Rajasthan

Ajmer

CC/36/2015

BHAGWAN DAAS - Complainant(s)

Versus

UIIC - Opp.Party(s)

ADV. VIJAY SINGH

17 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/36/2015
 
1. BHAGWAN DAAS
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. UIIC
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 17 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री भगवानदास षर्मा पुत्र स्व.श्री कन्हैया लाल षर्मा, जाति- सिन्धी(ब्राह्मण) उम्र-42 वष, निवासी- राजेन्द्रपुरा, हाथीभाटा, अजमेर । 

                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

वरिष्ठ  मण्डल प्रबन्धक, यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मण्डलीय कार्यालय,लोहागल रोड़, अजमेर । 

                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 36/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री विजय सिंह रावत, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री जी.एल.अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 30.08.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने अपनी दुकान  ’’ कन्हैया लाल टेलर एण्ड ट्रेडर्स’’ का बीमा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 141200/48/13/34/00001042 के दिनांक  3.3.2014 से 2.3.2015 तक की अवधि के लिए रू. 18,80,000/- का   करवाया । परिवाद की चरण संख्या 3 में वर्णित अनुसार दिनांक 14.3.2014 को उसकी उक्त बीमित दुकान में  राषि रू. 1,68,565/- की चोरी हो गई । इसकी पुलिस में रिपोर्ट जरिए इस्तगासा  प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 82/2014 दिनांक  2.6.2014 को करवाई ।  जिसमें पुलिस ने एफआर संख्या  76/14  दिनंाक 30.6.2014 को संबंधित न्यायालय में पेष कर दी ।  जिसे न्यायालय ने दिनंाक 14.7.2014 को मन्जूर कर लिया ।  तत्पष्चात् उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष बीमा क्लेम पेष किया ।  इस पर  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने दिनांक 15.8.2014 को श्री सुरेष चन्द्र षर्मा से निरीक्षण करवाया,  जिन्हांेने राषि रू. 1,55,015/- का नुकसान होना पाया ।   प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के  निर्देषानुसार क्लेम की  अदायगी के लिए रू. 100/- के स्टाम्प पेपर पर भी लेटर आफ सबरोगेषन  भी   निष्पादित करके दे दिया । किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने केवल रू. 99,11/-का  ही भुगतान उसे किया  । प्रार्थी ने अन्तर की राषि रू. 55,904/-  व मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय दिलाए जाने हेतु यह परिवाद पेष किया है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने  स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  जवाब प्रस्तुत कर  प्रार्थी द्वारा तथाकथित बीमा पाॅलिसी लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थी के परिसर में हुई चोरी का आंकलन राषि रू 1,45,000/- का हुआ, किन्तु प्रार्थी ने  चोरी की प्रथम  सूचना रिपोर्ट भी देरी से दर्ज करवाई  तथा अपने यहां नियमित स्टाॅक स्टेटमेंट भी नहीं रखे । इसलिए बीमा दावा में से 25 प्रतिषत  सब स्टेण्डर्ड राषि व बीमा पाॅलिसी के अनुसार रू. 10,000/- एक्सेज क्लाॅज के घटाए जाने पर  रू. 99,111/-  क्लेम स्वीकृत किया गया और प्रार्थी ने उक्त राषि सेटलमेंट इंटीमेषन वाउचर पर हस्ताक्षर करते हुए पूर्ण सन्तुष्टी में प्राप्त कर ली । इस प्रकार  उनकें स्तर पर कोई सेवा में कमी नही ंकी गई।  अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में चन्द्रकला जिरोतिया, सहायक प्रबन्धक ने अपना ष्षपथपत्र पेष किया  है ।   
3.    प्रार्थी पक्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अधीन अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा कराई गई सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कुल क्षतिपूर्ति राषि रू. 1,55,015/- में से प्राप्त की गई राषि रू. 99,111/-  अदा किए जाने के बाद अन्तर की राषि रू. 55,904/-  व मानसिक  क्षतिपूर्ति व परिवाद व्यय के रू. 5500/- कुल रू. 1,11,404/- प्राप्त करने का  वह हकदार है ।  सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर तय की गई राषि में अनावष्यक रूप से क्षतिपूर्ति की राषि  की  कटौती करते हुए वास्तविक क्षतिपूर्ति से कम राषि अदा की जाकर अप्रार्थी का प्रार्थी के प्रति सेवाओं में कमी होना स्पष्ट रूप से सामने आया है व इस कारण परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । 
