Rajasthan

Churu

302/2013

SUSHIL KUMAR - Complainant(s)

Versus

UIIC CHURU - Opp.Party(s)

R.R.P.

23 Dec 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 302/2013
 
1. SUSHIL KUMAR
WARD NO 6 TARANAGAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू

अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
 
परिवाद संख्या-  302/2013
सुशील कुमार दूदानी पुत्र श्री सीताराम दूदानी जाति दूदानी निवासी वार्ड नं. 6 तारानगर जिला चूरू।
......परिवादी
बनाम
 
1.    यूनाईटेड इण्डिया इंन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय आलोक सिनेमा के पास चूरू जरिये शाखा प्रबंधक।
2.    यूनाईटेड इण्डिया इंन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड प्रधान कार्यालय 25 व्हाईट मार्ग चैन्नई - 600014 जरिये प्रबंधक निदेशक।
                                                 ......अप्रार्थीगण
दिनांक-   03.03.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1.    श्री राजेन्द्र राजपुरोहित एडवोकेट  - परिवादी की ओर से
2.    श्री विजय कस्वां एडवोकेट        - अप्रार्थीगण की ओर से
 
 
1.    परिवादी ने अपना परिवाद पेश कर बताया कि परिवादी कस्बा तारानगर का निवासी है व अपने निजी उपयोग उपभोग हेतु वाहन मैक्स 2 डब्ल्यु डी 5 दरवाजो की महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा कम्पनी की रजिस्ट्रेशन नं. आर जे 10 यू ए 2037 का उपभोग करता चला आ रहा है। परिवादी उक्त वाहन का बीमा आदि सही कार्यवाही समय समय पर पूरी करता आया हूॅ व अप्रार्थी सं. 1 से प्राईवेट कार पैकेज पौलिसी नं. 141802/31/11/01/8200256 उक्त व्हीकल नम्बंर आर जे 10 यू  2037 का बीमा नकद रूपया प्रिमियम राशि नकद जमा करवा दिया था जो अर्द्ध राशि दिनांक 15.06.2012 तक मान्य था । जो पूर्व मालिक के कवरनोट बीमा सं. 141802/31/11 पी161531563 के अन्तरण से कवरनोट संख्या 14802/31/ 11/01/ 82000256 बना था। उक्त वाहन का बीमा होने के बाद बीमा कम्पनी द्वारा कवरनोट जारी करके परिवादी को दे दिया गया था व वाहन का हर तरह से सभी प्रकार का नुकसान एक्सीडेन्ट, चैरी आदि रिस्क कवर होने का परिवादी को कहा गया था। दिनांक 31.03.2012 नेशनल हाईवे 11 पर फतेहपुर कस्बा मे कोर्ट के सामने दुर्घटना मे उक्त वाहन आर जे 10 यू ए 2037 दुर्घटना ग्रस्त होकर पल्टी खा गया व दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिससे वाहन बूरी तरह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे परिवादी के वाहन में बेंठे उनके रिश्तेदारान को भी चोट आई थी। परिवादी ने उक्त दुर्घटना के बाद अप्रार्थी सं. 1 को सूचना दी व उनके बताए अनुसार समस्त प्रकार का सहयोग व कार्यवाही की। जिस पर अप्रार्थी ने जल्द ही दुर्घटना क्लेम भुगतान करने का आश्वासन दिया। उक्त दावा क्लेम सं. 1141802342 सी 100193001 अप्रार्थी सं. 1 द्वारा दर्ज किया गया व अप्रार्थी द्वारा चाहे गये दस्तावेजात व बिल बाउचर परिवादी द्वारा अप्रार्थी को प्रस्तुत कर दिये गये। परिवादी का वाहन प्राईवेट कार के रूप मे पंजिकृत व बीमित था तथा परिवादी का निजी ड्राईवर राजाराम मेघवाल के रिश्तेदारान को जीवण माता के दर्शन लाभ हेतु ले जा रहा था जिनका कोई किराया नही लेकर कोई वाणिज्यिक उपयोग वाहन का नही था। मात्र एक निजी व धार्मिक कार्य था उस दौरान वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर दावा क्लेम देय था। परिवादी के वाहन मे यात्रा कर रहे व्यक्तियो को कोई मामुली चोटे आई व उनके द्वारा कोई अलग से दावा भी अप्रार्थी के यहाॅ प्रस्तुत नही किया गया व परिवादी के वाहन के साथ दुर्घटनाग्रस्त हुए वाहन के व्यक्ति द्वारा वाहन दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट सं. 