागजात पर दुर्घटना की तिथि दिनांक 25.04.2016 अपने तौर पर गलत अंकित किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत स्‍टीमेट को मान्‍यता  प्रदान

 

-8-

कर जो क्षतिपूर्ति की धनराशि निर्धारित किया है, वह उचित है। अपील बल रहित है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

सर्वेयर आख्‍या के अनुसार प्रश्‍नगत वाहन दिनांक 19.04.2016 से वर्कशाप में दुर्घटनाग्रस्‍त हालत में खड़ा है। सर्वेयर ने वाहन की क्षति का आंकलन 13,27,865/-रू0 किया है। सर्वेयर एवं बीमा कम्‍पनी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दुर्घटना दिनांक 25.04.2016 की बतायी है, जबकि वाहन दिनांक 19.04.2016 से वर्कशाप में खड़ा है। अत: कथित दुर्घटना फर्जी है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार दुर्घटना दिनांक 17/18.04.2016 की दरमियानी रात की है। उसने दुर्घटना की सूचना बीमा कम्‍पनी के टोल फ्री नम्‍बर पर दिनांक 18.04.2016 को दिया और उसी दिन प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को सूचना दिया, परन्‍तु वाहन लेने कोई नहीं आया तब उसने पुन: दिनांक 19.04.2016 को सूचना दिया तब प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 वाहन ले जाकर वर्कशाप में जमा किया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन विश्‍वसनीय है कि प्रश्‍नगत दुर्घटना दिनांक 17/18.04.2016 की दरमियानी रात की है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा हस्‍ताक्षरित ऐसी सूचना नहीं दिखा सकी है जिसमें दुर्घटना दिनांक 25.04.2016 की कही गयी हो। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने दुर्घटना दिनांक 17/18.04.2016 की दरमियानी रात की जो माना है, वह उचित और आधारयुक्‍त है। बीमा कम्‍पनी

 

-9-

द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकार करने का कथित कारण स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है।

सर्वेयर ने वाहन की क्षति 13,27,865/-रू0 आंकलित किया है, जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन मरम्‍मत का स्‍टीमेट 18,92,831/-रू0 का प्रस्‍तुत किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन की मरम्‍मत कराकर वाहन मरम्‍मत हेतु अदा की गयी वास्‍तविक धनराशि का बिल या बाउचर प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत स्‍टीमेट पर विश्‍वास करना उचित नहीं है। अत: जिला फोरम के निर्णय व आदेश को संशोधित कर सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि 13,27,865/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना उचित है।

जिला फोरम ने जो ब्‍याज 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से दिलाया है, उसे कम कर 09 प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 क्षतिपूर्ति मानसिक कष्‍ट हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया है, उसे अपास्‍त किया जाना उचित प्रतीत होता है।

जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया है, वह उचित है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थीगण की बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 13,27,865/-रू0 परिवाद

 

-10-

प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ अदा करे। साथ ही जिला फोरम द्वारा आदेशित 5000/-रू0 वाद व्‍यय भी उसे दे।

जिला फोरम द्वारा आदेशित मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति 5000/-रू0 अपास्‍त की जाती है।    

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

अपील में धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                    अध्‍यक्ष             

 

जितेन्‍द्र आशु0        

कोर्ट नं0-1    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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