4.    अप्रार्थी  बीमा कम्पनी ने इन तर्काे को खण्डन  करते हुए  तर्क पेष किया कि  सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार प्रार्थी द्वारा कोई स्टाॅक एकाउण्ट नही ंरखा गया था और ना ही स्टेटमेंट  प्रस्तुत किया गया  तथा चोरी की प्रथम सूचना रिपोर्ट  भी तुरन्त दर्ज नहीं करवाई गई  है। इस कारण उसका बीमा दावा 25 प्रतिषत सब स्टेण्डर्ड  किया गया व रू. 10,000/- एक्ससेज क्लाॅज  के घटाए जाकर रू. 99,111/- का दावा स्वीकृत किया गया जो प्रार्थी ने पूर्ण सन्तुष्टी के बाद प्राप्त कर लिया है । अतः  परिवाद विधि एवं तथ्यों की दृष्टि में  प्रथम दृष्टया पोषणीय नहीं है । विनिष्चय 2014 क्छश्र;ब्ब्द्ध21  ब्ीपजजपचतवसन स्पामेूंतं त्ंव टे क्ण्डण् न्दपजपमक न्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक  पर अवलम्ब लेते हुए  अन्यथा यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि बीमा पाॅलिसी की संविदा षर्तो के तहत बीमा राषि  के क्वांटम बाबत् यदि विवाद है तो इसके लिए आर्बीट्रेषन क्लाॅज है और इस कारण भी प्रार्थी का परिवाद पोषणीय नही ंहै ।  
5.    हमनें परस्पर तर्क सुन लिए हैं और पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्त का भी आदरपूर्वक अवलोकन   कर लिया है  । श्
6.    चूंकि प्रार्थी पक्ष द्वारा पाॅलिसी क्लेम के अन्तर्गत रू. 99,111/- का क्लेम प्राप्त कर लिया गया है , अतः पाॅलिसी के विद्यमान होने, प्रार्थी को नुकसान होने,  उसके द्वारा क्लेम प्रस्तुत किए जाने आदि तथ्य गौण हंै  तथा क्लेम पारित किए जाने के संमय इन पर समुचित  रूप से विचार किया जाकर इसकी विद्यमानता को सही माना गया है । अब सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रष्न क्लेम की राषि के क्वांटम बाबत् है । प्रार्थी पक्ष का तर्क रहा है कि सर्वेयर की रिर्पोट के अनुसार रू. 1,55,015/-  के नुकसान का भुगतान नहीं किया गया है व एक्सेज क्लाॅज  के तहत रू. 10,000/- की राषि व स्टाॅक आदि नहीं रखे जाने की स्थिति में सब स्टेण्डर्ड  की राषि घटाते हुए जो क्लेम पारित किया गया है, वह उचित नहीं है ।  
7.    क्लेम के संबंध में हमें सर्वप्रथम पाॅलिसी की ष्षर्तो का अध्ययन व उल्लेख करना होगा । पाॅलिसी की षर्तो के अन्तर्गत एक्सेज क्लाॅज में न्यूनतम रू. 10,000/-  कटौती किए  जाने का प्रावधान है । अतः षर्तो के अधीन यह राषि कम किए जाने योग्य पाई जाती है । सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट में बीमा कम्पनी से निर्देष के बाद प्रार्थी को हुए नुकसान बाबत् एस्टीमेंट हेतु बीमित दुकान का निरीक्षण किया है तथा यह पाते हुए कि -’’प्देनतमक दवज उंपदजंपदपदह चतवचमत इववो व िपदअमदजवतलण् ैंसमे - संइवनत बींतहमे व िजंपसवतपदह व िबसवजीमे ’’को ध्यान में रखते हुए  कुल क्षति रू. 1,55,015/- पाई है एवं इसमें एक्सेज क्लाॅज  की राषि रू. 10,000/- कम करते हुए रू. 1,45,015/- का अंतिम रूप से क्षति का आंकलन किया है  तथा अन्त में उसके द्वारा यह अंकित किया गया है कि -’’ थ्पदंससल पज पे बवदबसनकमक जींज जीम चसंबम व िवबबनततमदबमए बंनेम वि वबबनततमदबमण् म्गजमदज व िसवेेमे पे जतनम ंदक बवअमतमक ंे चमत चवसपबल बवदकपजपवदे ीमसक इल जीम पदेनतमक   ’’ इसका अर्थ यह हुआ कि  सर्वेयर ने प्रारम्भ में ही स्टाॅक के संदर्भ में स्थिति का जायजा लेते हुए इस बिन्दु को ध्यान में रख कर क्षति का आंकलन करते हुए एक्सेज क्लाॅज पाॅलिसी के अन्तर्गत रू. 10,000/-  की राषि कम करने के बाद अंतिम तौर पर रू. 1,45,015/- का नुकसान  देय पाया है । बीमा कम्पनी ने  सर्वेयर की रिपोर्ट को मुख्य आधार मानते हुए सबस्टेण्डर्ड की राषि  25 प्रतिषत  रू. 36370/- के रूप में घटाते हुए आई राषि पर पुनः एक्सेज क्लाॅज की राषि रू. 10,000/-कम कर रू. 99,111/- का क्लेम भुगतान योग्य पाया है । मंच  की राय में घटाई हुई  सबस्टेण्डर्ड  25 प्रतिषत  की राषि  उचित नहीं है ।  किन्तु पाॅलिसी की षर्तो में इस बात का भी स्पष्ट उल्लेख है कि क्वांटम की राषि  पर विवाद होने की स्थिति में ऐसे विवाद अथवा मतभेद की समाप्ति अन्य प्रष्नों सहित किसी एक मध्यस्थ को निर्णय हेतु प्रस्तुत की जावेगी, आदि ।  कहने का तात्पर्य यह है कि क्वांटम का प्रष्न  उत्पन्न होने पर, चूंकि विवाद को मध्यस्थ को सौंपने हेतु पाॅलिसी की षर्तों में स्पष्ट उल्लेख है  अतः हस्तगत मामले में जहां प्रार्थी ने स्वीकृत क्लेम को सही मानते हुए स्वीकार किया है, जैसा कि प्रस्तुत विनष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त से स्पष्ट है, को देखते हुए अब  वह इस मंच के माध्यम से किसी प्रकार का कोई अनुतोष प्राप्त करने का हकदार नहीं है । प्रार्थी  सबस्टेण्डर्ड संबंध में काटी गई राषि बाबत् मध्यस्थ के द्वारा सुलझाने हेतु स्वतन्त्र है ।  
8.    सार यह है कि जिस प्रकार अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उपरोक्त अनुसार प्रार्थी का क्लेम स्वीकार कर प्रार्थी को भुगतान किया है, में  किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी रही हो ऐसा नहीं माना जा सकता । मंच की राय में परिवाद खारिज होने योग्य है । अतः आदेष है कि 
                            -ःः आदेष:ः-
9.            प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक  30.08.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           

    

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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