73/13 पुलिस थाना कोतवाली फतेहपुर में दर्ज करवाई गयी थी जिनकी भी नकल अप्रार्थी को दे दी गई थी। अप्रार्थी सं. 1 बीमा कम्पनी के निर्देशानुसार वाहन का स्पोट सर्वे व बाद मरम्मत अंतिम सर्वे करवाया जाकर बिल अप्रार्थी बीमा कम्पनी को प्रस्तुत कर दिये गये थे जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा शीघ्र भुगतान का आश्वासन दिया जाता रहा। अप्रार्थी द्वारा काफी देरीना परिवादी के अधिक जोर देने पर दिनांक 12.07.2013 को अप्रार्थी द्वारा परिवादी का दावा क्लेम भुगतान नही कर बिना किसी आधार व औचित्य के बिना कोई सुनवायी के अवसर दिये मनमाना इकतरफा दावा क्लेम भुगतान न करने की मंशा से दावा गलत आधार के वाहन में सवारिया बैठी होने से वाहन का काॅमर्शियल यूज हो रहा व ड्राईवर के वेतन में विरोधाभास अंकित कर दावा निरस्त करना गम्भीर सेवादोष व अस्वच्छ व्यापार है। परिवादी ने अपने वाहन का कोई व्यवसायिक उपयोग नहीं किया। फिर भी अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी का क्लेम गलत आधार पर खारिज कर दिया इसलिए परिवादी ने दावा राशि 93,828 रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय की मांग की है।
2.    अप्रार्थीगण ने जवाब पेश कर बताया कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा दुर्घटनाग्रस्त वाहन के बाबत विधि अनुसार अनुसंधान करवाकर व जाॅच के दौरान सम्बंधित व्यक्तियो के बयान दर्ज करने के बाद बीमा पाॅलिसी की शर्तो एवं मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानो के अनुसार ही क्लेम का निस्तारण किया है। सही तथ्य यह है कि वर वक्त दुर्घटना बीमित वाहन का उपयोग काॅमर्शिश्ल रूप में (सवारियाॅ ढोने मे) हो रहा था, जबकि वाहन निजी प्रयोग हेतु रजिस्ट्रर्ड एवं बीमित है अतः बीमा शर्तो का परिवादी द्वारा उल्लंघन किया गया है। बीमित द्वारा प्रस्तुत किये गये दावा फार्म के काॅलम संख्या 6 के अनुसार वाहन की दुर्घटना में किसी तृतीय पक्ष को कोई क्षति नही हुई है जबकि पुलिस एफ आई आर एवं कोर्ट से प्राप्त दस्तावेजो के आधार पर वाहन में बैठी सवारियो के दुर्घटना से चोटे आई है। दावा फार्म के काॅलम संख्या 3 के अनुसार बीमित वाहन का चालक 4 माह से था जबकि बीमित के द्वारा प्रस्तुत अन्य दस्तावेजो के आधार पर चालक को 4-5 साल से होना बता रहे है। बीमित द्वारा प्रस्तुत अलग अलग दस्तावेजो के आधार पर चालक को वेतन 3000/-रू और 4,500/-रू देना लिखा रखा है। इस प्रकार परिवादी के संदेहास्पद आचरण के कारण परिवादी उपभोक्ता अधिकारिता के अधिन किसी भी प्रकार से अनुतोष प्राप्त करने के लिए योग्य नही है । परिवादी ने बीमा कम्पनी से सारवान तथ्यो को छुपाया है परिवादी माननीय मंच के समक्ष स्वच्छ हाथो से नही आया है। अतः परिवादी का परिवाद सारहीन होने से खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी बीमित वाहन को किराये पर चलाता था जो व्यवसायिक उदेश्य की परिभाषा मे आता है स्पष्ट है कि वाहन को किराये के रूप मे चलाने के लिए व्यवसायिक उदेश्य है। अतः परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी मे नहीं आता है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
3.    परिवादी की ओर से स्वयं का शपथ पत्र के अतिरिक्त खण्डन शपथ-पत्र, राजाराम, चेतन, चूंकि, सावंलाराम व राजबाला का शपथ-पत्र, बीमा कवरनोट, पत्र दिनांक 12.07.2013, 28.02.2013, 10.03.2013, बिल दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये है। अप्रार्थीगण की ओर से बी.एस. जारवाल का शपथ-पत्र, पत्र दिनांक 12.07.2013, 10.03.2013, भुगतान विवरण, बयान राजाराम, सुशील कुमार, दावा प्रपत्र, प्रथम सूचना रिपोर्ट, सुपुर्दगी नामा, जमानत नामा, सर्वेयर रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये हैं।
