राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
परिवाद सं0-९८/२०१३
MUNANDER SINGH AGED ABOUT 31 YEARS, SON OF SHRI BHEEM SINGH RESIDENT OF C-330 SECTOR-IST SHATABDI NAGAR MEERUT & OTHERS.
.............Appellants.
Versus
UCO BANK BRANCH OFFICE SITUATED AT MAIN BRANCH MEERUT THROUGH ITS SENIOR MANAGER & OTHER.
..............Respondents.
समक्ष:-
- माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठा0सदस्य
- माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य ।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी सुनील
कुमार मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित: श्री मनोज कुमार त्रिपाठी विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:२७/०१/२०१६
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
पत्रावली आज प्रस्तुत हुई। परिवादीगण की ओर से श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी श्री सुनील कुमार मिश्रा उपस्थित हैं। विपक्षीगण की ओर से श्री मनोज कुमार त्रिपाठी उपस्थित हैं।
विपक्षी बैंक द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिनांकित २१/०१/२०१६ इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि ऋण प्राप्तकर्ता द्वारिका सिंह से विपक्षी बैंक का समझौता हो गया है। द्वारिका सिंह द्वारा बैंक का समस्त पैसा जमा कर दिया गया है। अत: परिवाद को निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गयी। इस प्रार्थना पत्र के साथ द्वारिका सिंह द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र दिनांकित ०९/०४/२०१५ एवं १०/०४/२०१५ की फोटोप्रतियां भी दाखिल की गयी हैं। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने दिनांक २१/०१/२०१६ के बैंक के इस प्रार्थना पत्र के संदर्भ में परिवादी से सत्यापन हेतु समय की प्रार्थना की थी। अत: आज दिनांक २७/०१/२०१६ की तिथि अग्रिम आदेश हेतु नियत की गयी थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा आज भी इस संदर्भ में कोई सूचना प्रेषित नहीं की गयी है किन्तु उनके द्वारा यह सूचित किया चतिेष िवतकी अथित: को ED AT MAIN BRANCH MEERUT THOUGH ESIDENT OF C-330 SECTOR-IST SHATABDI NAGAR MEERUT & OTHERS. गया कि यदि बैंक का द्वारिका सिंह से समझौता हो गया है और द्वारिका सिंह द्वारा समस्त धनराशि अदा की जा चुकी है तब परिवाद निरस्त किए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
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परिवाद के अभिकथनों से यह विदित होता है कि जिस मकान के संबंध में द्वारिका सिंह ने विपक्षी बैंक से ऋण प्राप्त किया था वह मकान परिवादी ने द्वारिका सिंह से क्रय किया था। ऋण की धनराशि द्वारिका सिंह द्वारा अदा न किए जाने के कारण विपक्षी बैंक द्वारा मकान की नीलामी की जानी प्रस्तावित थी। नीलामी की इस प्रस्तावित कार्यवाही को समाप्त किया जाना एवं दिए गए ऋण के संदर्भ में परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि को समायोजित किए जाने के संदर्भ में अनुतोष मांगते हुए परिवाद योजित किया गया।
विपक्षी बैंक द्वारा यह प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया कि मूल ऋणी द्वारिका सिंह द्वारा ऋण से संबंधित समस्त धनराशि विपक्षी बैंक में जमा कर दी गयी है। अत: स्वाभाविक रूप से इस ऋण की वसूली हेतु नीलामी की प्रस्तावित कार्यवाही किए जाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। ऐसी परिस्थिति में इस परिवाद के लंबित रहने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता। विपक्षी बैंक द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र के आलोक में परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद विपक्षी बैंक द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रार्थना पत्र दिनांक २१/०१/२०१६ के आलोक में निरस्त किया जाता है । विपक्षी बैंक द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र दिनांक २१/०१/२०१६ आदेश का भाग होगा।
(उदय शंकर अवस्थी) ( महेश चन्द )
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, आशु0 कोर्ट नं0-5