(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 87/2023
मै0 श्यामजी आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज।
बनाम
उदय सिंह।
समक्ष:-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय कुमार कुन्तल, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी, विद्वान अधिवक्ता
एवं सहायक कनिष्ठ अधिवक्ता सुश्री सोनामिका मिश्रा।
दिनांक:- 19.07.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 62/2020 उदय सिंह बनाम मै0 श्यामजी आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज में जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम, आगरा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 17.11.2022 के विरुद्ध यह अपील राज्य आयोग के समक्ष योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने दि0 15.05.2018 को चुकन्दर के 160 पैकेट तथा दि0 18.05.2018 को 142 पैकेट एवं दि0 19.05.2018 को 126 पैकेट कुल 428 पैकेट अपीलार्थी/विपक्षी के शीतगृह में अपने खेत से खोदकर भण्डारित किये थे। चुकन्दर के पैकेट रखते समय अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा स्वत: रसीदों पर यह अंकित किया गया कि माल खराब होने की जिम्मेदारी नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी का यह भी कथन है कि चुकन्दर के एक पैकेट की कीमत अपीलार्थी/विपक्षी के शीतगृह में भण्डारित करते समय 1519/-रू0 थी। इस प्रकार कुल 428 पैकेट चुकन्दर की कीमत 6,50,000/-रू0 हुई जिसमें से अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा दि0 22.02.2019 को 1,60,000/-रू0 का भुगतान चेक सं0- 28534 के माध्यम से प्रत्यर्थी/परिवादी को कर दिया गया तथा शेष धनराशि 4,90,000/-रू0 का भुगतान अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा नहीं किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के भागीदार के विरुद्ध एक प्रथम सूचना रिपोर्ट सं0- 31/2019 थाना अछनेरा, जिला आगरा में अंतर्गत धारा 420, 406, 504 व 506 भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत पंजीकृत करायी गई जिसमें विवेचना उपरांत पुलिस द्वारा अन्तिम आख्या मा0 न्यायालय के समक्ष प्रतिप्रेषित कर दी गई। अपीलार्थी/विपक्षी के शीतगृह में भण्डारित चुकन्दर की शेष कीमत 4,90,000/-रू0 का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को न करके अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा सेवा में कमी कारित की गई है, जिससे व्यथित होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने यह परिवाद प्रस्तुत किया है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी को रजिस्टर्ड नोटिस भेजे गये, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से न तो कोई उपस्थित हुआ और न ही उनकी ओर से कोई जवाबदावा दाखिल किया गया।
विगत तिथि दि0 21.04.2023 को अपील की सुनवाई के समय अपील पत्रावली पर उपलब्ध संलग्नक पृष्ठ सं0- 26 पर उपलब्ध प्रपत्र को संज्ञान में लेते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया था:-
‘’21.04.2023
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज के मालिक श्री संजय कुमार अग्रवाल के अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख पत्रावली में पृष्ठ संख्या-26 पर पक्षकारों के मध्य हुए समझौते के संबंध में प्रपत्र प्रस्तुत किया है, जिस पर दाहिनी ओर सत्यवीर पुत्र उदयवीर सिंह द्वारा हस्ताक्षर किया जाना उल्लिखित है तथा बायीं ओर कोल्ड स्टोरेज के मालिक श्री संजय कुमार अग्रवाल द्वारा ‘समझौता कबूल है’ के साथ अपने हस्ताक्षर उल्लिखित किये गये हैं।
प्रत्यर्थी श्री उदय सिंह अपने अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी के साथ उपस्थित हैं, जिनके द्वारा उल्लिखित किया गया कि उनके पुत्रगण का नाम श्री सत्येन्द्र सिंह, श्री देवेन्द्र सिंह तथा श्री धर्मेन्द्र सिंह है तथा यह कि सत्यवीर नाम का कोई पुत्र उनका नहीं है व उपरोक्त हस्ताक्षर कोल्ड स्टोरेज के मालिक अथवा कर्मचारी द्वारा स्वयं प्रपत्र तैयार कर बनाये गये हैं। यह भी कथन किया कि वह उदय सिंह नाम लिखते हैं, न कि उदयवीर सिंह।
पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों में भी प्रत्यर्थी/परिवादी का नाम उदय सिंह पुत्र श्री बाबूलाल उल्लिखित पाया गया। तदनुसार सर्वश्री मै0 श्यामजी आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज, किरावली रोड अछनेरा, जिला आगरा के भागीदार श्री संजय कुमार अग्रवाल पुत्र स्व0 राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल, जिनके द्वारा उपरोक्त प्रपत्र पृष्ठ संख्या-26 पर हस्ताक्षर किये गये हैं, इस न्यायालय के सम्मुख अगली तिथि पर उपस्थित होकर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें।
प्रस्तुत अपील को पुन: दिनांक 19.07.2023 को नवीन वाद सूची में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।‘’
आदेश दि0 21.04.2023 के परिप्रेक्ष्य में आज इस न्यायालय के सम्मुख अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज के साझीदार श्री संजय कुमार अग्रवाल अपने विद्वान अधिवक्ता श्री संजय कुमार कुन्तल के साथ उपस्थित हुये। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी एवं सहायक कनिष्ठ अधिवक्ता सुश्री सोनामिका मिश्रा भी उपस्थित हुईं।
उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को विस्तार से सुनने के उपरांत तथा अपीलार्थी/विपक्षी कोल्ड स्टोरेज के साझीदार व प्रत्यर्थी/परिवादी उदय सिंह जो स्वयं न्यायालय में उपस्थित हैं को सुना एवं विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरांत यह तथ्य पाया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी कोल्ड स्टोरेज में कुल 160 पैकेट चुकन्दर दि0 15.05.2018, 142 पैकेट दि0 18.05.2018 व 126 पैकेट दि0 19.05.2018 को शीतगृह में अपने खेत से खोदकर भण्डारित किये गये थे। कुल 428 पैकेट में लगभग 50 किलोग्राम प्रति बोरा अर्थात कुल 214 कुन्तल चुकन्दर भण्डारित किया गया। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद पत्र में जिन तथ्यों को उल्लिखित किया गया उनके द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी ने उपरोक्त कुल 214 कुन्तल चुकन्दर की कीमत 6,50,000/-रू0 उल्लिखित की। अपीलार्थी/विपक्षी कोल्ड स्टोरेज द्वारा उपरोक्त उल्लिखित कीमत का विरोध करते हुए यह तथ्य उल्लिखित किया गया कि किसान द्वारा जो मूल्य उल्लिखित किया गया है वह मूल्य वास्तव में फुटकर में बाजार कीमत से भी अधिक है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों को विचारित करने के उपरांत निम्न आदेश पारित किया गया:-
‘’परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद प्रतिपक्षी के विरुद्ध भण्डारित चुकन्दर के शेष भुगतान मु0 4,90,000/- रूपये (चार लाख नब्बे हजार रूपये) के लिए स्वीकार किया जाता है। परिवादी उपरोक्त धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 21.10.2020 से भुगतान की वास्तविक अवधि तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी पाने का अधिकारी होगा। प्रतिपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह 45 दिन के अन्दर उपरोक्त धनराशि मय ब्याज परिवादी को भुगतान करे। यदि प्रतिपक्षी उपरोक्त धनराशि उपरोक्त निर्धारित अवधि के अन्तर्गत भुगतान करने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में परिवादी 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज के स्थान पर 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज पाने का अधिकारी होगा। इसके अतिरिक्त प्रतिपक्षी परिवादी को मानसिक पीड़ा के मद में 20,000/- रूपये एवं वाद व्यय के रूप में 10,000/-रूपये का भुगतान भी 45 दिन के अन्दर सुनिश्चित करेगा।‘’
हमारे द्वारा उपरोक्त आदेश का सम्यक परिशीलन किया गया एवं उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना गया तथा पक्षकारों को भी विस्तार से सुना गया और यह प्रस्ताव दिया गया कि यदि पक्षकारगण आपस में सहमति व समझौते के आधार पर देय/प्राप्त धनराशि हेतु सहमति प्रदान करें तब उस स्थिति में प्रस्तुत अपील को अन्तिम रूप से सहमति के आधार पर निस्तारित किया जावेगा।
पक्षकारों ने वार्ता के पश्चात न्यायालय के सम्मुख यह तथ्य अवगत कराये कि यदि कुल 214 कुन्तल चुकन्दर की कीमत 15/-रू0 प्रति किलोग्राम के हिसाब से आंकलित की जाये तब उस स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी कोल्ड स्टोरेज द्वारा बाकी की धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को प्राप्त करायी जावेगी। अर्थात 214x1500=3,21,000/-रू0 की धनराशि की देयता अपीलार्थी कोल्ड स्टोरेज द्वारा स्वीकृत की गई।
हमारे विचार से उपरोक्त धनराशि समुचित प्रतीत होती है। तदनुसार समझौते एवं सहमति के आधार पर व प्रत्यर्थी/परिवादी चूँकि एक किसान है उसकी मनोदशा व उसके द्वारा की गई मेहनत को दृष्टिगत करते हुये उपरोक्त धनराशि 3,21,000/-रू0 एवं मानसिक, आर्थिक व शारीरिक कष्ट तथा क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 20,000/- प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किये जाने हेतु आदेश पारित किया जाना समुचित प्रतीत होता है।
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा पूर्व में प्राप्त करायी गई धनराशि रू0 1,60,000/- (एक लाख साठ हजार रू0) के विरुद्ध समझौते/सहमति के आधार पर कुल धनराशि 3,21,000/-रू0 (तीन लाख इक्कीस हजार रू0) प्रत्यर्थी/परिवादी उदय सिंह को 01 माह की अवधि में प्राप्त करायी जावेगी। कार्यालय को आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जमा धनराशि को बिना ब्याज के प्रत्यर्थी/परिवादी को प्राप्त कराये जाने हेतु समुचित आदेश विधिनुसार 02 सप्ताह में पारित किया जावेगा। साथ ही बाकी की देय धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी उदय सिंह को डिमाण्ड ड्राफ्ट के माध्यम से अथवा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्राप्त कराये गये बैंक एकाउंट में आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से हर दशा में दि0 31 अगस्त 2023 तक प्राप्त कराया जाना सुनिश्चित किया जावेगा, अन्यथा देय धनराशि पर परिवाद योजित करने की तिथि से बाकी की देय धनराशि के भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की देयता भी अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को देय होगी। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को रू0 20,000/- (बीस हजार रू0) मानसिक, आर्थिक व शारीरिक कष्ट तथा क्षतिपूर्ति के मद में उपरोक्त दी गई समयावधि में प्रदान किया जाना सुनिश्चित करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 1