4.    पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
5.    परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस मे परिवाद के तथ्यों को दोहराते हुए तर्क दिया कि परिवादी का वाहन संख्या आर.जे. 10 यू.ए. 2037 अप्रार्थीगण से बीमित था। बीमित अवधि में ही दिनांक 31.03.2012 को फतेहपुर कस्बा में कोर्ट के सामने परिवादी का वाहन पलटी खाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वाहन में बैठे रिश्तेदारों को चोटें भी दुर्घटना में आयी। परिवादी ने दुर्घटना के सम्बंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचना दी व परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी को उनके निर्देशानुसार गाड़ी के रिपेयरिंग के बिल व अन्य कागजात प्रस्तुत कर क्लेम की मांग की। परन्तु अप्रार्थीगण ने परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन का स्पोट सर्वे व अन्तिम सर्वे करने के बावजूद क्लेम का भुगतान नहीं किया और दिनांक 12.07.2013 को परिवादी का क्लेम दुर्घटना के समय व्यवसायिक उपयोग में लेने के आधार पर खारिज कर दिया। जबकि परिवादी का वाहन दुर्घटना के समय निजी उपयोग में लिया जा रहा था। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा गलत आधार पर परिवादी का क्लेम अस्वीकार कर दिया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य स्पष्ट रूप से सेवादोष की श्रेणी में आता है। परिवादी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवादी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए मुख्य तर्क यही दिया कि वर वक्त दुर्घटना बीमित वाहन का उपयोग काॅमर्शिश्ल रूप में (सवारियाॅ ढोने मे) हो रहा था, जबकि वाहन निजी प्रयोग हेतु रजिस्ट्रर्ड एवं बीमित है अतः बीमा शर्तो का परिवादी द्वारा उल्लंघन किया गया है। बीमित द्वारा प्रस्तुत किये गये दावा फार्म के काॅलम संख्या 6 के अनुसार वाहन की दुर्घटना में किसी तृतीय पक्ष को कोई क्षति नही हुई है जबकि पुलिस एफ आई आर एवं कोर्ट से प्राप्त दस्तावेजो के आधार पर वाहन में बैठी सवारियो के दुर्घटना से चोटे आई है। दावा फार्म के काॅलम संख्या 3 के अनुसार बीमित वाहन का चालक 4 माह से था जबकि बीमित के द्वारा प्रस्तुत अन्य दस्तावेजो के आधार पर चालक को 4-5 साल से होना बता रहे है। बीमित द्वारा प्रस्तुत अलग अलग दस्तावेजो के आधार पर चालक को वेतन 3000/-रू और 4,500/-रू देना लिखा रखा है। इस प्रकार परिवादी के संदेहास्पद आचरण के कारण परिवादी उपभोक्ता अधिकारिता के अधिन किसी भी प्रकार से अनुतोष प्राप्त करने के लिए योग्य नही है । परिवादी ने बीमा कम्पनी से सारवान तथ्यो को छुपाया है परिवादी माननीय मंच के समक्ष स्वच्छ हाथो से नही आया है। अतः परिवादी का परिवाद सारहीन होने से खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी बीमित वाहन को किराये पर चलाता था जो व्यवसायिक उदेश्य की परिभाषा मे आता है स्पष्ट है कि वाहन को किराये के रूप मे चलाने के लिए व्यवसायिक उदेश्य है। अतः परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी मे नहीं आता है। उक्त आधारों पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया। 
6.    हमने उभय पक्षांे के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में परिवादी का दुर्घटनाग्रस्त वाहन आर.जे. 10 यू.ए. 2037 अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमित होना, बीमित अवधि में ही दिनांक 31.03.2012 को वाहन पलटी खाकर दुर्घटनाग्रस्त होना, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना फतेहपुर में दर्ज होना तथा परिवादी का क्लेम दिनांक 12.07.2013 के पत्र द्वारा बीमा कम्पनी द्वारा अस्वीकार करना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु यह है कि क्या परिवादी का प्रश्नगत वाहन दुर्घटना के समय व्यवसायिक प्रयोजनार्थ के रूप में उपयोग किया जा रहा था जबकि परिवादी का वाहन निजी प्रयोग हेतु बीमित था। इसलिए परिवादी ने बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया है। परिवादी का प्रश्नगत वाहन दुर्घटना के समय निजी वाहन के रूप में बीमित होते हुए भी व्यवसायिक प्रयोजनार्थ उपयोग में लिया जा रहा था, तथ्य को साबित करने का भार अप्रार्थी बीमा कम्पनी पर है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपनी बहस के समर्थन में इस मंच का ध्यान परिवादी के द्वारा प्रस्तुत क्लेम प्रार्थना-पत्र, सर्वेयर के समक्ष दिये गये बयान, वाहन दुर्घटना दावा विवरण-पत्र, भुगतान विवरण, राजाराम के बयान, सर्वेयर रिपेार्ट की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। अप्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत क्लेम प्रार्थना-पत्र जो कि दिनांक 10.03.2013 का है, में वर्णित तथ्यों की ओर ध्यान दिलाते हुए अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उक्त प्रार्थना-पत्र में परिवादी ने राजाराम को 4500 रूपये प्रतिमाह देने का कथन किया है व दुर्घटना के दिन दुर्घटनाग्रस्त वाहन में सवारियों के चोट आने का कथन किया है। जबकि परिवादी स्वंय द्वारा दिये गये बयान दिनांक 31.10.2012 में परिवादी ने राजाराम ड्राईवर को 3000 रूपये मासिक वेतन देने का कथन किया है। इसी प्रकार दुर्घटना दावा प्रपत्र में परिवादी ने ड्राईवर राजाराम को चालक के रूप मंे 4 माह से अपने पास कार्य करते हुए बताया है जबकि अपने बयानों में 4 व 5 साल से चालक राजाराम को दुकान पर काम करने का कथन किया है। इसी प्रकार दुर्घटना दावा क्लेम प्रपत्र के दुर्घटना के ब्यौरों में परिवादी ने तृतीय पक्ष के रूप में किसी भी व्यक्ति के चोट नहीं आने का कथन किया है। जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट व अन्य दस्तावेजों से स्पष्ट है कि दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन में अन्य सवारियां भी मौजूद थी जिनके चोटे आयी। अप्रार्थी अधिवक्ता ने परिवादी द्वारा दिये गये उपरोक्त दस्तावेजों मंे विरोधाभाषी कथनों के आधार पर तर्क दिया कि परिवादी ने अपने द्वारा दिये गये दस्तावेजों में भिन्न-भिन्न व अलग-अलग तथ्य अंकित किये है जो परिवादी के कथनों को संदेह के दायरे में लाते है। परिवादी क्लीन हैण्ड से मंच में नहीं आया। अप्रार्थी अधिवक्ता ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त दस्तावेजों के आधार पर तर्क दिया कि वास्तव में दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन व्यवसायिक प्रयोजन हेतु काम में लिया जा रहा था जेा कि पोलिसी की शर्तों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
7.    परिवादी अधिवक्ता ने अप्रार्थीगण के उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि अप्रार्थीगण द्वारा पत्रावली पर प्रश्नगत वाहन व्यवसायिक प्रयोजन का उपयोग दुर्घटना के समय किया जा रहा था के सम्बंध में कोई दस्तावेज या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की। अप्रार्थीगण केवल परिवादी की कमीयों के आधार पर ही अपने जवाब को साबित करना चाहता है जबकि विधि अनुसार अप्रार्थीगण को अपने तर्कों व साक्ष्य से अपनी बात को साबित करना होता है। परिवादी अधिवक्ता ने कथन किया कि दुर्घटना के समय उक्त वाहन निजी उपयोग में काम आ रहा था। साक्ष्य स्वरूप परिवादी ने इस मंच के समक्ष ड्राईवर राजाराम का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया है जिसने अपने शपथ-पत्र में यह कथन किया है कि वह परिवादी सुशील के यहां कार्य करता है और दिनांक 31.03.2012 को वह अपने रिश्तेदारेां को जीणमाता के दृर्शन हेतु लेकर गया था, फतेहपुर क पास उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वाहन का कोई व्यवसायिक उपयोग नहीं हो रहा था। स्वंय राजाराम का उक्त शपथ-पत्र पेश होने पर परिवादी का वाहन दुर्घटना के समय व्यवसायिक उपयोग हो रहा था, तथ्य को साबित करने का भार अप्रार्थी बीमा कम्पनी पर है। परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्य पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं की जिससे यह साबित हो कि दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन का उपयोग व्यवसायिक प्रयोजनार्थ हेतु किया जा रहा था। अप्रार्थीगण केवल परिवादी के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को ही ढ़ाल के रूप में उपयोग करना चाह रहे है। जबकि अप्रार्थीगण के द्वारा नियुक्त सर्वेयर ने अप्रार्थीगण के तथ्यों को साबित करने के सम्बंध में वाहन में सवार यात्रियों के बयान लेकर उक्त तथ्य को साबित कर सकते थे। परन्तु सर्वेयर ने अपनी सर्वेयर रिपोर्ट में इस तथ्य का ज्ञान होते हुए भी कि दुर्घटनाग्रस्त में वाहन दुर्घटना के समय अन्य सवारियां भी मौजूद थी। सर्वेयर द्वारा वाहन में सवार किसी भी सवारी के कोई बयान नहीं लेना इस तथ्य को साबित करते है कि वास्तव में प्रश्नगत वाहन दुर्घटना के समय निजी उपयोग में काम आ रहा था। सर्वेयर द्वारा केवल वाहन के लोस के सम्बंध में अपनी रिपोर्ट पेश की है। वाहन में सवार सवारियांे मंे से राजबाला, चेतन, चूंकि व सांवलाराम ने मंच के समक्ष इस आशय के शपथ-पत्र प्रस्तुत किये है कि वे प्रश्नगत वाहन में दुर्घटना के समय सवार होने के कारण उनके चोटे लगी, पर उक्त सभी ने बीमा कम्पनी के विरूद्ध किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करने के सम्बंध में कथन किया है। यदि प्रश्नगत वाहन में उक्त यात्री किराया देकर यात्रा कर रहे होते तो अवश्य ही वाहन मालिक व बीमा कम्पनी के विरूद्ध क्लेम या शिकायत सम्बंधित प्राधिकारी के समक्ष करते। उपरोक्त यात्रियों के शपथ-पत्र से यह तथ्य साबित है कि प्रश्नगत वाहन दुर्घटना के समय निजी उपयोग हेतु काम में आ रहा था। मंच की राय में अप्रार्थीगण इस तथ्य को साबित करने में असफल रहे है कि प्रश्नगत वाहन दुर्घटना के समय व्यवसायिक प्रयोजनार्थ काम में लिया जा रहा था। अप्रार्थीगण की ओर से ऐसी कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं आयी कि परिवादी का वाहन हायर एण्ड रिवार्ड के रूप में उपयोग हो रहा था और जहां स्पष्ट साक्ष्य नहीं है वहां पर यह नहीं माना जा सकता कि वाहन व्यवसायिक प्रयोजनार्थ उपयोग हो रहा था। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अपने नवीनतम न्यायिक दृष्टान्त 2014 सी.पी.जे. 4 पेज 458 एन.सी. मोनजय दास बनाम ओरियन्टल इन्श्योरेन्स कम्पनी एण्ड अदर्स में दिया है। माननीय राष्ट्रीय आयोग ने उक्त न्यायिक दृष्टान्त के पैरा संख्या 4 में यह निर्धारित किया कि यदि कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं हो तो सर्वेयर के द्वारा सुनी सूनाई बातों पर क्लेम खारिज करना उचित नहीं है। इसलिए अप्रार्थी अधिवक्ता का यह तर्क मान्य नहीं है कि दुर्घटना के समय परिवादी का वाहन व्यवसायिक उपयोग में लिया जाकर पोलिसी की शर्तों का उल्लंघन किया है।
8.    परिवादी अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह तर्क दिया कि प्रश्नगत वाहन में दुर्घटनाग्रस्त होने पर परिवादी का मरम्मत के रूप में 93,828 रूपये खर्च हुए है। बहस के समर्थन में परिवादी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान विश्वकर्मा डेटिंग एण्ड पेटिंग का बिल क्रमांक दिनांक 06.04.2012 व श्री बालाजी ट्रेक्टर का बिल दिनांक 29.04.2012 की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। विश्वकर्मा डेटिंग एण्ड पेटिंग का बिल के अवलोकन से स्पष्ट है कि उक्त दस्तावेज बिल न होकर केवल एस्टीमेट है जो विधि अनुसार साक्ष्य में ग्रहणीय नहीं है। इसी प्रकार श्री बालाजी ट्रेक्टर के द्वारा प्रस्तुत बिल का ध्यान पूर्वक अवलोकन करने पर उक्त बिल का क्रमांक 13 से शुरू होकर 19 तक है। इसके आगे के क्रम व बिल पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं है। इसलिए परिवादी द्वारा प्रस्तुत उक्त बिल भी विश्वसनीय प्रतीत नहीं होते। ऐसी स्थिति में मंच की राय में अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर के द्वारा परिवादी के वाहन की क्षति को ही वास्तविक क्षति माना जाना चाहिए। अप्रार्थी के सर्वेयर वी.के. गुप्ता ने अपनी अन्तिम रिपोर्ट जो कि दिनांक 13.04.2012 को तैयार की थी जिसमें सर्वेयर ने परिवादी के वाहन में वास्तविक क्षति 33,204 रूपये मानी है। विधि अनुसार सर्वेयर की रिपोर्ट अन्तिम रिपोर्ट होती है जबतक की उसे अन्यथा साबित न कर दिया जावे। ऐसा ही मत माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि. बनाम श्री चक्रवर्ती इन्टरप्राईजेज 2012 सी.पी.आर. 1 पेज 124 एन.सी. में दिया है। परिवादी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर की रिपोर्ट के खण्डन में ऐसा केाई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि परिवादी के वाहन की कुल क्षति 93,828 रूपये हो। इसलिए मंच की राय में परिवादी अप्रार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर के द्वारा आंकी गयी राशि ही प्राप्त करने का अधिकारी है चूंकि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी के वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सर्वेयर द्वारा आंकी गयी क्षति भी परिवादी को अदा नहीं की। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य मंच की राय में सेवादोष की श्रेणी का है। इसलिए परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
             अतः परिवादी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाकर उसे मंच द्वारा निम्न अनुतोष दिया जा रहा है।
(क.) अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह पृथक-पृथक या संयुक्त रूप से परिवादी को उसके वाहन सख्ंया आर.जे. 10 यू.ए. 2037 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सर्वेयर द्वारा आंकी गयी राशि 33,204 रूपये अदा करेगे व उक्त राशि पर सर्वे रिपेार्ट दिनांक 13.04.2012 के ठीक 3 माह बाद दिनांक 12.07.2012 से 9 प्रतिशत वार्षिक दर से साधारण ब्याज माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय सी.पी.जे. 2008 (4) 87 एन0सी0 नेशनल इन्शोरेन्स कम्पनी बनाम गोविन्द चन्द नायक की रोशनी में ताअदायगी तक अदा करेंगे।
(ख.) अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को 5,000 रूपये परिवाद व्यय के रूप में भी अदा करेंगे।
                  अप्रार्थीगण को आदेष दिया जाता है कि वह उक्त आदेष की पालना आदेष कि दिनांक से 2 माह के अन्दर-अन्दर करेंगे।
 
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
  सदस्य                 सदस्या                    अध्यक्ष                         
    निर्णय आज दिनांक 03.03.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
    
 
सुभाष चन्द्र              नसीम बानो                षिव शंकर
     सदस्य                सदस्या                    अध्यक्ष     

 

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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